सब सयानों का एकमत | Sab Sayaanon Ka Ekamat | Akbar Birbal Ki Kahaniyan In Hindi

Sab Sayaanon Ka Ekamat- Akbar Birbal Ki Kahaniyan In Hindi

अकबर-बीरबल की कहानियां किस्से ; Hindi Story of Akbar And Birbal अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं एक और रोचक बीरबल की बुद्धिमत्ता की कहानी “सब सयानों का एकमत | Sab Sayaanon Ka Ekamat | Akbar Birbal Ki Kahaniyan In Hindi” आइये जानते हैं ;

सब सयानों का एकमत | Sab Sayaanon Ka Ekamat
Akbar Birbal Ki Kahaniyan In Hindi

एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा-‘‘क्यों बीरबल संसार के मनुष्यों की बुद्धि (मत) एक समान होती है या उसमें कुछ अन्तर भी होता है।’’

बीरबल ने जवाव दिया- ‘‘हुजूर! क्या आपने इस कहावत को नहीं सुना है- ‘‘सब सयानों का एक मत।’’ यानी और सब बातों में तो लोगों की बुद्धि में विभेद पाया जाता है, परन्तु स्वार्थ सिद्धि में सबकी मति एक समान ही होती है।’’

बादशाह बोला-‘‘भला यह कैसे हो सकता है कि बुद्धि तो अलग-अलग हो और विचार सबका एक हो?’’

बीरबल ने कहा-‘‘हुजूर! हाथ कंगन को आरसी क्या।’’ यदि आपको प्रमाण की आवश्यकता हो तो मैं कल ही सिद्ध करके दिखला देने को तैयार हूँ।’’

बादशाह ने कहा-‘‘बहुत बेहतर।’’

दूसरे दिन प्रातः काल बीरबल ने बादशाह की अनुमति प्राप्त कर सरकारी बगीचे का एक बड़ा हौज जो पानी से लबालव भरा था खाली करवा दिया और सारे नगर में ढिढोरा पिटवा दिया कि सब लोग अपने अपने घरों से एक एक घड़ा दूध लाकर हौज को भरें। फिर हौज के ऊपर एक सफेद चादर बिछवाकर उसे भली भाँति ढक दिया।

ऐसी तरकीब कर बादशाह को देखने के लिये बुलवा भेजा।

समय रात्रि का था लोगों ने विचार किया कि जब हौज में इतना घड़ा दूध पडे़गा तो भला उसमें एकाद घड़ा जल पड़ने से क्या खराबी होगी। इसी विचार से प्रत्येक घरों से दूध की जगह पानी ही डाला गया।

अँधेरी रात में किसी को भी न सूझा कि हौज में सभी लोग पानी ही छोड़ रहे है। उनका निजी अनुमान था कि मेरे सिवा अन्य नागरिक हौज को दूध ही से भर रहे हैं? यदि किसी ने साहस कर देखा भी तो चादर की सफेदी के कारण दूध का भ्रम हो गया, पानी तो नीचे छिपा हुआ था।

जब सबेरा हुआ तो बादशाह बीरबल के साथ हौज का दूध देखने के लिये गया।

बीरबल ने बागवान को हौज की चादर उठाने की आज्ञा दी। जब चादर उठा दी गई तो हौज एकदम पानी से भरा हुआ निकला उसमें दूध का तिनका मात्र भी नहीं था। यह अजीब तमाशा देखकर बादशाह दंग हो गया और उसकी समझ में न आया कि आखिर मामला क्या है।

जब बीरबल से उसका कारण पूछा गया तो वह बोला-‘‘गरीब परवर! आपने अपनीआँखों देख लिया अब भी ‘‘सब सयानों का एक मत’’ वाली कहावत मानने को तैयार हैं या नहीं?

