विदुर नीति ! परम ज्ञानी महात्मा विदुर के 27 अनमोल विचार Vidura Neethi “Vidur Ke Anmol Vichar”

Vidura Neethi

भारत में कई नीतिकार हुए इनमें से विदुर का नाम भी उल्लेखनीय है। विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। महात्मा विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है इसी वजह से कौरवों के साथ रहते हुए भी उनमें कभी छल कपट, ईर्ष्या, द्वेष की भावना नहीं थी। आइयें जानते हैं पुत्र मोह में फसे धृतराष्ट्र को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के तत्वों का सार बताने वाले महात्मा विदुर “विदुर नीति” “Vidura Neethi” द्वारा दिए गए उन विचारों को जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे। विदुर द्वारा दिए गए विचारों से हम अपने जीवन के सार को समझ सकते हैं और अपने जीवन में खुश और शांत रह सकते हैं।

विदुर नीति (Vidura Neethi – “Vidur Ke Anmol Vichar”)  परम ज्ञानी महात्मा विदुर के अनमोल विचार

1- “किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि आप पूरा मन बना लें। अधूरे मन से किया कार्य भी अधूरा रहता है। आपको किसी कार्य में पूरी तरह से सफलता तभी मिलेगी जब आप पूरे से से उस कार्य को करेंगे।” – Vidur

2- “जिस धन को कमाने में मन तथा शरीर का क्लेश हो, धर्म को उलंघन करना पड़े तथा सर शत्रु के सामने झुकना पड़ जाये। ऐसे धन को प्राप्त करने का विचार त्यागना ही बेहतर होता है।” – Vidur

3- “जो व्यक्ति अपने मन को काबू में नहीं रख पाता, वह कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता।” -Vidur

4- “प्रत्येक मनुष्य को माता, पिता, अग्नि, आत्मा और गुरु इन पांचों की बड़े यत्न से सेवा करनी चाहिए।” -Vidur

5- “आलसी व्यक्ति को कभी भी धन नहीं सौपना चाहियें। अपने आलस्य के कारण वह व्यक्ति धन को शर्वनाश कर देगा।” -Vidur

6- “अपना धन किसी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहियें जिसकी नियत में आपको संदेह हो। ऐसा व्यक्ति आपके धन का दुरूपयोग तो करता ही है बल्कि आपको मुश्किल में भी डाल सकता है।” -Vidura Neethi

7- “काम, क्रोध और लोभ यह तीनों आत्मा का नाश करने वाले नरक के तीन दरवाजे हैं। इसलिए इन तीनों का त्याग कर देना चाहियें।” – Vidur

8- “जो व्यक्ति शक्तिशाली होने पर भी क्षमा कर सके और निर्धन होने पर भी दान दे सके, स्वर्ग में ही स्थान पाता है।” -Vidur

9- “जो व्यक्ति हमेशा बीमार रहता है। उसे अपने शरीर के साथ साथ धन को भी नुकसान उतना पड़ता है। इसलिए बीमारी से बचे रहना सबसे बड़ा सुख होता है। कहने का अर्थ है की स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन और सुख है।” – Vidur

10- “केवल धर्म ही परम कल्याणकारक है, एकमात्र क्षमा ही शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक विद्या ही परम संतोष देने वाली है और एकमात्र अहिंसा ही सुख देने वाली है।” – Vidura Neethi

11- “मनुष्य को अपनी इच्छा अपनी आय के अनुसार ही करनी चाहिए। जिन लोगों का मन वश में नहीं होता, वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरों से उधार ले लेते हैं। दूसरों से पैसे उधार लेकर पूरी की गई इच्छा कभी सुख नहीं देती। कई बार लोग अपना लिया हुई कर्जा चुका नहीं पाते और अपने साथ-साथ अपने परिवार को भी परेशानी में डाल देते हैं। जो मनुष्य हमेशा कर्ज से बचा रहता है, वह बहुत सुखी होता है।” -Vidur

12- “जिस प्रकार समुद्र को पार करने में नाव की जरूरत होती है उसी प्रकार इसी तरह स्वर्ग के लिए सत्य ही एकमात्र सीढ़ी है।”- Vidur

13- “जो बहुत धन, विद्या तथा ऐश्वर्य को पाकर भी इठलाता नहीं, वह पंडित कहलाता है।” – Vidur

