गर्म जामुन ~ तमिलनाड़ की लोक कथा | Tamil Nadu Lok Katha ~ Folk Tale in Hindi

Tamil Nadu Lok Katha _ Folk Tale in Hindi

हिंदी लोक कथाएँ /लोक कहानियाँ (Lok Kathayen In HIndi) की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं ‘टी.एन.एस. सीतारमन’ द्वारा लिखी बहुत ही रोचक एवं मजेदार पंजाब की लोक कथा ‘’गर्म जामुन”तमिलनाड़ की लोक कथा | Tamil Nadu Lok Katha ~ Folk Tale in Hindi

गर्म जामुन
तमिलनाड़ की लोक कथा | Tamil Nadu Lok Katha ~ Folk Tale in Hindi

बहुत दिनों की बात है तमिलनाड में एक बुढ़िया रहती थी। उसका नाम पत्रलेखा था। वह बहुत सुन्दर कविता रचती थी। उसकी कविताओं से मुग्ध होकर बडे-बड़े राजा लोग भी उसका आदर करते थे। राजदरबार में भी उसकी जोड़ का कोई दूसरा कवि न था। इस कारण उसे बहुत घमंड हो गया।

एक रोज वह कहीं जा रही थी। सड़क के किनारे जामुन के पेड थे। काले-काले जामुन पेड़ो की डालियों पर लटक रहे थे। जामुन को देख कर पत्रलेखा के मुँह में पानी भर आया। पर पेड़ बहुत ऊँचे थे। बेचारी बुढ़िया क्या कर सकती थी?

बुढिया ने एक पेड़ के नीचे आकर ऊपर देखा। पेड़ के ऊपर एक चरवाहे का लड़का डाल पर बैट कर जामुन खा रहा था। लड़के को देख कर बुढिया ने उससे कहा, ‘‘बेटा, में भूखी हूँ, मुझे भी कुछ जामुन खिलाओ।’’

यह सुन कर लड़के ने बुडिया से पूछा, ‘‘नानी, तुमको गरम-गरम जामुन चाहिए या ठडे-ठडे?’’

लोहार की बुद्धिमान लड़की – कश्मीरी लोक कथा

Tamil Nadu Lok Katha ~ Folk Tale in Hindi

यह सुन कर बुढ़िया पशोपेश में पड़े गई ओर उसने लड़के से पुछा“ बेटा, तुम पागल तो नहीं हो? कही जामुन भी गरम या ठंडे हो सकते है? नहीं, नहीं यह तुम्हारा भ्रम भाव है।’’

लडके ने फिर कहा, ‘‘अजी पत्रलेखा जी! आप तो महान कवी हो , आपका नाम सुनते ही बडे बड़े विद्वान लोग भी डरते है। फिर यह छोटी सी बात भी आप नहीं समझती तो यह आपकी ही कमी है। मैं पागल थोड़े ही हूँ। अच्छा अब आप कहिये कि आप गरम-गरम जामुन खायेंगी या ठंडे-ठडे।’’

लडके की बातें सुन कर पत्रलेखा बिलकुल अचंभे में आ गई। उसकी समझ में यह नहीं आया कि जामुन गरम कैसे हो सकते हैं। फिर भी वह इस रहस्य को समझने के लिए आतुर थी। उसने लड़के से कहा, ‘‘बेटा, तुम मुझे गरम-गरम जामुन ही खिलाओ।’’

लड़का हंस कर बोला, ‘‘अच्छी बात है, बूढ़ी नानी, यह लो में तुमको गरम-गरम जामुन खिलाऊँगा। ” यह कह कर लड़के ने एक डाल को जोर से हिलाया। खूब पके हुए काले-काले जामुन जमीन पर धूल में बिछ गये। बुढिया उन्हें उठा-उठा कर धूल फूँक-फूँक कर खाने लगी। यह देख कर लड़के ने पूछा, ‘‘क्यों नानी, जामुन तो काफी गरम हैं न?’’

पत्रलेखा ने उत्तर दिया, ‘‘बेटा, कहाँ? ये तो ठडे है।’’

लड़के ने फिर पूछा-‘‘अच्छा नानी, आप तो कहती हैं ये गरम नहीं हैं। फिर आप इन्हें फूँक-फूँक कर क्यों खा रही हैं?’’ कह कर लड़का हंस पडा।

बुढ़िया को अब अपनी भूल मालूम हुई और वह बहुत शर्मिंदा भी हो गई। एक चरवाहे के लड़के के आगे वह हार गई थी। वह यों ही बिना बोली चलती बनी। लडका खूब हँसता रहा।

पत्रलेखा ने अपनी इस हार के बारे में कहा- करू गाली नामक एकपेड़ है। वह बहुत कठोर होता है। वह बाहर से से काटा जाता है। फिर भी इसके काटने से कुल्हाडी की हानि नहीं होती। पर कुल्हाडी से केले के पेड को काटने लगे तो कुल्हाडी बिगड़ जाती है। बाद में काटने के लायक नहीं रहती। ठीक वैसे ही बड़े-बड़े विद्वानों को वादविवाद में हराने पर भी मुझे इस चरवाहदे के लडके से हार खानी पडी। इस कारण मेरी आँखों की पलकें दो दिन तक नहीं लगेंगी, अर्थात् मुझे नींद नहीं आयेगी।

अनोखी हड्डी का वजन

मित्रों ! उम्मीद करता हूँ आपको “गर्म जामुन ~ तमिलनाड़ की लोक कथा | Tamil Nadu Lok Katha ~ Folk Tale in Hindi” आपको अवश्य पसंद आई होगी, कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *