धनवान का छायाचित्र और बीरबल की चतुराई | Dhanwan Ka Chhayachitr – Birbal Ki Chaturai

Dhanwan Ka Chhayachitr - Birbal Ki Chaturai

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी धनवान का छायाचित्र और बीरबल की चतुराई | Dhanwan Ka Chhayachitr – Birbal Ki Chaturai आइये जानते हैं ;

धनवान का छायाचित्र और बीरबल की चतुराई
Dhanwan Ka Chhayachitr – Birbal Ki Chaturai

दिल्ली शहर में एक धनवान रहा करता था, उसके कुकृत्यों से अक्सर लोगों को बड़ी तकलीफ होती थी, परन्तु वह धनाढय किसी की एक न सुनता। वह हमेशा गुप्त रूप से मनमानी किया करता था, परन्तु बादशाह के भयसे ऊपर से भलामानस बना रहता।

एक दिन उसे एक नई शरारत सूझी। एक चित्रकार को बुलवाकर उसे अपना चित्र बनाने की आज्ञा दी। उस से पहले ही ऐसी शर्त तय करा ली कि अगर चित्र बनाने में बाल भर भी अन्तर पड़ेगा तो पुरस्कार नहीं दिया जाय।

दोनों की आपस में लिखा पढ़ी हो गई। चित्रकार घर जाकर बड़ी सावधानी से चित्र बनाने लगा। चित्र बनकर तैयार हो गया तो उसे लेकर धनवान के पास पहुँचा।

जब उसके आने का समाचार धनवान को मिला तो वह अपनी सूरत बदल कर उसके सामने आया। उसे देख विचारा चित्रकार दंग रह गया उसके मुख से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं निकला। लाचार होकर फिर से दूसरा चित्र बना लाने की प्रतिज्ञा कर घर लौट गया।

नये स्वरूप का जब दूसरा चित्र बनाकर ले गया तो फिर उस रईस ने अपना भेष बदल कर उसमें अन्तर दिखलाया। इसी प्रकार चित्रकार ने क्रमशः पाँच चित्र बनाकर तैयार किए, परन्तु धनवान की धूर्तता के कारण कोई चित्र भी उसके चेहरे से मेल न खा सका।

अन्त में चित्रकार को उसको ठगी पर संदेह हो गया और उससे धनवान से अपना पुरस्कार माँगा। धनवान उसे फटकारता हुआ बोला-‘‘तू इतना भी समझदारी नहीं रखता, जब मेरे अनुकूल चित्र ही नहीं बना सकता तो फिर पुरस्कार किस बात का लेगा। नाहक अपने को चित्रकार बतलाकर लोगों को ठगता है। सीधे यहाँ से चला जा नहीं तो मैं तेरी दुष्टता का भलीभाँति बदला चुका- ऊँगा।

इसी प्रकार दोनों के बीच देर तक तू तू मैं मैं हुई, फल कुछ न निकला। लाचार होकर विचारा चित्रकार बीरबल की शरण में गया।

अपना सारा समाचार कहकर बीरबल को पाँचों चित्रों को दिखलाया। सब बातों को देख सुनकर बीरबल ताड़ गया कि उस रईस ने इस विचारे को ठगा है। उसको स्वरूप बदलने की विद्या हासिल है, जिस कारण इसे बेकारमें ही ठग लेता है।’’ वह बोला-‘‘यदि तुम मेरे कहे अनुसार चलोगे तो तुम्हें अवश्य लाभ होगा। चित्रकार सहमत हो गया।

बीरबल न कहा-‘‘बाजार से एक अच्छा शीशा खरीइ लावो फिर दो तीन दिनों के पश्चात उसे लेकर उस रईस के पास जाना। साक्षी के लिये गुप्त रूप से मेरे दो कर्मचारी तुम्हारे साथ रहेगे। उससे जाकर कहना कि इस बार मैं आपका उत्कृष्ट चित्र खीच लाया हूँ, जब देखने को माँगे तो वही शीशा उसके सामने रख देना, शीशा में वह अपना स्वरूप बदल न सकेगा और इस भाँति आसानी से तुम्हारे काबू में आ जयेगा। कारण कि दर्पण में उसका तात्कालिक स्वरूप भाषित होगा।’’

