बीरबल की पारखी नजर | Beerabal kee Paarakhee Najar | Akbar Birbal Story Hindi

Beerabal kee Paarakhee Najar

अकबर-बीरबल की कहानियां किस्से ; Hindi Story of Akbar And Birbal अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी “बीरबल की पारखी नजर | Beerabal kee Paarakhee Najar | Akbar Birbal Story Hindi ” आइये जानते हैं ;

बीरबल की पारखी नजर | Beerabal kee Paarakhee Najar

एक दिन बादशाह और बीरबल नगर भ्रमण के लिए निकले। एक जगह नुक्कड़ पर उन्हें एक औरत दिखाई पड़ी। वह महा फूहड़ देख पड़ती थाी। उसके मोटे मोटे होठों के बीच से दो बड़े बड दाँत बाहर को झाँक रहे थे। नाक से पोटा जारी था। मलीन वस्त्र, खुले बाल और शरीर पर मिट्टी पानी मिश्रित दाग पड़े हुए थे। बात करते समय मुँह से थूक बाहर निकला आता था। कहाँ तक कहें वह सर्वांग फूहड़ थी।

राजा की तो बात ही अलग है, उसके हाथ के स्पर्श किये फल तक भी किसी रंक को खाने को जी नहीं चाहता था। यानि वो उन्हें संभाल कर रखे।

बादशाह के चार प्रश्न

वह स्त्री गर्मिणी थी। यह देखकर बादशाह को बड़ा आश्रचर्य हुआ और वे बीरबल से बोले-‘‘बीरबल! जरा कामदेव का प्रबल प्रभाव तो देखो! जिसके देखनेमात्र से घृणा उत्पन्न होती है, उसके साथ रमण करने वाला भला कैसा होगा?’’

बीरबल ने उत्तर दिया-‘‘हुजूर! भूखे को जूठा मीठा नहीं सूझता। निद्र देवी के आवाहन के समय मुलायम सेज वा जमीन का विचार नहीं उठता। उसी प्रकार कामकी ज्वाला के सामने भी भले बुरे का परिज्ञान भूल जाता है। उस समय काम से पीड़ित व्यक्ति को न जात सुझता है न कुजात। आपको अन्वेषण करने पर ऐसे बहुतेरे पुरूष मिलेगे जो देखने में तो बड़े सुन्दर और फिटिक बाज होगे, परन्तु ऐसी ऐसी गलीज जगहो में उन्ही का नम्बर निकलता है।’’

बादशाह ने कहा-‘‘हाँ तुम्हारा कहना भी सत्य हो सकता है। इसलिये मैं चाहता हूँ कि इससे रमण करने वाले की खोज की जाय। मैं उसे देखना चाहता हूँ।

बीरबल बोला-‘‘शायद कुछ देर अगल, बगल के लोगों से पूछताछ करने पर कुछ भेद खुले।

ऐसा विचार कर वे वहाँ से कुछ दूर निकल गये, परन्तु बीरबल को उस बात की ही धुन बँधी रही। वह बराबर उसी स्त्री की तरफ लगा हुआ था। थोड़़ी देर बाद एक ऐसी घटना घटी कि एक कामी पुरूष उसके बगल से होकर निकला और उस स्त्री से कुछ संकेत द्वारा कहकर आप आने निगल गया। वह देखने में किसी उच्च कुल का जान पडता था, परन्तु स्वभाव से लम्पट प्रगट होता था।

बीरबल ने उसे बादशाह को दिखाकर कहा-‘‘हुजूर! यही पुरूष उस स्त्री का यार जान पड़ता है।’’ बादशाह को बीरबल की बातों से आश्रचर्य हुआ और वे बोले-‘‘इसपर कैसे विश्वास किया जाय?’’

बीरबल ने उत्तर दिया-‘‘उसकी तरफ कुछ देर तक ध्यान- पूर्वक देखने से आपको स्वयं सि( हो जायगा।’’

भाग्य बड़ा है कि मेहनत

बादशाह ने बीरबल के कहने का अनुशरण किया। वे अनजानों की तरह उसकी दृष्टि बचा कर बराबर उसी तरफ देखते रहे। कुछ कालो परान्त वह लम्पट फिर घूम कर आया और अँगुली के संकेत से उसे कुछ कहकर आप अग्रसर हुआ।

महामाया भी उसके पीछे पीछे चली। कुछ देर के बाद वे दोनों एक गली में मुडकर इनकी आँखों से ओझल हो गये।

यह देख कर बादशाह का भ्रम मिट गया और उन्हे उस लम्पट का यार होना निश्चित हो गया। परन्तु फिर भी उधर ही दृष्टि अड़ाये रहे। अब ये दोनों आगे बढ़े। बादशाह को बीरबल की परिख पर बड़ा आश्रचर्य हो रहा था।

इसलिये बीरबल को छेड़कर बोले-‘‘बीरबल! तुम्हारी परिख तो बड़ी सच्ची निकली। परन्तु यह तो बतलाओ कि पहले तुमने उसको कैसे पहचाना था।’’

बीरबल बोला-‘‘हुजूर! यह सब आँखों की खूबियाँ हैं। हम लोग नगर में निकलते हैं तो बराबर रास्ते में आने जाने वालों की चाल ढाल का निरीक्षण किया करते हैं। जिससे आँखों को मनुष्यों से मिलकर वा दूर से देखकर उनके आचरण समझलेने की शक्ति प्राप्त हो गई है। मैं बहुत देर से बराबर उस लम्पट की हरकतों को देख रहा था।

पहले जब वह आया तो उसके हाथ पर केवल खैनी थी। चूने की तलाश में अगल बगल की दीवालों को देखता जा रहा था। एक दिवार पर ताजा चूना लगाया गया था। झट अँगुलियों से चुना पोछकर खैनी बनाकर खा लिया। अब आपही बतलावें कि जो इंसान दीवार का चूना खैनी में मिलाकर खाने में नहीं हिचकता उसके लिये यह काम करना कौन सा आश्यर्च है।’’ उसी समय मुझे विदित हो गया कि यह व्यक्ति व्यसनों का सच्चा गुुलाम है।

बादशाह को बीरबल की ऐसी गुप्त पहिचान से बड़ी प्रसत्रता हुई और वह घर आकर उसको एक जोड़ी दुशाखा पारितोषिक दिया।

बादशाह का तोता

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