बच्चों को एक महत्वपूर्ण नैतिक चित्रण देने की कोशिश करते हुए, अधिकांश अभिभावकों के लिए छोटी कहानियाँ Hindi Short Story With Moral for Kids अक्सर पसंद की जाती हैं। यह उनके रचनात्मक दिमाग को उत्तेजित करता है, फिर भी यह उन्हें जीवन भी दिखाता है।
दोस्तों हम बचपन से ही अपने बड़े-बुज़ुर्गों, अभिभावकों, नाना-नानी, नाना-नानी के अनगिनत कहानियां – किस्से पर ध्यान देते आए हैं। हमारे देश में पुराने समय से ही कहानियाँ सुनने और सुनाने का रिवाज रहा है। आपने शायद देखा होगा कि अधिकांश कस्बों में जहां मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। इसके अलावा शहरों में भी बच्चे कहानियां पसंद करते हैं और सुन्नते हैं और सीखते हैं।
संक्षिप्त कहानियों में चित्रण को निर्देशित करने का एक दृष्टिकोण होता है जो उन्हें अधिक आकर्षक और आकर्षक बनाता है। अपने बच्चे को केवल झूठ न बोलने के लिए कहने के बजाय, इसके बारे में एक संक्षिप्त कहानी सुनाने से उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि जब वे झूठ बोलते हैं तो क्या होता है। यह उन्हें अपनी गतिविधियों और उनके परिणामों के प्रति अधिक जागरूक बनने में सहायता करता है। इन खातों के नैतिक उदाहरण उनके बूढ़े होने के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व और नैतिक दिशा-निर्देश को ढालने में भी मदद करते हैं।
इस लेख में हम कुछ नैतिक शिक्षाओं वाली Hindi Short Story With Moral for Kids लघु कहानियाँ दे रहे हैं जिनसे आपके बच्चे और यहाँ तक कि कुछ वयस्क भी अनमोल बातों को सीखेंगे, आइये पढ़ें ;
Contents
Hindi Short Story With Moral for Kids
प्यासे कौवे की कहानी (The Thirsty Crow’s Story):
एक बार की बात है, एक सुन्दर दिन के समय, एक प्यासे कौवे ने खोले देखकर आवाज़ सुनी। उसने देखा कि उसके सामने एक बर्तन में पानी है, लेकिन वो बर्तन इतना ऊँचा है कि कौवा उस पानी तक पहुँच नहीं सकता। कौवा बहुत प्यासा था, लेकिन उसके पास कोई समाधान नहीं था।
कुछ समय तक उसने विचार किया और फिर उसने एक बड़ी समझदारी से काम किया। उसने छोटी-छोटी पत्तियों को उड़ाकर उन्हें बर्तन में गिराने का प्रयास किया। धीरे-धीरे, पत्तियों का समूह बड़ा होता गया और बर्तन में पानी बचाने लगा।
कौवा ने अपनी मेहनत और युक्तियाँ का सही तरीके से उपयोग किया और उसने अपनी प्यास बुझाई। उसकी समझदारी और मेहनत ने उसे सफलता प्राप्त करने में मदद की।
मोरल: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए विचारशीलता और मेहनत की आवश्यकता होती है। यदि हम समस्या के समाधान के लिए सही दिशा में मेहनत करें, तो हम सफल हो सकते हैं.