परमेश्वर को बुद्धि से पहचानिए

बादशाह ने सशंक होकर उत्तर दिया-‘‘बीरबल कहावत बिल्कुल सत्य प्रतीत होती है, परन्तु फिर भी मैं पुर्णतया संतुष्ट नहीं हुआ हूँ अतएवं इसमें और भी खोज बीन करने की आवश्यकता प्रतीत होती है। अब मैं उसका स्वयं अन्वेषण कर लूँगा तुझे कुछ करने की आवश्यकता नहीं है।

बीरबल तो हृदय से बादशाह का भक्त था इसलिये चुप रह गया। दूसरे दिन जब बादशाह सोकर उठा तो उसे वही रात वाली धुन समाई। वह अन्वेषण करने के अभिप्राय भेष बदल कर नगर की तरफ चला।

कई चक्कर काटने के बाद उसको एक मकान दृष्टिगत हुआ। इसकी दीवारें बहुत ऊँची न थीं और न ही कोई टीम टाम की सजावट ही थी, परन्तु मकान खूब साफ सुथरा था। बादशाह ने इसी मकान को अपने अन्वेषण का केन्द्र ठहराया और द्वार पर पहुँच कर कुंडी खड़खड़ाई।

किवाड़ खुल गया। भीतर से एक आदमी ने पूछा-‘‘आप कहाँ से आये हैं और आपका यहाँ किससे और क्या प्रयोजन है?’’

बादशाह बोला-मैं एक मुसाफिर हूँ, कल से इस शहर में आया हूँ मैने अपना डेरा सराय में डाला है, आज नगर देखने की इच्छा से निकला तो घूमते फिरते रास्ता भूलकर इधर आ पहुँचा, थकावट के कारण मेरे बदन में पीड़ा हो रही है इसलिये कुछ समय तक विश्राम लेकर अपनी थकावट दूर करना चाहता हूँ।

बादशाह के प्रस्ताव को मकान मालिक ने स्वीकार करते हुये उसे भीतर बुुला लिया और एक चारपाई दिखला कर विश्राम करने की आज्ञा दी ।

बादशाह चारपाई पर जा पड़ा और मकान मालिक अपना निजी काम करने लगा। जब वह सव कामों से निपट चुका तो मुसाफर के पास आया और उससे कुछ खाने पीने का अनुरोध किया, परन्तु बादशाह ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। बादशाह की मकान मालिक से आपसदारी की बातें होने लगी।

मुसाफिर ;बादशाहद्ध-‘‘भाई कल में इस नगर में आकर एक ढिढोरा सुना था क्या यह बराबर प्रति मास पीटा जाता है या इसी बार पीटा गया था। मैं बड़े आश्रचर्य में पड़ गया हूँ कि इस ढिढोरे से बादशाह का क्या प्रयोजन है।’’

मकान मालिक ने उत्तर दिया-‘‘नहीं भाई पहले ऐसा कभी नहीं सुनने में आया था, कल ही अचानक यह नई बात सुनने में आई, मुझे इसका भेद कुछ भी नहीं मालूम है।’’

उसने फिर पूछा-‘‘तो बादशाह इतने दूध को लेकर आखिरकार करेंगे क्या।’’

मकान मालिक-‘‘भाइ चाहे वह जो कुछ भी करें, परन्तु मैं आपसे सत्य सत्य बतलाता हूँ कि मैं तो दूध की जगह हौज में पानी ही डाल आया था।’’ मैने देखा कि शहर में जब सभी लोग! दूध की तलाश में है तो इतना दूध कहाँ से आवेगा और यदि हजारों घडे़ दूध में इक घड़ा पानी ही डाल दूँगा तो उससे क्या हो जाता।’’

बादशाह ने मुस्कुराकर कहा-‘‘बेशक! युक्ति तो आपने अच्छी निकाली, परन्तु यह बात कहीं बादशाह के कानों तक पहुँचे तो फिर आपकी कौन सी दुर्गति हो, इस पर भी आपने कुछ विचार किया था?’’

