हिंदी निबंध : हिन्दुओ के एक बहुत ही पवित्र त्यौहार ‘मकर संक्रांति’ के विषय में – Makar Sankranti Essay In Hindi – Karan – Mahatva – Pauranik Katha : यह तो हम सभी जानते है कि पूरे विश्व में एक मात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा है जिसमे हर दिन पूरे वर्ष अलग-अलग देवी-देवताओ के नाम पर कोई ना कोई त्यौहार अलग-अलग क्षेत्रों और राज्यों में मनाया ही जाता है | यही बात हम अपने देश भारत को लेकर भी कह सकते है जहाँ पर हर धर्म और जाति के लोग अपनी-अपनी परम्पराओ के अनुसार हर्षोल्लास से अपने त्यौहारो को मनाते रहते है | यहीं इन सभी वर्गों के लोग एक-दूसरे के त्योहारों का मान-सम्मान करते है और उन्हें आपस में मिलकर मनाते भी है | यही है अपने देश की पूरे विश्व में अलग पहचान ‘अनेकता में एकता, भारत की विशेषता’. | अगर बात कर ले हिन्दू धर्म की तो वो तो सदा से ही पूरे विश्व में अपनी विरासत की अलग पहचान रखता है जिसमे हर जीव-जन्तु, प्राणी, सभी धर्म, देवी-देवताओ और त्योहारों के लिए सम्मान और प्यार है जो कि शांति के प्रतीक भी है |
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मकर संक्रांति पूरे विश्व में विशेषतौर पर भारत में हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में वहां की परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है | मकर संक्रांति पर हिंदी निबंध के जरिये हम आपको मकर संक्रांति से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण बाते जैसे कि मकर संक्रांति क्यों और कैसे मनाते है, मकर संक्रांति की क्या महत्वता होती है और मकर संक्रांति से जुड़ी एक बहुत ही प्रख्यात पौराणिक कथा भी है | इन सब बातो के बारे में हम आपको विस्तार से बतायेंगे | चलिए शुरू करते है मकर संक्रांति के महत्व पर हिंदी निबंध एवं जुड़ी पौराणिक कथा –
जाने मकर संक्रांति क्या है और क्यों मनाई जाती है ? What is Makar Sankranti and why is it celebrated? | Makar Sankranti Essay
मकर संक्रांति हिन्दुओ द्वारा मनाया जाने वाला एक ऐसा पवित्र त्यौहार है जो कि पूर्ण रूप से सूर्य देव को समर्पित होता है और सभी लोग इस दिन सूर्य देव की आराधना और पूजा करते है | ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं | शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर सक्रांति के रूप में देश भर में मनाया जाता है। ऐसा भी माना गया हैं कि इसी दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शानि से मिलने भी उनके घर जाते हैं और शनि देव ठहरे मकर राशि के स्वामी इसलिए भी इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन का किया हुआ दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है । इसलिए लोग इस दिन विशेष तौर पर माँ गंगा और नर्मदा के घाटो पर स्नान करके सूर्य देव की अर्चना करते है और तिल और गुड़ का विशेष तौर पर दान करते है |
जाने मकर संक्रांति कब मनाई जाती हैं ? When Makar Sankranti is celebrated ? | Makar Sankranti Essay
हिन्दू पंचांग और शास्त्रों के अनुसार जिस दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर आते है वही दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है और 14 जनवरी ऐसा दिन है जब धरती पर सूर्य देव दक्षिण के बजाय उत्तर को गमन करने लगते है जिसे अच्छे दिनों की शुरुआत भी माना जाता है इसलिए भारत में ये हमेशा हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा कुछ मौको को छोड़कर हमेशा 14 जनवरी को ही मनाया गया है | कुछ मौको से हमारा अर्थ है कि कुछ ऐसे भी वर्ष रहे है जब शास्त्रगणना अनुसार ये त्यौहार 15 जनवरी और 13 जनवरी को भी मनाया गया हैं लेकिन ऐसा बहुत ही कम देखने को मिला है |
जाने मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती हैं ? How Makar Sankranti is celebrated? | Makar Sankranti Essay
मकर संक्रांति के दिन वैसे तो स्नान करने के बाद सूर्यदेव की आराधना करते हुए गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान की परंपरा है लेकिन भारत में इसे विभिन्न स्थानों में विभिन्न मान्यताओं के साथ अलग अलग तरह से मनाया जाता हैं | चलिए जाने ये भी विस्तारपूर्वक
पंजाब और हरियाणा के निवासी मकर संक्रांति को लोहड़ी के रूप में मनाते है और तिल, चावल और गुड़ के साथ भुने मक्के आदि की आग में आहुति देते हैं |
