रुपये के प्रतीक (₹) द्वारा प्रदर्शित भारतीय मुद्रा का एक समृद्ध इतिहास और अनूठी विशेषताएं हैं जो इसके आकर्षण में योगदान करती हैं। आइए भारतीय मुद्रा के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य facts about the Indian currency जानें।
Contents
भारत में करेंसी नोट छपाई के बारे में रोचक जानकारी तथ्य – Facts about the Indian Currency
“भारतीय करेंसी के लिए कागज का निर्माण और उसका खर्च – चेक आउट धनराशि से जुड़े रोचक तथ्य!”
Indian currency Printing facts
भारतीय नोटों से जुड़ी खास बातें
प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व (Symbolic Representation) :
भारतीय रुपये का प्रतीक, ₹, आधिकारिक तौर पर 15 जुलाई 2010 को अपनाया गया था। यह देवनागरी लिपि “र” और रोमन अक्षर “R” का एक संयोजन है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक उपस्थिति के मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है।
मुद्रा की सदियाँ (Centuries of Currency) :
भारत में सिक्कों के उपयोग का इतिहास 2,500 वर्षों से भी अधिक पुराना है। प्राचीन भारतीय सिक्कों पर देश की विविधता को दर्शाते हुए जानवरों, पौधों और ज्यामितीय आकृतियों जैसे विभिन्न प्रतीक अंकित थे।
मूल्यवर्ग (Denominations) :
भारतीय मुद्रा कई मूल्यवर्गों में उपलब्ध है, जिनमें ₹1, ₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹2,000 के नोट शामिल हैं। प्रत्येक मूल्यवर्ग में आसान पहचान के लिए अद्वितीय डिज़ाइन और रंग होते हैं।
सुरक्षा सुविधाएँ (Security Features) :
जालसाजी से निपटने के लिए, भारतीय बैंक नोटों में वॉटरमार्क, सुरक्षा धागे, इंटैग्लियो प्रिंटिंग और माइक्रो-लेटरिंग जैसी कई सुरक्षा सुविधाएँ शामिल हैं। ये उपाय मुद्रा की प्रामाणिकता सुनिश्चित करते हैं।
मुद्रा मुद्रण (Currency Printing) :
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) मुद्रा मुद्रण प्रक्रिया की देखरेख करता है। नोट कपास आधारित कागज पर मुद्रित होते हैं, जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल से प्राप्त किया जाता है।
सिक्कों की ढलाई (Minting of Coins) :
सिक्कों का उत्पादन मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में स्थित चार सरकारी टकसालों द्वारा किया जाता है। ये टकसाल विभिन्न मूल्यवर्ग की ढलाई करने के लिए धातुओं के मिश्रण का उपयोग करते हैं।
भाषाओं का शिलालेख (Inscription of Languages) :
भारतीय बैंक नोटों पर आमतौर पर 15 भाषाओं में शिलालेख होते हैं, जो देश की भाषाई विविधता को दर्शाते हैं। हिंदी और अंग्रेजी प्रमुख भाषाएं हैं, जबकि अन्य 13 भाषाएं विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
महात्मा गांधी श्रृंखला (Mahatma Gandhi Series) :
बैंक नोटों की वर्तमान श्रृंखला, जिसे महात्मा गांधी श्रृंखला के रूप में जाना जाता है, 1996 में शुरू हुई। इन नोटों में सामने की तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चित्र होता है।
Hindi Facts on Indian Currency
एक रुपये का नोट (One rupee note) :
जबकि अधिकांश मुद्राओं ने अपने एक रुपये के नोट को चरणबद्ध तरीके से चलन से बाहर कर दिया है, भारत ने इसे कानूनी निविदा के रूप में जारी करना जारी रखा है, जिसमें अक्सर अशोक के शेर की राजधानी की छवि होती है।
बदलते रूपांकन (Changing Design) :
भारतीय मुद्रा के पिछले हिस्से में देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न रूपांकनों को दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, ₹500 के नोट लाल किले को दर्शाते हैं, ₹100 के नोट रानी की वाव (रानी की बावड़ी) को दर्शाते हैं, और ₹50 के नोट हम्पी रथ को चित्रित करते हैं।
ब्रेल फ़ीचर (Braille Feature) :
दृष्टिबाधित लोगों की सहायता के लिए, भारतीय मुद्रा के कुछ मूल्यवर्ग में नोटों के बीच अंतर करने के लिए ब्रेल चिह्न या पहचान चिह्न शामिल हैं।
ब्रेल फीचर भारतीय मुद्राओं में विशेष रूप से भ्रष्टाचारित व्यक्ति के लिए शामिल होता है जो दृष्टिहीन होते हैं। यह तकनीक उन व्यक्तियों को समर्थन प्रदान करती है जो धनराशि को भेंट करते समय बैंकनोट की पहचान करने में कठिनाई होती है। इस तकनीक में खरोंची या उभारी चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें धर्मीक या धर्मी ब्रेल भी कहा जाता है।