कई दिनों का अन्तर देकर चित्रकार बाजार से एक शीशा खरीद लाया फिर गुप्तचरों के साथ रईस के घर गया और उससे मिलकर बोला-‘‘महाशय जी! इस बार मैं बहुत होशियारी से आपका चित्र बना लाया हूँ, आशा है कि मेरे इस कठिन परिश्रम से आप खुश होगे।’’ ऐसी चौखाई की बातें दर्पण रईस के सामने रख दिया।’’

धनाडय बोला-‘‘वाह क्या खूब! यह मुझे आइना क्यों दिखला रहा है, वह चित्र दिखला जिसकी तू ने अभी इतनी प्रशंसा की हैं।’’

चित्रकार ने उत्तर दिया-‘‘महाशय जी! यही आपका चित्र है।’’ तब तो रईस के काम खडे़ हो गये और वह अपनी ठगी छिपाने के लिये उससे बोला-‘‘तुझे मैने अपना चित्र बनाने को भला कब कहा था?’’

चित्रकार ने कहा-‘‘आप बात क्यों पलटते हैं, आपके आर्डर से मैने बारी बारी पाँच चित्र बना कर दिखलाया, परन्तु हर बार आपने नापसन्द कर मुझे कौरा लौटा दिया। अब इस बार इतनी मेहनत कर बना लाया तो नकारने पर तुले हुए हो। यह नहीं होने का, मेरे आपके बीच जो शर्तें पहले निश्चित हो चुकी हैं उसे पूरी कीजिये।’’

रईस ने देखा कि यह तो अच्छी बला लेकर आया है, इसे मूर्ख बनाकर ठगना चाहिये। वह एकदम नकार गया।

तब बीरबल के गुप्तचर बोले-‘‘आपको बादशाह के पास चलना पड़ेगा। आपने इससे छः बार चित्र बनवाया और रूपया एक भी नहीं दिया अब तुम्हारी ठगी नहीं चलने की।’’

रईस आँख दिखलाता हुआ उत्तर दिया-‘‘वाह, अच्छे आये? तुम मुझे दरबार मेे ले जाने वाले कौन होते हो?

तब गुप्तचरों ने अपना असली लिवास खोलकर दिखलाया। रईस का होश ठिकाने आ गया और विवश होकर चित्रकार को रूपये देने पर उतारू हुआ।

मामला बढ़ चुका था इसलिये सिपाहियों ने उसे ऐसा न करने दिया और पकड़ कर बीरबल के पास ले गये।

बीरबल तो उसके ठगी का हाल पहले ही सुन चुका था, जब वह आया तो उससे बहुत से प्रश्न उसी सम्बन्ध में किये, परन्तु वह उन प्रश्नों का एक भी उचित उत्तर न दे सका।

बीरबल ने उसे दस मिनट में सोचकर उत्तर देने की आज्ञा दी। फिर भी कुछ न बोला, बोलता कहाँ से कहीं बालू पर दीवार बनाई जा सकती है?

बीरबल ने सिपाहियों को कोडे़ लगाने की आज्ञा दी, वे पास ही में उपस्थित थे। हुक्त पाते ही कोड़ा लेकर आगे आये। कोड़ा देखते ही रईस का होश ठिकाने आ गया और उसने तुरंत अपना दोष स्वीकार लिया। बीरबल उसे कठिन दण्ड देकर जेल भेज दिया।

बीरबल की बेटी की बुद्धिमत्ता

ब्राह्मणी पर मांसखोरी का अभियोग

मनुष्य को सबसे प्रिय कौन है?

अकबर बीरबल की अन्य कहानियां

दोस्तों आपको उम्मीद करता हूँ आपको अकबर-बीरबल की कहानी : धनवान का छायाचित्र और बीरबल की चतुराई | Dhanwan Ka Chhayachitr – Birbal Ki Chaturai अच्छी लगी होगी। कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *