कहीं आपका दोस्त, दोस्त के भेष में दुश्मन तो नहीं। Chanakya Niti For Enemy Friend

Chanakya Niti For Enemy Friend

Chanakya Niti For Enemy Friend : आचार्य चाणक्य की नीति ग्रंथ (चाणक्य नीति) में उनके द्वारा बताई हर एक नीति मनुष्य को जीवन में ज्ञान तो देती है, साथ ही साबधान भी करती है। एक तरफ उनकी निति लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती हैं, वही दूसरी तरफ इंसान की पहचान करने का ज्ञान भी देती है। यही वजह है कि लोग आज भी चाणक्य नीति में बताई बातों को अपने जीवन में जरूर अपनाते हैं। आज के लेख में हम जानेगे की चाणक्य की नीति मित्र और शत्रु के बारे में क्या कहती है ;

कहीं आपका दोस्त, दोस्त के भेष में दुश्मन तो नहीं। Chanakya Niti For Enemy Friend

दोस्त ज़िन्दगी का सबसे अहम हिस्सा होता है। हर सुख दुःख में हमारा साथ निभाने वाला। खुशियों में तो शामिल हो ही जाता है मगर हमारे दुःख में भी हमारा साथ निभाने वाला। लेकिन कहीं हम ऐसे शख्श को जो अपना दोस्त नहीं मान रहे जो असलियत में हमारा दुश्मन हो। दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है।

1- ऐसा दोस्त जो तुम्हारे मुंह पर मीठी बातें करता हो, लेकिन पीठ पीछे तुम्हारी बुराई न सिर्फ सुने बल्कि बुराई करे भी। ऐसा दोस्त उस विष के घड़े के समान होता है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी नजर आती है और अंदर होता है विष। 

ऐसा दोस्त तुम्हें कभी भी किसी साजिश में फंसा सकता है और मौका मिलने पर तुम्हें बर्बाद कर सकता है। ऐसे दोस्त से दूर रहें और अपने राज की बात भूलकर भी उसे न बताएं। वो आपकी बात का फायदा उठा सकता है। ऐसे दोस्त को अपने भविष्य की कोई योजना भी न बताएं वो तुम्हारी योजनाओं में पानी फेर सकता है। इसलिए उस दोस्त रुपी दुश्मन से सावधान रहें।

आचार्य चाणक्य के अनुसार यह बातें हमेशा गुप्त रखें नहीं तो होगा बड़ा नुकसान।

2- ऐसा दोस्त दुश्मन के समान है जो हमें बुरे कामों के साथ देने की लिय बाध्य करता है। खुद बुरे कर्म करता है और हमें दोस्ती का वास्ता देकर बुरे कर्म करने के लिए विविश करता है। ऐसे दोस्त को दुश्मन जान जितना जल्दी हो सख्त उससे दूरी बनाये रखें ;

इस तरह के दोस्त दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होता है। आपको किसी भी मुसीबत में डाल सकता है और समाज में आपकी प्रतिष्ठा की धज्जिया भी उड़वा देता है। चाणक्य के अनुसार दुराचारी, कुदृष्टि रखने वाले और बुरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति से भूलकर भी मित्रता नहीं करनी चाहिए।

आचार्य चाणक्य की कड़वी बातें यदि अपना ली तो बदल जाएगी ज़िन्दगी।

3- जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से आपके दुःख में, बीमारी में, दुश्मन के हमला करने पर आपके साथ खड़ा रहता है वो आपके सच्चा दोस्त है, लेकिन इसके विपरीत जो व्यक्ति आप पर संकट देख आपसे दूरी बना ले, सुख में तो आपके साथ है पर विपत्ति में पल्ला झाड़ ले, ऐसा व्यक्ति दोस्त बनाने लायक नहीं होता।

बुरे दोस्त आपके अच्छे समय में आपका साथ देते है, आपकी मदद करते है। लेकिन बुरे समय में वे आपका साथ बीच चौराहें पर छोड़ने में भी संकोच नहीं करते है। किसी ने सही कहा है की, इंसान का बुरा वक्त भी आना जरूरी है क्योंकि इसी से अपनों और परायों की पहचान होती हैं।

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