पढ़े MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati Real Life Inspirational Success Story की पूरी दास्तान – नमस्कार मित्रो आज के इस अंक में हम आपको बताने जा रहे है MDH Masala Success Story. दोस्तों एम डी एच मसाले से तो आप यकीनन परचित होंगें। आपने अपने टेलीविज़न सेट पर MDH विज्ञापनों में एक बुजुर्ग व्यक्ति को देखते आये होंगे। यह बुजुर्ग शख्स कोई और नहीं बल्कि खुद एमडीएच मसाला के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी हैं, जो 2020 तक 25 करोड़ रुपये से अधिक के वेतन के साथ भारत में एफएमसीजी में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ थे।
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati Real Life Inspirational Success Story को बताएंगे जो आज पूरे विश्व में Masala King ‘मसालों के बादशाह’ के नाम से प्रसिद्ध है |
Contents
MDH Masala Success Story
MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिन्होंने अपने जीवन में ना जाने कितने उतार-चढ़ाव देखे लेकिन कभी ये परिस्थितियों से हार नहीं मानते हुए, कुछ पाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखा और सफलता की राह पर लगातार आगे बढ़ते चले गये | चलिए अब थोड़ा विस्तारपूर्वक जाने MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati Real Life Inspirational Success Story की पूरी दास्तान :-
जाने MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati के जन्म और परिवार से जुड़ी कहानी
MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati का जन्म 27 मार्च 1923 को ब्रिटिश कालीन शासन में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था जो पहले भारत का ही हिस्सा था | उनके पिताजी Mahashay Chunilal Gulati और माता Chnan Devi आर्य समाज के अनुयायी और बहुत ही परोपकारी धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे । पिताजी महाशय चुन्नीलाल की सियालकोट में ही Mahashian Di Hatti (MDH) नाम से मिर्च-मसालों की बहुत प्रसिद्ध दुकान थी जिसकी स्थापना उनके पिताजी ने वर्ष 1919 में की थी | उनके पिता अपने हाथो से ही मिर्च-मसाले बनाते थे जिसके कारण पूरे उस क्षेत्र में उन्हें ‘दिग्गी मिर्च वाले’ के नाम से जाना जाता था |
जाने MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati के शुरूआती जीवन से जुड़ी कहानी
MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati का मन कभी भी पढाई में नही लगा और वर्ष 1933 में उन्होंने 5th कक्षा उतीर्ण करके पढाई छोड़ दी जिससे उनके पिताजी को बहुत दुःख हुआ | इसके बाद पिताजी ने उनको जीवन में आगे बढ़ाने के लिए कुछ हुनर सीखने की सोची और एक बढ़ई के पास लकड़ी का काम सीखने भेजा लेकिन वहाँ 8 माह तक कार्य सीखने के बाद उन्होंने जाना बंद कर दिया | फिर उसके बाद उन्होंने चांवल की फैक्ट्री में औरकपड़ों से लेकर हार्डवेयर तक आदि कई क्षेत्रों में कार्य किया पर किसी भी कार्य में उनका मन नही लगा और अंत में उनके पिताजी ने उन्हें अपने दुकान पर बैठा लिया और कुछ समय बाद उनकी अलग से एक मसाले की दुकान खुलवा दी | इसके बाद उनकी 18 वर्ष की आयु में विवाह हो गया जिसके बाद वो रात-दिन करके अपने कार्य को बढ़ाने लगे |
जाने MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati और उनके परिवार के संघर्षमय जीवन की कहानी
ऐसा कहा जाता है कि जीवन का चक्र कब घूम जाए कुछ पता नही चलता और यही MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati और उनके परिवार के साथ हुआ जब वर्ष 1947 में भारत की आज़ादी और उसका विभाजन हुआ | जिस सियालकोट में उनका बचपन से लेकर अब तक का समय बीता वो अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था |
इसके बाद वो अपने परिवार के साथ अपना सबकुछ छोडकर भारत चले आये | जैसे-तैसे दंगो और कत्लेआम के बीच वो और उनका परिवार 7 सितमबर 1947 को अमृतसर में एक रिफ्यूजी कैंप में पंहुचा | उसके बाद कुछ दिन कैंप में रहने के बाद 27 सितम्बर 1947 को MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati अपने जीजा जी के साथ काम ढूंढने हेतु, दिल्ली की ओर निकल गये और वहां करोलबाग में अपनी भांजी के फ्लैट में रहने लगे |
अब समय था दिल्ली में काम करने का इसीलिए उन्होंने अपनी जमापूंजी की 1500 रुपये में से 650 रुपये में एक तांगा और घोड़ा खरीदकर न्यू दिल्ली स्टेशन से क़ुतुब रोड और करोल बाग़ से लेकर बड़ा हिंदू राव तक प्रतिव्यक्ति 2 रुपये शुल्क लेकर तांगा चलाने लगे लेकिन इससे इतनी कमाई भी नही हो पाती थी कि परिवार का भरण पोषण हो सके कई-कई दिन तक तो उन्हें उन्हें तांगे में बैठने एक भी सवारी नहीं मिलती थी | यहीं नही लोग उन पर हँसते और मजाक उड़ाते थे । आख़िरकार 2 माह तांगा चलाकर इस कार्य को भी बंद कर दिया |
जाने MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati द्वारा Mahashian Di Hatti(MDH) को दिल्ली में शुरू करने की कहानी
धर्मपाल गुलाटी ने आख़िरकार अपना खानदानी मसालों का कार्य फिर से दिल्ली में शुरू करने का मन बना लिया और अपना तांगा और घोड़ा बेचकर अजमल खान रोड, करोल बाग़ में एक लकड़ी का खोका खरीद कर छोटी सी दुकान Mahashian Di Hatti Siyalkot वालो के नाम से शरू कर दी | उन्होंने यहाँ रात-दिन एक करके मसाला कूटने और मिर्च पीसने का कार्य शुरू किया और उनकी मेहनत रंग लाने लगी |
मसालों की गुणवत्ता के कारण उनकी दुकान चल निकली और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी | अपने बिज़नेस को और आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 1953 में एक और दुकान चांदनी चौक में किराए पर ले ली । वर्ष 1959 में उन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाला फैक्टरी शुरू की जिसे Mahashian Di Hatti (MDH) कहा जाता था |
धीरे-धीरे अखबारों में दिए गए विज्ञापनों से भी उनके बनाये गये मसाले मशहूर होने लगे और व्यापार पूरे देश और विदेशो में बढ़ता चला गया | आज के समय में Mahashian Di Hatti (MDH) मसालों का एक ऐसा ब्रांड बन चुका है जो भारत की हर रसोई में उपयोग होता है | Mahashian Di Hatti (MDH पूरी दुनिया के 100 से अधिक देशों में अपने 60 से अधिक मसालों को एक्सपोर्ट करता है |
जाने MDH Masala Founder Mahashay Dharampal Gulati से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बाते
- Mahashay Dharampal Gulati Mahashian Di Hatti(MDH) कम्पनी के खुद ही प्रबंध निदेशक और ब्रांड एम्बेसडर थे।
- Mahashay Dharampal Gulati एक उद्योगपति होने के साथ ही प्रसिद्ध समाजसेवी भी थे जिन्होंने समाज सेवा के उद्देश्य से कई अस्पतालो और स्कूलों का निर्माण करवाया |
- Mahashay Dharampal Gulati का घराना आज देश के टॉप अरबपति घरानों में आता है |
- महाशय धर्मपाल जी का निधन 3 December 2020 सुबह 5.38 पर हो गया। वह 98 साल के थे। कोरोना से ठीक होने के बाद हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ।
- व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए पिछले साल उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण से नवाजा था।
- 98 साल के गुलाटी अपने मसालों का विज्ञापन खुद ही करते थे।
- वह अपनी कंपनी के CEO थे और 25 करोड़ उनकी सैलरी थी।
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