अकबर-बीरबल के 12 मजेदार लघु किस्से | Akbar Birbal Ke Kisse

Akbar Birbal Ke Kisse

Interesting and Funny Akbar-Birbal Short Stories In Hindi ; Akbar Birbal Ke Kisse अकबर-बीरबल के रोचक और मजेदार किस्से.

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अकबर-बीरबल के 12 लघु किस्से | Akbar Birbal Ke Kisse

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं अकबर-बीरबल के मजेदार लघु किस्से  Akbar Birbal Ke Kisse आइये जानते हैं ;

तुम बड़े गधे हो !

एक दिन बीरबल और बादशाह दोनों बैठे हुये आपस में कुछ वार्तालाप कर रहे थे। इसी बीच बादशाह को मस्ती सूझी। बादशाह ने कहा- ‘‘बीरबल तुम बड़े गधे हो।’’ बादशाह ने सोचा अब देखते हैं की बीरबल क्या उत्तर देगा ?

बीरबल ने बड़ी ही सादगी से उत्तर दिया : “हुज़ूर ! पहले तो मैं ऐसा नहीं था परन्तु गधों की संगत में पड़कर गधा हो गया हूँ।

बीरबल के ऐसे उत्तर से बादशाह की बोलती बन्द हो गई।

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थोड़ा और बहुत

एक दिन बीरबल अपनी छोटी बेटी को साथ लेकर दरबार में गया। पहले बादशाह ने बेटी को बहुत प्यार दुलार किया, जब वह खुश होकर बादशाह से कुछ बाते करने लगी तो बादशाह ने पूछा -‘‘क्यों बेटी ! क्या तुम बातें करना जानती हो?’’

तब उस लड़की ने जवाब दिया- ‘थोड़ा और बहुत।’

बादशाह ने पूछा- इस ‘थोड़ा और बहुत’’ का क्या मतलब है?’’

लड़की बोली-‘‘सरकार! इसका मतलब यह है कि बड़ों से थोड़ा बोलना जानती हूँ और छोटों से बहुत।’’

उस लड़की की ऐसी बुद्धिमत्तापूर्ण बातें सुनकर बादशाह को बड़ी प्रसन्नता हुई, और बीरबल के घराने की स्वाभविक हाजिर जवाबी पर ईश्रवर को कोटि कोटि धन्यबाद दिया।

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बीरबल ने कैसे पहचाना राजा को ?

एक दिन बादशाह ने बीरबल को अन्य राज्य में राजदूत के रूप में भेजा। उस राज्य के राजा ने भी बीरबल की बुद्धिमानी और चतुराई के कई किस्से सुन रखे थे और वो भी चाहता था की क्यों न मैं भी बीरबल की बुद्धिमत्ता और चतुराई को देखू।

ऐसा सोच राजा ने बीरबल की परीक्षा लेन की सोची। राजा ने अपने सभी मंत्रियों को उनके जैसे राजा के कपड़े पहनाए और सभी एक साथ कतार में बैठ गए।

जब बीरबल ने राजदरबार में प्रवेश किया, तो वह सभी को एक जैसे कपड़े पहने और एक ही तरह के सिंहासन पर बैठा देखकर चकित रह गए। हैरान बीरबल ने सभी को थोड़ी देर देखा, फिर उनमें से एक के पास गए और उनके सामने आदर से झुक गए।

यह देख कर स्वयं राजा भी आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने खड़े होकर बीरबल को गले लगाया और उनसे पूछा कि उन्होंने यह कैसे पता चला की मैं ही असली राजा हूँ।

बीरबल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, महाराज जिस तरह का विश्वास मैंने आप में देखा वो मुझे किसी और में नहीं दिखाई दिया और ये सभी आपकी ओर अनुमोदन के लिए देख रहे थे।

राजा यह देखकर बहुत खुश हुए और बीरबल की प्रशंसा की, साथ ही कई तरह के उपहार भी दिए।

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Akbar Birbal Ke Hindi Kisse

हौज के अण्डे

एक दिन बादशाह को बीरबल की हँसी उड़ाने की इच्छा जागृत हुई। अतएवं वे बीरबल के आने के पूर्व ही बाजार से बहुत से मुर्गी के अण्डे मँगाकर अपने दरबारियों को एक एक कर बाँट दिया। केवल बीरबल ही खाली रह गया था।

