अविवाहित स्त्री की बलि मांगती फंडुद्ज़ी झील के बारे में रोचक तथ्य ! Lake Fundudzi Facts in Hindi

Lake Fundudzi Facts in Hindi

Lake Fundudzi Facts in Hindi – फंडुदज़ी झील दक्षिण अफ्रीका के लिम्पोपो प्रांत में स्थित एक रहस्यमाई झील है। यह वेंडा लोगों द्वारा एक पवित्र स्थान माना जाता है जो आसपास के क्षेत्र में रहते हैं। फंडुद्ज़ी झील के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:

Lake Fundudzi Facts in Hindi

गठन: मुताले नदी को अवरुद्ध करने वाले भूस्खलन के परिणामस्वरूप लगभग 10,000 साल पहले फंडुद्ज़ी झील का गठन किया गया था। झील साउथस्पेन्सबर्ग पर्वत श्रृंखला के तल पर स्थित है, जो बड़े ड्रैकेंसबर्ग पर्वत का एक हिस्सा है।

आकार: झील लगभग 1.5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी अधिकतम गहराई लगभग 70 मीटर है।

पवित्र स्थिति: वेंडा लोग फंडुज़ी झील को एक पवित्र स्थान मानते हैं और मानते हैं कि यह पूर्वजों की आत्माओं का निवास है। किंवदंती के अनुसार, झील का निर्माण “नवाली” नामक एक अजगर देवी द्वारा किया गया था, जिसने अपने लोगों को सूखे से बचाने के लिए खुद को एक झील में बदल लिया था।

पर्यावरणीय महत्व: झील और इसके आस-पास का पारिस्थितिकी तंत्र वनस्पतियों और जीवों की एक विविध श्रेणी का घर है, जिसमें केप वल्चर और अफ्रीकी फिनफुट जैसी कई लुप्तप्राय प्रजातियां शामिल हैं।

दुनिया के कई ऐसे रहस्य जो आज तक अनसुलझे बने हुए हैं। ऐसा ही एक रहस्य छिपा है दक्षिण अफ्रीका की फुन्दूजी नामक झील में।

Lake_Fundudzi Facts
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दक्षिणी अफ्रीका के प्रांत उत्तरी ट्रांसवाल में फुन्दूजी नाम की एक अद्भुत झील, जिसमें छिपें हैं कई रहस्य। Lake Fundudzi Facts in Hindi

माना जाता है यह एक शापित झील है, जिसमें जो भी गया वो वापिस नहीं लोट कर आया।

इस रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है की क्यों इस झील के पास जो भी गया है उसकी मौत हो गयी। अगर कोई लोट कर आ भी गया तो ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रह पाया।

फुन्दूजी झील का पानी भी दूषित है, ऐसा माना जाता है कि इस झील का पानी जो भी पी ले, वो जिंदा नहीं बचता है। जल्द ही उसकी मौत हो जाती है। आज तक कोई वैज्ञानिक इसके पानी का रासायनिक विश्लेषण नहीं कर पाया है।

इस झील का पानी अजीबो-गरीब तरीके से ज्वार भाटा की तरह उठता गिरता रहता है।

मुटाली नामक एक नदी का स्वच्छ पानी इस झील में प्रवाह होता है, पर क्या ऐसा रहस्य है की इसमें झील में जाते ही वो पानी जहर बन जाता है।

कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञों ने इस बात का पता लगाने का बहुत प्रयास किया लेकिन इन्हें कोई भी सफलता नहीं मिली।

यहां आये दिनों कोई न कोई घटना घटित हो जाती है। शुरू शुरू में इन घटनांओं को मात्र एक संयोग समझा जाता था पर जब इस बारे में जानने के लिए खुद जांचकर्ता वापस नहीं लोटे तो अन्य जाँचकर्त्ता सतर्क हो गए और झील से किसी भी तरह की छेड़खानी करने से कतराने लगे।

यहाँ के लोगों का मानना है की इस झील की रक्षा पहाड़ों पर रहने वाला एक दैत्याकार अजगर करता है।

वेंदा आदिवासी लोगों द्वारा इस झील जिसे यह अजगर देवता मानते हैं को खुश रखने के लिए डोम्बा नृत्य का आयोजन किया जाता है। और तो और इन लोगों का मानना है की देवता हर साल एक अविवाहित स्त्री की बलि मांगते हैं। उनका मानना है की इस झील का भराव और इसका रंग उन्हें अपने पूर्वजों के गुस्से और आने वाली बरसात के बारे में बताता है। हालांकि, इस झील की सच्चाई क्या है, यह आज भी रहस्य है।

सन् 1947 में हैडरिक नामक एक किसान ने झील में नाव चलाने का प्रयास किया। जैसे ही वह झील के बीचों-बीच पहुंचा, रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। न ही हैडरिक और न ही उसकी नाव का कहीं कोई पता नहीं चल पाया।

सन् 1953 में बर्न साइड नामक एक प्रोफेसर ने इस झील के रहस्य से पर्दा उठाने का बीडा उठाया। प्रोफेसर बर्न साइड अपने एक सहयोगी के साथ अलग-अलग आकार की 16 शीशियां लेकर पांडुजी झील की तरफ चल पडे।

