फोटोकॉपी मशीन की खोज और निर्माण करने वाले चेस्टर कार्लसन के सफल जीवन की प्रेरणादायक कहानी

Chester Carlson Success Story in Hindi

Chester Carlson Xerography Success History ; नमस्कार मित्रो आज के अपने लेख में हम आपके लिए लाये है फोटोकॉपी मशीन (Xerox Machine) की खोज और निर्माण करने वाले चेस्टर कार्लसन (Chester Carlson) के सफल जीवन की प्रेरणादायक कहानी | जी हां मित्रो ये सब तो आप और हम सभी जानते है कि आज के समय में यदि आपको किसी भी सम्बन्धित दस्तावेज की बहुत सारी प्रतियां चाहिये तो वो आपको मात्र चंद सेंकंड में बहुत ही किफायती दरो में फोटोकॉपी मशीन सहायता से प्राप्त हो जाती है लेकिन पुराने समय में ये सब मुमकिन नही था और किसी भी सम्बन्धित दस्तावेज की प्रतियां हाथो से लिखकर तैयार करनी पड़ती थी जिसमे समय और मेहनत सबकुछ लगता था | इसी समस्या से पूरी दुनिया को निजात दिलाई चेस्टर कार्लसन ने अपनी रात-दिन की मेहनत और दिमाग से फोटोकॉपी मशीन का निर्माण करके |चलिए जाने Xerox Machine Developer Chester Carlson Success Story in Hindi विस्तारपूर्वक 

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Xerox Machine Developer Chester Carlson Success Story in Hindi

जाने चेस्टर कार्लसन के जन्म और प्रारंभिक जीवन की कहानी 

चेस्टर कार्लसन का जन्म 8 फरवरी 1906  में अमेरिका के सीएटल शहर में हुआ था | उनके पिताजी का नाम ओल्फ अडोल्फ कार्लसन था जो पेशे से एक नाई थे | चेस्टर कार्लसन जब बहुत ही छोटी आयुं के थे तभी उनके पिताजी टी.बी. और आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गये थे जिसके कारण उन्हें बहुत ही कम आयु अपने परिवार को पालने और आर्थिक तंगी से बचाने चलाने के लिए छोटे-मोटे कार्य  करना प्रारंभ करना पड़ा | वो मात्र 14 वर्ष तक पहुँचते-पहुँचते पूरे परिवार की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से सँभालने लग गये थे |

जाने चेस्टर कार्लसन की शिक्षा और करियर से जुड़ी कहानी

चेस्टर कार्लसन ने ज़िन्दगी की हर मुश्किल का सामना करते हुए क़र्ज़ लेकर अपनी स्नातक की डिग्री पूर्ण की और इसके बाद नौकरी के लिए 82 कंपनी में आवेदन किया और अंत में बड़ी मुश्किल से बेल टेलीफोन कंपनी में  35 डॉलर प्रतिमाह पर रिसर्च इंजीनियर के पद पर नौकरी मिली जहाँ से जैसे-तैसे वो अपना और अपने घर का खर्चा चलाने लगे | इसके बाद उनकी ये नौकरी भी छूट गई जिसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी नौकरी न्यूयॉर्क की एक इलेक्ट्रॉनिक फर्म में शुरू की जहाँ वो जल्दी ही अपनी रात-दिन की मेहनत से पेटेंट डिपार्टमेंट मैनेजर की पोजीशन तक पहुँच गये | यही नौकरी करते हुए उन्होंने भविष्य में पेटेंट लॉयर बनने के लिए नाईट शिफ्ट में लॉ स्कूल में पढ़ने की शुरुआत की |

 जाने चेस्टर कार्लसन द्वारा फोटोकॉपी मशीन के इजाद करने की सोच से जुड़ी कहानी

चेस्टर कार्लसन की इस कंपनी में पेटेंट डिपार्टमेंट मैनेजर के पद पर कार्य करते हुए उन्हें पेटेंट आवेदन के लिए  कई प्रतियों की आवश्यकता पड़ती थी जिनको बनाने के लिए कोई साधन नही था और ये सारी प्रतियाँ हाथ से नक़ल कर बनानी पड़ती थी, जिसमें उनका बहुत सारा समय और मेहनत नष्ट होते थे | धीरे-धीरे उनके लिए ये कार्य करना कठिन होता गया क्योंकि उनकी पहले से ही पास की नज़र कमज़ोर थी और अब वो भी अपने पिताजी की तरह आर्थराइटिस बीमारी के शिकार हो रहे थे | अपनी इस अपनी समस्या के निदान के लिए उन्होंने अपना समय लाइब्रेरी में बैठकर वैज्ञानिक लेख और पुस्तकें पढ़ने में लगाना शुरू किया |

