जब महात्मा बुद्ध ने उसके पिता को स्वर्ग भेजा | A hindi story of mahatma gautam buddha about When Mahatma Buddha sent his father to heaven
जब महात्मा बुद्ध ने उसके पिता को स्वर्ग भेजा | Father in heaven!
एक वृद्ध व्यक्ति कि इच्छा थी को वो मरने के बाद स्वर्ग ही जाये। इसके लिए वो रोज गरीबों को खाना खिलता और उन्हें दान भी देता। अचानक एक दिन उस आदमी की मृत्यु हो गई। उसका एक बेटा था जिसे मालूम था की मेरे पिताजी मरने के बाद स्वर्ग जाना चाहते थे।
उसका बेटा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि उसके पिता स्वर्ग में गए हैं की नहीं पर समझ नहीं आ रहा था की कैसे !
गांव के कई विद्वान लोगों ने सलाह दी की गौतम बुद्ध जो की एक प्रबुद्ध व्यक्ति हैं, यदि वह स्वयं तुम्हारे पिता की सिफारिश करें, तो तुम्हारे पिता यकीनन सीधे स्वर्ग में चले जायेंगे। इसलिए वह गौतम बुद्ध की तलाश में निकल पड़ा।
खोजने के बाद उसने पाया की गौतम बुद्ध एक विशाल सरोवर के सामने एक वृक्ष के नीचे बैठे थे।
लड़का गया और उनके पैरों में गिर गया और बोला, “मेरे पिता एक अच्छे आदमी थे, और उनका निधन हो गया। मैं चाहता हूं कि आप सुनिश्चित करें कि वो स्वर्ग में ही गए होंगे।
गौतम बुद्ध कुछ बोलते, इससे पहले लड़का बोला ; उन्हें स्वर्ग ही जाना चाहियें आपको कुछ करना चाहियें ! आपके पास कोई विकल्प नहीं है।
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Father in Heaven ; A Story of Gautam Buddha
गौतम ने कहा, “अब मैं क्या करूँ, तुमने मुझ पर पहले से ही यह सख्ती कर दी है, ठीक है, तुम एक काम करो, घर वापस जाओ, चार बजे नदी में डुबकी लगाओ। उसके बाद एक मिट्टी का घड़ा लो और उसे बता दिया की उसे क्या क्या करना है।”
लड़का जल्दी जल्दी वहां से मटका खरीदने के लिए गया और दुकान का सबसे बड़ा घड़ा खरीदा ! उसने उस घड़े को आधा पत्थरों से और आधा मक्खन से भर दिया और उसे बांध दिया।
बड़ी मुश्किल से उसने इस भारी घड़े को उठाया और ले जाकर गौतम के सामने आकर खड़ा हो गया।
गौतम ने उसकी ओर देखा और कहा, “तीन बार झील के चारों ओर जाओ और आओ।”
वह आदमी इस भारी बर्तन को लेकर झील के चारों ओर तीन बार घूमा। जब वह आया और गौतम के सामने खड़ा हो गया तो वह बहुत थक चुका था।
गौतम ने उनकी स्थिति और उनके दृढ़ संकल्प को देखा। उन्होंने उससे कहा, “बस पानी में चलो, चलते रहों जब तक पानी तुम्हारे सीने में न आ जाए।” वह पानी के अंदर गया।
तब गौतम ने कहा, “अब धीरे से बर्तन को अंदर आने दो।” बर्तन अंदर गया और डूब गया।
गौतम ने एक मोटी छड़ी उठाई, उसके पास फेंकी और कहा, “छड़ी लो और अब एक ही झटके से तुम बर्तन को तोड़ दो।” तोड़ने के बाद यदि पत्थर तैरने लगें और माखन डूब जाये तो समझ लेना तुम्हारे पिता स्वर्ग में गए हैं अन्यथा नहीं।
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घड़ा पानी के नीचे था और वह आदमी थक गया था। वह बोला एक झटके से तोड़ना एक मुश्किल काम है।
गौतम बुद्ध ने कहा, लेकिन तुम्हारे पिता स्वर्ग जा रहे हैं, क्या तुम हार मान सकते हो?
वह वहीं खड़ा हो गया और तैयार हो गया। उस आदमी ने उन सभी देवताओं के बारे में सोचा जिन्हें वह जानता था और उसने अपनी सांस रोक रखी थी।
एक ही झटके में बर्तन टूट गया और मक्खन ऊपर आ गया। उसने इस अपवित्रता की ओर देखा, “मक्खन ऊपर आया, अब क्या करें?”
उसने गौतम की ओर देखा। मक्खन ऊपर आया जबकि पत्थर ऊपर आने वाले थे और वह आदमी पूरी तरह से निराश और उदास महसूस कर रहा था। फिर वह मुड़ा और वापस चलने लगा।
जैसे ही वह पानी से बाहर निकलने लगा, उसका दिमाग काम करने लगा। वह गौतम के पास आया और पूछा, “आपने कहा था कि मक्खन डूबेगा और पत्थर तैरेंगे। यह कैसे संभव है?
यह तो प्रकृति के नियम ही ऐसे हैं कि पत्थर ही डूब सकते हैं, मक्खन केवल तैर सकता है। क्या आपने मुझे धोखा दिया?”
गौतम बुद्ध ने कहा, “ओह, अब जब आप प्रकृति के नियमों के बारे में इतना जानते हैं, तो समस्या क्या है? यदि तुम्हारे पिता मक्खन की तरह हैं, तो वे ऊपर जाएंगे, अगर वह पत्थर की तरह हैं, तो वह नीचे जाएंगे। मैं क्या कर सकता हूं इसके बारे में ? और आप इसके बारे में क्या कर सकते हैं? आप बहुत थके हुए लग रहे हैं। घर जाओ और सो जाओ।”
दोस्तों यह कोई नहीं कहा सकता की मरने के बाद व्यक्ति कहाँ जायेगा, और न ही इसका कोई जादू है। यह तो कर्म का फल है। यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करेगा तो स्वर्ग जायेगा और बुरे कर्म करेगा तो नर्क। हर व्यक्ति को अपने कर्मों का ज्ञान है।
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