1000+ कहावतें / सूक्तियां / मुहावरे अर्थ सहित | Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

मित्रों ! आज हम आपके लिए लाये हैं “प्रमुख हिंदी कहावतें, लोकोक्तियाँ एवं संस्कृत सूक्तियां – Muhavare In Hindi – Proverbs Meaning In Hindi” जो सभी विद्यार्थियों के प्रतियोगिता / परीक्षाओं में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

Contents

प्रमुख मुहावरे, कहावतें एवं सूक्तियां अर्थ सहित
Muhavare In Hindi – Proverbs Meaning In Hindi

“उड़ती चिड़िया पहचानना”

मुहावरे का अर्थ – दूर से भाप लेना।

“विधि के विधान को कोई टाल नहीं सकता”

मुहावरे का अर्थ – व्यक्ति सिर्फ कोशिश कर सकता है लेकिन जो भगवान को मंज़ूर है वही होगा।

“घर घाट एक करना”

मुहावरे का अर्थ – कड़ी मेहनत करना।

“राम भरोसे”

मुहावरे का अर्थ – जब कोई भी कठिन समय आये भगवान पर भरोसा रखिये। राम पर भरोसा रखने वाला कठिन परिस्थितियों में भी सुखी रहता है।

“जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे परदेश”

मुहावरे का अर्थ – निकम्मा आदमी (जो कोई काम न करता हो) घर में हो या बाहर कोई अन्तर नहीं।

“उड़ती चिड़िया के पंख गिनना”

मुहावरे का अर्थ – किसी के व्यवहार को देखकर व्यक्तित्व को जान लेना।

“पिंड छुड़ाना”

मुहावरे का अर्थ – किसी से पीछा छुड़ाना

“पिया गए परदेश, अब डर काहे का”

मुहावरे का अर्थ – निगरानी न होने पर स्वच्छ हो जाना। आजादी मिलना

“कसाई के खूँटे से बाँधना”

मुहावरे का अर्थ – निर्दयी व्यक्ति को सौंप देना।

“छलनी कर डालना”

मुहावरे का अर्थ – शोक-विह्वल कर देना।

“पुर्जा ढीला होना”

मुहावरे का अर्थ – थोड़ा पागल जैसा होना।

“चोर चोर मौसेरे भाई”

मुहावरे का अर्थ – समान स्वभाव वाले लोगों को जल्दी दोस्ती हो जाती है ।

“ऊँट के मुँह में जीरा”

मुहावरे का अर्थ – बहुत कम मात्रा में कोई वस्तु देना।

“नसीब चमकना”

मुहावरे का अर्थ – अच्छे दिन आ जाना।

“न खुदा ही मिला न विसाले सनम”

मुहावरे का अर्थ – किसी तरफ का न होना।

“उल्टा चोर कोतवाल को डांटे”

मुहावरे का अर्थ – एक तो खुद गलती करे और ऊपर से दूसरे को आँख भी दिखाए।

“कान पर जूं न रेंगना”

मुहावरे का अर्थ – बार-बार कहने पर भी प्रभाव न होना।

Proverb meaning in Hindi (Muhavare In Hindi)

“पेट पर लात मारना “

मुहावरे का अर्थ – किसी की रोजी रोटी छीन लेना।

“सौ कपूतों से एक सपूत भला”

मुहावरे का अर्थ – अनेक कुपुत्रों से एक सुपुत्र अच्छा होता है। यानि कई बुरे लोगों की अपेखा एक अच्छा व्यक्ति होना।

“शेर का बच्चा शेर ही होता है”

मुहावरे का अर्थ – वीर व्यक्ति का पुत्र वीर ही होता है।

“हाथ के तोते उड़ना”

अर्थ – अचानक किसी बात या अनिष्ठा के कारण स्तब्ध रह जाना।

“उल्टी माला फेरना”

अर्थ – किसी के अमंगल की कामना करना, लोक विश्वास अथवा परम्परा के विपरीत कार्य करना।

“चहल-पहल होना।”

अर्थ – रौनक होना।

“पासा पलटना”

अर्थ – स्थिति उलट जाना।

“पेट में बात न पचना “

अर्थ – कोई बात छुपा के न रखना।

मुहावरे और लोकोक्ति का अर्थ और वाक्य

Hindi Muhavare with Meanings and Sentences

“आलस्य: सबसे बड़ा शत्रु”

अर्थ – ऐसी मानसिक या शारीरिक शिथिलता जिसके कारण किसी काम को करने में मन नहीं लगता, आलस्य है। तन-मन की उत्साह हीनता आलस्य है। प्रयत्त और परिश्रम से जी चुराना आलस्य है।

अब देखना है कि आलस्य सबसे बड़ा शत्रु क्यों है? आलस्य दुःख, दारिद्रय, रोग-शोक, पराजय-पराभव, परावलम्बन-परतंत्रता, अगति-अवनति का जनक है। आलस्य सरल कार्य को कठिन, ग्राह्म को अग्राह्म, सुलभ को दुर्लभ तथा सफल को असफल बना देता है। आलस्य के रहते प्रज्ञा विकास तथा ज्ञानवर्धन का प्रश्न ही नहीं उठता। कार्लाइल का कहना है, ‘एक-मात्र आलस्य में ही निरन्तर निराशा रहती है।’ स्परजन का विचार है,’आलस्य सारे अवगुणों की जड़ है।’ संत तिरुवल्लुवर की मान्यता है, ‘आलस्य में दरिद्रता का वास है।’ शायद इसीलिए भर्तृहरि ने नीतिशतक ;श्लोक 87द्ध में लिखा है, ‘आलस्यो हि मनुष्याणां शरीरस्थो महा रिपुः।’ अर्थात् आलस्य मनुष्य के शरीर में रहने वाला घोर शत्रु है।

“आज की बचत, कल का सुख”

अर्थ – आवश्यक व्यय के बाद बची रहने वाली धन-राशि ‘बचत’ है। आज के दिन के बाद आने वाला समय ‘कल’ है। वह प्रिय अनुभूति जो अनुकूल या अभीप्सित वातावरण या स्थिति की प्राप्ति पर होती है, ‘सुख’ है। इस प्रकार कहावत का अर्थ हुआ-अपने आवश्यक खर्चों के बाद जितनी धन-राशि की बचत हम करेंगे, उससे भविष्य में आर्थिक, मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी और अपेक्षित सुविधाएं प्राप्त होंगी।

अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि लांगफैलो ने कहा है, ‘भविष्य कैसा भी सुखमय हो, उस पर विश्वास न करो।’ कारण भविष्य को भगवान् ने बड़ी सावधानी से छिपाया है और उसे आशामय बनाया है।

“अपना हाथ जगन्नाथ”

अर्थ – यह एक किवदन्ती है अपना हाथ जगन्नाथ, वैसे हिन्दू धर्म में भगवान् का नाम जगन्नाथ है। जग का नाथ अर्थात् जगन्नाथ। यह लोकोक्ति मनुष्य के लिए प्रयोग की गयी है। अपना हाथ जगन्नाथ यदि हम इस पर गहरायी से विचार करें तो पता चलता है कि भगवान् या ईश्वर में प्रत्येक कार्य को सम्पन्न करने की अपार शक्ति का विपुल भण्डार है और यही शक्ति का असीम भण्डार भगवान ने मनुष्य को भी प्रदान किया है, मगर स्वार्थ के कारण मनुष्य अपने अधिकार को भूल चुका है।

बात हाथ की है तो हम भगवान की वन्दना करते समय यह कहना नहीं भूलते कि हरी है हजार हाथ वाला, भगवान के समस्त चित्रों में कहीं चार हाथ, कहीं आठ हाथ दिखायी देते हैं, यह सत्य है कि जिस प्रकार हम चित्रों में भगवान् के चार और आठ हाथ देखते हैं, उसी प्रकार मनुष्य के पास भी चार या आठ हाथ हैं, मगर मनुष्य को केवल दो ही हाथ दिखायी देते हैं। सम्भवतः इसीलिए यह उक्ति बनी हो कि- अपना हाथ जगन्नाथ। यह वाक्य शायद हमारे पूर्वजों ने हमें कर्म करने की प्रेरणा के लिए ही सूत्र के रूप में दिया हो।

मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देने के लिए अपने हाथ को जगन्नाथ कहना एक मुहावरा हो सकता है, सूक्ति हो सकती है मगर मनुष्य को बड़े कार्य करने की प्रेरणा इसी वाक्य से मिलती है। कठिन काम को देखकर जब व्यक्ति हताश या निराश हो जाता है तो यह वाक्य मनुष्य के मन में शक्ति का संचार करने का एक माध्यम बनकर उभरता है।

“घाट- घाट का पानी पीना”

अर्थ – जिस व्यक्ति ने जीवन में तरह तरह के लोगों से सामना किया है और जो अच्छे बुरे का भेद अच्छी तरह समझ चुका है और जो दुनियादारी को अच्छी तरह समझ लिया है वह अनुभवी और होशियार हो जाता है।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“अहिंसा परमो धर्म:”

अर्थ – अहिंसा परमो धर्मः ‘शास्त्रीय वचन है। यह योग-शास्त्र के पाँच यमों में से एक है। तुलसी ने भी ‘मानस’ के उत्तरकाण्ड में ‘परम धर्मश्रुति विदित अहिंसा कहकर इसका अनुमोदन किया है। इस वैदिक ;शास्त्रीयद्ध मान्यता को जैन मत ने अपने पंच महाव्रतों में स्थान दिया है तो बौद्ध मत ने अपने सम्यक् -संकल्प का मुख्य अंग मानकर इसको स्वीकृति दी है।

स्कंद पुराण के अनुसार अहिंसा धर्म का मूल है, अतः यह सर्वश्रेष्ठ धर्म है। योग-दर्शन में अहिंसा को धर्म के आवश्यक अंग के रूप में स्वीकारा है। महाकाव्य-काल तथा पुराण-काल में अहिंसा का व्यवहार सर्वश्रेष्ठ धर्म के रूप में हुआ है। अहिंसा के परमधर्म रूप का उल्लेख महाभारत में भी हुआ है।

“अपने लिए जिए तो क्या जिए”

अर्थ – कहावत का तात्पर्य है कि केवल आत्म-हित जीवन बिताना जीने की सुन्दर शैली नहीं है। जीवन-यात्रा को अपनी ही परिधि तक सीमित रखने में जीवन का आनन्द कहाँ? ‘मैं और मेरा’ के दृष्टिकोण से जीवन जीना व्यर्थ है ? स्वार्थभय जीवन को जीवन की संज्ञा नहीं दी जा सकती।

अर्थ – अपना-अपना राग अलापना, अपना उल्लू सीधा करना, अपनी खाल में मस्त रहना, अपने पन पर आना तथा अपनी-अपनी पड़ने में अपने लिए जीने की झलक दृष्टिगोचर होती है। इस प्रकार का जीवन कोई उच्च जीवन नहीं।

“अंधा क्या चाहे दो आंखें”

अर्थ – जिस व्यक्ति को किसी चीज़ की बहुत चाहत को और उसे प्राप्त करना उसके लिए नितांत आवश्यक हो और उसे पाने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही हो लेकिन अचानक से वो चीज़ उसे मिल जाये तो कहा जाता है “अंधा क्या चाहे दो आंखें” इसको अन्य उदहारण से ऐसे समझा जा सकता है। ये कहकर तुमने उसकी मुश्किल आसान कर दी आखिर अँधा क्या चाहे दो आँखें। दिनेश तो यही चाहता था कि उसको इस काम में शामिल किया जाए, उसके लिए इससे अच्छा क्या हो सकता है अँधा क्या चाहे दो आँखें।

“अधजल गगरी छलकत जाए”

अर्थ – आधी भरी गगरी (मटकी) का जल छलकत ही नहीं, शोर भी मचाता है। ‘सम्पूर्ण कुम्भो नकरोति शब्दम्। अर्धोघटो घोष मुपैति नूम् । आधी गगरी में पानी हिल-हिल कर अपनी ध्वनि से अपने अस्तित्व का बोध भी कराता है, जबकि आकंठ भरी गगरी का छल छलकेगा, पर शोर नहीं मचाएगा। विद्वान्, सुसंस्कृत, सुसभ्य मानव जलपूर्ण गगरी के समान गंभीर, शांत होते हैं, जबकि अल्पज्ञ, अज्ञानी, चंचल और समाजद्रोही तत्त्व अधजल गगरी के समान दिखावा करेंगे, अपने अस्तित्व को अनुभूति कराएँगे।

सबल आत्मा भरी गगरो है, जो स्वतः छलकती है। निर्बल आत्मा अपनी आन्तरिक शान्ति को तिल-तिल जलाकर प्रदर्शित करती है। ‘होई विवेक मोह भ्रम भागा ‘पूर्ण जल युक्त गगरी की पहचान है। मोह- भ्रम से युक्त अल्प-विवेकी अपने पराक्रम का दिखावा करता है। ‘बुद्धिं’ जल पूर्ण गगरी के समान बुद्धिमान’ में अपना अस्तित्व प्रकट करती है।

अल्पज्ञ और अज्ञानी अपने ज्ञान का प्रदर्शन बढ़-चढ़ कर करते हैं। सड़क छाप ज्योतिषी अपने को ज्योतिषाचार्य कहेगा। पटरी पर दवा बेचने वाला अपने को डॉक्टर का बाप बताएगा, धन्वन्तरी का पट-शिप्य बताएगा। घर-घर आशीर्वाद बाँटते साधु अपने ‘स्वाद’ का प्रदर्शन करेंगे।

Proverb meaning in Hindi (Muhavare In Hindi with sentence)

“एकता में बल है”

अर्थ – एक होने की अवस्था या भाव एकता है। उद्देश्य, विचार आदि में सब लोगों का मिलकर एक होना एकता है। एक के लिए सब और एक सबके लिए एक, एकता की पहचान है।

जलती हुई लकड़ियाँ अलग-अलग होने पर धुआँ फेंकती हैं और एक साथ होने पर प्रज्बलित हो उठती हैं। पानी की एक बूँद यदि आग में पड़ जाए तो अपना अस्तित्व खो बैठती है, पर यदि हजारों बूँदें मिलकर आग पर पड़ें तो उसे बुझा देती है। तुच्छ फूस के तिनकों से बनी रस्सी से प्रबल हाथी बंध जाते हैं और शेर भीगी बिल्ली बन जाता है। बालू रेत और सीमेंट के कण की क्या सत्ता ? परन्तु एकता के प्रभाव से बनी दीवार चट्टान के तरह अटूट हो जाती है। कहना असंगत न होगा, यदि चिड़ियाँ एका कर लें तो शेर की खाल खींच सकती हैं।

हाथ की पाँच उंगलियाँ ‘एकता में बल है’ का प्रमाण हैं। कोई छोटी है, कोई बड़ी-सभी असमान। लेकिन हाथ से किसी चीज को उठाना है तो पाँचों इकट्ठा होकर उठाती हैं। इस प्रकार पाँचों उँगलियों के सहयोग से हाथ काम करता है। उसमें से एक भी छूट जाए अथवा असहयोग कर बैठे तो कार्य में बाधा पड़ती है।

“अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर अपने देय”

अर्थ – “अँधा बांटे रेवड़ी , फिर फिर अपने को दे”- यह एक कहावत है जिसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा फायदा अपने करीबी लोगों को पहुंचाना चाहता है ।

इस कहावत में सिर्फ अंधे को ही क्यों रखा गया है? उसका कारण यह है कि अंधे व्यक्ति का दायरा बहुत सीमित होता है।अंधा व्यक्ति देख नहीं सकता लेकिन फिर भी उसे अपने हर रोज के वातावरण और उसमें रहने वाले आसपास के लोगों की पहचान ज़रूर हो जाती है। अपने करीबी लोगों को वह आसानी से पहचान लेता है।

कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे अर्थ सहित एवं वाक्य प्रयोग

“औरों को हँसते देखो मनु / हँसो और सुख पाओ।”

अर्थ – निजी सुख को जीवन में सर्वोपरि मानते हुए प्रसाद जी की कामायनी की आस्था कहते हैं, ‘क्या दुनिया में निजी खुशी महत्वहीन है? इस क्षणिक जीवन के लिए आपकी खुशी ही सब कुछ है। इस पर श्राद्ध कहते हैं, ‘सुख तो प्राप्त करना ही चाहिए, लेकिन सब कुछ अपने भीतर सीमित करके कोई सुख कैसे प्राप्त कर सकता है? यह एकाकी स्वार्थ बहुत खतरनाक है। व्यक्तिगत स्वार्थ ही मनुष्य का नाश करने वाला है, इससे कभी किसी का विकास नहीं होता। जीवन को सुखी बनाने का सबसे अच्छा उपाय यही है – दूसरों को हंसते हुए देखो मनु / हंसो और खुश रहो। अपनी खुशियों का विस्तार करें / सबको खुश करें। (कामायनी: कर्म सरगधा)

हे मनु! संसार में अपने जीवन को सुखी बनाने का उपाय यह है कि आप वह करें जिससे दूसरों को खुशी मिले और आपको भी खुशी मिले और इस खुशी से आप भी सुख भी प्राप्त होगा। इस प्रकार निरन्तर सत्कर्म करते हुए दूसरों को सुखी बनाकर अपने सुख का विस्तार करो और संसार के अन्य प्राणियों को सुखी करने का प्रयत्न करो।

व्यक्ति और समाज के सम्बन्धों के सम्बन्ध में प्रसाद जी की स्पष्ट मान्यता है कि व्यक्ति यह समाज का एक हिस्सा है। समाज के कल्याण के बिना व्यक्ति के कल्याण की कल्पना नहीं की जा सकती है। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने ‘मैं’ का विस्तार कर उसे समाज के ‘हम’ में मिला दे।

“नाच न आवै आंगन टेढ़ा”

अर्थ – इसका अर्थ है ; कोई कार्य ना कर पाने पर बहाना बनाना । हम अपनी असफलताओं को स्वीकार नहीं करके उसका दोष दूसरों पर डालना चाहते हैं। जो बहादुर हो, वह अपनी गलतियों से सीखता है न कि दूसरों पर अपनी गलती डालता है। ऐसा इन्सान अपनी हार के लिए हमेशा बहाने बनाता है, लेकिन अपनी कमज़ोरी को समझ कर भी अनजान रहना चाहता है।

“करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान”

अर्थ – निरंतर अभ्यास से मूर्ख, अनाड़ी तथा अशिक्षित व्यक्ति भी समझदार, चतुर, कुशल, निपुण, प्रवीण तथा सुविज्ञ बन जाता है। बार-बार रस्सी के आने-जाने से कठोर शिला पर निशान पड़ जाते हैं। निरन्तर रगड़ने पर काठ से अग्नि उत्पन्न हो जाती है। निरन्तर तीव्र गति से बहने वाली नदियाँ चट्टानों को भी तोड़ डालती हैं। निरन्तर पृथ्वी खोदने से जल मिल जाता है। बट्टे की रगड़ से पत्थर की सिल भी चिकनी हो जाती है। पहाड़ धीरे-धीरे घिस कर चूर्ण बन जाता है। कूदते-कूदते आदमी नचनिया हो जाता है। धौंकनी से धधक-धधक कर काला कोयला भी धीरे-धीरे लाल अंगारा बन जाता है। ऐसे ही जो सुजान हैं, वे अभ्यास से विषय-विशेष में पारंगत हो जाते हैं। जो पारंगत हैं वे कलाकार बन जाते हैं। जो कलाकार हैं, वे गुरु की दीप्ति से दमक उठते हैं।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“कर्म फले तो सब फले”

अर्थ – ‘कर्म फले तो सब फले’ कहावत का भाव है – किसी काम या बात का शुभ परिणाम प्रकट होगा तो उससे सम्बन्धित सभी अंग, अंश, लाभान्वित होंगे। यदि हमारे कर्म उपयोगी और लाभदायक सिद्ध होंगे तो उससे सभी सफल मनोरथ होंगे। हमारे कर्म सार्थक होंगे, तभी हमारी इच्छा या कामना पूर्ण होगी। धार्मिक कृत्यों का अनुष्ठान यदि शुभ होगा तो उससे जीवन फलेगा, फूलेगा। पूर्वजन्म के लिए कर्मों का फलजब शुभ-फल देगा तो शरीर और आत्मा सम्पूर्ण रूप में लाभान्वित होंगे। धंधा अर्थात् व्यवसाय जब उन्नति करेगा तो उसके लाभ से सम्पूर्ण भागीदार अपना विकास करेंगे

500+ Muhavare In Hindi

“अपना रख, पराया चख”

अर्थ – एक कहावत का अर्थ यही ; अपना बचाकर दूसरे का उपयोग करना। यदि अपने पास कोई वस्तु है लेकिन अपनी प्रयोग न करके दूसरे की प्रयोग करना।

“कर्म ही पूजा है”

अर्थ – जल, अक्षत, फल, गंध, पुष्प, धूप, दीप तथा नैवैद्य से देवताओं का अर्चन करना पूजा कहलाता है। इसी प्रकार देवी-देवताओं के प्रति विनय, श्रद्धा और भाव प्रकट करने वाला कार्य भी पूजा है। सन्त महात्माओं का और गुरुजनों का या यथेष्ट आदर-सत्कार पूजा है। यों तो पूजा के विविध अर्थ हैं, किन्तु लोक में किसी अधिकारी या कर्मचारी को प्रसन्न और संतुष्ट करने के लिए दिया जाने वाला कोई उपहार भी ‘पूजा’ कहा जाता है। किसी को मारने-पीटने या दंडित करने की क्रिया को भी व्यंग्य में ‘पूजा’ कहते हैं।

अर्थ – सूक्तिकार इन सबको नकारता हुआ कहता है, पूजा तो ‘कर्म’ करना ही है। सत्य साईं बाबा इसका समर्थन करते हुए कहते हैं, ‘कर्म ही पूजा है और कर्तव्य-पालन भक्ति है।’

यह कहावत ‘कर्म ही पूजा है’ हमें अपने लक्ष्य से बिना विचलित हुए आज्ञाकारी और ईमानदारी से काम करना सिखाती है। यह हमारे जीवन के सही मूल्य को इंगित करती है। जीवन का सच्चा सार यह है कि हम क्या करते हैं और कितने आज्ञाकारी रूप से करते हैं, लेकिन यह नहीं कि हम भगवान की पूजा करने में कितना समय देते हैं।

जो हम करते हैं, हमारे कर्मों से ईश्वर अधिक प्रसन्न होते हैं, बजाय हमारी पूजा से। वास्तव में, वह खुशी-खुशी पूजा को नजरअंदाज कर सकते है यदि हमारे कर्म महान हों। यह वाक्यांश हमें सिखाता है कि भगवान बस हमें हर समय उसकी पूजा करने की तुलना में हमारे आचरण में ईमानदारी रहे ये चाहते हैं। हम जो कुछ भी करते हैं उसमें यह हमें सफलता की राह पर ले जाता है, जैसे – ईमानदारी और भक्ति के गुण।

Proverb meaning in Hindi

“काल करे सो आज कर आज करे सो अब”

अर्थ – ‘कल’ अर्थात् आज के बाद या भविष्य में आने वाला कोई अनिश्चित दिन या समय। ’आज’ अर्थात् जो दिन इस समय चल रहा है, उसी दिन। अब अर्थात प्रस्तुत क्षण में, इस समय। इस प्रकार इस सूक्ति का अर्थ हुआ- यदि ; आपको कोई काम करना है तो उसे अनिश्चित दिन या समय के लिए मत टालो, बल्कि उस कार्य को उसी दिन कर लो, जिस दिन मन में विचार उत्पन्न हुआ हो। यदि किसी कार्य को आज करना है तो उसी क्षण करो, जिस क्षण वह विचार करने की बात मन में आई हो।

“गया वक्त फिर हाथ आता नहीं !”

अर्थ – जिस प्रकार मुँह से निकली बात, कमान से छूटा तीर, देह से निकली आत्मा, बीता हुआ बचपन, गुजरी हुई जवानी, नक्षत्र लोक से टूटे तारे, शाखा से टूटी टहनी, पेड़-पौधों से झड़े हुए पत्ते, फल और फूल कभी नहीं लौटते, उसी प्रकार बीता हुआ समय कभी नहीं लौटता।

समय का किसी के साथ बन्धुत्व, मित्रता अथवा जाति-बिरादरी का सम्बन्ध नहीं, जो उसे जोर देकर लौटाया जा सके। उस पर किसी का पराक्रम भी नहीं चलता। करोड़ों स्वर्ण मुद्राओं का कमीशन और रिश्वत उसके सम्मुख तुच्छ हैं। उसका कोई ‘बॉस’ नहीं, जिसका वह दबाव माने। उसका कोई गुरु नहीं, जिसका आदेश वह शिरोधार्य करे। अथर्ववेद में सच कहा है- काल (समय) विश्व का स्वामी है।

लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ – Hindi Lokokti with Meanings

“जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी प्यारी है”

अर्थ – लंका की संमृद्धि और सौन्दर्य को देखकर लक्ष्मण ने श्री राम से कहा, ‘क्यों न हम लंका को अपनी राजधानी बना लें।’ इस पर श्री राम ने कहा- ‘अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते । जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥ अनुवाद : ” लक्ष्मण! यद्यपि यह लंका सोने की बनी है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। हे लक्ष्मण! लंका भले ही स्वर्णमयी है, फिर भी मुझे वह रुचती नहीं, क्योंकि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ होती हैं। जन्म-देने के कारण ही माँ ‘जननी’ कही जाती है तो जिस भूमि पर हम जन्म लेते हैं, जिसके अन्न-जल से हमारा पोषण होता है, वह जन्मभूमि कहलाती है।

“जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान”

अर्थ – सूक्तिकार संतोष को ही परम धन मानकर इस विचार को प्रकट करता है कि संतोष नामक धन के सम्मुख अन्य सभी धन धूल के समान अत्यन्त तुच्छ, हीन तथा उपेक्ष्य हैं। संतोष क्या है ? वह मानसिक अवस्था, जिसमें व्यक्ति प्राप्त होने वाली वस्तु को पर्याप्त समझता है और उससे अधिक की कामना नहीं करता, संतोष है। महोपनिषद् के मत में ‘अप्राप्य वस्तु के लिए चिंता न करना, प्राप्त वस्तु के लिए सम रहना संतोष है।’ जो चाहना, चिंता को छोड़कर, कामना रहित है, वही संतुष्ट है।

Muhavare In Hindi with sentence

“जहाँ चाह वहाँ राह”

अर्थ – ऐसा मनोवेग जो मनुष्य को कोई ऐसी वस्तु प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उसे संतोष या सुख मिल सकता हो, उसकी प्राप्ति में बाधक तत्त्वों के निवारणार्थ वह मार्ग निकाल ही लेता है। प्रेमपूर्वक किसी को चाहने की अवस्था में उत्पन्न बाधाओं को दूर करने के लिए पथ निकल ही आता है। किसी कार्य को करने के लिए जब मनुष्य कटिबद्ध हो जाए तो उसे सम्पन्न करने के लिए कोई न कोई उपाय वह ढूँढ ही लेता है।

“जहाँ सुमति तहँ संपति नाना”

अर्थ – श्री रामचरितमानस में विभीषण जो अपने अग्रज लंकेश रावण को समझाते हुए कहते हैं, ‘हे नाथ ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि और कुबुद्धि सबके हृदय में रहती है। जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार के धन दौलत, संपत्ति, ऐश्वर्य, वैभव तथा सुख की स्थिति रहती है और जहाँ कुबुद्धि है, वहाँ परिणाम में विपत्ति रहती है।

