अकबर-बीरबल की कहानियां किस्से ; Hindi Story of Akbar And Birbal अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी “दो पड़ोसन ! Two Neighbors ! आइये जानते हैं ;
दो पड़ोसन ! Two Neighbors !
दिल्ली शहर के एक मुहल्ले मे दो पड़ोसन बहुत दिनों से रहती थीं, परन्तु दोनों का स्वभाव बिल्कुल अलग अलग था। दोनों में जरा भी पटरी नहीं खाती थी।
उसमें एक थी सरला जो गुणवती और सरल स्वभाव की थी परन्तु दूसरी ककंशा खोटी और कड़वा बोलने वाली थी। उनके मनमुटाव का यही खास कारण था। न वह उसकी बातों को सहन करती और न वह उसकी। यहाँ तक कि ककंशा हमेशा सरला की हँसी उड़ाया करती थी।
ककंशा सरला से इस कदर चिढ़ती थी की जब वह किसी प्रकार भी सरला को न दबा सकी तो एक दिन उसने अपने लाड़ले पुत्र की हत्या तक कर दी और चुपके से उस भलामानस सरला के घर में छोड़ आई और खुद रोती बिलबिलाती हुई बादशाह के पास पहुँची।
Two Neighbors Hindi Story of Akbar – Birbal
जब बीरबल ने उसके बच्चे के कत्ल का हाल सुना तो वह उस भलीमानस औरत सरला को बुलवाया, जिस पर की दुष्टा ने अपने पुत्र के मारने का आरोप लगाया था।
बीरबल की आज्ञा पर वह तुरत हाजिर हुई और अपने की इस प्रकार आकस्मिक बुलाये जाने का कारण पूछा।
बीरबल ने उत्तर दिया- ‘‘क्या तूने इस औरत के बालक की हत्या की है जैसा कि यह तेरे ऊपर अभिशाप लगा रही है ? यदि नहीं, तो तेरे पास निर्दोष होने का क्या सबूत है, तुरंत बतला?’’
सरला बोली-‘‘महाशय जी! न जाने कौन इस बालक की हत्या कर लाश मेरे घर में डाल गया है। मुझे इसकी बिल्कुल जानकारी नहीं। आप इस पर भलीभाँति विचार करें, मुझे इसकी तनिक भी जानकारी नहीं।
बीरबल दोनों स्त्रियों को वही रोक कर अपने एक सच्चे सेवक के कान में कुछ समझा कर उनके घर भेजा। वह उन स्त्रियों के चालचलन की जाँच कराना चाहता था।
नौकर आज्ञा पाते ही उनके मुहल्ले में गया जहाँ दोनों रहती थीं। वह उनके अड़ोस पड़ोस के तमाम लोगों से उनके चाल चलन के संबंध में पूछ-ताछ करने लगा।
उनके पड़ोसियों से मालूम हुआ कि जिसे स्त्री पर अभिशाप लगाया गया है वह निहायत भलीमानस है और अभिशाप लगाने वाली स्त्री निहायत दुष्टा और फरेबी है। नौकर जैसा सुन कर आया था उसका सारा कच्चा चिट्टा बीरबल से कह सुनाया।
सच झूठ की पहचान के लिये बीरबल ने एक तरकीब निकाली। उसने पहली भलीमानस स्त्री को बुलाकर पूछा-‘‘यदि तूने सचमुच इस बालक का बध नहीं किया है तो अपना सारा वस्त्र उतार कर एक तरफ अलग खड़ी हो जा।
’’सरला बोली-‘‘मन्त्रिवर! आप मुझे चाहेंकोई भी सजा दे दीजिए, परन्तु मुझसे यह नहीं हो पाऐगा। मैं मरने से उतना नहीं डरती जितना लल्जा से।’’
तब बीरबल ने कंकशा यानी दुष्ठा औरत को बुलाकर पूछा-‘‘यदि तू जानती है कि सचमुच इसने ही तेरे बालक का बध कराया है तो इस सभा के बीच अपना सारा वस्त्र अलग फेककर एकदम नग्न खड़ी हो जा। वह तुरंत वस्त्र उतार कर फेंकने का उद्यत हुई।
उसकी ऐसी निर्लज्जता देखकर बीरबल स्वयं शरमिन्दा हुआ और उसे उस्त्र उतारने से रोका। उसको निश्चय हो गया कि इसी ने बालक का बध किया है।
बीरबल ने सिपाहियों को उसे पीटने की आज्ञा दी उसका दोनों हाथ पाँव बाँध दिया गया और सिपाही मारने को उद्यत हुए। अब तो दुष्टा स्त्री का होश ठिकाने आ गए
और उसने तुरत अपना कसूर स्वीकार कर लिया।
बादशाह को उस मक्कारा की काली करतूत पर बड़ा रंज हुआ इसलिये उसे कारागार भुगतने की सजा दी और उस विनम्रा स्त्री को पुरस्कार देकर बिदा किया।
अकबर बीरबल की पांच लघु कहानियां
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