नागा सरदार और शेरनी Hindi Lok Katha – Naga Sardar Aur Sherni

Naga Sardar Aur Sherni

लोक कथाएँ/कहानियाँ (लोक कथाएँ/कहानियाँ (Lok Kathayen In HIndi) की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं बहुत ही रोचक एवं मजेदार लोक कथा ‘’नागा सरदार और शेरनी Hindi Lok Katha – Naga Sardar Aur Sherni ~ Folk Tale in Hindi

नागा सरदार और शेरनी
Hindi Lok Katha – Naga Sardar Aur Sherni

शिलौंग के दक्षिण में डिगी नाम का एक पर्वत है। एक समय वहॉ पर इतना घना जंगल हुआ करता था कि दिन को भी अमावस्या-का-सा अधेरा छाया रहता था। नीचे पेड़ के मोटे-मोटे तने, ऊपर छाते के सदश फैली हुई पेड़ों की घनी टहनियाँ, मानो जंगल को किसी हरी छत ने ढक रखा हो। कोसों तक जंगल ही जगल था। न कोई राह, न कोई बाट। लता-गुल्मों, पेड़-पौधों ओर माड़ी-मखाड़ों के मारे वहाँ तिल भर भी जगह पॉव रखने को नही बचने पाई थी।

आरम्भ में लोहतास नागाओं का एक बहादुर सरदार वहाँ आकर बस गया। धीरे-धीरे उसके वंश का विस्तार होने लगा। अब उन्हें और जगह चाहिये थी।

एक दिन गिरोह के सब लोग इस बात पर विचार करने के लिये इकट्ठे हुए कि अब और नये झोंपड़े कहॉ बनाये जायें?

एक साहसी नवयुवक बोला, ‘‘भाइयो। अब तो इस जगल को ही काटा जाये तभी हमारा काम बन सकता है।’’

दूसरा बोला, ‘‘पर इस घने जंगल को काटना कोई सहज काम नहीं है। यहाँ तो हाथ को हाथ नहीं दिखता। भला, हम कुल्हाड़ी कैसे चलायेंगे ?’’

पर अधिकाश नौजवानों की यही राय रही कि एक छोर से कटाई शुरू की जाये तो धीरे-धीरे जगल साफ किया जा सकता है। खैर, एकमत होकर सब कटाई में जुट गये। सबसे पहले उन्होंने एक बड़े पलास के पेड़ को काटना शुरू किया। शाम तक उन्होंने उसका तना काट कर गिरा दिया। पेंड के गिरते ही जगल में काफी रोशनी छा गई।

उस रोज आधी रात तक खूब गाना-बजाना होता रहा। पर दूसरे दिन सबने आश्चर्य से देखा कि जड़ से नया तना निकल आया है तथा पेड़ और अधिक घना होकर रोशनी को रोके खडा है। दूसरे दिन उन्होंने फिर पेड़ को काट गिराया, पर सुबह होते ही वह फिर अपनी जगह नये सिरे से उग कर मानो उनको ललकारता हुआ खडा दिखाई पडा।

सब नौजवान नागाओं ने सलाह की कि चलो अपने दल के बूढ़े बाबा से इसका रहस्य पूछे। वह जरूर इस करामाती पेड़ के विषय में कुछ जानते होंगे। बूढे बाबा ने उनकी बात सुनकर सिर हिला कर कहा,‘‘देखो एक बात में तुम्हें बताता हूँ।

“हमारे आदि पुरखा के साथ उनके एक मित्र ने घात किया था। उन्होंने उस मित्र को शाप दिया कि जा तू शेर बन जा। मुझे तो लगता है कि उसी शेर की विरादरी का कोई दुष्ट आकर हमारे काम में बाधा डालता है। शेर नही चाहते कि जगल कटे और उनके राज्य के हिस्से पर मनुष्य का कब्जा हो। सो तुम लोग आज रात को छुप कर देखो कि उस कटे हुए वृक्ष के पास कौन आता है?’’