गुजरात और राजस्थान के निवासी मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व के रूप में मनाते है और पतंग उत्सव के आयोजन का लुत्फ़ लेते है |
तमिलनाडु के किसान मकर संक्रांति को पोंगल पर्व के रूप में मनाते और घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है |
उत्तर प्रदेश के निवासी मकर संक्रांति को दान के पर्व के रूप में मनाते हैं और सूर्यदेव की आराधना करके चावल और दाल की खिचड़ी खाते है और दान करते है |
बिहार के निवासी मकर संक्रांति खिचड़ी का त्यौहार मानते है और यहाँ इस दिन खिचड़ी बनाने की और वस्त्र दान करने का रिवाज हैं |
बंगाल के निवासी मकर संक्रांति के दिन तिल दान करते हैं और इसके अलावा हुगली नदी पर भव्य गंगा सागर मेले का आयोजन भी किया जाता है |
यहीं नही भारत के अलावा मकर संक्रांति पर्व के दिन श्रीलंका और नेपाल में किसान भगवान को अपनी अच्छी फसलों के लिए धन्यवाद देते हैं और अपने सुनहरे भविष्य के लिये कामना करते हैं | नेपाल में तो इस दिन सरकारी छुट्टी भी रहती है | ये नेपाल की थारू समुदाय का सबसे प्रमुख त्यैाहार भी है |
पाकिस्तान में भी सिंधी समुदाय के लोग मकर संक्रांति के पर्व को तिरमुरी के नाम से बनाते है जिसमे वो लोग अपने माता-पिता को कपड़े और मिठाईया भेजते हैं |
क्यों है मकर संक्रांति का महत्व ? Why is Makar Sankranti important? | Makar Sankranti Essay
आपको शायद ये ना पता हो कि मकर संक्रांति का पौराणिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्त्व भी बहुत ज्यादा है | मकर संक्रांति की गिनती उन त्योहारों में होती है जिसके कारण पर्यावरण को बहुत ही कम हानि पहुँचती हैं | वैज्ञानिक दृष्टि के तौर पर मकर संक्रांति के दिन खाये जाने वाली खिचड़ी और तिल की मिठाईया शरीर को बहुत फायदे पहुंचाती है | वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से सूर्य भारत की तरफ बढ़ने लगता है और सर्दियां खत्म होना शुरु हो जाती और भारतीय नदियों में से भी वाष्पन क्रिया शुरू हो जाती है जो कि शरीर के कई रोगों की रोकथाम के लिए बहुत लाभकारी होते है | अतः मकर संक्रांति के दिन नदियों में नहाना वैज्ञानिको के अनुसार शरीर के लिए बहुत फायदेमंद रहता है |
पौराणिक महत्व के अनुसार मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी और तीर्थ में स्नान, सूर्यदेव की पूजा आराधना करने के बाद दान करने से व्यक्ति के पुण्य का प्रभाव हजार गुना तक बढ़ जाता है। हर 12 वर्ष में एक बार होने वाले महान कुम्भ के मेले का पहला स्नान भी करोड़ो लोग जिनमे बड़े-बड़े तपस्वी और सिद्ध पुरुष भी शामिल होते है, मकर संक्रांति के समय ही करते है |
मकर संक्रांति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ है जो कि इस प्रकार है
पौराणिक कथाओ के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते हैं और शनिदेव खुद मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है ।
पौराणिक कथाओ के अनुसार इस दिन ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था और गंगाजी उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद उनके पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर गंगा समुद्र में जा उनसे मिली थीं। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में भव्य मेला लगता है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार इस दिन को ही महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी मोक्ष पाने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने के पश्चात अपनी देह त्यागने के लिए चयनित किया था।
पौराणिक कथाओ के अनुसार इस दिन ही भगवान विष्णु ने मधु कैटभ नाम के एक राक्षस का वध करके मंदार पर्वत को उसके कंधों पर रख कर उसे दबा दिया था जिसके कारण ही भगवान विष्णु को मधुसुधन नाम की उपाधि दी गई थी और तभी से मकर संक्रांति को बुराई पर अच्छाई की जीत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार इसी दिन माँ यशोदा जी ने प्रभु श्री कृष्ण के जन्म के लिए व्रत किया था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और तभी से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन हुआ ।
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