14- “जिस व्यक्ति को आदर सम्मान मिलने पर भी वो खुशी से फूल नहीं उठता और अनादर होने पर क्रोधित नहीं होता तथा जिसका मन विपत्तियों में भी शांत रहता है। वही ज्ञानी व्यक्ति होता है।” – Vidur

15- “जिस काम को करने के बाद पछताना पड़ जाये ऐसे कार्य को करने से क्या लाभ।” -Vidur

16- “छह प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी रहते है। 1 – ईर्ष्या करने वाला। 2 – नफरत करने वाला। 3 – शक करने वाला। 4 -हमेशा असंतुष्ट रहने वाला। 5 – क्रोध करने वाला। 6 – दूसरों के सहारे जीने वाला।” – Vidura Neethi

17 – “जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है , बुरे कर्मों से दूर रहता है, साथ ही जो ईश्वर में विश्वास रखता है , जो परम श्रद्धालु है उसके ये सद्गुण पंडित होने के लक्षण हैं।” – Vidur

18- “कठोर वचन बोलना तन मन को जला देता है। मधुर वचन अमृत वर्षा के समान है।” – Vidur

19- “स्त्री का स्पर्श, धन का हरण, मित्रों का त्याग यह तीनों दोष क्रमशः काम, लोभ, और क्रोध से उत्पन्न होते हैं।” – Vidur

20- “वह मनुष्य अधर्मी होता है जो अच्छे कर्मों और पुरुषों में विश्वास नहीं रखता, गुरुजनों में भी स्वभाव से ही शंकित रहता है। किसी का विश्वास नहीं करता और मित्रों का परित्याग करता है।” – Vidur

21- “क्षमा को दोष नहीं मानना चाहिए, निश्चय ही क्षमा परम बल है। क्षमा निर्बल मनुष्यों का गुण है और बलवानों का भूषण है।” – Vidur

22- “बुद्धिमान व्यक्ति के प्रति अपराध कर कोई दूर भी चला जाए तो चैन से न बैठे, क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति की बाहें लंबी होती है और समय आने पर वह अपना बदला लेता है।” – Vidura Neethi

23 -“जिस व्यक्ति के कर्तव्य, सलाह और पहले लिए गए निर्णय को केवल काम संपन्न होने पर ही दूसरे लोग जान पाते हैं, वही व्यक्ति पंडित कहलाता है।” – Vidur

24 – “संसार के 6 सुख प्रमुख है- धन प्राप्ति, हमेशा स्वस्थ रहना, वश में रहने वाले पुत्र, प्रिय भार्या, प्रिय बोलने वाली भार्या और मनोरथ पूर्ण कराने वाली विद्या- अर्थात् इन छह से संसार में सुख उपलब्ध होता है।” – Vidur

25- “जो जिस प्रकार के संगत रखता है उसे वैसा ही मिलता है। जो अच्छे और विद्वान लोगों से दोस्ती रखता है, उनके साथ अपना समय बिताता है, वह बहुत ही सुखी माना जाता है। बुरे लोगों की संगति का परिणाम भी बुरा ही होता है। जो व्यक्ति दुष्ट और हिंसक लोगों के साथ मेल-मिलाप रखता है, उसे आगे चलकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, जिसकी दोस्ती अच्छे लोगों के साथ होती है, वह बहुत सुखी होता है।” – Vidur

26- “जो व्यक्ति विश्वास का पात्र नहीं है, उसका तो कभी विश्वास किया ही नहीं जाना चाहिए। परन्तु जो व्यक्ति विश्वास के योग्य है, उस पर भी अधिक विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। विश्वास से जो भय उत्पन्न होता है, वह मूल उद्देश्य का भी नाश कर डालता है।” – Vidur

27- “जो मनुष्य अपना और अपने परिवार की जीविका के लिएखुद धन कमाने के काबिल होता है, वह बहुत ही सुखी माना जाता है। कई लोग अपना जीवन चलाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं, ऐसे लोगों का न तो स्वाभिमान होता है, न ही दूसरों की नजर में सम्मान। इसलिए, जो खुद मेहनत करके अपना जीवन चलाता हो, उसे सबसे सुखी माना जाता है।” – Vidur

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