राजकुमार और बेलकुमारी ~ Hindi Lok Katha | Rajkumar and Belkumari ~ Folk Tale in Hindi

Hindi Lok Katha Rajkumar and Belkumari

लोक कथाएँ/कहानियाँ (Lok Kathayen In HIndi) की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं बहुत ही रोचक एवं मजेदार लोक कथा ‘राजकुमार और बेलकुमारी ~ Hindi Lok Katha | Rajkumar and Belkumari ~ Folk Tale in Hindi’ आइये जानते हैं !

राजकुमार और बेलकुमारी
Hindi Lok Katha | Rajkumar and Belkumari

एक राजा के सात लड़के थे। छः की शादी हो चुकी थी और सबसे छोटा राजकुमार कुॅवारा था। छोटा राजकुमार जब पढ़ने जाता था तब रोज उसकी छोटी भाभी उसे आर्शीवाद दिया करती-‘‘तुमको बेलकुमारी मिले।’’

छोटे राजकुमार ने एक दिन पूछा-‘‘भाभी। बेलकुमारी कहॉ मिलेगी?’’

भाभी ने कहा–‘‘यहाँ से सात नदी पार एक जगल है, उसमें एक तालाब है। उस तालाब में ही बेलकुमारी रहती है।’’

एक दिन बडे सबेरे उठ कर छोटा राजकुमार महल से चल दिया। चलते-चलते सात नदी पार करके वह एक तालाब के किनारे पहुँचा। वहाँ एक मुनि की झोंपडी थी। राजकुमार ने ऋषि को प्रणाम किया।

मुनि ने पूछा–‘‘बेटा। तुम कहॉ से आये हो और यहाँ क्योंआये हो?’’

राजकुमार ने कहा–‘‘मुुनि जी ! मैं बेलकुमारी के लिये आया हूँ।’’

मुनि ने कहा -‘‘उस तालाब को देखते हो न, उसके बीच में एक टापू है। उस टापू पर बेल का एक पेड़ है। उस पेड़ में एक ही बेल फला है। बेलकुमारी उसी बेल मे सोई हुई है। परन्तु वहाँ जाकर उसे ले आना कठिन है। क्योंकि वहाँ राक्षसों का पहरा है।’’

राजकुमार ने पूछा–‘‘उनसे बच कर बेलकुमारी को ले आने की कोई तरकीब है ?’’

काठ का उड़न घोड़ा

Hindi Lok Katha – Rajkumar and Belkumari

मुनि ने कहा–‘‘हाँ, तरकीब है। यदि कोई मनुष्य उस तालाब को एक साँस में पार कर जाये। बेल के पेड़ से एक बकरा बँधा होगा, बकरे को खोल कर राक्षसों के सामने कर दे। राक्षस उसे खाने लगें तब वह झटपट पेड़ पर चढ़ जाये ओर बेल को तोड़ कर पानी में कूद पढ़े और बिना सॉस तोड़े तैर कर इस पार चला आये। यह सब काम एक साँस में होना चाहिये क्योंकि साँस टूटते ही राक्षस उसे खा जायेंगे।’’

राजकुमार ने हिम्मत की। वह् एक सॉस में जाकर बेल को मुनि के पास ले आया।

मुनि ने कहा–‘‘बेटा ! इस बेल को घर ले जाकर फोड़ना, इसके भीतर से बेलकुमारी निकलेगी। पर खबरदार, रास्ते मे इसे न तोड़ना, नहीं तो तकल्लीफ पाओगे।’’

राजकुमार मुनि को प्रणाम करके बेल लेकर अपने घर की ओर चल पड़ा। कई जगल ओर पहाड़ पार करते-करते एक साझ  को वह एक सरोवर के किनारे पहुँचा।

राजकुमार बहुत थक गया था। वहॉ बैठ कर सुस्ताने लगा। सरोवर बहुत सुन्दर था। चारों ओर हरे-हरे वृक्ष लहरहा रहे थे। पक्षी कलोलढ कर रहे थे।

राजकुमार ने सोचा–‘‘लाओ, बेल को फोड़ कर बेलकुमारी को निकाले तो सही। कहीं मुनि ने घोखा न दिया हो?’’

