नमक जितना प्यार – Inspirational Short Story In Hindi

Short Story In Hindi

आज में आपके साथ एक  Inspirational Short Story In Hindi शेयर कर रहा हूँ, जिसमे आप जानेगे की छोटी छोटी चीज़े जिन्हें हम नज़रअंदाज़ कर देते है असल में वो बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। उन चीज़ो का महत्त्व तब समझ में आता है जब वो चीज़े हमारी ज़िन्दगी में नहीं रहती। तो आइये इस बात को जानते हैं  एक Inspirational Short Story In Hindi के द्वारा –

प्रेरणादायक हिंदी कहानी  ‘नमक जितना प्यार’ ……. Inspirational Short Story In Hindi

माधवगण राज्य के राजा विक्रम सिंह अपनी एकलौती बेटी सुलेखा से अत्यन प्यार करते थे और सुलेखा भी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी। सुलेखा की माँ का देहांत सुलेखा के जन्म के समय ही हो गया था। राजा विक्रम सिंह ने दूसरी शादी यही सोच कर नहीं की कहीं सौतेली माँ  सुलेखा के साथ बुरा व्यवहार न करे।

राजा विक्रम सिंह ने अपनी बेटी को  पिता के साथ साथ माँ का प्यार भी दिया।  सुलेखा की सेवा में हमेशा दासियाँ तैयार रहती थी उसके बाबजूत राजा विक्रम सिंह खुद अपनी बेटी का ख्याल रखते थे। सुलेखा का बचपन बहुत ही आराम से बीता। सुलेखा बहुत ही समझदार और सभ्य लड़की थी। इतना राजसी ठाट होने के बाद भी घमंड नाम की चीज़ सुलेखा में नहीं थी।

एक दिन एक मंत्री ने राजा से कहा – ‘महाराज मैं जनता हूँ की आप राजकुमारी सुलेखा से अत्यन स्नेह करते हैं, पर जितना  स्नेह आप अपनी बेटी से करते है क्या उतना  स्नेह  राजकुमारी जी आपसे करती हैं।’

राजा विक्रम सिंह बोले – ‘सुलेखा हमारी एकलौती बेटी है और वो हमारे लिए सबकुछ है। इसमें कोई संदेह नहीं है की जितना प्यार हम अपनी बेटी से करते हैं उतना ही प्यार वो हमसे भी करती है।’

मंत्री बोला – ‘महाराज राजकुमारी सुलेखा बहुत ही बुद्धिमान हैं क्या वो आपसे कितना प्यार करती हैं, इस सवाल का जबाब तीन शब्दों में दे सकती हैं।’

राजा ने कहा – ‘यकीनन हमारी बेटी बहुत समझदार है वो इस सवाल का जबाब तीन शब्दों में जरूर देगी और पूरे दरवार के सामने देगी।’

Inspirational Short Story In Hindi

दरवार लगा और उस दरवार में  राजकुमारी सुलेखा भी उपलब्ध थी।

राजा ने सभी लोगों के सामने अपनी बेटी से कहा –  ‘बेटी आप सभी को बताओ आप हमसे कितना प्यार करती हैं।

राजकुमारी सुलेखा ने कहा – ‘पिता जी मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।

राजा ने कहा – ‘क्या इस सवाल का जबाब तुम सिर्फ तीन शब्दों में दे सकती हो।

राजकुमारी सुलेखा ने थोड़ी देर सोचकर कहा – ‘जी पिता जी इस सवाल का जबाब में तीन शब्दों में दे सकती हूँ।’

राजा ने कहा – ‘बेटी वो तीन शब्द कौन से हैं जिससे हमे लगे की आप हमे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं।’

राजकुमारी ने कहा – ‘पिताजी में आपसे ‘नमक जितना प्यार करती हूँ। ‘

इस जबाब को सुनकर राजा से साथ साथ दरवार के सभी लोग चौक गए। राजा ने दुखी होते हुय कहा – ‘बेटी बस सिर्फ नमक जितना ‘तुम हमारे प्यार दुलार को सिर्फ तुछ नमक की तुलना में  समझती हो। हमे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

वहाँ सभी उपस्थित लोग आपस में बाते कर रहे थे – ‘महाराज अपनी बेटी से कितना प्रेम करते है और बेटी उसकी तुलना में सिर्फ नमक जितना प्यार करती है।

राजकुमारी सुलेखा ने समझाने की कोशिस की पर राजा निराश और क्रोधित होकर दरवार से चले गए।

