मन को शक्ति देती हैं नवदुर्गा – Navadurga Navratri Special

Navadurga Navratri Special

जगतजननी माँ दुर्गा के नौ स्वरूप जिनकी आराधना, पूजा अर्चना हम सभी करते हैं, हमारे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारे मन को शक्ति देती हैं । Navadurga Navratri Special पर नौ  दिन चलने वाले शक्ति का प्रतीक माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हमारे मन को कैसे निर्भय करते हैं। माँ की भक्ति से हमें कैसे शक्ति मिलती है आइये जानते हैं –

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Navadurga Navratri Special ; हमारे मन को शक्ति देती हैं नवदुर्गा की आराधना

शक्ति की देवी यानि माँ दुर्गा जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की बड़ी महत्वता हैं। यह माना जाता है की जब भी संकट में होते हैं, हमारा जीवन बाधाओं और चुनौतियों से घिर जाता है, तो माँ के यह नौ रूप हमें साहस प्रदान करते हैं और माँ हमें सही रास्ता दिखाती हैं।

माँ के यह नौ स्वरूप हमें आत्मबल और साहस देते हैं। जब बुरी शक्तियाँ और बुरे विचार रुपी रक्षाक हम पर हावी होते हैं तो माँ हमारी रक्षा करती हैं। नवदुर्गा पर देवी की नौ स्वरूपों की उपासना हमारे जीवन की बाधाओं और बौद्धिक अवरोधों का सामना करने, और मन को  शांत करने में मदद करती हैं। आइयें जानते हैं इस Navadurga Navratri Special पर नवदुर्गा (नौ रूप) हमारे मन को शक्ति देती हैं –

Maa Durga Navadurga Navratri Special

माँ दुर्गा का पहला स्वरुप ‘शैलपुत्री’ 

नवदुर्गा की पहली देवी माँ शैलपुत्री हैं। शैल का अर्थ है पत्थर अर्थात माँ शैलपुत्री की आराधना से हमारा मन पत्थर के समान मज़बूत हो जाता है। हम अपने वचन के मज़बूत बनते हैं और अपने वचन को पूरा करते हैं। चूँकि शैल पर्वत को भी कहा जाता है इसलिए शैलपुत्री पर्वत यानि शिखर की बेटी हैं।  माँ शैलपुत्री के आराधना से मन का भटकाव दूर होता है और हमारा ह्रदय पर्वत के समान विशाल बनता है।

माँ दुर्गा का दूसरा स्वरुप ‘ब्रह्मचारिणी’

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है अनंत और चर्य का अर्थ है चलना। यानि ब्रह्मचर्य का अर्थ हुआ अनंत में चलना। माँ ‘ब्रह्मचारिणी की आराधना से संकुचित मन विस्तृत हो जाता है। हम अपने मन के प्रकाश पुंज की शक्ति को जानने लगते हैं। हमारी चिंताएं और भार हमको कम लगने लगते हैं।

माँ दुर्गा का तीसरा स्वरुप ‘चन्द्रघंटा’

नवरात्र पर्व के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप माँ चन्द्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। यह देवी घंटे के आकर का चन्द्रमा धारण करती हैं। चन्द्रमा का सबंध बुद्धि से होता है और घंटा सतर्कता का प्रतीक है। घंटे की ध्वनि दिमाग को जाग्रत करती है और वास्तविकता की और ले जाती है।

जिस प्रकार चन्द्रमा घटता बढ़ता है उसी प्रकार मस्तिष्क भी अस्थिर रहता है। चेतना संघटिक होने से मस्तिष्क एक स्थान पर केंद्रित हो जाता है और इससे ऊर्जा में बृद्धि होती है। हमारा मन मष्तिष्क पूरी सतर्कता के साथ हमारे नियंत्रण में होता है। जब सतर्कता की गुणवत्ता और दृणता की वृद्धि होती है तो हमारा दिमाग आभूषण के समान हो जाता है। दुःख – सुख को हम समान रूप से देखने लगते हैं। समग्रता के साथ सभी विचारो, भावनाओ और ध्वनिओं को एक नाद में समाहित करें, जैसे घंटे की ध्वनि होती है।

माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप ‘कूष्मांडा ‘

नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। यह देवी ब्रह्मांड की सृजनात्मक शक्ति और शाश्वत शक्ति का प्रतीक हैं जिनमे समस्त सृजन समाया हुआ है। यह हमें उच्तम प्राण प्रदान करती हैं, जो वृत्त के सामान्य पूर्ण है। माँ कूष्मांडा की आराधना से हमारे भीतर की शक्ति भी सूक्ष्म से सूक्ष्तम और विशाल से विशालतम हो जाती है।

माँ दुर्गा का पांचवां स्वरुप ‘स्कंदमाता ‘

नवदुर्गा का पांचवां स्वरुप स्कंदमाता का है. कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इनको स्कन्दमाता कहा जाता है. अतः इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुये हैं. अतः इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है। स्कंदमाता शेर पर सवार और उनकी गोद में बालक उनके साहस और करुणा का प्रतीक है। स्कंदमाता की आराधना से हमारा मन साहस से भर जाता है जिससे करुणा भी आती है और ऐसा मन ज्ञान और क्रियाशीलता का भाव दर्शाता है।

माँ दुर्गा का छटवा स्वरुप ‘कात्यायनी’

कात्यायनी नवदुर्गा के नौ रूपों में छठवीं रूप हैं। देवी माँ का यह रूप देवताओं के क्रोध से उत्पन्न हुआ है। इस सृस्टि में दिव्य और दानवी शक्तियाँ व्याप्त हैं। इसी तरह क्रोध भी सकारात्मक और नकारात्मक हो सकता है। क्रोध कोई अवगुण नहीं है बल्कि इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है। अच्छा क्रोध बुद्धिमता से सम्बंधित है और बुरा क्रोध भावनाओं और स्वार्थ से। अच्छा क्रोध व्यापक दृस्टि बोध से आता है। यह अन्याय और अज्ञानता को मिटने का सन्देश देता है। अन्याय और नकारात्मकता को मिटाने से उद्देश्य से जो क्रोध उत्पन्न होता है, वह माँ कात्यायनी का प्रतीक है।

माँ दुर्गा का सातवां स्वरुप ‘कालरात्रि’

दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। काल अर्थात समय। समय सृस्टि में घटित होने वाली सभी घटनाओं का स्वामी है। रात्रि अर्थात पूर्ण विश्वास। तन मन और आत्मा के स्तर पर आराम। बिना विश्राम पाए आप दीप्तिमान कैसे होंगे। कालरात्रि गहनतम विश्राम से उस स्तर का प्रतीक हैं, जिससे आप जोश पा सकें। यह देवी आपको ज्ञान और तटस्थता प्रदान करती हैं।

माँ दुर्गा का आंठवा स्वरुप ‘महागौरी’

आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। देवी के इस रूप में ज्ञान, गमन, प्राप्ति और मोक्ष का संदेह छिपा है। माँ गौरी हमें विवेक प्रदान करती हैं, जो जीवन में सुधा के सामान है। निष्कपटता से शुद्धता प्रकट होती है। महागौरी प्रतिभा और निष्कपटता का मिश्रण हैं। यह परमानंद और मोक्ष प्रदान करती हैं।

माँ दुर्गा का नौवां स्वरुप ‘सिद्धिदात्री’

सिद्धि का अर्थ है सफलता । माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं, इनकी आराधना करने से सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।

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2 Replies to “मन को शक्ति देती हैं नवदुर्गा – Navadurga Navratri Special

  1. नवरात्रि के मौके पर आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी।
    यह पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा । धन्यवाद

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