जाने चेस्टर कार्लसन द्वारा फोटोकॉपी मशीन बनाने में आई परेशानियों से जुड़ी कहानी 

चेस्टर कार्लसन ने अपने घर के किचन में ही एक छोटी सी प्रयोगशाला बनाई और बनाकर “इलेक्ट्रो फोटोग्राफी’ के सिद्धांतों पर प्रयोग करना शुरू किया | जल्दी ही उनको अपने प्रयोगों में प्रारंभिक सफलता मिली और उन्होंने वर्ष 1937 में अपने पहले पेटेंट का आवेदन दिया लेकिन मुश्किल थी कि उनकी बनाई गई फोटोकॉपी मशीन महंगी और अव्यवहारिक होने के कारण व्यापारिक उपयोग के लिए उपर्युक्त नही थी | 

इसके लिए वो इसको और सुधार और अच्छा बनाने में जुट गये | उनके रात-दिन के प्रयोगों से दुखी होकर उनकी पत्नी रोज उनसे क्लेश करती थी और कई बार उनका सामान भी किचन से फैक देती थी लेकिन चेस्टर कार्लसन कहा मानने वाले थे और अंत में उनकी पत्नी ने उन्हें तलाक दे दिया और घर छोड़ दिया | 

अब वो पूरी तरह अपने काम में लग गए लेकिन उन्हें अपने निर्माण में पूँजी की कमी आने लगी जिसके लिए उन्होंने आई.बी.एम., कोडक, आर.सी.ए. जैसी कई कंपनियों का रूख किया और उनसे अपने शोध के लिए पूँजी मांगी लेकिन कोई भी उनकी सहायता को तैयार नही हुआ |

जाने चेस्टर कार्लसन के द्वारा जीवन में सफलता प्राप्त करने से जुड़ी कहानी 

कहते है कि इंसान की मेहनत कभी ना कभी रंग लाती है और यहीं चेस्टर कार्लसन के साथ हुआ जब ‘बैटले मेमोरियल इंस्टिट्यूट’ ने उनके साथ तकनीकी शोध अनुबंध किया जिसके तहत कंपनी को कार्लसन की फोटोकॉपी मशीन पर शोध और अपनी जरुरत के हिसाब से सुधार कार्य करने थे और मशीन के व्यापारिक उपयोग के लिए बाज़ार में उतरने के बाद चेस्टर कार्लसन को उसकी 40 फीसदी रोयालिटी देनी थी |

कंपनी ने इस मशीन के लिए वर्ष 1947 में रोशेस्टर की एक छोटी कंपनी ‘हैलाइड’ के साथ एक अनुबंध किया जिसके तहत ‘हैलाइड’ ने  चेस्टर कार्लसन की मशीन पर लगभग 13 वर्षो तक शोध किया जिसमे कंपनी द्वारा लगभग 7.5 करोड़ डॉलर की राशि खर्च की गई और आख़िरकार वर्ष 1960 में फोटो कॉपियर हेराल्ड-ज़ेरॉक्स बाज़ार में लांच करने में सफलता प्राप्त की |

उस समय एक हेराल्ड-ज़ेरॉक्स मशीन की कीमत लगभग 29500 डॉलर थी जिसके लिए कंपनी ने इस मशीन को लीज़ पर देने की योजना बनाई और अपना एक विज्ञापन चलाया ज़ेरॉक्स मशीन लगवाएं 15 डॉलर प्रतिमाह के मात्र किराये पर और साथ में पाये 2000 फोटो कोपियाँ मुफ्त में | 

कंपनी हर कॉपी पर 4 सेंट लेती थी और साथ में मेंटेनेंस की गारंटी भी देती थी | कंपनी का ये आईडिया चल निकला और ‘हैलाइड’ कंपनी वर्ष 1969 तक वो Xerox Corporation नामक कंपनी बन गई और कंपनी हर वर्ष सलाना 1 अरब डॉलर चेस्टर कार्लसन द्वारा निर्मित फोटोकोपियरों से कमाने लगी और चेस्टर कार्लसन को भी ‘बैटले मेमोरियल इंस्टिट्यूट’ के साथ हुए अनुबंध के मुताबिक रोयालिटी देने लगी जिससे वो भी एक दौलतमन्द और प्रसिद्ध इंसान बन गये |

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