भगवान शिव का प्रमुख पर्व ‘महाशिवरात्रि’ Shivratri फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पूरे देश में मनाई जाती है। इस दिन महादेव भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा-आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन इस सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। कहते हैं इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। महाशिवरात्रि मानाने के पीछे एक पौराणिक कहानी भी है, आइयें जानते हैं –
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महाशिवरात्रि ; जानिए क्यों और कैसे मनाई जाती है शिवरात्रि … Shivratri
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है – Shivratri ‘एक पौराणिक कथा 1 ‘
श्री शिव महापुराण के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी वर्चस्व को लेकर काफी विवाद हो गया। तभी एक शिवलिंग वहाँ प्रकट हुआ। जब भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी ने उस शिवलिंग को देखा तो दोनों ने तय किया की जो इस शिवलिंग का प्रारम्भ और अंत का दर्शन कर लेगा वही ज्यादा पूज्यनियें होगा।
इतना कहकर भगवान विष्णु ने शूकर का रूप धारण किया और ब्रह्मा जी ने हंस रूप धारण किया। फिर दोनों ने आकाश और पाताल का भ्रमण किया। ब्रह्मा जी जब आकाश को और जा रहे थे तब उन्होंने ऊपर से केतकी के फूल आते हुए देखें। उन्होंने फूल से पूछा “क्या वह आरम्भ से आ रहा है’ केतकी के फूल ने उत्तर दिया की वो तो मध्य भाग से वर्षों से गिरता हुआ आ रहा है।
ब्रह्मा जी न केतकी के फूल से कहा की तुम नारयण से कह देना की तुम आरम्भ से आ रहे हो, और तुम इस नारायण के सामने इस बात की गवाही भी दे देना की ब्रह्मा जी ने शिवलिंग का आरम्भ खोज लिया है। केतकी के फूल को झूठ बोलना उचित नहीं लगा परन्तु ब्रह्मा जी के आदेश के अनुसार उसे हाँ कहना पड़ा।
ब्रह्मा जी केतकी के फूल को लेकर भगवान विष्णु के पास आये और उनके सामने इस बात को सत्य बताया की ब्रह्मा जी ने आरम्भ खोज लिया है। विष्णु जी ने इस बात को सत्य मान लिया और वो ब्रह्मा जी को पूजन करने लगे। तभी शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हो गए और ब्रह्मा जी के असत्य से क्रोधित हो गए।
क्रोध वश शिवजी ने भैरव को प्रकट किया और उसे आज्ञा दी की वो ब्रह्मा जी के पांच शीश (सर) में से उसे शीश को काट दे जिससे उन्होंने झूठ बोला है। भैरव ने ऐसा ही किया। और अंत में शिव जी ने विष्णु जी की स्तुति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी को अभय दान दिया। शिव जी की आज्ञानुसार उस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
एक पौराणिक कथा 2
माना जाता है की इस दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती जी के साथ हुआ था तब से इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मानते हैं।
महाशिवरात्रि कैसे मनाई जाती है
मंदिरों में शिवलिंक की पूजा पूरी विधि विधान के साथ की जाती है। यहाँ हम आपको बताएँगे की घर में शिवरात्रि की पूजा किस विधि विधान से साथ की जाती है।
सबसे पहले मिट्टी के किसी पात्र में जल भरें और ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ायें। यदि घर के आस-पास में शिवालय न हो, तो शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर भी पूजा जा सकता है। भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें। और फिर शिव स्तुति करें. .. शिवस्तुति के लिए यह पढ़ें ; स्तुतिमंत्र
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Shiva Accept Those who aren’t accepted by society, Snakes, Bhoots, Poison 🙂
Please.भूतो के अस्तित्व पर लेख लीखे Plz ,,,🥺🙏 …………..। And some facts about gosts plz…….. 🙏
I am your big fan and subscriber
Thank you 😄
Comment or subscription ke liye thanks ! jaldi hi is vishy par lekh likhunga