भाग्य बड़ा है कि मेहनत

Sab Sayaanon Ka Ekamat

मकान मालिक ने कहा-‘‘भाई यह बात किसी प्रकार प्रकट नहीं हो सकती।’’

बादशाह ने सोचा कि अब अपना असली स्वरूप इस पर प्रगट कर देना चाहिये ताकि अपनी धूर्तता पर इसे पश्चाताप हो। वह तुरत अपना ऊपरी लिवास हटाकर शाही लिवास में प्रकट हुए। मकान मालिक बड़ा भयभीत हुआ और उसका मुख मलीन हो गया।

तब बादशाह उसे ढाढ़स बँधाते हुए बोले-‘‘तुम घबराओ नहीं, इससे तुम्हारा कोई अनिष्ट न होगा। फिर असल बात तो यह है कि आपने अपने मुख से ही अपना दोष स्वीकार किया है, सुनो मैं यहाँ किसी अपराधी का दण्ड देने के अभिप्राय से नहीं आया हूँ केवल मुझे झूठ सच की जाँच करनी थी, जो मैं शाही लिवास में आया होता तो यह बात मुझे मालूम नहीं होती।’’

इस प्रकार उस मकानदार को निर्भय कर बादशाह अपने चेहरे को फिर नकली लिवास में ढक लिया और उससे बिदा हो एक दूसरे धनी के घर जा पहुँचे। यह धनी अपनी दयालुता के कारण सारे नगर में विख्यात था।

बादशाह ने उससे भी अपनी वही पहली युक्ति निकाली, यानी अपने को बहुत थका माँदा बतलाकर थोड़ी देर के लिये आश्रय माँगा।

वह रईस बादशाह की थकावट सुन दयाद्र हो कर बोला- ‘‘मियाँ मुसाफिर ! यह घर आपका ही है, आप सानन्द जितनी देर जी चाहे विश्राम कर लो, वह सामनें कई चारपाइयाँ पड़ी हुई हैं। वहाँ पर आपको सब प्रकार का सुपास मिलेगा।’’

बादशाह ने कहा -‘‘महाशह जी ! मैं अपने भार से आपको दबाने नहीं आया हूँ, बल्कि थोड़ी थकावट मिटाकर राही हो जाऊँगा।’’

फिर उन दोनों में देशकाल की बातें छिड़ी। बातों बातों में फँसाकर बादशाह ने फिर उससे वही बात छेड़ी।

तब रईस बोला-‘‘भाई! किफायत सभी को पसन्द है, दूसरे लोगों ने चाहे भले ही दूध डाला हो, परन्तु मैंने तो पानी ही डाला है।

बादशाह ने कहा-‘‘परन्तु इसपर आपने आगा-पीछा का विचार नहीं किया नहीं तो दूध को जगह पानी न डालते। अगर किसी प्रकार यह बात बादशाह को प्रगट हो जायगी तो आप राजाज्ञा भंग करने के अपराधी होगें।’’

धनाढच ने कहा- ‘‘सिवा मेरे और आपके दूसरा कोई भी मनुष्य इस बात को नहीं जानता। यदि तुम नहीं कहोगे तो बादशाह किसी प्रकार नहीं जान सकते।’’

बादशाह ने अपना नकली लिवास उतार कर अलग रख दिया और असली लिवास में प्रकट हो गया।‘‘ काटो तो बदन में खून नहीं।’’ विचारा धनाढच एकदम ठिठुक गया, उसके हवास गुम हो गये।

तब बादशाह उसे आश्वासन देते हुए बोला-‘‘चिन्ता करने की कोई बात नहीं है, जैसे आपने किया है उसी प्रकार सभी लोग अपने अपन घर किया करते हैं, परन्तु उसके लिये किसी को दएड नहीं दिया जाता।’’

उसे धीरज दे बादशाह शाही पोशाक बदल कर चला गया और बीरबल द्वारा बताई बात की सतत प्रशंसा की।

अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से (कहानियाँ)

दोस्तों आपको उम्मीद करता हूँ आपको ‘सब सयानों का एकमत | Sab Sayaanon Ka Ekamat | Akbar Birbal Ki Kahaniyan In Hindi’’ अच्छी लगी होगी। कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *