प्रेरक प्रसंग ; कोशिश करने वालों की हार नहीं होती | Koshish Karne Walon Ki Haar Nahi Hoti

Koshish Karne Walon Ki

कठिन लक्ष्य से डरने की बजाए हर क्षण का इस्तेमाल करें और कोशिश करें !! कोशिश करो और फिर से कोशिश करो जब तक आप सफल नहीं हो जाते। सोहनलाल द्विवेदी जी की की एक प्रशिद्ध रचना याद आ जाती है “Laharon Se Dr Kar Nauka Paar Nahin Hotee,  Koshish Karne Walon Ki Haar Nahi Hoti” कई लोगों के असफल होने का कारण यह है कि वे असफल होने के बाद रुक जाते हैं। याद रखें जब तक आप नहीं चाहते आप असफल नहीं हो सकते। कोई भी तब तक असफल नहीं होता जब तक वे कोशिश करते रहें और तब तक कोशिश करते रहें जब तक सफल नहीं हो जाते। आइये इस बात को एक छोटी सी कहानी, Short Motivational Story ‘प्रेरक प्रसंग ; कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ के माध्यम से जानते हैं –

प्रेरक प्रसंग ; कोशिश करने वालों की हार नहीं होती | Koshish Karne Walon Ki Haar Nahi Hoti

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरू से कहा कि गुरूदेव मैं अपने कठिनतम लक्ष्यों को कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ? गुरूजी थोड़ा सा मुस्कुराए और उसे भरोसा दिया कि वह उसे आज रात उसके सबाल का जबाव देंगे।

शिष्य हर रोज शाम को नदी से गागर भरकर जल लाता था, ताकि रात को उसका इस्तेमाल हो सके। लेकिन, गुरूजी ने उसे उस दिन शाम को पानी लाने से मना कर दिया। जब रात हुई तो शिष्य ने गुरूदेव को अपने सवाल के लिए याद दिलाया । गुरूजी ने शिष्य को एक लालटेन दी और कहा कि जाओ पहले नदी से इस गागर में पानी भर लाओ।

उस दिन अमावस्या थी और घोर अंधेरा होने की वजह से हाथ को हाथ नहीं दिखाई दे रहा था, और शिष्य भी कभी इतनी अंधेरी रात में बाहर नहीं गया था। अतः उसने कहा कि गुरूजी नदी तो यहां से बहुत दूर है और इस लालटेन के प्रकाश में से मैं कैसे इतना लम्बा सफर इस अंधेरे में कैसे तय करूँगा ? आप सुबह तक प्रतीक्षा कीजिए, मैं गागर सुबह भर लाऊंगा, गुरू जी ने कहा कि हमें जल की आवश्यकता तो अभी है और तुम सुबह लाने की बात कर रहे हो। जाओ और गागर को भकर लाओ।

शिष्य बोला कि गुरूजी इस अंधेरे में जाना संभव नहीं है। गुरूजी ने कहा कि अरे मूर्ख अंधेरा क्या देखता है, रोशनी को देख और आगे बढ़। रोशनी तेरे हाथों में है और तू अंधेरे से डर रहा है।

गुरूजी के ऐसे वचन सुनकर शिष्य आगे बढ़ गया। बस फिर क्या था शिष्य लालटेन लेकर आगे बढ़ता रहा और नदी तक पहुँच गया और गागर भरकर लौट आया। शिष्य ने कहा कि गुरूजी मैं गागर भरकर ले आया हूँ, अब आप मेरे सवाल का जवाब दीजिए। तब गुरूजी ने कहा कि मैंने तो तेरे सवाल का जवाब दे दिया है, लेकिन शायद तेरी समझ में नहीं आया।

गुरूजी ने उसे समझाया कि यह दुनिया एक अंधेरी नगरी है, जिसमें हर एक क्षण एक लालटेन की रोशनी की तरह मिला हुआ है। अगर हम उस हर एक क्षण का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ेंगे तो आनंदपूर्वक अपनी मंजिल तक पहुँच जाएंगे। किन्तु यदि भविष्य के अंधकार को देखते रहेंगे तो  कोशिश करने से पहले ही हम विफल हो जायेंगे।

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