अर्थ – मति अर्थात् बुद्धि जानने, समझने और विचार करने की शक्ति का नाम मति है। यह मन की अंतःकरण की निश्चयात्मिका वृत्ति है। इसके दो रूप हैं- कुमति और सुमति। पाप का समर्थन करने वाली बुद्धि कुमति है । पर-पीड़ा प्रदात्री बुद्धि कुमति है। अंध स्वार्थमयी वृत्ति कुमति है। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं-‘जो बुद्धि धर्म को अधर्म मानकर सब बातों में विपरीत निर्णय करती है, उसको तामसी बुद्धि अर्थात् कुमति कहते हैं।

“अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत”

अर्थ – जब खेत में बीज बोए जाते हैं तो पक्षी अपना पेट भरने के लिए उन बीजों को खाने लगते हैं। तब उन पक्षियों को अपने खेतों में फसल को बचाने के लिए वहां से उड़ना पड़ता है। लेकिन उस समय यदि कोई व्यक्ति पक्षी नहीं उड़ाता है तो उसकी फसल अच्छी नहीं होती है। उसके बाद वह व्यक्ति उस समय चिड़िया न उड़ने पर पछताता है और सोचता है कि काश मैंने उस समय चिड़िया को अपने खेत से उड़ा दिया होता तो आज मेरे खेत में फसल अच्छी होती। लेकिन क्या अभी पछताने से फसल अच्छी होगी ? अब पछताना बेकार है। इसी प्रकार इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी कारण से समय बीतने के बाद पछताता है।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“जीओ और जीने दो”

अर्थ – हम जीवन को जिस सुख और आनन्दमय शैली में जीना चाहते हैं, उसका अधिकार दूसरों को भी दें, यही जीवन जीने की अर्थपूर्ण कला है। अपने लाभ के लिए, दूसरों को हानि न पहुँचाएं इसी में जीवन की सर्थकता है। हम अपने जीवन को आनन्द से परिपूर्ण करें, किन्तु उसके लिए दूसरों को दैहिक तापों में न घसीटें, इसी में जीवन की सार्थकता है। इस कहावत का समर्थन करते हुए दादा धर्माधिकारी कहते हैं, ‘हमारा परम मूल्य जीवन है। जीवन को सम्पन्न बनाना है। सबके जीवन को सम्पन्न बनाना है।’

“जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल”

अर्थ – कबीरदास सच्चे प्रभु भक्त थे। मानव-प्रेमी थे। ईप्या-द्वेप, वैर- भाव उन्हें छू तक नहीं गया था। इसलिए उन्होंने मानव को उपदेश देते हुए कहा- हे मानव! यदि तेरी सफलता, उन्नति, प्रगति या शुभ काम में कोई भी व्यक्ति बाधा या विघ्न खड़ा करे अथवा बहुत अधिक शत्रुता का भाव रखे या बैसा व्यवहार करे तो भी तुझे उसके प्रति नम्र रहना चाहिए, सदभाव रखना चाहिए, मधुर व्यवहार करना चाहिए।

इसी दोहे की अगली पंक्ति में इसका कारण बताते हुए कबीर जी कहते हैं- तो को फूल को फूल हैं, वाको है तिरसूल। तेरी नम्रता, सद्भाव और मधुरता तेरे जीवन में सुगंध भरेगा। तेरे पाप समूह को नष्ट करके पुण्य को बढ़ाएगा तथा पुष्कल (प्रचुर) अर्थ प्रदान करेगा। जबकि यही मानवीय व्यवहार उसके जीवन के दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों में बृद्धि करेगा। उसकी आत्मा को त्रिशूल के समान बेधकर अशांति उत्पन्न करेगा।

ईर्ष्या, द्वेप, वैर, निन्दा, अहं आदि जन्मजात प्रवृत्तियाँ हैं, जो जन्म से मृत्यु तक मनुष्य का पीछा नहीं छोड़तीं। इसका मूल कारण है, मन की हीनता और हृदय की दुर्बलता। यह हीनता और दुर्बलता ही प्रतिशोध के लिए प्रेरित करती हैं।

Muhavare In Hindi with sentence

“तुलसी असमय के सखा धीरज, धर्म, विवेक”

अर्थ – तुलसीदास जी का मत है कि धीरज, धरम और विवेक बुरे समय के मित्र हैं। अतः विपत्ति पड़ने पर मनुष्य को धैर्य, धर्म और विवेक से काम लेना चाहिए। प्रकृति-सत्य भी यही है कि मन की शान्ति, कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा और विवेक ही दुर्दिन में मित्र होते हैं। दूसरी ओर, मानव के धैर्य, धर्म और विवेक की परीक्षा भी बुरे वक्त में ही होती है।

“दया धर्म का मूल है”

अर्थ – मन में स्वतः उठने वाली वह मानवोचित्त सात्विक भावना या वृत्ति जो दुःखियों और पीड़ितों के कष्ट, दुःख आदि दूर करने में प्रवृत्त करती है, दया है। मन का दुःखपूर्ण वेग, जो किसी को दूसरे का कष्ट दूर करने की प्रेरणा देता है ‘दया’ है। समस्त प्राणियों को अपने ही समान समझकर उनके प्रति मन, वाणी और शरीर द्वारा आत्मीयता का अनुभव करना ‘दया’ है

दया धर्म का मूल है’ का अर्थ हुआ-मन, वाणी और शरीर द्वारा दूसरों के दुःख, कष्ट, पीड़ा आदि में आत्मीयता का भाव अनुभव कर, उन्हें दूर करने की प्रवृत्ति लौकिक और सामाजिक दृष्टि से मान्य होने के कारण धर्म है और पारलौकिक सुख प्राप्ति का आधार तत्त्व है।

यह सूक्ति तुलसीदास जी के दोहे से है। पूरा दोहा इस प्रकार है-
दया थर्म का मूल हैय पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोड़िए, जब लगि घट में प्राण।।

“दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया”

अर्थ – इस मायावी संसार में रुपए का महत्त्व सर्वोपरि है। रुपया अर्थात् धन। रुपया धन का मूर्त रूप है, क्योंकि वह विनिमय का साधन है। उसी से विविध वस्तुओं की प्राप्ति होती है। अपने से बड़ों का सम्मान और बराबर वालों का आदर रुपए के सम्मुख गौण है। यही कारण है कि रिश्ते-नाते भी अर्थ की सत्ता के इर्द-गिर्द घूमते हैं। गरीब रिश्तेदारी में कौन जाकर खुश होता है।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“नर हो, न निराश करो मन को”

अर्थ – राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘कुछ काम करो’ की यह शीर्ष पंक्ति है- ‘नर हो, न निराश करो मन को। गुप्त जी मनुष्यों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे मानव! तुम इस जग को स्वण अर्थात् अस्तित्वहीन न समझो। प्रभु ने तुम्हें दो हाथों का दान इसलिए दिया है कि तुम वांछित वस्तु को प्राप्त कर सको। परिश्रम से अपने योग्य गौरव को प्राप्त कर सको, सुख भोग सको। जगदीश्वर के जन होने के नाते तुम्हारे लिए दुर्लभ कुछ नहीं है। अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करो। इसके लिए उपलब्ध साधनों का प्रयोग करो। निज गौरव का ज्ञान रखते हुए, स्वाभिमान का ध्यान रखते हुए तथा मान को रखते हुए काम करो। सु-अवसर को हाथ से न जाने दो। उठो ! मन में निराशा को स्थान न देते हुए कुछ काम करो। काम करने में ही जन्म की सार्थकता और यशस्विता है।

“निन्दक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय”

अर्थ – ईर्ष्या मानव का एक प्राकृतिक गुण है। अतः वह दूसरों के उत्कर्ष को देखकर जलता है। अपने अंदर हीनता और कमजोरी महसूस करता है। वह अपनी हीनता और कमजोरी को पर-निन्दा (दुसरे की निंदा) द्वारा दूर करता है। दूसरों की निन्दा कर वह ऐसा महसूस करता है कि वे सब निकृष्ट हैं और वह उनसे अच्छा है।

“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल”

अर्थ – अपने देश की भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार की दृष्टि से आगे बढ़ने में ही देश की उन्नति और महिमा है। यह एक ध्रुव सत्य है। इसको अवहेलना से राष्ट्र-विकास का तो प्रश्न ही नहीं उठता, उलटा देश की उन्नति अवरुद्ध हो जाएगी। प्रगति के पग रुक जाएँगे।

Proverb meaning in Hindi

“निर्धनता: एक अभिशाप”

अर्थ – निर्धनता स्वयं में एक पाप है, भर्त्सना और धिक्कार योग्य है, अनिष्ट कामना के उद्देश्य से किए जाने वाले कथन का रूप है, इसलिए यह भयंकर अभिशाप है। निर्धनता निर्धन के लिए अभिशाप है, किन्तु निर्धन कौन है ? जिसकी आर्थिक स्थिति शोचनीय है, क्या वही निर्धन है ? जिसके पास खाने के लिए अन्न पहनने के लिए कपड़े तथा रहने के लिए झोंपड़ी नहीं है, क्या वही गरीब है ? नहीं। डिनियल का कहना है, ‘वह गरीब नहीं है, जिसके पास कम धन है वरन् गरीब वह है, जिसकी अभिलाषाएँ बढ़ी हुई हैं।’

संस्कृत की एक सूक्ति भी इसी का समर्थन करती हुई कहती है- स हि भवति दरिद्रो यस्य तृष्णा विशाला। मनसि च परितुष्टे कोऽर्थवान् को दरिद्रा:॥’ अर्थात : जिसकी कामनाएँ विशाल हैं, वह ही दरिद्र है। मन से संतुष्ट रहने वाले के लिए कौन धनी है और कौन निर्धन॥

ब्रूएयर का कथन है, ‘गरीब वह है, जिसका व्यय आय से अधिक है।’ नर्धनता कलह का कारण है। मित्रों को अलग करने का मूल है और है प्राणनाशक रोग। निर्धनता से लज्जा आती है। लज्जित मनुष्य तेजहीन हो जाता है। तेजहीन लोक से तिरस्कृत होता है। तिरस्कार से ग्लानि की प्राप्ति होती है। ग्लानि होने पर शोक उत्पन्न होता है। शोकातुर होने पर बुद्धि क्षण हो जाती है और बुद्धि रहित होने पर मनुष्य नाश को प्राप्त होता है।

“परहित सरिस धर्म नहीं भाई”

अर्थ – रामचरितमानस में श्री राम भरत की विनती पर साधु-असाधु का भेद बताने के बाद कहते हैं- ‘पराहित सारिस धर्म नहीं भाई और ‘पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।’ अर्थात् परहित के समान अन्य कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है और पर-पीड़ा सम अन्य कोई निम्न पाप नहीं है।

स्वार्थ-निरपेक्ष रहकर दूसरों के हितार्थ कार्य करना परहित है। पर-पीड़ाहरण परहित है। पारस्परिक विरोध की भावना घटाना और प्रेम भाव बढ़ाना परहित है। दीन, दुःखी, दुर्बल की सहायता परहित है। आवश्यकता पड़ने पर निःस्वार्थ भाव से दूसरों को सहयोग देना परहित है। मन, वचन और कर्म से समाज का मंगल साधन परहित है।

परहित से व्यक्ति में सक्रिय शारीरिक शक्ति बनी रहती है। शरीर बलवान् होकर अपराजेयता को प्राप्त होता है । सहनशील होने से वह अशांत नहीं होता। धैर्य उसे विचलित नहीं होने देता। बल उसमें कुछ कर सकने का सामर्थ्य उत्पन्न करता है। वचन-परिपालन से उसमें आत्मविश्वास जागृत होता है। परिणामस्वरूप परहित से श्री की समृद्धि होती है। सुखपूर्वक लौकिक जीवन में उन्नति करता हुआ व्यक्ति अन्त में इन्द्रियों को वश में रखते हुए प्राण त्याग कर जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त होता है।

“परिश्रम सफलता की कुंजी है”

अर्थ – मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक अथवा शारीरिक श्रम परिश्रम है। मन और बुद्धि के संयोग से ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेंन्द्रियों का यथासम्भव उपयोग परिश्रम है। सफल होने की अवस्था या भाव का नाम सफलता है। दूसरे शब्दों में कार्य कीसिद्धि सफलता है। परिश्रम उद्देश्य की सिद्धि का सरल साधन (कुंजी) है।

‘परिश्रम सफलता की कुंजी है’, कथन का तात्पर्य है कि मानसिक-शारीरिक श्रम उद्देश्य सिद्धि का सरल साधन है। प्रतिभा जागृत करने का उपाय है, उन्नति का द्वार है, प्रगति का सोपान है, यश का मेरुदण्ड है। हितोपदेश ने इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि केवल इच्छा मात्र से कार्य पूर्ण नहीं होते। यदि यह सम्भव होता तो सोते हुए सिंह के मुख में पशु स्वयमेव प्रवेश कर जाते। सफलता रूपी ताले को खोलने के लिए चाहिए परिश्रम रूपी कुंजी।

Muhavare In Hindi with sentence

“परिश्रम सफलता का मूल है”

अर्थ – कोई कठिन, बड़ा या दुसाध्य काम करने के लिए विशेष रूप से तथा मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक या शारीरिक श्रम परिश्रम है। कार्य, जिसका उद्दिष्ट फल या परिणाम प्राप्त होने का भाव सफलता है दूसरे शब्दों में प्राप्त होने वाली सिद्धि सफलता है। मूल का अर्थ है- जड़, नींव, कारण या उत्पादक तत्त्व। सूक्तिकार का कहना है कि यदि तुम किसी भी कार्य में सफलता चाहते हो तो मानसिकया शारीरिक श्रम के बिना उसकी सिद्धि असम्भव है।

“प्रेम का पंथ निराला “

अर्थ – प्रेम जीवन का एक अद्भुत तत्त्व है और उसका मार्ग भी विचित्र है। प्रेम का आचार व्यवहार और उसकी शैली भी अनोखी है। प्रेम और बेवफाई का चोली-दामन का साथ है। इस बेवफाई में शरीर की विच्छिन्नता है, दर्शन का अभाव है, न मिलने की मजबूरी है, शेक्सपीयर के शब्दों में- ‘प्रेम भाग्य कें वश में है।’ क्योंकि यह शरीर का नहीं, आत्मा का मिलन है। कहते हैं लहसुन की गंध और प्रेम की गंध छुपाए नहीं छुपती।

“बिन पानी सब सून”

अर्थ – यहाँ ‘पानी’ शब्द विश्ष्टि है। रहीम जी ने इस दोहे में ‘पानी’ के एक साथ, तीन अर्थ लिए हैं- मोती के प्रसंग में किसी पदार्थ का वह गुण जिसके फलस्वरूप उसमें किसी तरह की आभा, चमक या पारदर्शकता आती है। मनुष्य के प्रसंग में मान, प्रतिष्ठा, इज्जत तथा मनुष्य में होने वाला अभिमान, वीरता या ऐसा ही कोई तत्त्त या भावना। चून के प्रसंग में गुणयुक्त वह तरल पदार्थ जिसके योग से दूसरी चीज में गुण या तत्त्व सम्मिलित किया जाता है अथवा किसी प्रकार का प्रभाव उत्पन्न किया जाता है।

मोती में पानी (कान्ति या चमक) न हो तो, उसका कोई मूल्य नहीं। इसी प्रकार मानप्रतिष्ठा के अभाव में मनुष्य का कोई मूल्य नहीं तथा जल और चून (चूर्ण, आटा) दोनों के गुण-तत्त्वों के मिश्रण से ही चून भोजन योग्य बनता है। ‘चून’ का अर्थ यदि ‘चूना’ लिया जाए तो वह भी पानी के बिना खिलता नहीं। पानी में डालने से ही उसकी धवलता बढ़ती है।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“बिन साहस के जीवन फीका”

अर्थ – साहस क्या है ? मन की दृढ़ता और शक्ति का वह गुण या तत्त्व जिसके फलस्वरूप मनुष्य बिना किसी भय या संकोच के कोई बहुत कठिन, जोखिम भरा काम करने में प्रवृत्त होता हो। ‘बिन साहस के जीवन फीका’ अर्थात् हिम्मत के अभाव में मानव-जीवन सौन्दर्यहीन, पराक्रम रहित तथा व्यक्तित्व की प्रभा से वंचित रहता है। राजस्थानी कवि कृपाराम का कहना है, ‘हिंम्मत से रहित पुरुष का रद्दी कागज के समान कोई आदर नहीं करता।’ राष्ट्र कवि श्री रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने इसी सूक्ति की सोच पर लिखा है, ‘जिन्दगी के असली मजे उनके लिए नहीं हैं जो फूलों की छाँह के नीचे खेलते और सोते हैं। जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है, उनके लिए आराम ही मौत है।

“बिनु सत्संग विवेक न होई”

अर्थ – रामचरितमानस के बालकाण्ड के आरम्भ में तुलसी सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं, ‘बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोर्ड़। ‘इसका भाव यह है कि सद्विचार की योग्यता, सत्य ज्ञान, विवेचन और विचारणा, विचार-विमर्श और गवेषणा, भले-बुरे की पहचान, वस्तुओं में उनके गुणानुसार भेद करने की शक्ति, दृश्यमान तथा अदृश्य आत्मा में भेद करने की शक्ति, माया या केवल बाह्य रूप से वास्तविकता को पृथक् करने की शक्ति, सत्संग के बिना प्राप्त नहीं होती।

सत्संग क्या है ? साधु-महात्मा या धर्मनिष्ठ व्यक्ति के साथ उठना-बैठना और धर्म- सम्बन्धी बातों की चर्चा करना सत्संग है। उस समाज या जन-समूह की संगति करना जिसमें कथा-वार्ता या प्रभु नाम का पाठ होता है, सत्संग है। सज्जनों के साथ उठना-बैठना भी सत्संग है। तुलसी ने सत्संग का अर्थ संत-मिलन और उनके दर्शन, कथा, वार्त्ता आदि के श्रवण में लिया है।

“मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना”

अर्थ – उर्दू कवि ‘इकबाल’ की यह क्राव्य-पंक्ति उनकी देशप्रेम सम्बन्धी उस कविता से उद्धत है, जिसमें वे भारत की महिमा का गान करते हुए कंहते हैं-

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिस्तां हमारा।।
इसी कविता में उन्होंने कहा है-
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।।

इसका अर्थ यह है कि डॉ. इकबाल प्रत्येक भारतवासी को अपने-अपने धर्म(पंथ) पर गर्व करने की बात भी कहते हैं। अपने मजहब(पंथ) पर गर्व रखते हुए भी मजहब के नाम पर बैर न रखना उनके महान विचारों के द्योतक हैं।

Best Hindi Muhavare with Meanings and Sentences

“मत व्यथा अपनी सुना तू, हर पराई पीर रे”

अर्थ – श्री देवराज दिनेश अपनी हाथ की रेखा मिटा दे कविता को इस पंक्ति में मानव को यह संदेश देना चाहते हैं कि उसे अपनी उग्र मानसिक या शारीरिक पीड़ा को जन- जन को सुनाकर सहानुभूति प्राप्त करने की बजाए दूसरों के कप्ट, दुःख, वेदना से कातर होकर, उनकी पीड़ा के हरण की चेष्टा करनी चाहिए।

“मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे”

अर्थ – ‘मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे’, कहकर मैथिलीशरण गुप्त ने मनुष्य की व्याख्या प्रस्तुत करने की चेष्टा को है। उनकी दृष्टि में मनुष्य वह है जो दूसरों की बात या काम को आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण मानते हुए उसके लिए सब प्रकार के कष्ट भोगने या त्याग करने के लिए प्रस्तुत हो।

“मन के हारे हार है, मन के जीते जीत”

अर्थ – मन की अस्थिरता मन की हार है और मन की एकाग्रता मन की जीत है। मन की अस्थिरता अर्थात् मन की चंचलता, ध्यान परिवर्तन। मन की एकाग्रता अर्थात् मन की सभी वृत्तियों कौ एक ही विषय में स्थिरता या दत्तचित्तता। पाठ याद करने बैठे हो, मन चंचल हो उठा, पहुँच गया मोबाइल, टीवी में। मन का हरण पाठ याद होने ही नहीं देगा। पाठ याद न होने का कारण मन की हार है। इसके विपरीत यदि मन की समग्र शक्ति को पाठ याद करने में लगा दिया तो पाठ निश्चित ही याद होगा। अर्जुन भी मछली की आँख का निशाना तभी लगा सका था, जब मन एकाग्र हो गया था। पाठ याद होना या मछली की आँख का भेदन मन की जीत है।

अर्थ – मन में विकल्प होना, मन का किसी निश्चय पर न पहुँचना, निराश हो जाना, हार है और संकल्प पर दृढ़ रहना मन की जीत। मन में ‘यह या वह’ की स्थिति बन जाने से संदेह उत्पन्न हो जाता है। शेक्सपीयर के अनुसार, ‘संदेह हृदय में भय उत्पन्न करता है, जिससे हमें जिस पर विजय प्राप्त करने का पूरा भरासा होता है, उसी के आगे नत-मस्तक होना पड़ता है।’

Muhavare In Hindi with sentence

“मृत्यु: एक अज्ञात रहस्य”

अर्थ – संसार में जिसने जन्म लिया है, उसे मृत्यु अवश्य ही प्राप्त होगी, भले ही वह पृथ्वी पर अवतरित होने वाले स्वयं भगवान क्यों न हो। भू लोक को नश्वर लोक कहा जाता है क्योंकि प्रत्येक पंच भौतिक में से एक है – सन्निहित आत्मा मृत्यु-धर्म है।

“लड़का लड़की एक समान”

अर्थ – लड़के-लड़कियों को समान समझना, यही मनुष्य का धर्म है। सामाजिक और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आवश्यक है कर्म है। धर्म और समानता के कार्य के अभाव में सामाजिक और पारिवारिक जीवन विभाजित हो जाता है। क्या होगा। सच्चे धर्म का पतन होगा।

लड़के और लडकी को व्यावहारिक शिक्षा देने में अंतर करना, माता-पिता की मानसिक विषमता है। लड़के को लड़की की अपेक्षा खान-पान-परिधान में अधिक और श्रेष्ठ सामग्री देना, लड़के-लड़की की लड़ाई में लड़की को डाँटना, झिड़कना,घर के काम-काज में लड़की को ही अधिक रगड़ना, समय-असमय लड़की में हीनता की भावना को दर्शाना विषमता के परिचायक हैं। लड़की के जोर से बोलने, ठहाके मार कर हँसने, समवयस्क बालक-बालिकाओं से अधिक मेल मिलाप को लोक-व्यवहार् -विरुद्ध करार दिया जाता है। जबकि लड़के इस प्रकार के व्यवहार के लिए स्वच्छंद रहते हैं। इस विषमतापूर्ण व्यवहार का परिणाम यह होता है कि लड़कियों में शुरू से ही आत्महीनता का भाव पैदा हो जाता है। आत्महीनता का भाव अंधकारमय-जीवन का मार्ग खोलता है। कारण, हीनता सभी पापों की जड़ है।

“विपत्ति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत”

अर्थ – मित्र की पहचान बताते हुए रहीम जी कहते हैं-जो विपत्ति अर्थात् कष्ट, चिंता, हानि, संकट में काम आए, सहयोग-सहायता से उपकृत करे, वही सच्चा मित्र है। व्यक्ति के पास ऐश्वर्य और वैभव होने पर तो लोग तरह-तरह से रिश्तेदारी या पारिवारिक सम्बन्ध जोड़कर उससे अपनत्व प्रकट करते हैं, परन्तु सच्चा मित्र तो वह है, जो विपत्ति में काम आए।

“सठ सुधरहिं सत संगति पाई”

अर्थ – रामचरितमानस के बालकांड में तुलसी सत्संगति के प्रभाव का चित्रण करते हुए कहते हैं, “सठ सुधरहिं सत्संगति पाई। परस कुधातु सुहाई।” अर्थात् दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं, जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुन्दर स्वर्ण बन जाता है। दुष्टों को पहले सुधारने का प्रयास करना चाहिए. यदि प्रयास निष्फल रहें तभी खल संग होहिं न प्रीति की नीति पर चलें।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“सबै दिन होत न एक समान”

अर्थ – गुण, मूल्य, महत्त्व, आकार, प्रकार, रूप, मात्रा, विस्तार तथा संक्षेंपण की दृष्टि से जीवन में सब दिन एक-ही जैसे नहीं रहते। मानव हो या पशु, प्रकृति हो या सृष्टि, चल हो या अचल, सब पर यह उक्ति चरितार्थ होती है। कारण, परिवर्तन ही जीवन है और समय परिवर्तनशील है।

जीवन में समय की गति तीव्र्र है। इस तीव्र गति से दौड़ते समय के चक्र की जो भी चपेट में आया, वह बदल गया। आशा निराशा में, सफलता असफलता में, जय पराजय में, उत्थान पतन में, सुख दुःख में, मिलन वियोग में, राग द्वेष में, प्रेम घृणा में, त्याग भोग में, तृष्णा वितृष्णा में बदल गई। परिणामतः जीवन की स्थिति बदल गई, गुण और मूल्य बदल गए। यशस्वी पुरुष के लिए उसका यश विद्रूप बन गया। अर्थवान् के लिए अर्थ अनर्थ हो गया। अहिंसावादी मनुष्य के लिए अहिंसा हास्यास्पद बन गई। राजा रंक बन गया और दीन मंत्री बन बैठा, प्रांत या राष्ट्र का भाग्यविधाता बन बैठा।

हम अपने जीवन में झाँक कर देखें तो अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, आनन्द और शोक, अवनति-उन्नति, शान्ति-कलह इस बात को प्रमाणित करेंगे कि जीवन में सब दिन एक समान नहीं होते। दैनिक जीवन में भी इसका अनुभव कर सकते हैं- घर में खीर बनी है, सब चाट-चाट कर खा रहे हैं, कल सब्जी में नमक ज्यादा था, इसलिए सब बड़बड़ा रहे थे। कल दफ्तर की बस बीच रास्ते में ऐसी खराब हुई कि तबीयत नासाद हो गई और आज जब घर लौटे तो घर में महाभारत मचा था।

Muhavare In Hindi with sentence

“समय सबसे बड़ा धन है “

अर्थ – समय मानव की बहुमूल्य निधि है। समय हृदय पर लगी चोट को सहलाता है, मानव के आँसू पोंछता है, दिल पर लगे घावों को भरता है। ईर्ष्या, राग, द्वेप, घृणा, विद्रोह रूपी मनोविकार समय के साथ शान्त हो जाते हैं। समय की यह महानता चुनौती-रहित कार्य है, जो समय ही सबसे बड़ा धन है, इस अटल सत्य को स्वीकार कराता है।

मानवीय तृष्णाएँ समाप्त नहीं होतीं, मानव समाप्त हो जाता है। मानव के पास इतना समय है कि वह बीतता नहीं, मानव ही बीत जाता है। कैसी विडम्बना है ? समय को नष्ट करने वालों को समय ही नष्ट कर देता है।

इस लोक का हर प्राणी किसी न किसी कारण चिन्तित है, किन्तु समय को किसी की चिन्ता नहीं। उसे किसी की प्रतीक्षा नहीं। वह तो तीव्र गति से अबाध बह रहा है। समय की गति को पहचान कर कार्य करने वाला भाग्यशाली है, धनी है, सिद्ध पुरुष है। समय जब द्वार पर दस्तक देता है, उसकी आवाज को सुनने के लिए सतर्क रहने वाले लाभ उठा गए, जो दैव-दैव पुकारते रहे, वे जीवन में पिछड़ गए। समय रूपी अश्व की दुलत्तियों ने उन्हें धूल चटा दी।

“समरथ को नहीं दोष गुसाईं”

अर्थ – शरीर से बलवान पहलवान होगा या समाज-द्रोही (गुंडा), समाज में इन दोनों के कुकृत्यों की चर्चा करते डरते हैं । इनके दोष में भी गुण ढूँढ़ा जाता है। इनके समाज-विरोधी कार्य में भो वीरता के दर्शन करते हैं। आज तो पुलिस भी इन पर एकाएक हाथ डालने से डरती है।

जो धनवान् है, लक्ष्मी जिसके चरण दबाती है, जमींदार, सेठ-साहूकार है, फैक्ट्री, मिल या उत्पादक इकाइयों का मालिक है, उसके सौ कत्ल भी माफ हैं। उसके विरुद्ध बोलते जबान लड़खड़ाती है। उनके दोष भी गुण हैं। जैसे मांस को आकाश में पक्षी, भूमि पर हिंसक जीव और जल में मगरमच्छ खा जाते हैं, ऐरे ही ये मानव-मांस के भक्षक हैं, पर समाज में सबसे प्रतिष्ठित यही हैं।

“धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परिखिअहिं चारी।”

अर्थ – रामचरित मानस के रचयिता महाकवि तुलसीदास के अनुसार धैर्य, धर्म, मित्र और स्त्री (पत्नी) इन चारों की परीक्षा विपत्ति में होती है। अधीर व्यक्ति हमेशा विचलित रहता है और जो व्यक्ति धर्म से विमुख हो जाता है उसे विश्वास के योग्य भी नहीं कहा जाता है। इतिहास गवाह है कि जब कोई दूसरा राजा किसी राजा पर आक्रमण करने को तैयार होता है, राजा ने धैर्य से काम लेते हुए आक्रमणकारी राजा को जीत लिया और कहा, कोई भी विपत्ति आने पर धैर्य का त्याग नहीं करना चाहिए। धैर्य धन सहायता है इससे मनुष्य को विचलित नहीं होना चाहिए, क्योंकि धैर्य ही मनुष्य को जीवन की सभी बाधाओं को पार कर सफलता के सोपानों पर ले जाने में सहायक होता है।

“पर उपदेश कुशल बहुतेरे”

अर्थ – हमारा देश भारत ऋषियों, तपस्थियों, मनीषियों, गुरुओं और आचार्यों आदि का देश कहा जाता है, यही कारण हैं कि हमारे देश में उपदेश बहुत ही महत्त्वपूर्ण माने और कहे गये हैं। वृत्तान्त मिलता है कि नारद मुनि भी प्रत्येक देवी-देवता, मानव-दानब, किन्नर, यक्ष आदि को केकल उपदेश ही दिया करते थे। फिर उपदेश जो निःशुल्क, मुफ्त में मिल जाये तो उपदेश देने और लेने वाले की हानि तो कहीं भी नहीं होती, मगर व्यक्ति चर्चा में अवश्य रहता हैं।

Proverb meaning in Hindi

‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।।’’

अर्थात् दूसरों को कर्त्तव्य पालन की सीख देने वाले बहुत मिल जाते हैं, लेकिन स्वयं अपने ही दिये उपदेश का आचरण करने वाले बहुत ही कम व्यक्ति देखने को मिलेंगे। वैसे भी दूसरों को उपदेश देना बहुत ही सरल कार्य है, लेकिन इन उपदेशों को व्यवहार में लाना बहुत ही कठिन होता है। समाज में अधिकांश लोग उपदेश देना जानते हैं, किन्तु उन पर स्वयं कभी भी अमल नहीं करते।

“फूल नहीं बो सकते हो यदि, काँटों को भी मत बोना।”

अर्थ – बात जब फूल की होती है तो बिना वजह कांटा भी चर्चा में आ जाता है। यह सच है कि कुदरत ने फूल और कांटे एक साथ उगाए हैं, ऐसा हमेशा होता है फूल की महक और कांटा चुभ ही सकता है।

यहाँ मुस्कान का अर्थ फूल से है, आधा दर्द काँटे में अटका हुआ लगता है। लेकिन समाज में इस प्रकार की प्रवृत्ति के कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें दूसरों की मदद करने में आनंद आता है।

जहां तक कांटों को बोने का अर्थ समझा जाता है, अपने मन में दूसरों के प्रति द्वेष की भावना, प्रतिशोध की भावना। कहा भी गया है कि शत्रुता बढ़ती है, कटुता से कटुता बढ़ती है, और मनुष्य बदला लेने में पागल हो जाता है। इस प्रकार मन में शत्रुता रखने वाले रात को सोते हैं, दिन का चैन जाता है और कभी-कभी कटुता की प्रचंड ज्वाला पूरे परिवार को भस्म कर देती है। कांटे को शत्रुता का प्रतीक भी माना गया है।

“कठिन परिश्रम का नाम सौभाग्य है !”

अर्थ – इतिहास में अनेक उदाहरण हैं कि कठिन परिश्रम ही सौभाग्य को बनाता है और कठिन परिश्रम करने वाले व्यक्ति ही देश में सदैव अग्रणी भी रहे हैं। चाहे वह देश का श्रमिक हो, चाहे विद्यार्थी, चाहे देश का वैज्ञानिक हो या कवि-लेखक, अभिनेता हो या नेता, वैद्य-हकीम डॉक्टर हो या कोई संत-महात्मा, जितने में कठिन परिश्रम किया है सफलता का सौभाग्य उसी को मिला है।

कठिन परिश्रम करने के लिए मनुष्य में सहनशीलता, साहस, निर्भीकता आदि के गुण विद्यमान होते हैं क्योंकि कठिन परिस्थितियों में कठिन परिश्रम ही सौभाग्यदायक सिद्ध होता है, कठिन परिश्रम करने की प्रवृत्ति भी प्रत्येक व्यक्ति में नहीं होती, लेकिन अपनी धुन के पक्के व्यक्ति कठिन परिश्रम करके ही सौभाग्यशाली कहलाते हैं। अपना मन लगाकर किया जाने वाला कोई भी कार्य परिश्रम ही कहलाता है और कुछ श्रमिकों का मूलमन्त्र श्रम ही पूजा है होता है और वह लोग अपने कठिन परिश्रम से प्रत्येक कार्य को सम्भव बना पाने में सक्षम भी होते हैं।

Muhavare In Hindi with sentence

“धन अर्जन की अंधी दौड़ और उपेक्षित स्वास्थ्य”

अर्थ – धन अर्जन अर्थात पैसा कमाना या यह कहा जाये कि पैसा इकट्ठा करना इसके लिए हमारे समाज में एक अँधी दौड़ प्रारम्भ हो गयी है, क्योंकि अब हमारी महत्त्वाकांक्षा इतनी बढ़ गयी हैं कि पैसे के आगे सब रिश्ते बौने से लगने लगे हैं। धन कमाने और एकत्र करने का एक फैशन-सा बन पड़ा है और मनुष्य अपने शरीर की चिन्ता न करके केवल पैसा एकत्र करने के अपने लक्ष्य को साधने में जुटा है।

धन एकत्र करने वाला धन का लोभी व्यक्ति शायद यह भूल गया है कि धन ही सब कुछ नहीं है। पैसा कमाने की इस अँधी दौड़ में व्यक्ति न तो अपना शरीर ही देख पा रहा है और न उसे अपने स्वास्थ्य की ही चिन्ता है, चिन्ता है तो केवल धन को एकत्र करने की, पैसा पैदा करने की। पैसा पाने के लालच में आदमी हर प्रकार का नीच-से-नीच काम करने को भी तत्पर रहता है, मगर वह भूल रहा है कि सिकन्दर का क्या हाल हुआ था

“नर-नारी सब एक समान”

अर्थ – आज के वैज्ञानिक युग में नारी हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चल पाने में सक्षम हो गयी है। आज यदि हम देखें तो नारी भी पुरुष के साथ शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, शिल्पकला, पुलिस, न्यायपालिका, राजनीति, प्रशासन के साथ-साथ यहाँ तक हवाई उड़ान, रेल और बस व्यवस्था में भी नारी का भरपूर सहयोग मिल रहा है। अगर देखा जाये तो प्राचीनकाल में भी नारी किसी पुरुष से कम बलशाली नहीं रही। इतिहास साक्षी है कि गार्गी, मैत्रेयी, लक्ष्मीबाई, पद्मनी आदि अनेक नारियों के वीरता के पृष्ठ देखने को मिल जायेंगे।

नर और नारी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस प्रकार नदी के दो किनारे होते हैं, उसी प्रकार नर और नारी भी समाज में, परिवार में दो किनारों की भाँति ही माने जाते हैं। जिस प्रकार किसी रथ के, मोटर साइकिल या साइकिल के दो पहिये यदि गतिशील हैं तो व्यवस्था सुचारु होती है उसी प्रकार स्त्री और पुरुष भी दो चक्रों या पहियों के समान ही निरन्तर गतिशील बने रहें।

आम बोलचाल में अक्सर बोले जाने वाली प्रमुख लोकोक्तिया और कहावतें हिंदी अर्थ सहित : Daily Life Proverbs Meaning In Hindi

” श्रीगणेश करना”

कार्य आरम्भ करना।

“अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा”

मूर्ख और गुणवान से समान व्यवहार करना।

“जैसा राजा, वैसी प्रजा”

जैसा मालिक वैसे ही उसके कर्मचारी।

“अंत भला तो सब भला”

जब अंत ठीक हो जाये तो समझो सब ठीक हो गया।

“थोथा चना, बाजे घना”

जब व्यक्ति असमर्थ है लेकिन बातें बड़ी बड़ी करे तो समझो “थोथा चना, बाजे घना”

“जान है तो जहान है”

यदि सब चला भी जाए लेकिन जान बची रहे तो समझो सब बचा है इसलिए जान ही सब कुछ है।

“नया नौ दिन, पुराना सौ दिन”

नई चीजों की अपेक्षा पुरानी चीजों का अधिक महत्व होता है।

“तुरंत दान महा कल्याण”

आज कल को छोड़ लेनदेन तुरंत चुकाना ही सही है।

“जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाओ”

व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार ही कोई काम करना चाहिए।

“चित भी मेरी, पट भी मेरी”

किसी भी तरह सिर्फ अपनी ही बात रह जाये यानि सब तरह से लाभ ही होना।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“छाती पर साँप लोटना “

जलना / जलन होना।

“खोदा पहाड़ निकली चुहिया”

बहुत कठिन परिश्रम के बावजूद थोड़ा लाभ होना।

“दिनभर चले अढ़ाई कोस”

पूरा समय लगाया लेकिन काम थोड़ा ही किया।

“दूध का जला छाछ भी फूँक – फूँक कर पीता है”

जो व्यक्ति एक बार धोखा खा जाता है उसके बाद बहुत सोच – विचार कर काम करता है।

“दूध का दूध पानी का पानी करना”

एक दम सटीक और निष्पक्ष न्याय करना।

“खाली दिमाग शैतान का घर”

जब व्यक्ति का दिमाग खाली होता है (जब कोई काम नहीं होता) तक उसके दिमाग में फालतू की बातें और ख़ुराफ़ात आती हैं जिससे उसे लडाई ‌‌‌झगडा या शरारत सुझती है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

विद्यार्थियों लिए कहावत या मुहावरे व उनके अर्थ – Muhavare In Hindi

“नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली”

बुरे कर्म करने के बाद दिखावे को धर्मात्मा बनना।

“छाती पर मूंग दलना “

कष्ट पहुँचाना / सम्मुख अनुचित कार्य करना।

“अभी दिल्ली दूर है”

जब सफलता मिलने में या कोई काम होने में बहुत वक्त लगने वाला होता है।

“नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च”

किसी वस्तु का मूल्य तो कम है पर उसके रखने का खर्च अधिक होता है तब यह कहावत बोली जाती है।

“हँसी में खंसी”

हँसी – दिल्लगी की बात करते – करते अचानक लड़ाई – झगड़े की नौबत आना।

“लुटिया डुबोना”

प्रतिष्ठा नष्ट करना, काम बिगाड़ देना।

“अपनी खिचड़ी अलग पकाना “

सबसे पृथक् (अलग) काम करना।

Hindi Muhavare (Idioms) – मुहावरे

“पौ बारह होना”

बहुत लाभ प्राप्त होने लगना।

“उँची दुकान फीका पकवान”

दिखावे ज्यादा होना पर गुणवान वस्तु न होना या केवल दिखावटी वस्तु का होना ।

“दूर के ढोल सुहावने होते हैं”

देखने में तो बहुत ही बढ़िया होता है लेकिन वास्तिवकता में बहुत ख़राब यानि वास्तविकता से दूर।

“नंगा नहायेगा क्या, निचोड़ेगा क्या”

निर्धन से आर्थिक मदद की आशा नहीं रखनी चाहिए।

“अपनी परछाई से भी डरना”

बहुत अधिक भयभीत होना।

“पढ़े फ़ारसी बेंचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल”

योग्यता के अनुसार काम न मिलना।

“नाम बडे और दर्शन छोटे”

किसी चीज का उस तरह न होना जैसा उसके बारे मे बताया गया हो। इस कहावत का प्रयोग उन स्थितियों मे किया जाता हेै जब किसी चीज को बहुत बडे तरह से बताया जाता है और वास्तविकता मे वह उस तरह की नही होती।

“दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है”

जिससे लाभ मिलता हो, उसका अप्रिय (बुरा) व्यवहार भी सहना पड़ता है।

“अंगारे बरसना”

अत्यधिक गर्मी पड़ना।

“पर्दाफाश कर देना “

किसी का भेद खोल देना।

“सिर खुजलाना”

सोच में पड़ जाना / अनिर्णय की स्थिति में होना।

“धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का”

जिस व्यक्ति की कहीं भी पूछ न हो यानि जिसका कहीं सम्मान न हो, वो धोबी के कुत्ते के सामान होता है।

300+ Muhavare In Hindi

“जंगल में मोर नाचा, किसने देखा”

गुणों का प्रदर्शन अनुपयुक्त स्थान पर करना । यानि ऐसे व्यक्ति अपना गुण किसी को न दिखा कर ‌‌‌अकेले मे उसे दिखाता है तब उन गुणो का कोई महत्व नही होता है । ‌‌‌

“न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी”

ऐसी शर्त या बात रखना जो कभी पूरी न हो सके।

“पाँव फूलना”

भयभीत होना। / घबरा जाना।

“अंगारे सिर पर धरना”

विपत्ति मोल लेना।

“बिल्ली के भाग से छींका टूटा”

संयोग से काम हो जाना।

प्रसिद्ध हिंदी मुहावरे – List of Idioms in Hindi Meaning (Muhavare In Hindi)

“न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी”

जब जड़ ही नहीं रहेगी तो पेड़ कहा से उगेगा इसलिए जब को ही खत्म करना।

“निर्बल के बल राम”

जो निर्बल या गरीब होता है उसको सिर्फ भगवान का भरोसा होता है।

“अंग-अंग फूले न समाना”

अत्यधिक प्रसन्न होना।

“पारा चढ़ना”

गुस्सा आ जाना।

“नीम हकीम खतरे जान”

कम जानकार से खतरा होना।

“जान बची तो लाखों पाए”

जब वह व्यक्ति किसी तरह से मुसीबत से बच निकलता है । तब इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए कहा जाता है की जान बची तो लाखो पाए ।

“अंगद का पैर होना”

अति कठिन/असम्भव कार्य होना।

“नेकी और पूंछ पूंछ”

जब कोई उपकार करना हो या कोई अच्छा काम करना हो तो पूछने की जरुरत नहीं पड़ती।

Muhavare Arth Sahit

“आँख का तारा होना “

बहुत प्यारा होना।

“सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का “

जब किसी का कोई मित्र या संबंधी उच्च पद पर हो तो उससे लाभ मिलने की संभावना होती है।

“नेकी कर दरिया में डाल”

भलाई का काम करो और भूल जाओ।

“अम्बर के तारे गिनना”

नींद न आना।

“पत्थर का कलेजा”

कठोर दिल वाला।

“सिर पर सवार होना”

कड़ाई से निगरानी करना।

“अकल बड़ी या भैंस”

शारीरिक ‌‌‌शक्ती की तुलना मे अक्ल श्रेठ होती है ।

“बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय”

जैसा कर्म करोगे, वैसा फल मिलेगा।

“भैंस के आगे बीन बाजे, भैंस खड़ी पगुराय”

मूर्ख व्यक्ति से कितनी भी ज्ञान की बात कर लो लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यानि मुर्ख व्यक्ति को आपकी ज्ञान की बात समझ नहीं आने वाली।

“अंटी में न धेला, देखन चली मेला”

पैसे ना होने पर भी ज्यादा पैसे खर्च करने वाले काम को करना।

300+ हिंदी मुहावरे

“पलकों पर रखना “

बहुत प्यार देना।

“अपना-सा मुँह लेकर रह जाना”

लज्जित होना।

“बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद”

जब कोई चीज़ बहुत महत्व रखती हो और कोई उसके महत्त्व को न जानता हो तब ये कहावत कही जाती है।

“खून का प्यासा”

जानी दुश्मन होना।

“सौ बात की एक बात”

सार तत्त्व। / किसी बात का निचोड़

“हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या”

जो सामने दिखाई दे रहा है उसके लिए किसी और सबूत की आवश्यकता नहीं है।

“दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम”

सबका भाग्य निश्चित है। किसको क्या मिलेगा यह पूर्व निर्धारित है। इसलिए जो जिसके भाग्य में है उसे मिलेगा ही।

“आँखों में सरसों का फूलना”

मस्ती होना।

हिंदी मुहावरे और अर्थ (Muhavare In Hindi )

“मुंह चिकना, पेट खाली”

जब व्यक्ति केवल ऊपरी दिखावा करे पर वास्तव में उसके पास कुछ न हो यानि वो कड़का हो, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

“घर का भेदी लंका ढाए”

ब श्री राम रावण से युद्ध कर रहे थे तो रावण पर राम ने अनेक प्रहार किए फिर भी रावण की मृत्यु नही हुई थी । क्योकी रावण की मृत्यु कैसे होगी यह एक भेद या ‌‌‌राज था । जिसके बारे मे ‌‌‌विभीषण जो रावण का भाई था उसे पता था की रावण की मृत्यु कैसे होगी । इसी तरह इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है जब दो लोगो मे आपसी फूट होती है तो उनके कारण किसी तिसरे का फायदा हो जाता है । इसी तरह से जब कोई ‌‌‌विभीषण की तरह आपसी फूट से भेद खोलता है तब इसे घर का भेदी लंका ढाए कहते है ।

“दिल बाग-बाग होना”

अत्यधिक हर्ष होना।

“आया है सो जाएगा, राजा, रंक, फकीर”

कोई भी हो, अमीर, गरीब, कितना भी सेहत वाला लेकिन एक दिन सबको मरना है। यह पराम् सत्य है।

“बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम”

उम्र निकल जाने के बाद (बुढ़ापे) साज श्रृंगार करना।

“दो लड़े, तीसरा ले उड़े”

जब दो जन की लड़ाई हो और तीसरे का फायदा हो जाये।

“दोनों हाथ में लड्डू”

दोनों ओर से लाभ ही लाभ मिलना।

“खाल उधेड़ना”

भयंकर सजा देना।

“पांचों उंगलियां घी में”

हर तरफ से फायदा ही फायदा होना।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“भूखे भजन न होय गोपाला”

जब पेट खाली होता है यानि भूख में कुछ भी नहीं सूझता। यानि जब आपका पेट खाली होता है तब आप किसी भी काम को अच्छी तरह नहीं कर सकते।

“घब्बा लगाना”

कलंकित करना।

“मरता क्या न करता”

जब व्यक्ति मज़बूर हो जाता है तब उसे न चाहते हुए भी सब कुछ करना पड़ता है।

“प्राणों की बाजी लगाना”

किसी काम को करते हुए जान की परवाह न करना।

“गधे को बाप बनाना”

काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना।

“हथियार डाल देना”

हिम्मत हार जाना, समर्पण कर देना।

मुहावरा इन हिंदी (Muhavare In Hindi)

“पीठ ठोकना”

शाबाशी देना।

“एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी”

एक तो खुद गलती करना और ऊपर से अकड़ भी दिखाना।

“मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन”

कोई चीज अगर मुफ्त में मिल जाए तो उसका जी भर कर उपयोग करना। यानि कोई चीज अगर मुफ्त में मिल जाए तो उसका जी भर कर उपयोग करना। आदमी के हाथ अगर मुफ़्त की कोई चीज़ लग जाये, तो वह उसका प्रयोग अंधाधुंध तरीके से करता है।

“गरीबी में आटा गीला”

भूख मिटाने को आटे की ज़रूरत थी गरीब को, आटा मिला भी, पर स्थिति ऐसी बनी, कि उसे भूखा ही रहना पड़ेगा। इस मुहावरे का आशय यह हुआ की एक तो पहले से ही मज़बूरी या संकट था ऊपर से और संकट या मज़बूरी आन पड़ी।

“हथेली पर सरसों जमाना”

तुरंत काम होने की इच्छा रखना।

“इज्जत मिट्टी में मिलाना”

मान-मर्यादा नष्ट करना।

“नाम डुबोना”

प्रतिष्ठा, मर्यादा आदि खोना।

“रास्ता देखना “

किसी की प्रतीक्षा करना।

“मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल”

यानि मुफ्त का माल सबको पसंद होता है।

“इस हाथ दे, उस हाथ ले”

व्यापार में आज कल पर काम नहीं चलता है यहां तो इस हाथ ले उस हाथ दे वाली कहावत काम करती है तभी व्यापार फलता फूलता है।

“मार के आगे भूत नाचे”

मार या दंड से सभी डरते हैं।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“कलेजा धक-धक करना”

भयभीत होना।

“पाप का घड़ा भरना “

बुराई / पाप अपने चरम पर होना।

“हाँ में हाँ मिलाना”

चापलूसी करना।

“ईंट से ईंट बजाना”

हिंसा का करारा जवाब देना, खुलकर लड़ाई करना।

“कलेजा निकालकर रख देना”

किसी के लिए कुछ भी कर देना।

Best Muhavare In Hindi

“उँगली उठाना”

किसी पर दोष लगाना / दोष दिखाना।

“जी खट्टा होना”

मन भर जाना / किसी से ऊब जाना / विरक्त होना।

“सोने पे सुहागा”

इस लोकोक्ति (मुहावरे) का अर्थ है की किसी वस्तु या व्यक्ति का और बेहतर होना। जैसे इधर दिनेश ने इंटर पास की और उधर वह मेडीकल प्रवेश परीक्षा में पास हो गया। ये तो सोने पे सुहागा है।

“नैया पार लगाना”

उद्धार करना।

प्रसिद्ध मुहावरे एवं कहावतें Popular Proverbs & Sayings

“घर में नहीं दाने, अम्मा चलीं भुनाने”

योग्यता न होने पर भी बड़ी बड़ी डींग हांकना। यानि पास में दस रूपये भी नहीं पर बात करते हैं लाखों की।

“सारी रामायण सुन गये, सीता किसकी जोय (जोरू)”

सारी बात सुन जाने पर साधारण सी बात का भी ज्ञान न होना। यानि पूरी रामायण सुन ली और बाद में पुछा की सीता जी किसकी पत्नी थीं।

“एक आँख से देखना”

पक्षपात रहित होना। / सबके साथ समानता का व्यवहार करना।

“काया पलट देना”

स्वरूप में आमूल परिवर्तन कर देना।

“घोड़े बेचकर सोना”

बेफिक्र होना।

“झड़े में फैलाना “

किसी बने बनाये काम को बिगाड़ना।

“हाथ-पाँव मारना”

प्रयत्न करना। / बहुत कोशिश करना।

“गरीब की जोरू, सब की भौजाई”

कमजोर का लाभ सब उठाते हैं।

“अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है”

अपने घर या गली – मोहल्ले में बहादुरी दिखाना।

“ऊँट किस करवट बैठता है”

किसकी जीत होती है। कभी हारने वालों की भी जीत हो जाती है। अंतिम परिणाम से ही किसी की जीत या हार का पता चलता है।

“एक और एक ग्यारह होना”

एकता में शक्ति

“कुत्ते की मौत मरना”

बुरी तरह मरना।

प्रसिद्ध हिंदी मुहावरे व लोकोक्तियाँ  Famous Muhavare In Hindi

“गए रोज छुड़ाने, नमाज गले पड़ी”

एक मुसीबत दूर करने के चक्कर में दूसरी मुसीबत में पड़ गए।

“खून के आँसू रुलाना”

बहुत सताना या परेशान करना।

“एक हाथ से ताली नहीं बजती”

झगड़ा एक ओर से नहीं होता।

“कुत्ता की दुम हिलाकर बैठता है”

सफाई सबको पसंद होती है।

“हिलोरें मारना”

तरंगित होना / उत्साहित होना।

“गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास”

यानि ऐसा व्यक्ति जो कभी मौका नहीं छोड़ता यानि अवसरवादी व्यक्ति।

“छाप पड़ना”

प्रभाव पड़ना।

“गागर में सागर भरना”

गिनती के या थोड़े से शब्दों में बहुत अधिक भाव या विचार सँजोना या व्यक्त करना।

“धरना देकर बैठना “

किसी काम के लिए अड़ कर बैठ जाना।

“बासी बचे न कुत्ता खाय”

आवश्यकता से अधिक चीज न बनाना जिससे कि खराब न हो।

“आगे कुऑ पीछे खाई”

सभी जगह समस्या का होना।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“ऐसी-तैसी करना”

अपमानित करना / काम खराब करना।

“चोटी और एड़ी का पसीना एक करना”

खूब परिश्रम करना।

“जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई'”

जब तक खुद को दर्द ना हो, तब तक दूसरे के दर्द की तीव्रता का अहसास नहीं हो पाता है।

“एक हाथ से ताली नहीं बजती”

गलती सिर्फ एक तरफा नही होती। कही ना कही दोनों पक्षो की गलती होती हैं।

“दीवारों के भी कान होते हैं”

किसी गोपनीय बात के प्रकट हो जाने का खतरा।

“करे कोई, भरे कोई”

अपराध कोई करे, दण्ड किसी और को मिले। गलती किसी और की सजा किसी और को।

“जली-कटी सुनाना”

खूब बुरा-भला कहना।

हिंदी में मुहावरे अर्थ के साथ –

Muhavare In Hindi

“कन्धे से कन्धा मिलाना”

सहयोग देना।

“लंगूर के हाथ में अंगूर”

कोई व्यक्ति किसी अच्छी चीज के काबिल नहीं हो और वह अच्छी चीज उस व्यक्ति के हाथ लग जाये या मिल जाये तो यही कहा जाता है “लंगुर के हाथ में अंगूर”.

