नॉर्थ सेंटिनल द्वीप और इसकी सेंटीनेलीज जनजाति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य Hindi Facts of North Sentinel Island

North Sentinel Island

नमस्कार मित्रो आज के इस लेख में हम आपको नॉर्थ सेंटिनल द्वीप (North Sentinel Island) और इसकी सेंटीनेलीज जनजाति से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के विषय में जानकारी देना चाहेंगे | जैसा कि ये हम सब जानते है कि हमारी धरती पर आज भी कई ऐसे स्थान है जहाँ पर आजतक इंसानों का पहुंचना उनकी विभिन्न विविधताओ और बनावट के कारण मुमकिन नही हुआ | आज भी ऐसी कई जगह है जो हम इंसानों के लिए हमेशा से ही अपनी बनावट, विशेषता और वहां रहने वाले जीव-जंतु और प्राणियों के कारण कौतुहल का विषय बने रहते है | उन्ही में से एक है नॉर्थ सेंटिनल द्वीप ( North Sentinel Island) और इसमं  मौजूद सेंटीनेलीज जनजाति से जुड़े अनसुलझे रोचक तथ्य जिनके बारे में हम आपसे चर्चा करेंगे विस्तारपूर्वक अपने इस अंक में | चलिए जाने सबकुछ इस विषय में

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Hindi Facts about North Sentinel Island & Know about Sentinelese Tribe

जाने नार्थ सेंटिनल द्वीप की भौगोलिक स्थिति के बारे में

नार्थ सेंटिनल द्वीप (North Sentinel Island) वर्तमान में भारत के बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान द्वीप का एक द्वीप है | यह केंद्र शासित राज्य अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दक्षिण अंडमान प्रशासनिक जिले के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल 60 किलोमीटर में फैला हुआ है | ऐसा माना जाता है कि इस द्वीप की खोज  पहली बार Famous Explorer Marco Polo ने 13th शताब्दी में की थी |

जाने सेंटीनेलीज जनजाति (Sentinelese Tribe) से जुड़े कुछ अनसुलझे रोचक तथ्यों के विषय में

1.नार्थ सेंटिनल द्वीप में बसने वाली इस सेंटीनेलीज जनजाति अभी तक द्वीप के बाहर मौजूद दुनिया और उसके लोगो से पूरी तरह कटे हुए है | उन्होंने किसी भी तरह के बाहरी दुनिया के साथ सम्पर्क रखने से साफ मना कर दिया है |

2. यहाँ पर मौजूद सेंटीनेलीज जनजाति के निवासियों को अपने द्वीप के अलावा और कुछ भी नहीं पता है और यदि कोई बाहरी दुनिया के इंसान इनसे मिलने की कोशिश करते है तो वो इन सबको एलियंस समझकर बाहर से आये इंसानों पर हमला कर देते है |

3. सेंटीनेलीज जनजाति के लोगो की रोग प्रतिरोधकता शक्ति बहुत कम होती है जिसके कारण ये बाहरी दुनिया लोगो के संपर्क में आकर अगर बीमार पड़े तो मर जाते है इसलिए सरकार ने भी वर्ष 1956 से इस जनजाति को लुप्त होने से बचाने के लिए  बाहरी लोगो के द्वीप में 10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्रवेश करने को वर्जित कर रखा है |

4. आजतक भारत सरकार के पास भी सेंटीनेलीज जनजाति के लोगो की गणना का सही आंकड़ा नही है | बस वर्ष 2001 की एक आधिकारिक जनगणना के अनुसार इस द्वीप पर 21 पुरुष और 18 औरतो समेत 40 थी और अभीऐसा माना जाता है कि अभी इस जनजाति के 400 से 500  व्यक्ति  इस द्वीप पर मौजूद होंगे |

5. भारत सरकार ने वर्ष 2011 में फिर से एक आधिकारिक गिनती में यहाँ सेंटीनेलीज जनजाति से जुड़े इस द्वीप के लोग 12 पुरुषो और 3 महिलाओं को पाया था जिससे ये कयास लगाये गये कि हो सकता है कि वर्ष 2004 में आये सुनामी ने इस आबादी को काफी नुकसान पहुँचाया हो लेकिन ये लोग किसी तरह से अपने आप को बचाकर पूरी तरह से खत्म नही हुए |

6. सेंटीनेलीज जनजाति के लोग ना ही खेती करना जानते है, ना ही आग जलाना और  न ही जानवर पालना जानते है | इन्होंने अब तक न नमक खाया है और न ही शक्कर का स्वाद चखा है | ये लोग अपने भोजन के लिए पूरी तरह से शिकार पर निर्भर है और धनुष-बाण के जरिये स्थानीय जंगली और समुंद्री जीवो जैसे कि सुअर, कछुआ, मछली आदि का शिकार करके अपना भोजन बनाते है |

7. सेंटीनेलीज जनजाति के लोग शरीर की बनावट से कद में बहुत छोटे, काली चमड़ी के होते है और इनमे पुरुष और स्त्री कोई भी वस्त्र नही पहनते है |

8. सेंटीनेलीज जनजाति के लोगो से संपर्क स्थापित करने वाले भारतीय मानवशास्त्री त्रिलोकनाथ पंडित के अनुसार ये लोग ना तो आपस में शादी करते है, ना ही इनके समूह का कोई मुखिया होता है और जनजाति के बच्चे अपने पैरों पर जैसे ही खड़े होने लगते हैं उन्हें तीर, भाला, टोकरी, झोपड़ी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वो बड़े होकर हुनरमंद बनें और सम्मान पा सकें |

9. सेंटीनेलीज जनजाति के लोग भूत-प्रेत और विभिन्न पुरानी प्रथाओ में बहुत विश्वास रखते है जिसके कारण वो लोग बीमारी आदि में पूजा-पाठ और जड़ी-बूटियों का सहारा लेते है और यदि किसी की मृत्यु झोपड़ी में हो जाती है, तो उस झोपड़ी में जाकर नही रहते है |

10. सेंटीनेलीज जनजाति के लोग अबतक बाहर से आनेवाले कई लोगो पर तीर-भालो आदि से हमला करके उनकी हत्या कर चुके है जिसका सबसे बड़ा प्रमाण उन लोगो के द्वारा वर्ष 2018, नवम्बर में एक 26 वर्षीय अमेरिकी मिशनरी जॉन अलेन चाऊ की हत्या करना है जो कि उस द्वीप पर कुछ स्थानीय मछुआरो की सहायता से अवैध तरीके से ईसाई धर्म  का प्रचार करने के लिए घुसा था |

11. वर्ष 1991 में पहली बार भारतीय मानव विज्ञानियों के एक दल का सेंटीनेलीज जनजाति के लोगो के साथ शांतिपूर्ण सम्पर्क अंडमान-निकोबार लोगो की एक्सपर्ट डा.मधुमाला चट्टोपाध्याय की मौजूदगी में हुआ जिनसे सेंटीनलीज खुद को खतरा नही मानते थे |

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हमे आशा है कि आपको हमारा ये नार्थ सेंटिनल द्वीप (North Sentinel Island) और इसकी सेंटीनेलीज जनजाति से जुड़े रोचक तथ्यों पर आधारित लेख अवश्य ही पसंद आयेंगा |

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