परशुराम से जुड़ी 8 रोचक कहानियाँ ; Bhagwan Parshuram Story Hindi

Parshuram Story Hindi

Bhagwan Parshuram Story Hindi ; भगवान परशुराम रामायण काल के एक ब्राह्मण ऋषी थे। उन्हे विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है। भगवान परशुराम का जन्म 5142 वि.पू. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में भृगु ऋषि के कुल में हुआ था।

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Bhagwan Parshuram Story Hindi

आइये जानते है पौराणिक वृत्तांतों के अनुसार भगवान परशुराम के जीवन से जुड़ी प्रचलित कथा –

कैसे हुआ परशुराम का जन्म ?
Parshuram Story Hindi Part 1

यह कथा पूर्वकाल की है जब कन्नौज नामक नगर में ‘गाधि ‘ नाम के एक राजा राज्य करते थे। उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम ‘सत्यवती’ था। ‘सत्यवती’ अत्यन्त रूपवती एवं गुणी कन्या थी। राजा गाधि ने अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह भृगु ऋषि के पुत्र भृगुनन्दन ऋषीक के साथ कर दिया।

विवाह के पश्चात जब भृगुनन्दन ऋषीक अपनी पत्नी सत्यवती के साथ अपने पिता भृगु ऋषि का आशीर्वाद लेने पहुंचे। भृगु ऋषि ने अपने पुत्रवधू को आशीर्वाद दिया और उससे वर माँगने के लिये कहा। इस पर सत्यवती ने उनसे अपनी माता के लिये एक पुत्र प्राप्ति का वरदान माँगा। उन्होंने अपनी पुत्रवधू सत्यवती और उसकी मां दोनों को पुत्र होने का वरदान दिया।

भृगु ऋषि ने सत्यवती को दो फल दिए और बताया जब तुम और तुम्हारी माता ऋतु स्नान कर चुकी हो तब तुम्हारी माँ पुत्र की इच्छा लेकर पीपल का आलिंगन करें और तुम उसी कामना को लेकर गूलर का आलिंगन करना। फिर मेरे द्वारा दिये गये इन फलों का सावधानी के साथ अलग अलग सेवन कर लेना।

भगवान परशुराम से जुड़ी रोचक कहानी ; Story of Parshuram In Hindi 

जब सत्यवती की माँ ने सुना कि भृगु ऋषि ने अपनी पुत्रवधू सत्यवती को उत्तम सन्तान होने का फल दिया है तो उन्होंने अपने फल को अपनी पुत्री के फल के साथ बदल दिया। इस प्रकार सत्यवती ने अज्ञानवंश अपनी माता वाले फल का सेवन कर लिया।

इस बात की जानकारी जब भृगु ऋषि को हुई तो उन्होंने अपनी पुत्रवधू सत्यवती के पास आकर कहा कि हे पुत्री, तुम्हारी माता ने तुम्हारे साथ छल किया है उन्होंने तुम्हारे फल का सेवन कर लिया और अपना फल तुम्हें दे दिया। इसलिये अब तुम्हारी सन्तान ब्राह्मण होते हुये भी क्षत्रिय जैसा आचरण करेगी और तुम्हारी माता की सन्तान क्षत्रिय होकर भी ब्राह्मण जैसा आचरण करेगी।

इससे परेशान होकर सत्यवती ने अपने ससुर भृगु ऋषि से निवेदन किया कि आप आशीर्वाद दें कि मेरा पुत्र ब्राह्मण का ही आचरण करे, भले ही मेरा पौत्र क्षत्रिय जैसा आचरण करे।भृगु ऋषि ने उनकी यह विनती स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद सत्यवती के गर्भ से महर्षि जमदग्नि का जन्म हुआ।

जमदग्नि अत्यन्त तेजस्वी थे। बड़े होने पर उनका विवाह प्रसेनजित की कन्या रेणुका से हुआ। रेणुका से उनके पाँच पुत्र हुये जिनके नाम थे रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्वानस और परशुराम। इस तरह परशुराम का जन्म हुआ, जो जन्म से ब्राह्मण होते हुए भी कर्म से क्षत्रिय गुणों वाले थे।

कैसे बने राम से परशुराम ?
Parshuram Story Hindi Part 2

जब उन्होंने बाल्यकाल में ही भगवान शिव की महा तपस्या  की तो भगवान शिव ने उन्हें महाशक्तिशाली परशु (फरसा) प्रदान किया इसी लिए उनका नाम राम से परशुराम हो गया।

परशुराम ने अपनी मां रेणुका का वध क्यों किया ?
Parshuram Story Hindi Part 3

एक बार परशुराम जी की मां रेणुका सरिता स्नान के लिये गई। संयोग से वहां राजा चित्ररथ भी जल-क्रीड़ा कर रहा था। चित्ररथ को देख कर रेणुका का चित्त चंचल हो उठा। जब वे आश्रम पहुंची तो महर्षि जगदग्नि ने रेणुका के मन की बात जान ली और क्रोधित होकर उन्होंने बारी-बारी से अपने पुत्रों को अपनी माँ का वध कर देने की आज्ञा दी।

लेकिन किसी भी पुत्र ने अपने पिता की आज्ञा का पालन नहीं किया। किन्तु परशुराम ने पिता की आज्ञा मानते हुये अपनी माँ का सिर काट डाला। यह देखकर भृगु श्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि रशुराम से बहुत प्रसन्न हुए। लेकिन अपने बाकी चारों पुत्रों से क्रोधित होकर उन्हें जड़ हो जाने का शाप दे दिया।

उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को कहा। इस पर परशुराम बोले कि हे पिताजी ! मेरी माता जीवित हो जाये और उन्हें अपने मरने की घटना का स्मरण न रहे। इसके साथ ही मेरे अन्य चारों भाई भी पुनः चेतन हो जायें और मैं युद्ध में किसी से परास्त न होता हुआ दीर्घजीवी रहूँ। जमदग्नि जी ने परशुराम को उनके माँगे वर दे दिये।

परशुराम ने राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन का वध क्यों किया ?
Parshuram Story Hindi Part 4

एक दिन महिष्मती देश का राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन ने अपने मार्ग से गुजरते हुए महर्षि जमदग्नि के आश्रम में विश्राम किया। जमदग्नि मुनि ने सहस्त्रबाहु अर्जुन का बहुत आदर सत्कार किया और अपनी ‘कामधेनु गौ’ की सहायता से ‘सहस्त्रबाहु अर्जुन’ और उनकी पूरी सेना के लिए भोजन की व्यवस्था कर दी।

कामधेनु गौ की यह विशेषतायें देखकर राजा सहस्त्रबाहु लालच में आ गया और उसने जमदग्नि से कामधेनु गौ की माँग की। किन्तु जमदग्नि ने उन्हें कामधेनु गौ को देना स्वीकार नहीं किया। इस पर सहस्त्रबाहु अर्जुन ने क्रोध में आकर जमदग्नि ऋषि का वध कर दिया और कामधेनु गौ को अपने साथ ले जाने लगा। किन्तु कामधेनु गौ तत्काल सहस्त्रबाहु अर्जुन के हाथ से छूट कर स्वर्ग चली गई और सहस्त्रबाहु अर्जुन को बिना कामधेनु गौ के वापस लौटना पड़ा।

इस घटना के समय वहाँ पर परशुराम उपस्थित नहीं थे। जब परशुराम को यह बात पता चली तो वे राजा के महल गए और राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन की 1000 भुजाएं काट दी और उसका वध कर दिया।

परशुराम ने क्यों किया था 21 बार क्षत्रियों का नाश ?
Parshuram Story Hindi Part 5

जब परशुराम वहाँ आये तो उनकी माता छाती पीट-पीट कर विलाप कर रही थीं। अपने पिता के आश्रम की दुर्दशा देखकर और अपनी माता के दुःख भरे विलाप सुन कर परशुराम जी ने इस पृथ्वी पर से क्षत्रियों के संहार करने की शपथ ले ली।

पिता का अन्तिम संस्कार करने के पश्चात परशुराम ने कार्त्तवीर्य अर्जुन से युद्ध करके उसका वध कर दिया। इसके बाद उन्होंने इस पृथ्वी को इक्कीस बार क्षत्रियों से रहित कर दिया और उनके रक्त से समन्तपंचक क्षेत्र में पाँच सरोवर भर दिये।

कैसे बने परशुराम ब्राह्मणों के देवता ?
Parshuram Story Hindi Part 6

परशुराम जी जन्म से एक ब्राह्मण थे  और जब उनका गुस्सा शांत हुआ तो  महर्षि ऋचीक ने प्रकट होकर परशुराम को ऐसा घोर कृत्य करने से रोक दिया। अब परशुराम ब्राह्मणों को सारी पृथ्वी का दान कर महेन्द्र पर्वत पर तप करने हेतु चले आये हैं।

क्यों किया परशुराम ने कर्ण को श्राप ?
Parshuram Story Hindi Part 7

आचार्य द्रोण को दुर्लभ ब्रह्मास्त्र का ज्ञान सिखाने वाले और भीष्म पितामह को अस्त्र विद्या की शिक्षा देने वाले परशुराम से कर्ण नकली ब्राह्मण बन कर समस्त विधाएं सीखने गए। एक बार की बात है जब जंगल में परशुराम थक गए, तब वे कर्ण की गोद में सिर रख कर सो गए। तभी एक कीड़ा कर्ण की जांघ पर आ गया और खून पीने लगा।

अपने गुरु परशुराम की नींद में बाधा न पड़े, इस बात का ख्याल कर कर्ण बिना हिले-डुले बैठे रहे। कीड़ा ने उनके जांघ को लहूलुहान कर दिया। जब परशुराम की नींद खुली तो उन्होंने कर्ण की के हालत देखी। वे कर्ण से अति प्रसन्न हुए लेकिन उन्हें शंका हुई और परशुराम बोले, ‘तुम ब्राह्मण नही हो सकते, क्योंकि कोई ब्राह्मण कुमार इतना कष्ट नहीं सह सकता। तुमने मेरे साथ छल किया है। मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि मैंने जो विद्या तुम्हें सिखाई है, जरूरत के समय तुम उसे भूल जाओगे। और महाभारत के युद्ध के समय कर्ण के साथ हुआ भी यही।

परशुराम ने गणेश जी को एकदंत क्यों किया ?
Parshuram Story Hindi Part 8

भगवान गणेश को एकदंत कहा जाता है क्‍योंकि उनका एक दांत टूटा हुआ है। इससे सम्बंधित एक प्रचलित कथा इस प्रकार है। एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे लेकिन द्वार पर खड़े शिव जी के पुत्र गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया।

परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने आखिरकार परशुराम ने गणपति को युद्ध की चुनौती दी। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए गणेश जी ने युद्ध किया लेकिन इस दौरान परशुराम के फरसे के वार से उनका एक दांत टूट गया और वे एकदंत कहलाए।

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