राजा अपने कक्ष में दुखी होकर बैठे हुए थे तभी राजकुमारी सुलेखा उनके पास आई और बोली –  ‘पिताजी अगर आपको मेरी बाते सुनकर दुःख हुआ तो उसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगती हूँ। पर मैं अब भी यही कहूँगी की मैं आपसे नमक जितना प्यार करती हूँ और इस बात को मैं साबित कर दूंगी की मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ।’

राजा ने कहा – ‘ठीक है, मैं तुम्हें 3 दिन का वक्त देता हूँ। अगर तुम अपनी इस बात को साबित कर सको।’

Inspirational Short Story In Hindi

दूसरे दिन राजा के पास संदेह आया की दूसरे देश के राजा उदयवीर जो पहले उनके शत्रु थे अब मित्रता का हाँथ बढ़ाने आ रहे हैं। राजा विक्रम सिंह को भी इस दुश्मनी से बहुत नुकसान हो रहा था, इसलिए वो काफी खुश थे। उन्होंने उनके स्वागत की तैयारियां शुरू कर दीं।

राजकुमारी सुलेखा ने राजा से आग्रह किया की ‘भोजन की तैयारी का अवसर उन्हें दिया जाये। राजा जानते थे कि उनकी बेटी खाना बहुत अच्छा बनाती है। यह सोचकर राजा ने उन्हें अनुमति दे दी।

दूसरे दिन राजा उदयवीर आये। उनका स्वागत  बहुत भव्य तरीके से किया गया। भोजन में  तरह तरह के व्यंजन बनाये गए। यह देख राजा उदयवीर बोले – ‘राजा विक्रम सिंह जी’ भोजन देखकर ही इतना स्वाद आ रहा है तो खाकर कितना आएगा। अब इंतज़ार नहीं हो रहा है क्यों न भोजन शुरू किया जाये।’

राजा विक्रम सिंह बोले – ‘जी राजा उदयवीर जी’ यह भोजन आपके लिए ही बनाया गया है। आइये भोजन करते हैं।’

राजा उदयवीर ने जैसे ही गस्सा मुँह में डाला और बुरा मुँह बनाकर उसे थूक दिया। और बोले – ‘ये क्या इसमें तो नमक ही नहीं है।’ राजा विक्रम सिंह ने क्षमा मांगी और दूसरी सब्जी खाने के लिए कहा। लेकिन उसमे भी नमक नहीं था।

राजा उदयवीर क्रोधित होकर खड़े हो गए और बोले – ‘राजा विक्रम सिंह तुमने हमारा बहुत अपमान किया है। बिना नमक का खाना परोसकर तुमने यह साबित किया है की तुम मित्रता नहीं दुश्मनी चाहते हो।

राजा  विक्रम सिंह ने उन्हें समझने की कोशिस की और कहा –  ‘राजा उदयवीर जी यह खाना मेरी बेटी ने बनाया है और भूल से वो नमक डालना भूल गई।’

तभी राजकुमारी सुलेखा वहां आ गई उसने राजा उदयवीर से कहाँ – ‘महाराज मुझे माफ़ कर दीजिये खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना है पर मैं नमक डालना भूल गई।’

राजा उदयवीर बोले – ‘खाना देखने में कितना भी अच्छा क्यों न हो यदि उसमे नमक नहीं है तो उसमे कोई स्वाद नहीं है वो बेकार है बिलकुल।’

राजकुमारी सुलेखा ने कहा – ‘महाराज मुझे माफ़ कर दें, मैने जानपूछ्कर खाने में नमक नहीं डाला।’  उसने नमक जितना प्यार वाली पूरी बात उनको बताई।

सभी लोग इस बात को सुनकर बहुत प्रभावित हुए।  राजा उदयवीर बोले – ‘बेटी तुम बहुत ही समझदार हो। तुमने बहुत ही अच्छी तरह से इस बात को साबित कर दिया की तुम अपने पिता से बहुत प्यार करती हो। राजा विक्रम सिंह जी आप ऐसी बेटी पाकर धन्य हो गए।’

राजा विक्रम सिंह भी अपनी बेटी से बहुत प्रभावित हुए ‘उन्होंने कहा – ‘बेटी तुम सही हो ‘इतना बढ़िया खाना बिना नमक के बेकार हो गया। सुनने में नमक बहुत छोटी से चीज़ लगती है पर खाने में नमक का सबसे ज्यादा महत्त्व है। अब मैं समझ गया तुम मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती हो। मैं भी तुम्हें नमक जितना प्यार करता हूँ।’

इसके बाद खाने में नमक डाला गया और सभी ने बहुत आनंदपूर्वक स्वादिष्ट भोजन किया।

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