पंडित की पदवी (Pandit Ki Padvi) अकबर बीरबल की कहानी

Pandit Ki Padvi

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी पंडित की पदवी (Pandit Ki Padvi) आइये जानते हैं ;

पंडित की पदवी ~ Pandit Ki Padvi

एक मूर्ख ब्राह्मण को पंडित कहलवाने की बड़ी प्रबल इच्छा थी। बिचारा सतत् प्रयत्न करने पर भी जब कामयाव न हुआ तो उसने बीरबल से मिलकर कार्य-साधन की तरकीय सूझी। वह तुरन्त बीरबल के मकान की तरफ प्रस्थान हुआ।

बीरबल का घर उसके घर से दूर था। रास्ते का थका-माँदा जब वहाँ पहुँचा तो लोगों से पूछने पर पता हुआ कि अभी बीरबल दरबार से नहीं आये हैं।

‘‘मरता क्या न करता’ वह तो पंडित कहलाने की धुन में चूर हो रहा था, तत्काल वहाँ से मुड़ा और दरबार की तरफ चल दिया।

वह चला जा रहा था, कि अचानक बीच रास्ते में उसकी बीरबल से मुलाकात हो गई। वह बड़ी विनम्रतापूर्वक अपना दोनो हाथ जोड़कर बीरबल से बोला-‘‘बुद्धिवर प्रधान जी! मैं निरक्षर भट्टाचार्थ्य हूँ, यानी मुझे पढ़ना लिखना कुछ भी नहीं आता लेकिन मुझे पंडित बनने की बड़ी अभिलाषा है! अपनी बुद्धि भर प्रयास करके हार गया पर मेरी मनोकामना सफल न हई। अब लाचार होकर आपकी शरण में आया हूँ। कृपया मुझे इसका उपाय बतला कर मेरी जीवन रक्षा कीजिये।’’

बीरबल ने कहा-‘‘इसमें आपको घबराने की बात नहीं हैं इसका उपाय तो बड़ा ही सरल है। जो तुम्हे पंडित कहलाने की अपनी इच्छा को पूर्ण करेगा।

तुम किसी चौराहे पर जाकर खडे हो जाओ।जब तुम्हे कोई पंडित कहकर पुकारे तो उसे मारने दौड़ना, बस फिर देखोगे कि तुम जहाँ जहाँ जाओगे सर्वत्र लोग तुम्हें पंडित ही पंडित पुकारते फिरेंगे।’’

बीरबल की युक्ति से वह मूर्ख ब्राह्मण बड़ा सन्तुष्ट हुआ। तुरत आगे बढ़कर वह एक चौराहे पर खड़ा हो गया।

इधर बीरबल भी जा पहुँचा और वहाँ के खेलते हुए छोटे छोट लड़को के कान में
कुछ कहकर समझाया। फिर क्या था, चारों तरफ से पंडित पंडित की आवाज आने लगी और वह उन्हे मारने को दौड़ाने लगा।

लोगों की भीड़ लग गई।

लड़कों की देखा देखी बडों ने भी पंडित पुकारना प्रारम्भ कर दिया। ज्यो-ज्यों वह लोगो पर चिढ़ता त्यो-त्यो लोग और भी चिढ़ाते जाते थे।

देखा-देखी थोडे़ समय में ही वह मूर्ख सर्वत्र पंडित के नाम से विख्यात हो गया। जब
उसका मूर्ख मतलब हल हो गया तो बीरबल की अनुमति से क्रमशः चिढ़ना बन्द कर दिया, परन्तु लोगो ने पंडित कहना नहीं छोड़ा?

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