“लकीर का फकीर”

पुरानी बातो पर चलने वाले या पुरानी नीति वाला ।

“तिनके का सहारा”

थोड़ी-सी मदद भी जब बहुत होती है।

“कमर टूटना”

हिम्मत पस्त होना।

“झाँसे में आना”

किसी के बहकावे में आना।

“हुक्का भरना”

किसी की जी हुजूरी करना। / किसी की चापलूसी में लगे रहना।

“खग जाने खग ही की भाषा”

समान व्यक्ति ही एक दूसरे की बात या समस्या समझ सकते हैं।

“हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा”

बिना खर्च किए काम बन जाना।

“गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज”

फर्जी नाटक करना।

“कागजी घोड़े दौड़ाना”

कोरी कागजी कार्यवाही करना।

“आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास”

कपास ओटना का अर्थ है कपास के बीज कपास तंतु से अलग करना। यानि इस कहावत का अर्थ है ‘उच्च लक्ष्य लेकर चलना पर कोई घटिया सा काम करने लगना।’ यानि बनना था पुलिस पर चोर बन गए।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“टुकुर-टुकुर देखना”

किसी को टकटकी लगाकर देखना।

“खोदा पहाड़ निकली चुहिया”

बहुत मेहनत करने के बाद भी परिणाम थोड़ा ही मिलना।

“डंका बजाना”

प्रभाव जमाना

“कान खाना”

निरन्तर बातें करके परेशान करना।

“जान खाना “

किसी चीज़ को मांगते या अपनी ज़िद मगवाने के लिए परेशान करना।

“डूब मरना”

बहुत लज्जित होना।

Muhavare In Hindi

“आग लगाकर पानी को लेकर दौड़ना”

पहले झगड़ा कराकर, फिर समझौता कराने या शांत करने का प्रयत्न करना।

“खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे”

क्रोध या अपमान में अटपटा काम करना।

“तशरीफ लाना”

जब कोई मेहमान आता है जो ये कहावत कही जाती है।

“तशरीफ़ रखिये “

बैठने के लिए कहना।

“कान पर जूं न रेंगना”

बार-बार कहने पर भी प्रभाव न पड़ना।

“तिल का ताड़ करना”

अत्यंत साधारण चीज को बढ़ा चढ़ाकर कहना।

“टाँग अड़ाना”

किसी काम में अड़चन डालना।

“दाल में कुछ काला है”

कोई संदेह है। / कुछ गड़बड़ है।

“कान भरना”

चुगली करना। / किसी के खिलाफ भड़काना।

प्रसिद्ध हिंदी मुहावरे

“राई का पहाड़ बनाना”

किसी छोटी-सी बात को बहुत बड़ा बनाना।

“दिन में तारे दिखाई देना”

अत्यधिक कष्ट या दुख के कारण बुद्धि ठिकाने न रहना।

“अक्ल का दुश्मन”

मूर्खतापूर्ण या बेवकूफी का काम करने वाला।

“जूते पड़ना”

बहुत निंदा होना।

“चिकना घड़ा होना”

निर्लज्ज होना / किसी की बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

“तौल-तौल कर बोलना”

बहुत सोच-विचार कर बोलना।

“सिर्फ टोपी टोपी”

सिर्फ नाम ही नाम होना।

“काला अक्षर भैंस बराबर”

अनपढ़। / पढ़ा लिखा न होना।

“नुक़्ते के हेर फेर से ख़ुदा जुदा हो जाता है”

आदमी को ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए वरना श्मसान पहुँच जायेगा, क्योंकि ‘चिंता’ और ‘चिता’ में बस एक बिंदी का ही अंतर होता हैं! हमारी हिंदी की यहीं बिंदी उर्दू में जाकर नुक़्ता बन जाती हैं!

जिस तरह हिंदी में एक बिंदी से अर्थ का अनर्थ हो सकता हैं उसी तरह उर्दू में भी बिंदी यानि कि नुक़्ता बहुत गड़बड़ कर सकता हैं! उर्दू में ना सिर्फ नुक़्ते का होना न होना असर डालता हैं, बल्कि किस जगह पर हैं और कितनी संख्या में हैं इसका भी बहुत फर्क पड़ता हैं! बल्कि यह कहना ज्यादा उचित हैं कि पूरी उर्दू वर्णमाला ही नुक़्ते के इर्द-गिर्द घूमती हैं!

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना”

लगातार मूर्खतापूर्ण कार्य करते रहना।

“तौबा करना”

भविष्य में किसी काम को न करने की प्रतिज्ञा लेना।

“कुएँ में बाँस डालना”

बहुत तलाश करना।

“आग लगाकर जमालो दूर खड़ी”

झगड़ा कराकर दूर से देखना। यानि लड़ाई कराकर मज़े लेना।

“आधी धर पूरी को धावै, आधी रहै न पूरी पावै”

ज्यादा के लालच में अपने पास का भी खोना पड़ता है।

“छोटा मुँह बड़ी बात”

हैसियत से बड़ी बात करना

Muhavare In Hindi

“गर्दन पर छुरी चलाना”

नुकसान पहुंचाना।

“नाच कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान”

आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है।

“आप न जाये ससुरे औरन को सिख देय”

खुद गलती करना और दूसरों को सीख देना।

“गड़े मुर्दे उखाड़ना”

बीती हुई बात फिर से उभारना।

“खून सफेद होना”

उत्साह का समाप्त हो जाना, बहुत डर जाना।

“आसमान में थूकेंगे तो अपने मुँह पर ही आएगा”

महान लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।

Proverbs Meaning In Hindi

“आग लगने पर कुआँ खोदना”

मुसीबत या किसी जरुरत की पहले से तैयारी नही करके मुसीबत आने पर हल खोजने की कोशिश करना।

“जख्म पर नमक छिड़कना”

दुःखी या परेशान को और परेशान करना।

“चिकनी-चुपड़ी बातें करना”

चालबाजी से भरी मीठी बातें करना।

“घर का चिराग”

घर की शोभा और कुल की कीर्ति को बढ़ाने वाला।

“जख्म कुरेदना”

किसी के दुःख वाली बात करके उसे परेशान करना।

“गुल खिलना”

नयी बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना।

“हाथ जलाना”

लोगों की भलाई करना बदले में अपमान मिलना।

“अगर मगर करना”

किसी काम में टालमटोल करना ‌‌‌या आनाकानी करना ।

“चोली-दामन का साथ”

घनिष्ठ अथवा अटूट सम्बन्ध।

Muhavare In Hindi

“चाँदी काटना”

अधिक लाभ प्राप्त करना।

“कोयला की दलाली में मुंह काला”

कोई गलत काम करते या कराते हैं तो उसका परिणाम भी आपको भुगतना पड़ेगा।

“गिरगिट की तरह रंग बदलना”

बातें बदलना/ अपनी बात से पलट जाना / हरकते बदलना।

“अक्ल सठिया जाना”

साठ वर्ष का होने पर बुद्धि का ह्रास होना। बुद्धि नष्ट हो जाना

“ठिकाने लगाना”

मार डालना

“ख़ून सर्द होना”

बुरी तरह से डर जाना।

“छठी का दूध याद आना”

घोर संकट में फँसना। / बहुत कष्ट आ पड़ना।

“गाल बजाना”

डींग हाँकना।

“फूक फूक कर कदम रखना “

सावधान रहकर काम करना / सावधानी बरतना।

“गिन-गिनकर पैर रखना”

सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना।

“गुस्सा पीना”

क्रोध दबाना।

“गुस्सा पालना”

क्रोध को दवा के रखना। / सहन करना।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“छाती/कलेजे पर साँप लोटना”

ईर्ष्या से हृदय जल उठना।

“काठ की हाँडी एक बार ही चढ़ती है”

लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती यानि किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।

“अक्ल घास चरने जाना”

वक्त पर बुद्धि का काम न करना।

“गूलर का फूल होना”

लापता होना।

“ईद का चाँद होना”

बड़ी मुश्किल से / बहुत कम दिखाई देना।

Proverbs and Meaning In Hindi

“‘ओछे की प्रीत बालू की भीत’ “

भीत या भित्ति का अर्थ है दीवार। ओछे व्यक्ति की प्रीत बालू की दीवार के सामान कमजोर होती है जो कभी भी टूट सकती है। यानि ओछा व्यक्तित्व वह होता है जिसमेँ गहराई नहीँ होती। थोड़े लाभ हानि से जिसका मन बदल सकता है।

“छछुंदर के सिर में चमेली का तेल”

किसी अयोग्य व्यक्ति को बहुमूल्य वस्तु का प्राप्त हो जाना।

“नाक पर मक्खी न बैठने देना “

अभिमानी / अपने को श्रेष्ठ समझना।

“गुदड़ी का लाल”

गरीब के घर में गुणवान का जन्म होना।

“हवन करते हाथ जले”

भलाई के बदले में बुराई मिलना।

“गाँठ बाँध कर रखना। “

किसी बात को याद रखना। / ध्यान से याद रखना।

“हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और”

कहना कुछ और करना कुछ।

” जहर उगलना”

कठोर / जली-कटी बात करना।

“गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई”

गया नर जो खाय खटाई : वह नर मरे हुवे के सामान है जो अत्यधिक मात्रा में खट्टे का सेवन करता है। तात्पर्य यह कि, बहुत ही ज्यादा खट्टी वस्तुओं का सेवन करने से पुरुष को शुक्रमेह अर्थात धातु रोग का शिकार हो जाने की सम्भावना रहती है। और शुक्रमेह से पीड़ित ब्यक्ति का स्वास्थय क्रमशः क्षीण होता जाता है। चेहरा निश्तेज और शरीर धीरे धीरे कृशकाय हो जाता है। उनका पूरा जीवन का ढांचा ही बदल जाता है।

इसी प्रकार, गई नार जो खाय मिठाई : वह स्त्री मरे हुवे के सामान है जो अत्यधिक मात्रा में मिठाई का सेवन करती है। क्योंकि, अत्यधिक मात्रा में स्त्री द्वारा मिठाई का सेवन करने के उपरांत श्वेत प्रदर नामक बीमारी लग जाने की सम्भावना होती है। बोलचाल की भाषा में इसे सफ़ेद पानी आना भी कहते हैं और प्रायः यह देखा जाता है कि इसे एक सामान्य प्रक्रिया मान कर नजर अंदाज कर दिया जाता है। जबकि यह स्राव बढ़ने पर वे अत्यंत क्षीण और दुर्बल हो जाती है जिससे जीवन कष्टकर हो जाता है।

Muhavare In Hindi

“आग लगन्ते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”

कसान होते – होते जो कुछ बच जाय, वही बहुत है।

“अंधेर मचना”

अत्याचार करना।

“जहाज का पंछी होना”

ऐसी मजबूरी होना, जिससे वही आश्रय लेने के लिए बाध्य होना पड़े।

“गुड़ गोबर करना”

बना बनाया काम बिगाड़ देना।

“हाथ कंगन को आरसी क्या”

प्रत्यक्ष वस्तु के लिए प्रमाण की क्या जरूरत।

“गुरू घंटाल”

दुष्टों का नेता या सरदार होना।

“आँखें सेंकना”

किसी की सुंदरता देख आँखें जुड़ाना।

“जीती मक्खी निगलना”

जानबूझकर गलत बात को स्वीकार करना।

“सौ सुनार की, तो एक लुहार की”

निर्बल की सौ चोटों की तुलना में बलवान की एक ही चोट काफी है।

“आकाश पाताल एक करना”

हर संभव कोशिश करना। किसी काम में जी जान लगा देना।

“गंगा नहाना”

अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चिन्त रहना।

“झख मारना”

विवश होना / व्यर्थ में समय गंवाना।

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“थोथा चना, बाजे घना”

जिसमे ज्ञान की कमी होती है, वह ज्यादा बोलता है।

“आंखो से सूरमा चुराना”

बहुत सफाई से काम कर देना।

“भड़ास निकालना”

जब कोई अपनी इच्छा को दबा के रखे और फिर उसे मौका मिल जाये उस मनोकामना को पूर्ण करने की।

“टपक पड़ना”

अचानक से बिना बुलाए आ पहुँचना।

“गच्चा खाना”

धोखा खाना।

“अपनी पगड़ी अपने हाथ “

अपनी इज्जत अपने हाथ होती है।

Top Muhavare In Hindi

“सेर को सवा सेर मिलना”

जब कोई खुद को बलवान समझता हो और उससे बलवान आ जाये तो यह कहावत प्रयोग होती है। इसी प्रकार बुद्धिमान का सामना उससे ज्यादा बुद्धिमान से हो जाये।

“खरी मजूरी चोखा काम”

यदि अच्छा पारिश्रमिक दिया जाता है तो लोग मन लगाकर काम करते हैं। इसलिए काम भी अच्छी तरह से होता है।

“पसीना छूटना”

अत्यंत भयभीत होना / डरना।

Proverbs Sayings Idioms and Phrases With Meaning in Hindi

“ठोकर खाना”

असावधानी के कारण नुकसान उठाना।

“पानी पानी होना”

बहुत शर्मिंदा होना।

“गज भर की छाती”

अत्यधिक साहसी।

“हाथ में कटोरा आना”

बना बनाया काम चौपट हो जाना। किसी काम में बहुत पैसे लगाए लेकिन काम पिट गया और सारे पैसे डूब गए।

“सीधे का मुंह कुत्ता चाटे”

किसी सीधे सादे व्यक्ति का अनुचित लाभ उठाना।

“गढ़ फतह करना”

कठिन काम करना।

“बाँछें खिल जाना”

प्रसन्नता से भर उठना।

“ढोल की पोल”

बाहरी दिखावे के पीछे छिपा खोखलापन।

“सिर पर पहाड़ उठाना”

अपने ऊपर कोई भारी काम लेना। या ऐसे काम लेना जिसे करने में हमारी दम निकल जाये।

“गरम होना”

क्रोधित होना।

“आव देखा न ताव”

बिना सोच-विचार के काम करना।

Muhavare In Hindi For Student

“तलवे चाटना”

खुशामद करना।

“अक्ल चकराना”

अचंभित होना।

“सहज पके सो मीठा होय”

आराम से किया गया काम अच्छा होता है।

“रेत की दीवार”

कमजोर आधार।

“गला फँसाना”

मुसीबत में फँसाना।

“तिल का ताड़ करना”

छोटी सी बात को बढ़ा चढ़ाकर कहना

“देसी कुतिया, विलायती बोली”

अपने से बड़ों की तरह दिखावा करना।

“गले पड़ना”

पीछे पड़ना।

“मुँह को लगाम देना”

कोई भी बात नियंत्रण में ही कहना या कम ही बोलना। जब कोई जरुतत से ज्यादा बोलता है या कोई अनुचित बोलता है या कोई अपनी औकात से ज्यादा बोलता है तब कह मुहावरा बोला जाता है।

“सूत न कपास जुलाहों के घर लठ्ठम लठ्ठा”

बिना किसी बात के लड़ाई / झगड़ा होना।

Muhavare In Hindi

“चंद दिनों का मेहमान “

मरने के बस कुछ ही दिन रहना / मरणासन्न होना।

“किसी का घर जले, कोई तापे”

किसी की मुसीबत में भी स्वयं के लिए लाभ का अवसर तलाशना। या कहें दूसरे के दु:ख में खुशी का मौका ढूँढना।

“रंग दिखाना”

औकात दिखाना।

“आस्तीन का साँप”

कोई ऐसा व्यक्ति जो हमारे बहुत निकट हो और हम उसपर विश्वास करें लेकिन वो धोखा दे जाये तो इस कहावत का प्रयोग होता है।

“गाजर-मूली समझना”

तुच्छ समझना।

हिंदी कहावतें अर्थ सहित (Kahawat in Hindi)

“सुनो सबकी करो अपने मन की”

भले ही सलाह सबसे लेना लेकिन अपने विवेक से काम करना। यानि जो आपका मन कहे वो काम ही करना।

“‘मुँह की मक्खियाँ तक न उड़ा सकना”

अति आलसी होना। ऐसा व्यक्ति जो कोई काम न करना चाहे लेकिन चाहे की कोई रोटी भी मेरे मुंह में डाल दें ।

“सीधी उंगली से घी नहीं निकलता”

सीधी उंगली से घी नहीं निकलता उंगली टेडी करनी पड़ती है यानि – सीधेपन से काम नहीं होता।

“गाढ़ी कमाई”

मेहनत की कमाई।

“धूप में बाल सफेद नहीं होना”

अनुभव होना।

“पानी में आग लगाना”

शान वातावरण में उथल पुथल मचा देना या अशांति-उपद्रव करा देना।

“बीड़ा उठाना”

जोखिम भरा काम करने की जिम्मेदारी लेना।

“आस्तीन चढ़ाना”

लड़ने को तैयार हो जाना।

“अंगूठा दिखाना”

वक्त पड़ने पर धोखा देना।

“गाढ़े दिन”

संकट का समय।

“नकेल हाथ में होना”

नियन्त्रण अपने हाथ में होना।।

“सितारे गर्दिश में होना”

संकट का समय।

“अंग- अंग फूले न समाना”

आनंदविभोर होना। (किसी काम या बात से बहुत ज्यादा खुश हो जाना)

“बेपर की उड़ान”

झूठी बात फैलाना।

” न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी”

आगे कुछ भी न होने की संभावना।

Muhavare In Hindi Meaning

“गुजर जाना”

मर जाना।

“नमक-मिर्च लगाना”

बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।

“पाँव अड़ाना”

बेकार में किसी काम में दखल देना या विघ्न डालना।

“गुलछर्रे उड़ाना।”

मौज मस्ती करना।

“फटे में टांग अड़ाना “

किसी के आपसी विवाद में बीच में (कोई मतलब न होने पर) बोलना।

“सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे”

काम भी निकल जाए और कोई हानि भी न हो।

“बे-सिर-पैर की बात करना”

निरर्थक बात करना।

प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरे

“आँखें बिछाना”

किसी का स्वागत पूरे मन से, खुशी और प्रेम से करना।

“नाक बचाना”

इज्जत बचाना।

“साँच को आँच नहीं”

सच्चाई को किसी का कोई डर नहीं होता।

“चाँद का टुकड़ा”

बहुत सुन्दर

“गूँगे का गुड़”

वर्णनातीत अर्थात जिसका वर्णन न किया जा सके।

“उल्टा पाठ पढ़ाना”

उल्टी-सीधी बातें समाझकर किसी को बहका देना।

“गोता मारना”

गायब या अनुपस्थित होना।

“नाक रगड़ना”

अत्यधिक खुशामद या क्षमा-याचना करना।

“भीगी बिल्ली बनना”

भय या डर से अति नम्र होना।

“चुटकी बजाते ही काम होना”

तुरंत काम होना।

“मुँह चलाना”

कुछ खाते चलना।

“ओंठ हिलाना”

बहुत कठिनता से कुछ कहना या बोलना।

“डींग हाँकना”

बढ चढकर बाते करना ।

“नाक रख लेना”

इज्जत रख लेना।

“गोद सूनी होना”

संतानहीन होना।

“आँख के अंधे और नाम नैन सुख”

गुण के विपरीत नाम होना।

Muhavare In Hindi

“मक्खन लगाना”

चापलूसी करना।

“आटे के साथ घुन पिसना”

अपराधी के साथ निर्दोष को भी सजा मिलना। जैसे किसी बुरे व्यक्ति के साथ रहने पर अच्छे व्यक्ति को भी बुरा समझा जाता है।

“करारा जवाब देना”

मुंह तोड़ जवाब देना, प्रतिघात करना, माकूल जवाब देना, पलटवार करना, गहरी चोट देना।

“पत्ता कटना”

किसी मामले या पद से हटा देना।

“गोबर गणेश”

मूर्ख।

“उसी का जूता उसी का सिर”

किसी को उसी की युक्ति या चाल से बेवकूफ बनाना

“अपनी इज्जत अपने हाथ”

मर्यादा का वश में होना यानि आप अपनी इज्जत के करते हैं या बढ़ाते हैं यह आपके ही हाथ है।

“मक्खियाँ मारना”

कोई काम न होना / बेकार बैठे रहना।

“एक अनार सौ बीमार”

किसी चीज़ की मात्रा तो कम है पर मांगने वाले अधिक हैं यानि वस्तु कम और मांग अधिक।

“पसीना-पसीना होना”

गर्मी से हालत खराब होना।

“पानी-पानी होना”

शर्मिंदगी अनुभव होना।

“ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती”

अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता।

“अंधे के हाथ भी बटेर “

बिना मेहनत किये ही कोई अच्छी वस्तु मिल जाना।

“गोलमाल करना”

काम बिगाड़ना / गड़बड़ करना।

“पानी फेर देना”

निराश कर देना।

“मन के मोदक खाना”

काल्पनिक बातों से प्रसन्न होना।

“कम-बख़्ती जब आवे ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे”

कठिनाई के समय में बहुत ज़्यादा चौकन्ना रहने पर भी तकलीफ़ से नहीं बच सकते।

Muhavare In Hindi

“अंधों का हाथी”

मूर्खों में मूर्ख व्यक्ति द्वारा ज्ञान देना।

“दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है”

जिससे लाभ हो, उसके द्वारा किया गया अप्रिय व्यवहार भी सहन करना पड़ता है।

“पेट में दाढ़ी होना”

छोटी उम्र में ही अधिक बुद्धिमान/चतुर-चालाक होना।

“काम का ना काज का दुश्मन अनाज का अर्थ है”

किसी मतलब का न होना।

“घोड़े बेचकर सोना”

बेफिक्र होना

“मन मारकर बैठना”

विवशता के कारण निराश होना।

“सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है”

अमीर या सुखी व्यक्ति समझता है कि सब लोग आनंद में हैं।

“अँधा बन जाना”

सब कुछ देख कर भी अनदेखा करना।

“ऊंट के मुंह में जीरा”

ज़रूरत से बहुत कम वस्तु का मिलना ।

“खून खौलना “

अत्यधिक क्रोध आना।

“फुलझड़ी छोड़ना”

हंसी की बात कहना।

“मंत्र फूँकना”

सफल युक्ति का प्रयोग करना।

“दौड़ धुप करना”

कठोर श्रम करना।

“कमर तोड़ मेहनत करना”

मन लगाकर मेहनत करना।

कहावत मुहावरे और मुहावरे हिंदी में अर्थ के साथ

“अंग टूटना”

थकावट से शरीर में दर्द होना।

“इज्जत पर कीचड़ उछालना। “

इज्जत सरेआम उतारना।

“मिट्टी के मोल बिकना”

अत्यन्त कम मूल्य पर बिकना।

“खून पसीना एक करना”

पूरे जी जान से मेहनत करना।

“पानी पी -पी कर कोसना”

बहुत बुरा भला कहना।

“मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है”

मेहनत फल हमेशा अच्छा होता है।

“पांव गरम पेट नरम और सिर हो ठंडा तो वैद को मारो डंडा”

सब कुछ ठीक है तो आप स्वस्थ है।

“खिल्ली उड़ाना “

किसी का मजाक उड़ाना।

“मुट्ठी गर्म करना”

रिश्वत देना।

“अपना रख, पराया चख:”

अपनी वस्तु की जगह दूसरों की इस्तेमाल करना।

“अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा”

मूर्ख लोगो और गुणवान लोगो में एकसमान व्यवहार करना।

“अफलातून का नाती”

स्वयं को ज्यादा महत्व देना।

Muhavare In Hindi

“बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी”

आने वाला बुरा समय ज्यादा देर तक नहीं रुकता।

“आ बैल मुझे मार”

विपत्ति को ‌‌‌खुद निमंत्रण देकर बुलाना ।

“फूटी आँखों न देखना”

ईर्ष्या भाव रखना।

“घी के दिए जलान”

खुशियाँ मनाना।

“गड़े मुर्दे उखाड़ना”

पुरानी बातें कहना।

“दिमाग सातवें आसमान पर होना “

बहुत अधिक घमंड होना ।

“टोपी उछालना”

अपमानित करना‌‌‌ या निरादर करना ।

“इज्जत उतारना”

अपमानित करना

“चार दिन की चांदनी फिर वही अँधेरी रात “

कुछ दिनों की ख़ुशी के बाद फिर से संकल आना।

“अक्ल के घोड़े दौड़ाना”

हवाई कल्पनाएँ करना।

“हवाई घोड़े दौड़ना “

सपनों की बातें करना / सोच से परे बातें।

“मूंछों पर ताव देना’

शक्ति पर घमंड करना।

“चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना”

घबरा जाना।

“थाली के बैंगन होना”

अस्थिर होना। / कोई भरोसा न होना।

“दीवार से सर फोड़ना”

मुर्ख व्यक्ति को कुछ समझाना।

“दो पाटों में पिसना”

जब दो मुसीबत एक साथ आ जाएं।

“टेढ़ी खीर”

मुश्किल काम करना।

“”दोनो हाथों में लड्डू””

दोहरा लाभ।

“बगल में छोरा गाँव में ढिंढोरा”

कोई चीज़ ढूढ़ने के लिए उथल पुथल मचा दी जबकि वो खुद के पास ही थी।

“हर कैसे, जैसे को तैसे “

जो जैसा कर्म करता है, उसको वैसा ही फल मिलता है।

Muhavare In Hindi

“अंधे की लकड़ी”

एकमात्र सहारा।

“गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं “

जो बहुत बढ़ – बढ़ कर बातें करते हैं, वे काम कम करते हैं।

“बगलें झाँकना”

निरुत्तर होना।

“तारे गिनना”

नींद न आना।

“मैदान मारना’

सफलता/जीत प्राप्त करना।

“मन फट जाना “

मन में किसी के प्रति सद्भाव न रह जाना।

“मन फेरना”

ध्यान से हटा या उतार देना, प्रवृत्ति दूसरी ओर करना।

“मन फिरना”

इरादा बदल जाना।

“गर्दन पर छुरी फेरना”

अत्याचार करना।

“रंग में भंग पड़ना”

आनन्द में विघ्न होना।

“अंधे के आगे रोना”

निष्ठुर के आगे अपना दुखड़ा रोना।

“मन में बसना”

बहुत पसंद आना।

“कुत्ते की मौत मारना”

बुरी मौत।

“कान में तेल डाले बैठे रहना”

किसी की बात पर ध्यान ना देना।

“कान का कच्चा”

किसी की बातों (बहकावे) में जल्दी आ जाना।

“दांत पीसना”

अत्यधिक क्रोध दिखाना

Muhavare In Hindi ~ Important Proverbs Meaning In Hindi

“हाथों के तोते उड़ना”

दुख से हैरान होना/किसी बुरी खबर को सुन कर अचंभित हो जाना।

“अपने मन का राजा”

किसी की परवाह न करते हुए, अपनी इच्छानुसार काम करना।

“अन्धी सरकार”

जो सरकार अपने विवेक से काम न ले। / विवेकहीन शासन।

“मन मैला करना”

किसी के प्रति मन में दुर्भाव रखना। / किसी से द्वेष रखना।

“लहू का घूंट पीना”

क्रोध को रोकना / बर्दाश्त करना / बात न बढ़े इसलिए शांत रहना / अत्याचार सहन करना।

“‘छिया-छिया गप-गप”

किसी भोज्य पदार्थ की बुराई करते करते खाते रहना।

“मुंह पर कालिख पोतना”

कलंक लगाना।

Muhavare In Hindi

“नाक का बाल होना”

बहुत प्रिये होना

“अंग-अंग फूले न समाना”

अत्यधिक प्रसन्न होना।

“मुहं सीं लेना”

चुप हो जाना। मुँह से शब्द भी न निकालना।

” टका सा जवाब देना”

कोरा उत्तर देना।

“रास्ते का काँटा बनना”

मार्ग में बाधा डालना।

“चाँद तारे तोड़ कर लाना “

अपनी प्रेमिका के लिए कुछ भी करना जैसी बातें करना।

“चांद मैं भी दाग”

किसी भी सुंदर चीज में थोड़ी सी कमी।

“अंगूठी का नगीना”

अत्यधिक सुन्दर व्यक्ति अथवा वस्तु। / सुन्दर और सजीला।

“दाँत काटी रोटी होना”

अत्यन्त घनिष्ठता होना या मित्रता होना।

“साठा सो पाठा”

बचपन याद आना या पचपन में बचपना करना

“सिर की बाजी लगाना”

मौत से ना डरना।

“लाल-पीला होना”

क्रोधित होना।

“जले पर नमक छिड़कना”

पहले से दुखी व्यक्ति को और अधिक दुखी कर देना।

“इज्जत उछलना”

बेज्जती सरेआम करना / लोगों के सामान्य इज्जत ख़तम करना।

“अंगारों पर पैर रखना”

बहुत कठिन कार्य करना।

“अँगूठा दिखाना”

किसी बात के लिए साफ इनकार करना।

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