राजकुमार ने फल तोड़ डाला। उसमें से बेलकुमारी निकली। बेलकुमारी बहुत सुन्दर थी।

राजकुमार ने कहा–‘‘रानी। मैं थक गया हूँ।’’

बेलकुमारी ने कहा ‘मेरी गोद में सिर रख कर सो जाओ।’’ राजकुमार सो गया।

उसी घाट पर लुहार की एक लड़की पानी भरने आया करती थी। वह आई ओर उसने पूछा–‘‘बहन! तुम कौन हो?’’

बेलकुमारी ने कहा ‘‘ये राजकुमार हैं। इनके साथ मेरा विवाह होगा।’’

सत्य की कसौटी

Rajkumar and Belkumari ~ Folk Tale in Hindi

यह सुन कर लुहार की लड़की के मन में कपट उत्पन्न हुआ। वह आँखो में ऑसू भर कर कहने लगी–‘‘हाय, मैं बड़ी अभागिनी हूँ। मेरी सास मुझसे पानी भरवाती है। भला, में इतना बड़ा घड़ा तालाब में से भर कर ऊपर केर्से आऊँ?’’

यह कह कर वह रोने लगी।

बेलकुमारी को उस पर दया आई। उसने राजकुमार के सिर के नीचे अपनी रेशमी चादर का तकिया बना कर रख दिया और उठ कर लुहार की लडकी का घडा लेकर वह तालाब में पानी भरने के लिये झुकी।

लुहार की लडकी ने चुपके से उसके पीछे जाकर उसे ऐसा धक्का दिया कि वह तालाब में गिर गई और डूब गई।

लुहार की लड़की राजकुमार के पास आई ओर उसका सिर अपनी गोद में लेकर बैठ गई। राजकुमार जब जागा, तव उसे एक सुन्दर बेलकुमारी के बदले एक बदसूरत लड़की को देख कर बढ़ा आश्चर्य हुआ।

वह सोचने लगा-हो न हो, यह मुनि का हुक्म न मानने का दण्ड है।

हाय! मैने बेल को रास्ते में क्यो फोडा?

लुहार की लड़की को लेकर वह अपने घर पहुँचा। बहुत दिन बीत गये। लुहार की लड़की रानी की तरह सुख भोगने लगी।

एक दिन सातों भाई शिकार को निकले। शिकार करते करते वे उसी तालाब के किनारे आ निकले, जहाँ लुहार की लड़की ने बेलकुमारी को धक्का दिया था। उसी जगह बड़ा फूल खिला था।

छोटे राजकुमार का मन उसे देख कर लुभा गया। वह कहने लगा- ‘‘अहा ! कैसा सुन्दर फूल है। कैसा रंग है! कैसी मीठी सुगन्ध है! इतना बढ़ा फूल तो मैंने कहीं देखा ही नहीं। चाहें जो हो, में तो यह फूल लिये बिना यहाँ से जाऊँगा नहीं।’

बड़े राजकुमारों ने कहा–‘‘न, न, फूल तोड़ना नहीं। कहीं किसी राक्षसी ने जादू न किया हो। कमल का फूल कहीं इतना बड़ा होता है?’’

परन्तु छोटे राजकुमार ने नहीं माना। तालाब के किनारे जाकर, धनुष को बढ़ा कर, उसने फूल को खींच लिया और उसकी डण्डी से उसे तोढ़ लिया।

सब राजकुमार घर लौटे।

बाकी राजकुमार तो तरह-तरह के जानवर और पक्षी शिकार करके ले आये थे, परन्तु छोटे राजकुमार के पास केवल एक लाल रंग का कमल था।

छोटे राजकुमार ने कमल को अपने महल में लाकर रखा।

एक दिन वह सैर के लिये बाहर गया हुआ था लुहार की लड़की ने मौका देख कर कमल को खिड़की की राह बाहर फेंक दिया।

राजकुमार ने लौट कर देखा तो वहाँ फूल नहीं था। उसने नकली बेलकुमारी से पूछा तो उसने कहा– ‘‘फूल मुरझा रहा था, मैंने उसे बाहर फेक दिया।’’

राजकुमार ने कहा ‘‘हाय। हाय। बेलकुमारी। तुम्हारा दिल ऐसा कड़ा है? भला, उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?’’

