पढ़े और जाने Hima Das Real Life Inspirational Success Story हिंदी में : नमस्कार मित्रो आज के इस अंक में हम आपके लिए लाये है Hima Das Success Story : हिमा दास : हिम्मत और सफलता की कहानी
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Hima Das Success Story In Hindi
जिन्होंने अपने देश के लिए कुछ करने और उसका नाम रोशन करने के लिए जीवन की कई चुनौतियों का सामना किया और साथ ही अपनी कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत अपने माता-पिता का नाम भी रोशन किया | चलिए अब थोड़ा विस्तार से जाने Hima Das Real Life Inspirational Success Story से जुड़ी हर कहानी हिंदी में :-
जाने Hima Das के जीवन परिचय के बारे में
Hima Das का जन्म 9 जनवरी 2000 असम राज्य के नगाँव जिले के ढींग कस्बे के कांधूलिमारी नामक गाँव में एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था | इनके माता पिता का नाम जोमाली और रोनजीत दास है | इनके पिताजी एक किसान थे जिनके पास मात्र 2 बीघा खेती-बाड़ी करने लायक जमीन है जिसमे वो अनाज सब्जी उगाकर परिवार का भी पेट पालते थे और बाज़ार में बेचकर घर का खर्च चलाते थे | घर में कुल मिलाकर 16 सदस्य रहते है जिसमे Hima Das के 5 भाई-बहन है | उनका खेलो के प्रति शुरू से ही झुकाव था जिस कारण उनका पढाई में कभी मन नही लगता था |
जाने Hima Das के धावक बनने की कहानी
Hima Das का बचपन से ही फुटबॉल के प्रति लगाव था और यहीं सपना भी जिसके कारण वो अपने गांव और ज़िले के आस पास होने वाले छोटे-मोटे फ़ुटबॉल मैच लड़को के साथ खेल लेती थी | फ़ुटबॉल खेलते-खेलते उनका दौड़ में स्टैमिना अच्छा हो गया था | बस उनकी यहीं प्रतिभा ‘जवाहर नवोदय विद्यालय’ के शिक्षक शम्स-उल-हक़ ने पहचान ली और उन्हें एक धावक बनने की सलाह दी और उन्ही की सलाह पर Hima Das ने एक धावक के रूप में अपना भविष्य बनाने की ठान ली |
जाने Hima Das द्वारा धावक बनने के लिए किये गये संघर्ष की कहानी
जब कोच Nipon Das ने ने एक धावक बनने का सफ़र शुरू किया तो उनके सामने कई चुनौतिया भी आई | सबसे पहले तो उनके क्षेत्र में रोज दौड़ लगाने के लिए कोई रनिंग ट्रैक की सुविधा उपलब्ध नही थी जिसके कारण उन्हें अपनी Running Practice फुटबॉल के मैदान पर करनी पड़ती थी | फिर दूसरा Running Practice के लिए नये जोड़ी जूते भी चाहिये थे पर परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण वो अपने पुराने जोड़ी जूते में अभ्यास करती थी |
गाँव में कई-कई दिन तक बाढ़ का पानी भर जाता था जिससे उनकी Running Practice रुक जाती थी | वर्ष 2017 में गुवाहाटी में ‘असम युवा कल्याण मंत्रालय’ के द्वारा आयोजित Inter District Competition में उनकी मुलाकात अपने कोच Nipon Das से हुई जहाँ उन्होंने 100 और 200 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और सस्ते जूतों के साथ दौड़ते हुए प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया | बस यहीं से कोच Nipon Das ने उनकी इस प्रतिभा को और निखारने की सोच ली | इसके बाद कोच Nipon Das उनके घर पहुँचे और उनके परिवार से बात करके अपने खर्चे पर Hima Das को गुवाहाटी में ट्रेनिंग देने लगे |
जाने Hima Das के धावक के रूप में करियर की कहानी
Nipon Das शुरू में Hima Das को 200 मीटर रेस में भाग लेने के लिए ट्रेनिंग देते थे जो बाद में उन्होंने बढ़ाकर 400 मीटर की कर दी | Hima Das ने बैंकॉक में हुई एशियाई यूथ चैंपियनशिप की 200 मीटर रेस में 7 वा स्थान प्राप्त किया था | इसके बाद 18 वर्ष की आयुं में ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारत की ओर से हिस्सा लिया था और 400 मीटर के फाइनल में 6 वा स्थान प्राप्त किया |
कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद उन्होंने फ़िनलैंड में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया था और अंडर-20 चैंपियनशिप की 400 मीटर की रेस मात्र 51.46 सेकेंड में पूरी करके प्रथम स्थान और स्वर्ण पदक भी जीता | इसके बाद उन्होंने इंडोशिया के जकार्ता मे हुए एशियन गेम्स मे 2 गोल्ड मैडल और 1 सिल्वर मेडल जीता और फिर वर्ष 2019 में चेक रिपब्लिक मे हुए अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट में लगातार 5 स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया |
उनको राष्ट्रपति द्वारा भारत के लिए खेलो में जीते गये पदको के लिए अर्जुन अवार्ड समेत कई अवार्ड भी मिले है |
तो देखा आपने कैसे Hima Das ने अपने जुनून और हौसलों की बदौलत अपने लक्ष्य को प्राप्त किया और पूरे समाज के लिए भी प्रेरणा की मिसाल बनने का काम किया | हमे उम्मीद है कि आपको हमारी ये Hima Das Real Life Inspirational Success Story पसंद आयेगी |
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“A dream doesn’t become reality through magic; it takes sweat, determination and hard work” This quote suits perfectly for Hima Das, an inspiration for all.