उन्होंने अपने इस काम में पास ही के बावेंडा कबीले के लोगों को भी शामिल करना चाहा, लेकिन कबीले के लोगों ने जैसे ही फुन्दूजी झील झील का नाम सुना तो वे बिना एक पल की देर लगाए वहां से भाग खडे हुए। कबीले के एक बुजुर्ग आदिवासी ने बर्न साइड को सलाह दी कि अगर उन्हें अपनी और अपने सहयोगी की जान प्यारी है तो फुन्दूजी झील झील के रहस्य को जानने का विचार फौरन ही छोड दें। उसने कहा कि वह मौत की दिशा में कदम बढा रहा है, क्योंकि आज तक जो भी झील के करीब गया है उसमें से कोई भी जिन्दा नहीं बचा।

प्रोफेसर बर्न साइड उस बृद्ध आदिवासी की बात सुनकर कुछ वक्त के लिए परेशान जरूर हुए, लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे और उस झील के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए झील की तरफ चल पडे।

वहां पहुंचते पहुंचते उन्हें काफी देर हो गई और अँधेरा छा गया।

एक लंबा सफर तय कर जब वे झील के किनारे पहुंचे तब तक रात की स्याही फिजा को अपनी आगोश में ले चुकी थी। अंधेरा इतना घना था कि पास की चीज भी दिखाई नहीं दे रही थी।

इस भयानक जंगल में प्रोफेसर बर्न साइड ने अपने सहयोगी के साथ सुबह का इंतजार करना ही बेहतर समझा। सुबह होते ही बर्न साइड ने झील के पानी को देखा, जो काले रंग का था। उन्होंने अपनी अंगुली को पानी में डुबोया और फिर जबान से लगाकर चखा। उनका मुंह कडवाहट से भर गया। इसके बाद बर्न साइड ने अपने साथ लाई गईं शीशियों में झील का पानी भर लिया। प्रोफेसर ने झील के आसपास उगे पौधों और झाडियों के कुछ नमूने भी एकत्रित किए। शाम हो चुकी थी। उन्होंने और उनके सहयोगी ने वहां से चलने का फैसला किया।

Lake Fundudzi Facts in Hindi

रोचक तथ्य जो आपको हैरान कर देंगे !

वे कुछ ही दूर चले थे कि रात घिर आई। वे एक खुली जगह पर रात गुजारने के मकसद से रुक गए। झील के बारे में सुनीं बातों को लेकर वे आशंकित थे ही, इसलिए उन्होंने तय किया कि बारी-बारी से सोया जाए। जब प्रोफेसर बर्न साइड सो रहे थे तब उनके सहयोगी ने कुछ अजीबो-गरीब आवाजें सुनीं। उसने घबराकर प्रोफेसर को जगाया। सारी बात सुनने पर बर्न साइड ने आवाज का रहस्य जानने के लिए टार्च जलाकर आसपास देखा, लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं चला। आवाजों के रहस्य को लेकर वे काफी देर तक सोचते रहे।

सवेरे चलने के समय जैसे ही उन्होंने पानी की शीशियों को संभाला तो वे यह देखकर हैरान रह गए कि शीशियां खाली थीं। हैरानी की एक बात यह भी थी कि शीशियों के ढक्कन ज्यों के त्यों ही लगे हुए थे। वे एक बार फिर फुन्दूजी झील  की तरफ चल पडे। बर्न साइड खुद को अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। उनके पेट में दर्द भी हो रहा था। वे झील के किनारे पहुंचे। बोतलों में पानी भरा और फिर वापस लौट पडे। रास्ते में रात गुजारने के लिए वे एक स्थान पर रुके, लेकिन इस बार उनकी आंखों में नींद नहीं थी। वे सुबह यह देखकर फिर हैरान रह गए कि शीशियां खाली थीं।

बर्न साइड का स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था, इसलिए वे खाली हाथ ही लौट पडे। घर पहुंचने पर नौवें दिन बर्न साइड की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक आंतों में सूजन आ जाने के कारण बर्न साइड की मौत हुई थी। प्रोफेसर द्वारा एकत्रित झील के समीप उगे पौधों के नमूने भी इतने खराब हो चुके थे कि उनका परीक्षण कर पाना मुमकिन नहीं था।

बर्न साइड का जो सहयोगी उनके साथ फुन्दूजी झील  का रहस्य जानने गया था, उनकी मौत के एक हफ्ते बाद पिकनिक मनाने समुद्र में गया। वह एक नाव में बैठकर समुद्र के किनारे से बहुत दूर चला गया। दो दिन बाद समुद्र तट पर उसकी लाश पाई गई। आज तक इस रहस्य का पता नहीं लग पाया है कि उसकी मौत महज एक हादसा थी या खौफनाक फुन्दूजी झील का अभिशाप। इस अभिशप्त झील के बारे में जानकारी हासिल करने वालों की मौत भी इस झील के रहस्य की तरह ही एक रहस्य बनकर रह गई है।

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