लक्ष्मी माता का आशीर्वाद

Lok Katha ~ Rajkumar and Belkumari (Folk Tale)

वह फूल जहॉ गिरा था, थोड़े दिन के पश्चात वहां बेल का एक पेड़ उग आया। बड़ा होने पर उसमे एक फल लगा। माली ने उसे तोड़ लिया। घर ले जाकर उसने उसे तोड़ा तो उसमे से बड़ी रूपवती एक कन्या निकली। माली के कोई लड़का-लड़की नहीं थे। कन्या को पाकर वह बहुत खुश हुआ। वह उसे बहुत प्यार करने लगा।

नकली रानी को खबर लगी कि माली के घर एक देव-कन्या जन्मी है। वह बहुत घबराई। वह जान-बूझ कर बीमार पढ़ गई। नकली रानी का वैद्य ओर हकीमों ने बड़ा इलाज किया। परन्तु कोई रोग हो तव तो दवा फायदा करे।

नकली रानी ने एक दिन राजकुमार से कहा–‘‘मेंने रात में सपना देखा है कि माली के घर एक कन्या जन्मी है। वह डायन है। उसे मार कर उसके लहू से में नहाऊँ तो मेरा यह रोग सही हो जायेगा।’’

राजकुमार ने तत्काल उस कन्या का लहू लाने का हुक्म दिया।

नकली रानी ने उसके लहू से स्नान किया, तब उसका रोग छूटा। माली वेचारा वहुत रोया।

माली ने वेलकुमारी के शरीर को ले जाकर अपने बाग में गाड़ दिया। कुछ दिनों के पश्चात् वहाँ फिर एक बेल का पेड़ उगा।

बढ़ते-बढ़ते वह पेड बड़ा हो गया और उसमें एक फल लगा।

नकली रानी से राजकुमार की बनती नहीं थी। वह बड़ी कर्कशा थी। रोज बीमारी का कोई न कोई बहाना करके राजकुमार को परेशान करती थी।

एक दिन राजकुमार की एक साधु से भेेट हुई साधु ने राजकुमार की उदासी का कारण पूछा।

राजकुमार ने सब सच-सच कह दिया।

साधु ने राजकुमार को एक अंगूठी दी और कहा–‘‘इस अंगूठी को पहन लेने से तुम पक्षियों की बोली समझ सकोगे। महल में मन न लगे तो वन में आकर चिड़ियों से कहानियोँ सुना करो।’’

अंगूठी पाकर राजकुमार बड़ा खुश हुआ। वह उसी दिन अंगूठी पहन कर बाग में गया।

दो कबूतर आपस में बातें कर रहे थे-‘‘इस अभागे राजकुमार को देखो, लुहार की लड़की ने इसे कैसा मूर्ख बना रखा है।’’

राजकुमार अंगूठी के जोर से कबूतरों की बोली समझता था। उसने पूछा-‘‘मुझसे सब हाल खुलासा कहो ।’’

कबूतरों ने बेलकुमारी ओर लुहार की लड़की का सारा किस्सा कह सुनाया।

सब हाल सुन कर राजकुमार बहुत पछताया। उसने पूछा -‘‘बेलकुमारी अब कहॉ मिलेगी?’’

कबूतरों ने वेल का पेड दिखा दिया और कहा – ‘‘इस पेड़ मे एक ही फल लगा है। बेलकुमारी उसी में है।’’

राजकुमार ने वेल को तोड़ लिया। उसमें से बेलकुमारी निकल आई। बेलकुमारी को पाकर राजकुमार बहुत ही खुश हुआ वह बेलकुमारी को लेकर महल में आया।

बेलकुमारी को देखते ही लुहार की लडकीडर के मारे पीली पड़ गई। राजकुमार उसे मारने दौड़ा। बेलकुमारी ने दया करके  उसे बचा लिया। लुहार की लड़की फिर अपने घर चली गई आर राजकुमार और बेलकुमारी सुख से रहने लगे।

चीनी लोक-कथा ; आग के बीज

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