बीरबल जैसे ही दरबार में हाजिर हुआ, बादशाह ने कहा- ‘‘बीरबल ! मैने आज रात में एक अजीब सपना देखा है, उसका तात्पर्य यह निकलता है कि जो मनुष्य इस हौज में डुबकी लगा कर एक अण्डा मुर्गी का न निकाल लावे उसे दो बाप का समझना चाहिये। मैं केवल तुम्हारी बाट देख रहा था। बेहतर है कि सबकी बारी 2 से परीक्षा ली जाय। देखे स्वप्न का क्या प्रभाव पड़ता है।’’

बादशाह की अनुमति से सभी दरबारी हौत में डुबकी मार कर हाथ में एक एक मुर्गी का अण्डा लेकर बाहर निकले, जो कि बादशाह ने पहले ही उन्हें दे रखा था।

जब बीरबल की बारी आई तो वह हौज में डुबकी मारकर खाली हाथ निकला। परन्तु उसके मुखारबिन्द से कुकडू कूँ का शब्द निकल रहा था।’’

बादशाह ने कहा- मियाँ बीरबल तुम्हारा अण्डा कहाँ है, जल्दी दिखलाओ।

बीरबल ने उत्तर दिया-‘‘हुजूर! तमाम अण्डा देने वाली मुर्गी के बीच एक मैं ही मुर्गा हूँ।

विचारे दरबारी सहम गये और बादशाह के ओठो पर मुस्कुराहट आ गई।

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घुँघची की माला

एक दिन धार्मिक बातों पर चरचा छिड़ी तो बादशाह ने बीरबल से पूछा-‘‘क्यों बीरबल! तुम्हारे कृष्णभगवान घुँघची की माला क्यो पसंद करते है? उन्हे एक से एक अमूल्य रत्नों की मालाएं क्यों नहीं पसन्द आती?’’

बीरबल ने उत्तर दिया-‘‘हुजूर! हमारे शास्त्र में ऐसा लिखा है कि जो एक बार भी सोने से तौला जाता है वह पवित्र हो जाता है, फिर यह घुँघची तो बारंबार सोने से तौली जाती है। यही खास कारण है कि घुँघची की माला की इतनी प्रतिष्ठा की जाती है। इसी विचार से भगवान कृष्ण भी बहुमूल्य हीरे मोतियों की मालाओं को न पहनकर इसे अपने गले का हार बनाते हैं।

इस उत्तर से बादशाह का चेहरा खिल गया और वह प्रसनन हो गये।

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कौवों की गिनती

एक दिन सुबह की अच्छी धूप में अकबर और बीरबल महल के बगीचे में आराम से टहल रहे थे।

तभी बादशाह को बीरबल की बुद्धिमानी का परीक्षा लेने सूझी।

बादशाह ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ की हमारे राज्य में कुल कितने कौवे हैं?”

बीरबल, बादशाह के ऐसे सवाल के पीछे छिपे मजाक को समझ चुका था

कुछ क्षण सोचने के बाद बीरबल ने जवाब देते हुए कहा, “हुज़ूर ! हमारे यहाँ अस्सी हजार नौ सौ इकहत्तर कौवे हैं।”

बीरबल का जबाब सुनकर बादशाह अकबर हैरान और आश्चर्यचकित रह गया, और फिर उन्होंने पूछा “अगर इससे ज्यादा हुए तो?”

बीरबल ने जवाब दिया “तब हो सकता है वे दूसरे राज्यों से आए हुए होंगे।”

अकबर ने पूछा “अगर कम हुए तो?”

बीरबल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया “वे दूसरे राज्यों में चले गए होंगे!”

यह सुनकर अकबर, बीरबल की हास्यवृत्ति, चतुराई और वाक्–पटुता पर खुश हुए।

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एकान्त वास की व्याख्या

बीरबल का नियम था कि दरबार से फुरसत पाकर वह अपना कुछ समय एकान्त वास में बिताया करता था।

एक दिन जब वह दरबार से खाली होकर अपने घर लौट रहा था तो मार्ग में उसे एक आदमी मिला। उसने बीरबल से पूछा-‘‘महाशय जी! क्या आप कृपा कर मुझे बीरबल के घर का पता बतला सकते है?’’

