आखिर बड़ा कौन ? Hindi Inspiring Story

Hindi Inspiring Story

Hindi Inspiring Story “Aakhir Bada Kaun ?” आज सुबह मन हुआ कि घर के पास आने वाले सब्ज़ी के किसी ठेले वाले से सब्ज़ी न लेकर किसी दुकान पर जाकर टेबल पर सजे हुए बड़े बड़े ढेर से फल और सब्ज़ियां छांट ली जाएँ। बस इसी ख्याल ने मुझे उत्तम फ्रेश सब्ज़ी की दुकान पर जाने के लिए मज़बूर कर दिया।

Hindi Inspiring Story … आखिर बड़ा कौन ?

जब में दुकान पर पहुंची तो देखा वहां गिनती की चार महिलायें और तीन पुरुष ही सब्ज़ी ले रहे थे। बहुत कम लोग होने की बजह से जब में सब्ज़ियां छांट रही थी तभी मेरी नज़र वहां आई एक संभ्रांत महिला पर पड़ी, जिसके हाँथ में आई ट्वेंटी गाड़ी की चाभी थी और वह सब्ज़ियां छांट रही थी। न जाने मुझे क्यों महसूस हुआ की इस महिला को देखा जाए क्योंकि वह बहुत अच्छे से तैयार होकर आई थी। खैर जैसे ही मेरी नज़र उस पर गई, मैंने देखा वो ढेरे से सब ककड़ियाँ चख चख पर छांट रही थी।

वह जल्दी जल्दी ऊपर से ककड़ी तोड़ती ताकि उस पर किसी की नज़र न पड़े। स्वाद चखने के चक्कर में टूटे हुए टुकड़ों को जल्दबाजी में वह टेबल के नीचे लगे पर्दों के पीछे फेंक देती थी। उसे देख कर मुझे अंदर ही अंदर बड़ी हंसी आ रही थी। लेकिन दूसरी और गरीब सब्ज़ी वाले का ख्याल भी आया, जो की दुकान में आने वाले ग्राहकों की टोकरियां रखने और उठाने में सभी तरह की मदद कर रहा था। तभी मेरी नज़र उस महिला पर पुनः पड़ी। अब वह अपनी टोकरी से धनिये की थैली में से धनियां निकाल कर उसके पीछे के डंठलों को तोड़कर परदे के पीछे फेंक रही थी, ताकि उसके रूपये कम लगें।

उसकी यह हरकत देखकर मुझे बहुत अचरज हुआ। जब वो महिला बिल बनवा रही थी मैंने जान बूझकर उसी के सामने सब्ज़ी वाले से पूछा, धनिया क्या भाव है भइया ? तीन सौ पचास रुपए किलो मैडम  जी, उसने जबाब दिया और अपने काम में लग गया।

जैसे ही मैंने पुनः अपनी दृष्टि उस महिला पर डाली, वह बहुत संयत दिख रही थी। उसको किसी तरह का अपराध बोध नहीं था। वह महिला अपना बिल बनवाकर तुरंत दुकान से निकल गई। मेरे दिमाग में खलवली से मच रही थी। मैंने दुकानवाले से कहा, भईया अपनी दुकान में कैमरा लगवाओ। क्यों मैडम जी, बोलकर मेरी तरफ देखने लगा।

तब मैंने  दुकानदार को उस महिला की हरकत के बारे में बताया। मैंने उसे कहा – वो महिला कम से कम 100 रूपये की चपत आपको लगाकर चली गई। मेरी बातों को सुन कर वह दरियादिली से चहरे पर एक मुस्कान लाकर बोला, मैडम हर तरह के ग्राहक आते हैं यहाँ। आप जैसे भी, जिनको हमारा नुक्सान अखरता है और उन जैसी महिलाएं भी आती हैं जिनके बारे में आपने बताया। मैडम बड़े लोगों से ही हमारी दुकानें चलती हैं। जब वह बड़े लोग ही ऐसी हरकतें करते हैं तो हम जैसे छोटे लोग उनको कुछ कह नहीं पाते। ऐसे लोग किसी भी गरीब को ही डाट फटकार देतें है।

कहानी से सीख | Learning From The Story

सब्ज़ी वाले की बाते सुनकर मुझे उस पर बहुत तरस आया। जो इंसान गरीब की गरीबी को चोंट पंहुचा सकता है, वह बड़ा कैसे हुआ ? बड़ा तो वो सब्ज़ी वाला है जो 100 रुपए की चपत लगने के बाद भी मन में इतनी सारी गुंजाइशें रखकर चलता है।

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