धैर्य की महत्व (The Importance of Patience):
एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था, जिसका नाम रामु था। रामु अपने खेतों में मनुष्यों के साथ खुदाई करता था। एक दिन, उसने एक बड़ा पत्थर खोदा, लेकिन उसे उस पत्थर को निकालने में काफी समय लगा। वह अपनी मेहनत नहीं बंद करता और धैर्य से पत्थर को बाहर निकालता रहा। आखिरकार, उसने पत्थर निकाल लिया और उसके निचले भाग में कुछ सोने के सिक्के मिले। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि धैर्य और मेहनत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
मोरल: धैर्य की महत्वपूर्णता और मेहनत से हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
खरगोश और कछुआ की कहानी (The Hare and the Tortoise Story):
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और उनके बीच में एक मुकाबला होने लगा कि कौन तेज़ दौड़ सकता है।
एक दिन, खरगोश ने कछुआ से कहा, “मैं तुझसे तेज़ दौड़ सकता हूँ।” कछुआ ने हँसकर कहा, “हा, वाक़ई? तू मुझसे तेज़ दौड़ सकता है?” खरगोश ने यकीन दिलाया कि वह बहुत तेज़ है और उन्होंने कछुआ से मुकाबला करने की चुनौती दी।
वे दोनों तैयार हो गए और दौड़ने लगे। खरगोश ने शुरुआत में बहुत तेज़ दौड़ा, लेकिन उसका जोश जल्दी ही कम हो गया। वह थक गया और अचानक थम गया।
कछुआ धीरे-धीरे दौड़ता रहा और बिना किसी ठहराव के आगे बढ़ता रहा। खरगोश देखकर हैरान हो गया, लेकिन उसकी शान्ति और स्थिरता से उसने अपने आप को पुन: प्रेरित किया।
कछुआ आखिरकार समर्पितता से जीत गया और खरगोश को मिली महाजीवनी सबक।
मोरल: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि तेज़ दौड़ने के लिए ही काफी नहीं होता, बल्कि स्थिरता, समर्पण, और मेहनत भी महत्वपूर्ण हैं। जिंदगी में हमें धीरे-धीरे महत्वपूर्ण कार्यों को करते रहना और समर्पितता से प्रयास करना चाहिए, ताकि हम सफलता प्राप्त कर सकें।
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लोमड़ी और अंगूर की कहानी (The Fox and the Grapes Story):
एक बार की बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह जंगल में खोजते-खोजते एक विशाल अंगूर के पेड़ पर पहुँची। अंगूर तो बहुत ऊँचे थे और लोमड़ी उन्हें प्राप्त करने के लिए उछलने लगी। लेकिन उसकी हाथों तक पहुँचने में वह सफल नहीं हो पा रही थी।
लोमड़ी ने बहुत कोशिश की लेकिन अंगूरों को हाथ नहीं लगा पा रही थी। उसने कई बार उछलने की कोशिश की, लेकिन हर बार उछल कर नीचे गिर जाती। थक जाने के बाद लोमड़ी ने हार मान ली और उछलने की कोशिश करना छोड़ दिया। फिर उसने अंगूरों को ऊपर से देखा और खुद से कहा, “ये अंगूर तो काबिले ही नहीं हैं, इन्हें तो मुझे खाने का कोई शौक नहीं है।”
लोमड़ी ने अपनी नकली स्वाभाविकता के चलते खुद को सांत्वना दी कि उसे वास्तव में वह अंगूरों की जरुरत नहीं है। इस तरीके से, उसने खुद को समझाया कि जिन चीजों को हम प्राप्त नहीं कर पा रहे होते हैं, उन्हें नकली बहानों से अलग करना चाहिए और सच्चाई का सामना करना चाहिए।
मोरल: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें गुस्से और निराशा की स्थितियों में आकर बहानों का सहारा नहीं लेना चाहिए। हमें उन समस्याओं का सामना करना चाहिए और उन्हें निराशा नहीं देना चाहिए, क्योंकि जिन चीजों को हम प्राप्त नहीं कर पा रहे होते हैं, उन्हें छोड़कर हमारे पास भी कई अन्य संभावनाएँ होती हैं।
भेड़िया और सारस की कहानी (The Wolf and the Crane Story):
