आपको पता है आज हम जो भी हैं अपने विचारों का ही परिणाम हैं। हम अपने Thoughts बदलकर अपनी दुनियां बदल सकते हैं (Change your mindset , the world will change!), यदि आप अच्छा सोचते हैं तो आपके साथ अच्छा होने लगता है और यदि बुरा सोचते हैं तो बुरा।
अब्राहम लिंकन कहते हैं “ज्यादातर लोग उतने ही खुश रहते हैं जितना वे चाहते हैं।” इसका सीधा सा मतलब है की हमारा खुश होना या दुखी होना इस बात से निर्भर करता है की चीज़ों और हालातों के बारे में हम क्या और कैसे सोचते हैं। हमारे सकारात्मक और नकारत्मक विचार हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। दोस्तों यह सत्य हैं की हम अपने मन की आदतों को बदलकर खुद को बदलने की क्षमता रखते हैं। आइये इस बात को अच्छी तरह थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
विचार बदलो, आपकी दुनिया बदल जाएगी ! Change your mindset, the world will change!
दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि हम जो भी और जितना भी सोचते हैं उनमे से 80% विचार नकारात्मक हैं। लेकिन आप थोड़ी सी प्रैक्टिस से अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदल सकते हैं। यहां मैं यह कहता हूँ की आप अपने विचार बदलकर अपना जीवन बदल सकते हैं ; “Change your mindset, change your Life”
पिछले कई वर्षों तक ऐसा सोचा जाता था की हम जिस तरह का दिमाग लेकर पैदा हुए हैं यानि अपने अपने हार्डवेयर रुपी दिमाग में जितनी Hard Disk और RAM लेकर पैदा हुए हैं हम उसके साथ ही फंस गए। लेकिन आगे यह पता चला की हम गलत हैं, इसका उल्लेख शेरोन बेगली की लिखी किताब ‘ट्रेन योर माइंड, चेंज योर ब्रेन’ भी शामिल है, जिसमे बताया ही की हम अपने विचार बदलकर अपने दिमाग को बदल सकते हैं। इस किताब का बहुत ही अच्छा परिणाम आया। हम अपने दिमाग को रीसेट कर सकते हैं। दुःख को ख़ुशी में बदल सकते हैं। अपने दिमाग को अवसाद और ओसीडी के चक्रों को तोड़ने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं। यह हम कभी भी और किसी भी उम्र में कर सकते हैं।
दोस्तों, हम सभी जानते हैं की आज की ज़िन्दगी रफ्तार भरी है। लोग अपनी इच्छाओं के अनुसार खुद को बदलते रहते है। अपने मन मुताबिक काम न होने पर खुद का या दोस्तों को दोष देते हैं। हमारे अंदर नकारात्मक विचार घर करने लगते हैं और तवाव में पड़ जाते हैं। जब तक आप खुद को सकारात्मकता का सर्किट नहीं बनाते, नकारात्मकता आपको घेर लेती है। यह आप किसी प्रतियोगिता में दौड़ रहे हैं और आप सोच ले की मुझे नहीं लगता की में जीत पाउँगा जो आप अपनी आधी रेस हार चुके हैं।
दोस्तों इस बात को समझने की जरूरत है की नकारात्मक विचार कभी समाप्त नहीं होते ! हाँ कभी नहीं ! नहीं हो सकता, नहीं कर सकता जैसे शब्दों वाले विचार, शिकायतें या रोने जैसे विचार आपके कुछ की आत्म-मूल्य की भावना को कम करते हैं। हमारा दिमाग और शरीर इसी तरह काम करता है। हमारे नकारात्मक विचार हमारे शरीर को कमजोर करने वाले संबंधित रसायनों का उत्पादन करके शरीर को थका देते हैं।
इसे समझिये की हम अपने विचारों को पहचान सकते हैं और नकारात्मक विचार को सकारात्मक विचार में बदल सकते हैं। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है ; यह कहने के बजाय, “मैं यह नहीं कर सकता,” कोशिश करें “मुझे नहीं पता कि मैं इसे कैसे पूरा करने जा रहा हूं, लेकिन मुझे पता है कि अगर मैं इसे पर्याप्त प्रयास करूँ तो मैं कर सकता हूं।” जब हम इस तरह सोचते हैं और इस पर विश्वास करने लगते हैं तो शरीर द्वारा उत्पादित रसायन आपके लक्ष्य को पूरा करने में आपकी सहायता करने की सम्भावनाएं पैदा कर सकता है।
दोस्तों, हमारे आस पास नकारात्मक है और रहेगी। मुझे यह बताने की जरूरत नहीं की क्या क्या नकारत्मकता। लेकिन हर बुराई में छुपी अच्छाई और हर अच्छाई में छुपी बुराई आपमें देखने की शक्ति है। लेकिन यह भी सत्य है की बुराई तो आसानी से दिख जाती है पर अच्छाई देखने में सामर्थ लगता है।
आपको अपने सोचें की आदत बदलनी होगी। कहते हैं किसी आदत को बनाने में 21 दिन लगते हैं, इसलिए कम से कम 21 दिन खुद के नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलें। और ऐसा तब तक करें जब तक नकारत्मक विचार चले नहीं जाते। अपने आप को दोषी मानना, किसी और को दोषी मानना, या को भी नकारात्मक विचार इसमें शामिल है। पूरे 21 दिन बिना किसी शिकायत के इसे पूरा करें।
लेकिन यह भी सत्य है की यदि आप अच्छे देखने के लिए तैयार हैं तो आपके दिखने लगेंगी। जैसे आप गुलाब के फूल में कांटे भी होते है लेकिन आप फूल चुनते हैं।
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