क्यों पड़ता है चंद्रग्रहण ? वैज्ञानिक तथ्य और मान्यताएं Chandra Grahan (moon eclipse) Science and Religious Beliefs

Chandra Grahan Science and Religious Beliefs

चंद्रग्रहण क्या है और क्यों होता है इसके जबाब में एक और वैज्ञानिक मत है तो दूसरी और कुछ प्रचलित धार्मिक मान्यताएं हैं। आज इस लेख में आप जानेंगे की चंद्र ग्रहण क्या होता है ? वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यताएं Chandra Grahan Science and Religious Beliefs आइयें जानते हैं।

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क्यों पड़ता है चंद्रग्रहण ? वैज्ञानिक तथ्य और मान्यताएं Chandra Grahan Science and Religious Beliefs

दोस्तों, चंद्रग्रहण को लेकर भारत में कई मान्यताएं सुनने में आती हैं, एक और वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो चंद्र ग्रहण का होना एक खगोलीय घटना है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं की माने तो यह एक ज्‍योतिषीय कारण हैं। जो भी हो, हम इस लिख में आपको इन दोनों कारणों को विस्तार से बताएँगे।

चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) को लेकर वैज्ञानिक दृष्टि से मान्यता

यह तो हम सभी जानते हैं की पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है, और चन्द्रमा पृथ्वी का। इस हिसाब से जिधर पृथ्वी उसके साथ साथ चंद्रमा… इस प्रकार लगभग 365 दिनों में जब पृथ्वी का सूर्य को एक चक्कर पूरा होता है, साथ साथ चंद्रमा का भी सूर्य का एक चक्कर पूरा हो जाता है।

अब जानते हैं चंद्रग्रहण क्यों होता है ! खगोलशास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण का होना एक खगोलीय घटना है, जिसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जैसे जब हमारी पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है जिसके कारण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और वह दिखाई नहीं देता इसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।

क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है इसलिए वह ज्यादा देर तक पृथ्वी की छाया में नहीं रहता और कुछ समय बाद ही पृथ्वी की छाया से बाहर आ जाता है। जैसे जैसे चन्द्रमा पूर्ण या आंशिक भाग पृथ्वी से ढक जाता है और सूरज की किरणें चंद्रमा पर नहीं पहुंचतीं। ऐसी स्थिति में चंद्रग्रहण होता है।

अब जानते हैं चंद्र ग्रहण को लेकर पौराणिक मान्यताओं को –

चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) को लेकर पौराणिक मान्‍यता

चंद्र ग्रहण को लेकर पौराणिक समय से यह धार्मिक मान्‍यता चली आ रही है कि ग्रहण के वक्‍त राहु चंद्रमा को निगल लेता है और इस वजह से चंद्र देव कष्‍ट में होते हैं। यही वजह है कि ग्रहण के दौरान कोई भी धार्मिक और शुभ कार्य नहीं किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को भी इस वक्‍त विशेष सावधानियां रखनी चाहिए और ग्रहण के वक्‍त बाहर आने से बचना चाहिए।

चंद्र ग्रहण को लेकर धार्मिक मान्‍यता है की प्राचीन समय में हण के वक्‍त याचक लोग शोर मचाते, ढोल बजाते और दैत्यों की भर्त्सना में जोर-जोर से अपशब्द कहते सुने जाते थे। धार्मिक लोग उस समय विशेष रूप से जप-तप और दान-पुण्य करते थे। विश्वास किया जाता था कि राहु-केतु नामक दैत्य सूर्य-चंद्र पर आक्रमण करके उन्हें निगलने का प्रयत्न करते हैं। जितना अंग उनके मुंह में घुस जाता है, उतने से ग्रहण दृष्टिगोचर होता है। इस प्रताड़ना से इन देवताओं को बचाने के लिए दान-पुण्य, जप-तप काम आता है, इसलिए कृतज्ञता निर्वाह के लिए वैसा करने की आवश्यकता समझी और पूरी की जाती थी।

चंद्रग्रहण से सम्बंधित पौराणिक कथा

समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत पान को लेकर एक बहुत बड़ा युद्ध होने लगा। किसी तरह देवताओं ने राक्षसों को धोका देकर अमृत पी लिया।

राहु नाम के एक राक्षस ने सोचा की अगर वो देवताओं के बीच बैठ जाएगा तो उसे भी अमृत मिल जायेगा। वह देवताओं के साथ बैठा और उसने भी अमृत पी लिया और हमेशा के लिए अमर हो गया था।

ऐसा करते हुए सूर्य देव और चंद्र देव ने उसे पकड़ लिया और यह बात विष्णु को बताई और विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहु के सिर को धड़ से अलग कर दिया। उस घटना के बाद राहु और केतु का जन्म हुआ।

असुर के मस्तक का नाम राहु और धड़ का नाम केतु था। वह सूर्य देव और चंद्र देव दोनों के कट्टर शत्रु थे इसलिए वह हमेशा अपनी स्थिति में आते हैं और उन दोनों पर ग्रहण लगाते हैं।

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