शिरडी के साईं बाबा के बारे में कुछ रोचक बातें | Interesting Facts About Shirdi Sai Baba In Hindi

Interesting Facts About Shirdi Sai Baba ; महाराष्ट्र के तीर्थ स्थलों में से शिरडी सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं। शिरडी जिसकी पहचान साईं बाबा से हैं। भारत देश विभिन्न जाति, पंथ और परंपराओं का देश है। अलग अलग जाति और सम्प्रदाए के लोग अलग-अलग भगवान का प्रचार करते हैं पर साईं बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 19वीं सदी में लोगों को धर्म और भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचना सिखाया। शिरडी साईं बाबा ने अपना सम्पूर्ण जीवन एक फ़कीर के रूप में बिताया पर लोगों को मानवता का एक विशाल खजाना देकर चले गये।

छोटे से शहर शिरडी में प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में भक्त साईं बाबा के दर्शन हेतु आते हैं। भक्तों का मानना है की शिरडी के साईं बाबा के दर्शन मात्र से उनके सभी दुःख दर्द दूर हो जाते हैं। आइये जानते हैं शिरडी के साईं बाबा के बारे में कुछ रोचक बातें –

शिरडी के साईं बाबा के बारे में कुछ रोचक बातें | Interesting Facts About Shirdi Sai Baba

Shirdi Sai Baba Temple
Shirdi Sai Baba Temple

1 ) शिरडी में प्रतिदिन लगभग 60 हजार लोग बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। वही गुरुवार व रविवार को यह संख्या दोगुनी हो जाती है और रामनवमी, गुरुपूर्णिमा और विजयादशमी पर जहां 2 से 3 लाख लोग दर्शन हेतु आते हैं, वहीं सालभर में लगभग 1 करोड़ से अधिक भक्त यहां बाबा के दर्शन का लाभ लेने आते हैं।

Shirdi Sai Baba Temple Inner Image
Shirdi Sai Baba Temple

2 ) साई बाबा एक जोगी, संत और फ़कीर थे जिन्हें आज भगवान के रूप में पूजा जाता है।

3 ) साईं बाबा 16 वर्ष की उम्र में अहमदनगर जिले के शिरडी गांव में पहुचे, यहां पर उन्होंने एक नीम के पेड़ के नीचे आसन में बैठकर तपस्वी जीवन बिताना शुरू कर दिया। जब शिरडी के लोगों ने उन्हें देखा तो वो चौंक गये, क्योंकि इतने युवा व्यक्ति को इतनी कठोर तपस्या करते हुए उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। वो ध्यान में इतने लींन थे कि उनको सर्दी, गर्मी और बरसात का कोई एहसास नही होता था।

4 ) तीन साल तक शिरडी में रहने के बाद साईं बाबा अचानक से गायब हो गये। उसके बाद एक साल बाद वो फिर शिरडी लौटे और हमेशा के लिए वहां बस गये।

5 ) जब साई बाबा से पूछा जाता था की वो कहाँ से आयें हैं और उनके माता पिता का नाम क्या है तो वो टालमटोल वाले उत्तर देते थे। वो कभी भी अपने जीवन में बारे में कुछ नहीं बताते थे।

Shirdi Sai Baba Old Image
Shirdi Sai Baba

6 ) साईं बाबा का असली नाम क्या था, उनका जन्म कब हुआ वो कहा के रहने वाले थे और उनके माता – पिता का नाम क्या था ? इस बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। शशिकांत शांताराम गडकरी की किताब ‘सद्‍गुरु सांई दर्शन’ (एक बैरागी की स्मरण गाथा) अनुसार साई ब्राह्मण परिवार के थे। उनका परिवार वैष्णव ब्राह्मण यजुर्वेदी शाखा और कोशिक गोत्र का था। साई बाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में हुआ था। सांईं बाबा के पिता का नाम परशुराम भुसारी और माता का नाम अनुसूया था जिन्हें गोविंद भाऊ और देवकी अम्मा भी कहा जाता था। कुछ लोग पिता को गंगाभाऊ भी कहते थे। दोनों के 5 पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- रघुपति, दादा, हरिभऊ, अंबादास और बलवंत। सांईं बाबा परशुराम की तीसरी संतान थे जिनका नाम हरिभऊ था।

7 ) साई नाम उन्हें भारत के पश्चिम में स्थित महाराष्ट्र के शिरडी नामक गांव में पहुंचने के बाद वहां के लोगों ने दिया। तभी से वो साई बाबा के नाम से पहचाने जाने लगे।

