इस पोस्ट में आप जानेगें क्या और क्यों होता हैं कैंसर, कैसे होता है (वैज्ञानिक कारण ) कितने प्रकार का होता है कैंसर, कैसे पहचाने इसके लक्षण और बचाव के लिए क्या क्या कर सकते हैं। In this post you will know about what is cancer, how many types of cancer, scientific cause, how to identify its symptoms and what can be done to prevent it.
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Cancer Kyon Hota Hai, Kitne Prakar Ka Hota Hai, Karan-Lakshan-Salaah
आजकल कैंसर का नाम बहुत ज्यादा सुनाई दे रहा है। बड़े बड़े मशहूर हस्तियों को कैंसर होने के मामले ज्यादातर सामने आ रहे हैं। अनुमानित आंकड़े बताते हैं कि अमरीका में 42 फ़ीसद मर्द और 38 फ़ीसद औरतों को कैंसर होने की आशंका है। कैंसर एक ऐसे रोग है, जिसमें काशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के साथ ही शरीर के दूसरे अंगों में भी फैलने और विनाश करने की क्षमता होती है। कैंसर शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में और फिर धीरे धीरे पूरे शरीर में फैलता जाता है।
क्यों होता है कैंसर What causes cancer?
ज्यादातर कैंसर दूषित वातावरण के कारण होता है। उसके आलावा आनुवंशिकी (परिवार में पहले किसी को कैंसर हो या रह चुका हो ) रूप में कैंसर भी हो सकता है। कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों को कार्सिनोजेन Carcinogen (कैंसरजनक) कहा जाता है। एक कार्सिनोजन कोई भी रासायनिक पदार्थ हो सकता है, जैसे कि तंबाकू, तम्बाकू का धुआँ, पर्यावरण , वायरल आदि कारक हो सकते हैं। हालांकि, हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि अधिकांश कैंसर के मामलों में हम इस बीमारी का कोई एक कारण नहीं बता सकते पर कैंसर होने के कुछ कारणों को हम निम्नलिखित रूप में विभाजित कर सकते हैं जैसे –
- जैविक या आंतरिक कारक, जैसे कि उम्र, लिंग, विरासत में मिला आनुवंशिक दोष और त्वचा का प्रकार
- उदाहरण के लिए, रेडॉन और यूवी विकिरण और ठीक कण पदार्थ के लिए पर्यावरणीय जोखिम
- कई रासायनिक, रेडियोधर्मी सामग्री और अभ्रक जैसे कार्सिनोजेन्स सहित व्यावसायिक जोखिम कारक
- जीवन शैली से संबंधित कारक।
जीवनशैली से संबंधित कारक जिनके कारण कैंसर शामिल हैं:
- तंबाकू
- शराब
- सूरज की रोशनी में यूवी विकिरण
- भोजन से संबंधित कुछ कारक, जैसे नाइट्राइट और बारबेक्यूइंग फूड द्वारा उत्पन्न पॉली एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन)।
कैसे होता है कैंसर
हमारा शरीर एक सूक्ष्म भाग है जो बहुत सारी कोशिकाओं (Cells) से मिलकर बना है। हर इंसान का विकास शरीर में मौजूद इन कोशिकाओं के बंटने से ही होता है। कोशिकाएं जब पुरानी या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और उनके स्थान पर नई कोशिकाएं आ जाती हैं। कोशिकाएं हमेशा नियंत्रित होती हैं, लेकिन कैंसर होने पर यह अनियंत्रित होकर बढ़ने लगते हैं और फोड़ा या ट्यूमर बना देते हैं. इसकी वजह से आसपास के अंगों का काम प्रभावित होने लगता है।
यह कैंसर कोशिकाएं (Cancer cells) इस तरह बढ़ती हैं की इंसान जो कुछ भी खाता है, उसकी शक्ति इन कोशिकाओं को मिलती है और वो बढ़ती जाती हैं और हर मरीज़ पर इसका अलग अलग प्रभाव होता है।
कैंसर के प्रकार और लक्षण -Types and symptoms of cancer
कैंसर जहाँ भी होता है उसे उसी नाम से जाना जाता है। जैसे –
त्वचा का कैंसर (Skin cancer) – यह सबसे आम और सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। यह स्त्री और पुरुष दोनों में अधिकतर देखा गया है। इसके लक्षण जैसे – गर्दन, माथे, गाल और आंखों के आसपास अचानक जलन होना, स्किन पर दाग धब्बे पड़ जाना, शरीर परबर्थ मार्क (बचपन की चोट के निशान) का बड़ा होते जाना, चेहरे पर किसी पुराने दाग या तिल का बढ़ना अथवा रंग बदलना, धूप में आते ही खुजली शरू हो जाना आदि हैं।
ब्लड कैंसर (Blood cancer) – त्वचा कैंसर की तरह यह भी सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। इसमें रक्त कोशिकाएं कैंसरस हो जाती हैं। इस बीमारी में मरीज का वजन कम होने लगता है और खून की कमी हो जाती है।
हड्डियों का कैंसर (Bone cancer) – यह कैंसर बहुत ही कम पाया जाता है। यह कैंसर ज्यादातर बच्चों व बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है। जोड़ों में सूजन होना, बजन तेज़ी से कम होना, बार बार हड्डी का फ्रैक्चर हो जाना आदि इसके लक्षण हैं।
मस्तिष्क का कैंसर (Brain cancer) – इसे ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। कैंसरस ब्रेन ट्यूमर का उपचार जल्दी नहीं किया गया तो यह शरीर के अन्य भागों तक भी पहुंच सकता है। इसे रोक पाना आसान नहीं है। इसके कुछ लक्षण हैं जैसे – अधिकतर सिर दर्द बने रहना, दर्द के कारण उल्टी आना, अचानक से देखने और सुनने में परेशानी होना, शरीर में ऐठन होना, या अचानक से दौड़े पड़ना, याददास्त ज्यादा कम हो जाना, शरीर के किसी भाग में कमज़ोरी बने रहना आदि।
स्तन कैंसर (Breast Cancer) – यह महिलाओं में पाया जाने वाला कैंसर है। स्तनों में दर्द रहना, गाँठ पड़ जाना, सूजन होना, चुचुक के चारों ओर गीलापन बना रहना, स्तन की त्वचा में गढ़े-जैसा महसूस होना, लाली छाना, मोटाई या दबाव स्तन के आकार में परिवर्तन आदि इसके लक्षण हैं।
मुँह का कैंसर (Oral cancer) -यह कैंसर आम तौर पर सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि के सेवन से होता है। हालाँकि ऐसा नहीं है की जो लोग सिगरेट-तम्बाकू का सेवन नहीं करते उन्हें मुँह का कैंसर नहीं हो सकता। लेकिन ऐसे लोगों को मुँह का कैंसर होने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाती है। इसके लक्षणों में जैसे – गले में सूजन आना, मुंह के अंदर सफेद छाले या छोटे-छोटे घाव हो जाना, मुंह से ज्यादा बदबू आना, मुंह में घाव हो जाना, लार में खून निकलना, मुंह के अंदर कहीं पर भी गांठ महसूस होना, जलन होना, सुन्नता होना, मुंह में दर्द होना, मुंह के अंदर कोई भी रंग परिवर्तन होना आदि मुंह के कैंसर होने की और इशारा करते हैं।
गले का कैंसर (Throat cancer) – गले का कैंसर भी तौर पर पाया जाने वाला एक प्रकार का कैंसर है। गले के कैंसर के कई मरीज़ हर साल देखने को मिलते हैं। इसके होने के भी प्रमुख कारण वही होते हैं जो मुख के कैंसर को जन्म देते हैं जैसे – सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि का सेवन करना। इसके निम्न कारण हो सकते हैं जैसे -लंबे समय तक गले में खराश रहना, खाना निगलने में दिक्कत होना, ज्यादा दिनों तक के लिए आवाज बदलना या फिर आवाज में भारीपन आना, कफ के साथ खून निकलना, लंबे समय तक कानों में दर्द रहना, गर्दन में सूजन और दर्द बना रहना आदि।
फेफड़ों का कैंसर (lung cancer) – कई लोगों में फेफड़ों का कैंसर भी पाया जाता है। इसके कारण सिगरेट, तम्बाकू का सेवन और दूषित वातावरण हो सकते हैं। ज्यादा सांस फूलना, कफ़ का लगातार बना रहना, फेफड़े से घरघराट बने रहना, बलगम में ख़ून आना, सीने में दर्द रहना, तेजी से वजन कम होते जाना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं।
पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer) -यह कैंसर पैनक्रेआज यानि अग्नाशय में होता है। हालाँकि इसके मामले बहुत कम पाए जाते हैं। पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना, स्किन, आंख और यूरिन का कलर पीला हो जाना, भूख न लगना, जी मिचलाना, उल्टियां होना और कमजोरी महसूस होना इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।
गुर्दे का कैंसर (kidney cancer) – किडनी कैंसर, जिसे गुर्दे के कैंसर के रूप में भी जाना जाता है। गुर्दे के कैंसर के सबसे ज्यादा आम लक्षण मूत्र (या हेमट्यूरिया) में पेट या रक्त में द्रव्यमान हैं। इसके आलावा थकावट, भूख की हानि, वजन घटाने, एक उच्च तापमान और भारी पसीना, पेट में लगातार दर्द बने रहना भी इसके कारण हो सकते हैं।
उदर का कैंसर (Abdominal cancer) – उदर यानि पेट का कैंसर पेट की अंदरूनी सतह की कोशिकाएं बिना रोकटोक बढ़कर कैंसर वाले ट्यूमर में बदलने लगता है। लगातार सीने में जलन बने रहना, लगातार उल्टी और जी मिचलाना, काम भूख लगना लगातार पेट फूला रहना, जरा सा खाते ही पेट भर जाना, मल में खून आना, पीलिया की शिकायत हो जाना, बार बार थकान महसूस होना आदि इसके लक्षण होने के संकेत हो सकते हैं।
आँखों का कैंसर (Eye cancer) – आंखों में कई तरह के कैंसर होते हैं। युवाओं में ‘मेलेनोमा’सामान्य तौर पर पाया जाने वाला आंखों का कैंसर है। वहीं बच्चों में आंख का कैंसर रेटिनोब्लासटोमा बीमारी के नाम से हो सकता है। आंखों का कैंसर आंख में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि के कारण होता है। इसे इन लक्षणों द्वारा पहचाना जा सकता है जैसे – आंख की पुतली का सफेद हो जाना (ल्यूकोकोरिया), आंखों से तिरछा देखना (भेंगापन), मोतियाबिंद के कारण आंखों में दर्द होना, आंखों की दोनों पुतलियों के रंग में अंतर होना, एक आंख से धुंधला दिखाई देना, आंख की पुतली (आईरिस) के रंग का बदलना या इस पर काला धब्बा पड़ना, आंख का लाल होना या आंख में दर्द होना, या फिर दोनों, आंख में उभार आना, रोशनी कम होते जाना आदि।
डिम्बग्रंथि के कैंसर (Ovarian Cancer) – इसे अंडाशय कैंसर भी कहते हैं। अंडाशय का कैंसर होने का ज्यादा खतरा उन महिलओं में होता हैं, जिन्हें अपने जीवनकाल में अधिक मात्र में अण्डोत्सर्ग होता हैं। इसमें वह महिलायें शामिल होती हैं जिनकी कोई संतान नहीं होती, जिन्हे छोटी उम्र में अण्डोत्सर्ग होने लगता हैं और जिन्हें वृधावस्था में रजोनिवृत्ति होती हैं। अंडाशय कैंसर के सबसे आम लक्षणों में सूजन, पेट या श्रोणी दर्द, असुविधा, पीठ दर्द, अनियमित मासिक धर्म या फिर पोस्टमेनोपोसल योनि रक्तस्त्राव, यौन सबंध के दौरान या बाद रक्तस्त्राव, भूख की कमी, थकन, दस्त, अपचन, कब्ज़, और मूत्रसम्बन्धी लक्षण शामिल हैं।
पौरुष ग्रंथि यानी प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer – prostate cancer) – प्रोस्टेट ग्रंथि केवल पुरूषो में पाई जाती है जो उनके प्रजनन प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने स्थित होता है। प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत ही धीमी गति से बढ़ता है। ज्यादातर रोगियों में तब तक लक्षण नही दिखाई देते जब तक कि कैसर उन्नत अवस्था में नही पहुँचता।
कैंसर से बचने अथवा कम चांसिस होने के लिए प्रमुख सलाह ..
The main advice for avoiding or less chance of cancer
- भोजन बनाने में ऑलिव ऑयल या फिर कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल करें।
- जितना बचा जा सके इलेक्ट्रॉनिक आइटम खासकर मोबाइल से बचें।
- महिलाएं गर्भ निरोधक दवाओं का प्रयोग ज्यादा लम्बे समय तक न करें।
- पैपिलॉमा वायरस से प्रभावित व्यक्ति के साथ शारारिक सम्बन्ध न बनायें। क्योंकि यह वायरस फैलने वाला होता है।
- ज्यादातर खाने में पत्तेदार और हरी सब्जियाँ, दालें, चना और फल खाएं। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, एवोकाडो, गाजर जैसे फल और सब्जियाँ कैंसर से लड़ने में मददगार होती हैं।
- डिब्बाबंद, पोलीबंद चीज़ों को प्रयोग कम करें।
- चीनी का प्रयोग भी कम करें।
उचित खान पान एवं सही जीवन शैली अपनाकर तथा नियमित जांच से आप इस जानलेवा रोग से काफी हद तक बचे रह सकते हैं।
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