भारतीय रुपया में ब्रेल फीचर समर्थन प्रदान करता है विशेष ध्यान रखने वाले और दृष्टिहीन व्यक्तियों को, जो अपने आर्थिक व्यवसायिक और व्यक्तिगत दृष्टिकोन से स्वतंत्रता और स्वावलंबन बनाए रखना चाहते हैं। इसे विभिन्न नोटों पर धर्मीक या धर्मी ब्रेल शब्द या चिह्नों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है, जो धनराशि को अधिक अलग करने में मदद करते हैं। इसके माध्यम से उपभोक्ता आसानी से स्पष्ट कर सकते हैं कि वह किस नोट को संभाल रहे हैं।
यह ब्रेल फीचर एक और माध्यम है जो भारतीय मुद्राओं को बेहतर बनाने का प्रयास करता है, जो सभी नागरिकों को समानता, संवेदनशीलता, और सम्मान के साथ व्यवस्थित अर्थतंत्र के अनुभव की सुनिश्चित करता है।
रुपये का अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक (International symbol of rupee) :
भारतीय रुपये का प्रतीक (₹) दुनिया भर की कुछ मुद्राओं में से एक है, जिसका यूनिकोड में आधिकारिक प्रतिनिधित्व है, जिससे यह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
भारतीय मुद्रा का निर्यात (International symbol of rupee) :
भारतीय मुद्रा को देश से बाहर ले जाना प्रतिबंधित है, और यात्रियों को कानूनी मुद्दों से बचने के लिए नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।
मुद्रा विध्वंस (Currency Demolition) :
भारत ने काले धन पर अंकुश लगाने और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नवंबर 2016 में महात्मा गांधी श्रृंखला के सभी ₹500 और ₹1,000 के बैंक नोटों का विमुद्रीकरण कर दिया।
मुद्रा का सम्मान (Currency Demolition) :
भारतीय कानून के अनुसार, मुद्रा नोटों को जानबूझकर क्षति पहुंचाना या नष्ट करना एक दंडनीय अपराध है। मुद्रा, देश के गौरव का प्रतीक होने के नाते, सम्मान और उचित प्रबंधन की पात्र है।
Interesting facts about the currency in Hindi
भारत में करेंसी (Indian Currency) नोट कहां और कैसे छपते हैं?
Indian currency Printing facts
हमारी डेली लाइफ में पैसे की जरूरत होती है। देश में करेंसी के रूप में नोट और सिक्के दोनों का प्रचलन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अर्थव्यवस्था में इस्तेमाल होने वाले ये भारत में करेंसी नोट कहां और कैसे छपते हैं?
भारत में करेंसी नोटों को छपने का जिम्मा रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) को सौंपा गया है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया एक स्वतंत्र अर्थतंत्री निकाय है, जो भारतीय मुद्राओं के निर्माण, प्रबंधन, और वित्तीय नीतियों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है।
करेंसी नोटों को निर्माण करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है:
ग्राफिक डिजाइन तैयारी: सबसे पहले, नोटों के डिजाइन का चयन किया जाता है, जो अपने विशिष्ट रंग, भाषाएं, और प्रतीकों के साथ विशेषताएं शामिल करता है। डिजाइन रिजर्व बैंक के समाचार और अनुसंधान विभाग के लिए तैयार किया जाता है।
उद्दीपक रेखाओं की तैयारी: एक संशोधित नोट के उद्दीपक रेखाएं (intaglio) तैयार की जाती हैं। ये रेखाएं नोट के बदले और अलग अलग मूल्य के अनुसार होती हैं, जिससे वे मुद्रण के दौरान प्रशासनिक अनुभव करते हैं।
कागज उत्पादन: नोटों के लिए कागज उत्पादन के लिए सामान्य तौर पर कॉटन के रफ्तार और बम्बू के लोटे का प्रयोग किया जाता है। ये कागज रिजर्व बैंक के स्वयंसेवक इकाई, होशंगाबाद पेपर मिल, मध्य प्रदेश में बनाए जाते हैं।
मुद्रण प्रक्रिया: नोटों को मुद्रण करने के लिए सरकारी मुद्रणालयों का उपयोग किया जाता है। भारत में मुद्रण के लिए चार सरकारी मुद्रणालय हैं – नई दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, और नोएडा। ये मुद्रणालय उच्च तकनीकी उपकरणों का उपयोग करते हैं जैसे कि अद्वितीय मुद्रण रोटर, ग्रावर, और सिक्योरिटी फीचर्स जो बैंकनोटों को विदेशी तकनीकी चुनौतियों से सुरक्षित बनाते हैं।