कुछ समय पहले एक भेड़िया जंगल में बहुत उत्सुकता से और प्यासा होकर घूम रहा था। काफी समय से उत्सुकता और भूख से भटकने के बाद, भेड़िये ने शिकार के लिए एक प्राणी को देखा और भेड़िये ने उस प्राणी को मार डाला और उसे खा लिया। जब भेड़िया जीव को खा रहा था, तभी जीव की हड्डी भेड़िये के गले में फंस गई।
दरअसल, काफी कोशिश करने के बाद भी हड्डी ने शहर के गले में हल्ला नहीं मचाया. रास्ते में हड्डी को लेकर तनावग्रस्त होने के बाद वह अपने गले से हड्डी निकालने में मेरी मदद करने के लिए इधर-उधर भटकने लगा, लेकिन कोई भी प्राणी भेड़िये की मदद करने को तैयार नहीं था।
काफी देर तक भटकते रहने के बाद भेड़िये को एक सारस मिल गया। भेड़िये ने सारस को अपनी सारी चिंता बतायी। इसके बाद सारस बाहर निकला, तुम मुझे जो भी दोगे यह मानकर कि मैं तुम्हारी मदद करूंगा। जिसके बाद भेड़िये ने कहा कि अगर तुम मेरी मदद करो तो मैं तुम्हें इनाम देने को तैयार हूं। पारिश्रमिक की लालसा में सारस ने भेड़िये की मदद करने की सहमति दे दी।
तभी सारस ने अपनी लंबी चोंच भेड़िये के मुंह में डाल दी और गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल लिया। जब सारस ने गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाला तो भेड़िया बहुत प्रसन्न हुआ और जाने लगा। यह देखकर सारस ने कहा कि तुमने तो कहा था कि मेरी सहायता करने का बदला तुम मुझे दोगे। और तो और, आप जा रहे हैं, यह गलत है।
इसके बाद भेड़िये ने सारस से कहा कि तुमने अपनी गर्दन मेरे मुँह में डाल दी और इसके बाद तुम सही सलामत बचे हुए हो यही तुम्हारा इनाम है। यह सुनकर सारस बहुत दुखी हुआ।
मोरल: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सहायता करने में हमें संतोष मिलता है और वह हमारे स्वभाविक गुणों को सुधारने में मदद करती है। हमें दूसरों की मदद करने का आदर करना चाहिए और उनके साथ अच्छे संबंध बनाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह हमें खुशियों से भर देता है।
चींटी और टिड्डा (The Ant and the Grasshopper) :
एक चींटी और एक टिड्डा बड़े अच्छे दोस्त थे। गर्मियों के दिन थे चींटी अपने भंडार को भोजन से भरने के लिए कड़ी मेहनत करती थी। जबकि टिड्डा अच्छे मौसम का आनंद ले रहा था और पूरे दिन खेल रहा था।
जब सर्दियाँ आईं, तो चींटी अपने घर में आराम से लेटी हुई थी, उसने पूरी सर्दियों के लिए भोजन की व्यवस्था कर ली थी। जबकि टिड्डा अपने घर में भूखा और ठिठुर रहा था। उसने चींटी से भोजन मांगा और चींटी ने उसे कुछ दे दिया। लेकिन यह पूरी सर्दी के लिए पर्याप्त नहीं था।
जब उसने चींटी से दोबारा पूछने की कोशिश की, तो चींटी ने जवाब दिया: “मुझे खेद है मेरे दोस्त, लेकिन मेरा भोजन मेरे परिवार के लिए सर्दियों के अंत तक पर्याप्त है। यदि मैं तुम्हें इससे ज्यादा दूंगीं तो हम भी भूखे मर जायेंगे। दोस्त हम दोनों के पास सर्दियों की तैयारी के लिए पूरी गर्मी थी, मैंने भोजन जमा किया लेकिन तुमने इसके बजाय खेलना चुना।
मोरल: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समय के साथ हमें आवश्यकताओं का सामयिक सामग्री में संग्रहण करने की महत्वपूर्णता होती है। हमें मेहनत करके आगे के समय के लिए संबंधित संसाधनों का विचार करना चाहिए, ताकि हम आने वाले कठिनाइयों का सामना कर सकें।
Short Hindi Stories With Moral ; तीन कहानियाँ जो आपकी सोच बदल देगी!
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