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Lok Katha – Naga Sardar Aur Sherni

रात को नौजवान नागाओं ने देखा कि उस कटे हुये पेड के तने को एक भयानक शेर चाट रहा है ओर जिस हिस्से को वह चाटता है वह हरा-भरा होकर ऊँचा बढ़ता जा रहा है।

दूसरे दिन उन्होंने सारा हाल बूढ़े सरदार से कहा। सरदार ने सलाद दी कि पेड़ की जड़ें खोद कर उसमें आग लगा दी जाये ताकि उसका नामोनिशान ही न बचे।

ऐसा करने पर सचमुच दूसरे दिन पेड़ नहीं उगा। पर शेर ने क्रोधित होकर सरदार के एक नौजवान बेटे को मार डाला।

जब सरदार को यह बात पता लगी तो उसने सब नागाओं को इकट्ठा करके कहा, ‘‘देखो, यद्द शेर इमारी जाति का दुश्मन है। इसको जल्द से जल्द खत्म कर डालना चाहिये। तुम लोग पेड़ के पास की धरती साफ करके यहाँ दो पेड़ों के तने जोड़ कर खड़ा कर दो। मैं उसके पीछे भाला लेकर खड़ा रहूँगा। तुम सब ढोलक बजा कर शेर को उस ओर खदेड़ कर ले आना।’’

दूसरे दिन सबने मिल कर शेर को खदेडना शुरू किया। शेर बॉसों के झुरमुटो में पड़ा सो रहा था। पीछे से हो-हल्ला सुन कर वह गुर्राता हुआ आगे को बढ़ चला और उसी पेड़ के पास आकर खड़ा हो गया।

बुढे सरदार ने जब शेर को देखा, तो अपने जवान बेटे की मौत का बदला लेने के इरादे ने उसकी सुजाओ में नोजवानों-का-सा बल ला दिया ओर उसने निशाना साध कर शेर पर भाला फेंका, भाला शेर की पीठ मे आकर लगा और वह भयानक रूप से गुर्राता हुआ सरदार पर झपटा।

सरदार ने अपना सिर ढहा से ढक कर उछलते हुए शेर का पेट छुरे से चीर कर रख दिया है और अपनी रस्म के अनुसार उसने अपने बेटे के हत्यारे के पंजे काट लिये।

इसके बाद उसने सब नौजवानों को इक्टठाकर के कहा, ‘‘इस शेर का सिर काट कर गाँव के बीच जो पेड है उस पर टॉग दो और उसके नीचे की धरती को सब अपने भालों को मूँठ से रौद कर निशान बनाओ, ताकि इसकी शेरनी अब इस गाँव सें घुसने की हिम्मत न कर सके।’’

ऐसा ही किया गया। रात को जब शेरनी अपने शेर को खोजती हुई इस पेढ़ तक आई तो पेड़ के नीचे अनेक भालों की सूँठों के निशान देख कर वह सोचने लगी-‘‘दिखता है इस गॉव में बहुत से बहादुर बल्लमधारी है। अब यहॉ ठहरना उचित नही। पर मैं इस से बदला तो जरूर लूगी, नहीं तो हमारे वंश की रक्षा फिर कैसे होगी?’’

शेरनी मौके की खोज में रही कि कोई ऐसा नागा मिल जाये जिसकी मदद से में इनसे बदला ले सकूँ। संयोग से एक दिन जगल में एक नागा से उसकी भेंट हो गई।

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Lok Katha – Naga Sardar Aur Sherni

उस समय शेरनी अपने बच्चों को शिकार के दाव सिखा रही थी। नागा अकेला था और ये तीन। मनुष्य जाति को देखते ही शेरनी का खून खोलने लगा पर उसे एक बात सूझी। उसने नागा से कहा ‘‘देख, में चाहूँ तो तुमे अभी फाड़ कर रख दूँ। पर अगर तू अपने सरदार से बदला लेने में मेरी मदद करे तो न केवल मै तेरी जान वख्श दूँगी, बल्कि कई अच्छी और अनोखी जड़ी-बूटियाँ भी तुझे लाकर दिया करूँगी, उनके प्रयोग से तू जल्द ही नागाओं का सरदार बन जायेगा।’’ वह नागा लोभ में आ गया ओर उसने शेरनी से दोस्ती कर ली।

अब वह गाँव में लोगों को जड़ी-बूटी बॉटने लगा और हकीम के रूप मे काफी प्रसिद्ध भी हो गया। शेरनी रात को अक्सर उसके घर आती और उसे जड़ी-बूटियाँ दे जाया करती। साथ ही साथ उससे गाव का सब भेद पता लगाकर वह रात को ऐसे मार्ग में छुप कर बैठ जाती जहाँ कोई अकेला नागा पहरे पर होता और चुपके से जाकर उस पर हमला कर देती। इस हमले से नागाओं का सरदार बढ़ा परेशान था।

एक दिन उसने अपने लोगों को इकट्ठा करके कहा, ‘‘हो न हो यह शेरनी की ही करतूत है। इसलिये जंगल में हॉका डालो।’’

यह बात शेरनी को उस के मित्र नागा ने जाकर बता दी।

शेरनी सावधान हो गई और उस दिन अपने बच्चों के साथ वह एक गहरी गुफा में जा छुपी।

उसी रात को उसने फिर एक नौजवान नागा को मार डाला। फिर सबने मिलकर हॉला डाला पर शेरनी का कहीं पता नहीं चला। कुछ सोच कर सरदार ने कहा, ‘‘हो न हो, हम लोगों में से जरूर कोई शेरनी को सारा भेद बता देता है। ठहरो, में उसका पता लगाता हूँ।’’

यह कह कर उसने कुछ पत्र पढ़कर राख उढ़ाई और उस हकीम नागा की ओर उँगली उठा कर कहा, ‘‘यही हमारा भेदिया है। अगर यह अपने को सच्चा साबित करना चाहता है तो इसे आठ दिन के अन्दर ही एक शेर मारकर उसकी खोपड़ी के ऊपर हाथ रख कर शपथ खानी होगी। यदि यह वेकसूर है तब तो इस पर कोई मुसीबत नहीं आयेगी और यदि इसने अपने दल से दगा किया होगा तो आठ दिन में ही इसका नाश हो जायेगा।’’

उसी रात को जब शेरनी उस हकीम नागा के पास आई तो उसने शेरनी से सरदार की सारी बात कही। शेरनो बोली, ‘‘तू फिक्र मत कर। में तुझे शेर की एक पुरानी खोपड़ी ला दूगी।’’

पर संयोग से उस दिन हकीम नागा का छोटा लडका जाग रहा था ओर उसने अपने बाप और शेरनी की सारो बात सुन ली।

दूसरे दिन खेल के समय उसने यह बात अपने साथियों से कह दी। फैलते-फैलते यह बात सरदार के कानों में भी पहुँची। अब तो सरदार का शक और पका हो गया और उसके कहने पर हकीम नागा की मुश्कें कस कर जिस पेड़ से शेर का सिर लटक रहा था उसी से उसे बॉध दिया गया।

दूसरे दिन सब नागाओं ने मिलकर अचानक ही शेरनी को जा घेरा और वरछों से इसका काम तमाम कर दिया। लोट कर जब वे आये तो उन्होंने देखा कि वह हकीम नागा भी कराह-कराह कर दम तोड रहा है। यह देखकर सरदार बोला, ‘‘यह तो होना ही था। हमार पूर्वजों का यह शाप है कि जो किसी शेर से दोस्ती करेगा, वह उस शेर के मरते ही मर जायेगा। इसे अपनी करनी की ठीक ही सजा मिली।’’

बिना सोचे समझे फैसला लेने का परिणाम

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