बीरबल ने कहा-‘‘क्यों नहीं बतला सकता।’’

तब वह उसको अपने घर का पता ठिकाना बतला कर यहाँ से चलता हुआ। वह मनुष्य पूछता पूछता बीरबल के घर जा पहुँचा और उसके घर वालों से बीरबल से मिलने का
अनुरोध किया।

वे बोले-‘‘ताऊजी अभी बाहर गये हैं, ठहर जाओ थोड़ी देर में मुलाकात हो जायगी।

वह आदमी वीरबल के द्वार पर बैठकर उसके आने की प्रतीक्षा करने लगा।

थोड़ी देर बाद बीरबल लौटकर आया, वह उसे पहचान कर आश्रर्य चकित होकर पूछा-‘दीवान जी! रास्ते में आपसे मेरी मुलाकात हुई थी, परन्तु वहाँ पर आपने मुझे अपना परिचय क्यों नहीं दिया।’’

बीरबल ने कहा ‘‘आपका कहना अक्षरसः सत्य है, परन्तु आपने मुझसे बीरबल के घर का पता पूछा था। इसलिये मैंने अपने घर का पता बतला दिया, यदि मेरा परिचय पूछा होता तो मैं आपको अपना परिचय देता।’’

उस आदमी ने कहा-‘‘लोगों के मुख से मैने ऐसा सुना है कि आप नित्यप्रति अपना थोड़ा समय एकान्त वास मे बिताते हैं, सो उसका क्या कारण है?’’

बीरबल बोला-‘‘आपको समझना चाहिये था कि एकान्त वास से बड़ा लाभ होता है। पहले तो एकान्त वास में विचारों की सूझ भली भाँति होती है, दूसरा एकान्त मनन करने का सर्वोत्कृष्ट साधन है। यदि आप कहीं अलग बैठकर विचार करेगे तो आपको अपनी परिस्थिति साफ साफ दिख पडे़गी।’’

वह मनुष्य बीरबल के उत्तर से संतुष्ट होकर अपने घर लौट गया।

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बीरबल के जूते

एक दिन बादशाह ने बीरबल से मस्ती लेने के इरादे से उसके जूते गुम करा दिये।

जब घर जाने का समय हुआतो बीरबल अपने जूतो को तलाश करने लगा।

जब वे न मिले तो बादशाह ने कहा-‘‘अच्छी बात है, बीरबल को हमारी तरफ से जूते दिये जायँ।’’

बीरबल नये जूतों का पहन कर ऊपरी प्रसन्नता दिखलाते हुए बोला-‘‘मैं आपको आशीर्वाद देता हूँ कि ईश्वर इसके पहले आप को हरलोक परलोक सभी जगह ऐसे ही हजार जूतें दे।’’

बीरबल के ऐसे हास्यपूर्ण आशीर्वाद को सुनकर बादशाह खिलखिला कर हँस पड़ा।

दरबारी लोग चकिति होकर बीरबल का मुँह देखते रह गये।

बीरबल की चतुराई

Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi

कौन सा अच्छा

एक दिन बादशाह अपने दरवार में बैठा हुआ दरवारियों से दिल-बहलवा की बातें कर रहा था, उसी समय बीरबल भी आ पहुँचा।

बादशाह ने बीरबल से पूछा- ‘‘बीरबल! क्या बतला सकते हो कि फल कौन सा अच्छा दूध किसका अच्छा, पत्ता किसका अच्छा, फूल कौन सा अच्छा, मिठास कौन सी अच्छी, राजा कौन अच्छा?’’

उपस्थित मण्डली में एक भी ऐसा न था जो उन प्रश्नों का उचित उत्तर देता। तब बादशाह ने इसका भार बीरबल के ऊपर दिया।

बीरबल बोला-‘‘पृथिवीनाथ! फलो में बेटा अच्छा है जिससे बाप दादों का नाम पुस्त दरपुस्त चला जाता है।

दूध माता का उत्तम होता है जिससे सब का पालन पोषण होता है।

पत्ता पान का अच्छा होता है। इसके देने से नौकर स्वामिभक्त हो जाता है, यहाँ तक कि उसके लिये प्राण तक न्योछावर करने को उद्यत हो जाता है।

फूल कपास का अच्छा होता है कारण कि उसके सहारे संसार भर की लज्जा रहती है।
मिठास वाणी की अच्छी होती है, जिसके फलस्वरूप बिना पैसा कौड़ी के लोग वश में हो जाते हैं।

राजाओं में इन्द्र अच्छा है जो पानी बरसाकर जगत को पालता है।’’

बीरबल के ऐसे उत्तर से सब सभासदों के सहित बादशाह अति प्रसन्न हुए।

चतुर माँ के सुपूत

Akbar Birbal Ke Kisse Hindi

कौन सी ऋतु सर्वोत्तम है?

