ताख वाला सेब और पखाने वाला दैत्य Taakh Vaala Seb ~ Funny Story Akbar Birbal

Taakh Vaala Seb _ Funny Story Akbar Birbal

अकबर-बीरबल की कहानियां किस्से ; Hindi Story of Akbar And Birbal अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं एक और मजेदार अकबर-बीरबल की कहानी “ताख वाला सेब और पखाने वाला दैत्य Taakh Vaala Seb ~ Funny Story Akbar Birbal ” आइये जानते हैं ;

ताख वाला सेब और पखाने वाला दैत्य
Taakh Vaala Seb ~ Funny Story Akbar Birbal

बीरबल अपनी चालाकी से बादशाह को बार-बार नीचा दिखाया करता जिससे वह बीरबल से हमेशा शर्मिदा रहता था। एक दिन बादशाह ने बीरबल से बदला लेने का विचार किया।

उसने अच्छे-अच्छे वैज्ञानिकों और कारीगरों से अपने रहने के कमरे में एक ताख इस ढब का बनवाया कि जिसके जरिये बीरबल को धोखा दिया जा सके। उसमें कोई ऐसी वैज्ञानिक वस्तु लगा दी गई थी कि जिस पर हाथ रखते ही उससे चिपक जाता था।

एक दिन बादशाह अपने कमरे में बैठा हुआ किताब पढ़ रहा था, इसी समय बीरबल भी आ पहुँचा। बादशाह बीरबल को देखकर मन में बड़ा प्रसन्न हुआ, प्रगट में बोला-‘‘बीरबल! जरा उस ताख पर रखा सेव तो लेते आना उसके लिये मैं बड़ी देर से
इन्तजार कर रहा हूँ।’’

सेव पहले से इसी अभिप्राय से रखा गया था, जिससे बीरबल का हाथ आसानी से उस वैज्ञानिक ताख में फँसाया जा सके।

आज्ञा पालन कर बीरबल सेव लेने के अभिप्राय से ताख पर अपना हाथ बढ़ाया। सेव पर पहुँचने से पहले ही उसका दाहिना हाथ उस ताख से चिपक गया। तब बीरबल ने अपना दूसरा हाथ पहले हाथ को छुड़ाने के अभिप्राय से लगाया। वह भी उसी में फँस गया, बीरबल बुहत घबड़ाया और मारे लजा के उसका सिर नीचा हो गया।

बादशाह ने विचार किया कि बीरबल अभी तक नहीं आया, ताख में फँस कर घबड़ाता होगा इसलिये उसे छुड़ाना चाहिये। वह टहलता हुआ उसके पास गया और बीरबल को ताख में फँसा हुआ देखकर बोला-‘‘क्या खूब! मेरी चीजें बराबर चोरी हो जाया करती थी परन्तु मुझे चोर का पता नहीं चलता था, आज सौभाग्यवश चोर की गिरफ्तारी हो गई है। जाओ बीरबल! तुम्हारा यह पहला कसूर समझ कर माफी देता हूँ लेकिन फिर कभी ऐसा काम न करना।’’

बादशाह के चार प्रश्न

Taakh Vaala Seb ~ Funny Story Akbar Birbal

बीरबल इस घटना से बड़ा लज्जित हुआ और उसके मुख से कोई जवाब न निकला-तब बादशाह ने अपने राजगीरों को आज्ञा देकर उसका हाथ छुड़वा दिया। अब बीरबल को चिढ़ाने के लिये बादशाह को अच्छा मसाला मिल गया।

वह बार बार ताख वाली बात याद दिलाकर बीरबल को नीचा दिखाता और विचारा बीरबल चुप रह जाता।

एक दिन बीरबल जैसे ही दरबार में आया त्योंही बादशाह ने उससे छेड़खानी की -‘‘क्यो बीरबल! वह ताख का सेव कहाँ है।’’ बीरबल फिर भी कुछ उत्तर न दिया।

बादशाह को इसमें बड़ा आनन्द आता और वह हर रोज किसी न किसी समय ‘ताख वाला सेब’ कह कर बीरबल को चिढ़ाता। विचारा बीरबल चुप रह जाता। जब बीरबल की नाक में दम आ गया तो बादशाह के चिढ़ाने की तरकीब सोचने लगा।

एक दिन बीरबल ने तीर्थयात्रा का बहाना कर बादशाह से दो हफ्ते की छुट्टी ली। उसकी छुट्टी मंजूर हो गई।

बीरबल घर पहुँच कर एक नया ढोंग रचकर अपना वेष परिवर्तन कर साधु का स्वरूप धारण किया। इस प्रकार खूब बनठन कर अधेंरी रात गये घर से बाहर निकला और रातोरात उस जंगल में जा पहुँचा जहाँ बादशाह शिकार खेलने जाया करता था। एक सघन झाडी के अन्दर आराम से बैठ गया।

शाम के समय में बादशाह भी शिकार खेलने गया। एक हिरन चौकड़ी भरता हुआ उसके आगे आया, बादशाह ने अपना घोड़ा हिरन के पीछे लगा दिया, वह इतनी तेजी से भागा कि उसके सभी साथी पीछे रह गये।

अन्त में हिरन एक घने जंगल में पहुँच कर आँख से ओझल हो गया। कोई आगे-पीछे नहीं दीख पड़ता था। बादशाह बहुत घबड़ाया क्योकि उसे जंगल से बाहर निकलने का काई रास्ता नहीं मालूम था।

अचानक बादशाह को जोर से पखाना लगा। वह घोड़े को एक पेड़ से बाँध कर घनी झाड़ियों की तरफ गया और पाखाने फिरने लगा। तभी एक भयानक भेषधारी-राक्षस रूप, काला मुशुएड, बाल बढ़ाये, बडे़-बडे़ दाँत आगे को निकाले डरावना डीलडौल का दैत्य दिखलाई पड़ा।

बादशाह का तोता

Taakh Vaala Seb ~ Funny Story Akbar Birbal

वह उछलता कूदताहुआ दहाड़ने लगा। थोड़ी देर बाद वह बादशाह के समीप आ पहुँचा और अपनी तेज आँखों से घूर कर बोला-‘‘तू बड़ा प्रजा को परेखान करता हैै, इसलिए आ कर मेरा भोजन बन!’’

उसका इतना कहना था कि बादशाह एकदम भयकातर हो गया और काँपता हुआ उस देव से बोला-‘‘हे देव! मैं आपके सामने प्रतिज्ञा करता हूँ कि आज से फिर प्रजा को कभी न सताऊँगा, आप कृपा कर मुझे जीता-जागता छोड़ दीजिये।’’

तब उस दैत्य से अधिक कुछ करते न बना और बादशाह से कहा-‘‘अब तेरे प्राण बचने का एकमात्र यही तरीका है कि तू मेरे जूतो को अपने शिर पर रखकर मेरे पीछे चल,
अन्य कोई उपाय मेरे पास नहीं है यदि जान बचाना चाहता है तो चल। ‘मरता क्या न करता’ विचारा बादशाह उसकी लाल पीली आँखें देखकर थरथर काँप रहा था।

घबराकरउसके प्रस्ताव को स्वीकार किया। बादशाह को जूता ढोने पर उद्यत देख विशालकाय दैत्य को दया आ गई और उसे बिना किसी प्रकार का दण्ड दिये ही छोड़ दिया। बादशाह नगर को चला गया।

अब बीरबल की छुट्टी पूरी हो चुकी थी अतएवं अपनी ड्यूटी पर जाने को समय आ गया, वह अपने घर आया। जब बादशाह को विदित हुआ कि बीरबल तीर्थ कर लौट आया है तो एक दूत उसे बुलाने को भेजा।

बीरबल बादशाह के बुलावे पर तुरत दरबार में हाजिर हुआ और अदब से सलाम कर अपनी जगह पर जा बैठा।

बादशाह को अब भी पहली बात की ढक सवार थी। वह बोला-‘‘बीरबल ताख का सेवा।’’ बीरबल ने उत्तर दिया-‘‘जी हुजूर पखाने वाला दैत्य।’’ बीरबल के इस
उत्तर से बादशाह की आँखे खुल गई और वह अपने किये पर शर्मिदा हुआ। उसी दिन से सवाल का जवाब पाकर फिर उसने बीरबल से सेव की बात कभी न छेड़ी।

कालान्तर में उसे विदित हो गया कि जंगल वाला दैत्यऔर कोई न था बल्कि वह बीरबल की ही करतूत थी। अतएवं दैत्य का भ्रम जो उसके हृदय में समा गया था वह क्रमशः जाता रहा और दिन सानन्द बीतने लगे।

आधी दूर धूप आधी दूर छाया

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