हम सभी अपनी लाइफ में खुश रहना चाहते हैं और कोशिश भी करते हैं की हमेशा खुश रहें, पर क्या ऐसा हो पाता हैं ? इस आर्टिकल में एक छोटी से प्रेरक कहानी ” Hamesha Khush Kaise Rahe” मैं आपके साथ शेयर करूँगा, जिसमें हमेशा खुश रहने को राज़ छिपा है। आप जान जायेगें की हमेशा खुश कैसे रहें। आइयें जानते हैं इस कहानी को –
Hamesha Khush Kaise Rahe (How to always be happy) – short inspiring story
एक समय की बात है एक गांव में एक महान साधु आये हुए थे। सभी लोग अपनी कठिनाइयां परेशानियां लेकर उनके पास आते थे। वो सभी का उचित मार्गदर्शन करते थे। एक दिन एक दुखी सा दिखने वाला व्यक्ति उन साधु के आश्रम में उनके दर्शन हेतु आया। उसने उन साधु से एक विशेष एक प्रश्न किया ; “गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हूं की सदैव खुश रहने का राज क्या है ?
साधु महाराज थोड़ी देर शांत रहे और फिर बोले “तुम मेरे साथ चलो। आज में तुम्हें खुश रहने का राज बताता हूं। साधु महाराज और वो व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे। साधु ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कहा ‘इसे पकड़ो और चलो। उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ चलने लगा।
थोड़ी ही देर के बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा और साधु से बोला महाराज और कब तक इस पत्थर को लेकर चलना होगा। महाराज बोले अभी चलते रहो। जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहन नहीं हुआ तो बोला महाराज अब दर्द सहन नहीं हो रहा है। साधु ने कहा “ठीक हैं अब इस पत्थर को नीचे रख दो।” पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी ही राहत महसूस हुई। तभी साधु ने कहा “यही है खुश रहने का राज।” गुरुवर मैं समझा नहीं “उस व्यक्ति ने कहा ?
साधु ने कहाँ “इस पत्थर को 1 मिनट तक हाथ में रखने पर थोड़ा सा दर्द होता है और अगर इसे 1 घंटे तक हाथ में रखे तो थोड़ा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाए रखेंगे तो दर्द बढ़ता जाएगा। उसी तरह दुखों के भार को जितने ज्यादा समय तक उठाते रहेंगे तो उतने ही ज्यादा समय हम दुखी और निराश रहेंगे। यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को 1 मिनट तक उठाए रखते हैं या उसे जिंदगी भर। अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो इस दुख रूपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं।
हमारे जीवन में दुःख भी एक भार की तरह हैं। जब भी और जितना भी हम अपने बीते हुई दुखी करने वाली यादों को याद करते रहेंगे दुखी होते रहेंगे। दुःख हमारे मन में आत्मा के अंदर बैठे रहते हैं और हमें दुखी करते रहते हैं। इसलिए व्यर्थ की बातों को अपने मन से निकाल दो। चीज़ों के बारे में नकारात्मक सोचना बंद करों नहीं तो यह नकारात्मक विचार आपके मन में आते रहेंगे और आप इस भार से दुखी होते रहेंगे। जब आप इस दुःख और अपने अंदर से निकाल देंगे तो सदा लाइट रखेंगे आनंद में रहेंगे।
याद रखें ;
- प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, जबकि दुःख रोग देते है।
- मनुष्य अपने आनंद का निर्माता स्वयं है।
- प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।
- जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत में अधिक से अधिक सुखी है।
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अध्य्यन करने मे ध्यान नही लगता क्या आप कुछ स्टडी स्किल्स बता सकते है
Sir may i use this story for my YouTube channel?
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