पैकेजिंग और वितरण: छपे हुए नोटों को अलग-अलग डेनोमिनेशन में पैक किया जाता है और इन्हें बैंकों, वितरण केंद्रों, और एटीएमों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाता है।
भारतीय करेंसी के नोटों का निर्माण एक संवेदनशील और तकनीकी विधि है, जो देश के अर्थतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और सभी नोटों को सुरक्षित और आपसी परिप्रेक्ष्य में बनाए रखने के लिए सुनिश्चित करता है।
इन जगहों पर छपते हैं नोट
- भारतीय नोट मुद्रणालय (BNM), नई दिल्ली: भारतीय नोट मुद्रणालय भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। यह सरकारी मुद्रणालय सभी नए नोटों को छपने के लिए जिम्मेदार है और भारतीय मुद्रा सीधे यहां से प्रबंधित की जाती है।
- भारतीय नोट मुद्रणालय, मुंबई: भारतीय नोट मुद्रणालय का एक अन्य शाखा मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। यहां पैसे के नोटों के निर्माण का भी काम किया जाता है।
- भारतीय नोट मुद्रणालय, कोलकाता: कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित भारतीय नोट मुद्रणालय भी मुद्राओं के निर्माण में सक्रिय है।
- भारतीय नोट मुद्रणालय, हैदराबाद: हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित भारतीय नोट मुद्रणालय भी नोटों के निर्माण में शामिल है।
ये चार सरकारी मुद्रणालय भारतीय नोटों के निर्माण के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए विशेष तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इन मुद्रणालयों में नोटों के ग्राफिक डिजाइन तैयारी से लेकर पैकेजिंग और वितरण तक के सभी पड़ावों का प्रबंधन किया जाता है।
कैसे होती है नोटों की छपाई ?
रुपये छापने की प्रक्रिया में सबसे पहले पेपर शीट को एक खास मशीन सायमंटन में डाला जाता है। इसके बाद एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहा जाता है, उससे कलर किया जाता है। इसके बाद पेपर शीट पर नोट छप जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद अच्छे और खराब नोट की छंटनी की जाती है। एक पेपर शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं। नोट छांटने के बाद उस पर चमकीली स्याही से संख्या मुद्रित की जाती है।
कटे-फटे नोटों का क्या होता है?
जब कोई करेंसी नोट पुराना हो जाता है, फट जाता है या बाज़ार में चलने लायक नहीं रह जाता है, तो उसे बैंकों के माध्यम से एकत्र किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इन नोटों को फिर से प्रचलन में आने से रोकने के लिए उनका निपटान कर देता है। अतीत में, इन नोटों को निपटान विधि के रूप में जला दिया जाता था। हालाँकि, पर्यावरणीय प्रभाव को देखते हुए, RBI अब विदेशों से श्रेडिंग मशीनें आयात करता है।
ये मशीनें अनफिट नोटों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देती हैं और कटे हुए टुकड़ों को पानी में मिलाकर लुगदी में बदल दिया जाता है। इस लुगदी का उपयोग आगे ईंटें बनाने के लिए किया जाता है, और इन ईंटों को सुखाकर विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अनुपयुक्त मुद्रा नोटों का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करती है।
शेरशाह ने शुरू किया था रुपया का प्रचलन
शेरशाह सूरी, जिसे शेरशाह अफगानी भी कहा जाता है, ने भारत में रुपया का प्रचलन शुरू किया था। वह भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण शासक थे, जिन्होंने मुगल सम्राट हुमायूँ को हराकर 1540 में दिल्ली के गद्दी पर कब्जा किया था।
शेरशाह सूरी ने राज्याधिकारियों के शोध-संशोध के आधार पर भारतीय मुद्रा को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने सरकारी मुद्रणालयों की स्थापना की और अपनी राज्य में नई मुद्रा का निर्माण किया। इस प्रकार, शेरशाह सूरी द्वारा रुपया नामक मुद्रा को प्रचलित किया गया और यह भारतीय अर्थतंत्र में महत्वपूर्ण चिह्न बन गया। इसमें एक स्वर्ण रुपया, जिसका मूल्य आज की तुलना में लाखों रुपये के बराबर था, सिक्के के रूप में उत्पादित किया जाता था। शेरशाह सूरी के समय से रुपया भारतीय मुद्रा के रूप में प्रचलित हो गया और आज भी भारत की मुख्य मुद्रा है।
रोचक तथ्य जो आपको हैरान कर देंगे !
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