8 ) जब सांईं बाबा शिर्डी पहुंचे। तब शिर्डी गांव में लगभग 450 परिवारों के घर रहे होंगे। वहां सांईं बाबा ने सबसे पहले खंडोबा मंदिर के दर्शन किए फिर वे वैकुंशा के बताए उस नीम के पेड़ के पास पहुंच गए। नीम के पेड़ के नीचे उसके आसपास एक चबूतरा बना था। भिक्षा मांगने के बाद बाबा वहीं बैठे रहते थे। कुछ लोगों ने उनसे उत्सुकतावश पूछा कि आप यहां नीम के वृक्ष के नीचे ही क्यों रहते हैं? इस पर बाबा ने कहा कि यहां मेरे गुरु ने ध्यान किया था इसलिए मैं यहीं विश्राम करता हूं। कुछ लोगों ने उनकी इस बात का उपहास उड़ाया, तब बाबा ने कहा कि यदि उन्हें शक है तो वे इस स्थान पर खुदाई करें। ग्रामीणों ने उस स्थान पर खुदाई की, जहां उन्हें एक शिला के नीचे 4 दीप जलते हुए मिले।

Shirdi Sai Baba at Dwarikamai
Shirdi Sai Baba

9 ) कहीं जगह ना मिलने पर बाबा ने एक जर्जर मस्जिद में अपना घर बना लिया और वहीं अपने दिन रात रात बिताने लगे। जिसका नाम उन्होंने द्वारिकामाई रखा। द्वारिकामाई समाधी मंदिर के दाई तरफ है। द्वारिकामाई वो जगह हैं जहाँ साई बाबा ने सबसे ज्यादा समय बिताया। आज भी द्वारिकामाई में वो पत्थर रखा है जहाँ साई बाबा बैठा करते थे। साई बाबा हमेशा रात्रि में यहाँ दीपक जलाया करते थे।

10 ) साईं बाबा ने काफी समय मुस्लिम फकीरों के संग व्यतीत किया पर उन्होंने कोई भी व्यव्हार धर्म के आधार पर नहीं किया वो सिर्फ मानवता में विश्वास करते थे। उनका कहना था ‘सबका मालिक एक है।’

11 ) साई बाबा हमेशा बीमार और दुखी लोगों के सेवा किया करते थे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते थे।

12 ) साईं बाबा शिरडी के केवल पांच परिवारों से रोज दिन में दो बार भिक्षा मांगते थे। वे पात्र में तरल पदार्थ और कंधे पर टंगे हुए कपड़े की झोली में रोटी और ठोस पदार्थ इकट्ठा किया करते थे। सभी सामग्रियों को वे द्वारिका माई लाकर मिट्टी के बड़े बर्तन में मिलाकर रख देते थे। कुत्ते, बिल्लियाँ, चिड़िया निःसंकोच आकर उस खाने का कुछ अंश खा लेते थे, बची हुए भिक्षा को साईं बाबा गरीब भक्तों के साथ मिल बाँट कर खाते थे।

Shirdi Sai Baba
Shirdi Sai Baba

13 ) पहले शिरडी के लोग साई बाबा को पागल समझते थे पर उनके अविश्वसनीय चमत्कारों से प्रभावित होकर उनके भक्तों की संख्या बढ़ती गई। एक बार उनके एक भक्त ने उन्हें खाने पर बुलाया निश्चित समय से पूर्व ही साईं बाबा एक कुत्ते का रूप धारण करके भक्त के घर पहुंच गये। भक्त ने अनजाने में चूल्हे में जलती हुई लकड़ी से कुत्ते को मारकर भगा दिया। कुछ देर उस भक्त ने साई बाबा का इंतज़ार किया और जब साईं बाबा नहीं आए तो उनका भक्त उनके पास पहुंचा और साई बाबा से न आने का कारण पूछा। साईं बाबा मुस्कुराये और कहा, “मैं तो तुम्हारे घर भोजन के लिए आया था लेकिन तुमने जलती हुई लकड़ी से मारकर मुझे भगा दिया।” भक्त अपनी भूल पर पछताने लगा और माफी मांगने लगा। साईं बाबा ने स्नेह पूर्वक उसकी भूल को क्षमा कर दिया।

Shirdi Sai Baba
Shirdi Sai Baba

14 ) विजयादशमी के दिन शिरडी में साईं बाबा का महाप्रयाण दिवस मनाया जाता है। बाबा ने हमें श्रद्धा और सबूरी के रूप में ऐसे दो दीप दिए हैं, जिन्हें यदि हम अपने जीवन में ले आएं, तो उजाला पैदा कर सकते हैं। श्रद्धा का अर्थ है विश्वास जो हमेशा व्यक्ति को सही रास्ते की ओर ले जाता है, वहीं सबूरी का अर्थ है संयम जिससे व्यक्ति उस रास्ते पर धैर्यपूर्वक टिका रह पाता है।

15 ) साईं बाबा की मृत्यु 15 अक्टूबर सन् 1918 को शिरडी गांव में ही हुयी थी। मृत्य के समय उनकी उम्र 83 वर्ष थी।

शिरडी साईं बाबा के अनमोल वचन | Sai Baba Anmol Vachan In Hindi

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One Reply to “शिरडी के साईं बाबा के बारे में कुछ रोचक बातें | Interesting Facts About Shirdi Sai Baba In Hindi”

  1. हा मेरे साथ भी गुरुवार की रात को चमत्कार हुआ है 2014 में साईं बाबा आज भी मेरे साथ हैं

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