एक दिन बादशाह राजकीय कामों से अवकाश पाकर अपने दरबार में बैठे थे। इधर उधर की बातें भी हो रहीं थी। तब बादशाह ने पूछा – गर्मी, बरसात, जाड़ा, हेमन्त, शिशिर और बसन्त इन छहों ऋतुओं में सर्वाेत्तम ऋतु कौन सी है?’’

दरबारियों ने अपनी अभिरूचि के अनुसार किसी ने कुछ और किसी ने कुछ बतलाया, परन्तु उनका उत्तर कुछ संतुष्टि पूर्ण नहीं हुआ। तब बादशाह ने बीरबल से पूछा-

‘‘बीरबल ने तुरत उत्तर दिया-‘‘हुजूर! जिनका पेट भरा हुआ होता है उनके लिए सभी ऋतुए अच्छी होती हैं, भूखों के लिये एक भी नहीं। यानी सभी बुरी होती हैं।’’

आधी दूर धूप आधी दूर छाया

Kisse Akbar Birbal Ke

पुजारी के सवाल

एक दिन एक पुजारी अकबर के दरबार में सोने की चूड़ियों से भरी कलाई लेकर आया और अकबर को एक चुनौती दी।

उसने सुझाव दिया कि वह अकबर के दरबार के रईस से सवाल करेगा और अगर वह हार जाता है, तो उसने दुनिया भर के महापुरुषों से जो चूड़ियाँ इकट्ठी की हैं, वे अकबर की होंगी, लेकिन अगर वह जीत जाता है, तो अकबर को उसे एक और सोने की चूड़ी देनी होगी।

चुनौती का सामना करने के लिए बीरबल को बुलाया गया और पुजारी ने उससे पूछताछ शुरू कर दी।

पुजारी ने बीरबल से पहला सवाल पूछा- आमतौर पर हमारा दिमाग हमारे सिर में होता है लेकिन कब जाता है?

बीरबल ने बुढ़ापे में कहा।

अगला सवाल यह था कि शर्म आपकी आंखों से कब छूटती है?

बीरबल ने कहा कि जब आप कुछ गलत करते हैं।

अगला सवाल यह था कि बहादुरी कब छोड़ती है?

बीरबल ने उत्तर दिया कि जब हम किसी चीज से डरते हैं।

आखिरी सवाल यह था कि शक्ति हमारे शरीर को कब छोड़ती है?

तब बीरबल ने जबाब दिया कि बुढ़ापे में ऐसा होता है जब हम अपने काम खुद करने में असमर्थ होते हैं।

पुजारी समझ गया कि वह हार गया है इसलिए उसने अपनी सारी चूड़ियाँ अकबर को दे दी और चला गया।

बीरबल और मदिरा

Best Kisse Akbar Birbal Ke

काली ही नियामत है !

एक दिन सन्ध्या समय बादशाह और बीरबल हवा सेवन के लिये कहीं जा रहे थे। नगर के बाहर जाकर बादशाह ने देखा कि एक कुत्ता कई दिन की सड़ी होने के कारण काली पड़ी हुई रोटी को बड़ी चाव से खा रहा है।

उसे देख बादशाह को मजाक करने की सूझी और बीरबल को सम्बोधन कर बोला-‘‘देखो बीरबल! कुत्ता काली को खा रहा है।’’ दरअसल काली बीरबल की माँ का नाम था।

बीरबल अपने हाजिर जवाबी के लिये तो विख्यात ही था, वह झट बोला-‘‘हुज़ूर ! उसे
वही नियामत है।’’

इसपर बादशाह कुछ चिड़चिड़ा सा गया क्योकि नियामत उसकी माता का नाम था और काली बीरबल की माता का नाम था।

उसने कहा-‘‘बीरबल तुम मेरी माता को कुत्ते को खिला रहा है।’’

बीरबल ने उत्तर दिया- क्या आपने मेरी माता से पहले कुत्ते को नहीं खिलाया था?’’

बादशाह ने उत्तर दिया-‘‘मैं तुम्हारी माता को नहीं उस काली रोटी के लिये कह रहा था।’’

बीरबल बोला-‘‘मैं भी तो यही कहा था कि रोटी चाहे कैसी भी सड़ी गली क्यों न हो, परन्तु उसके लिये तो वही नियामत है।’’

बादशाह संतुष्ट हो गया औह काफी समय तक बीरबल से कोई दुसरा मजाक नहीं किया।

बादशाह का तोता

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