चतुर माँ के सुपूत | Son of a Clever Mother | Akbar Birbal Short Story In Hindi

Son of a Clever Mother

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं ‘चतुर माँ के सुपूत’ | Son of a Clever Mother | Akbar Birbal Short Story In Hindi आइये जानते हैं ;

चतुर माँ के सुपूत | Son of a Clever Mother

एक दिन बादशाह बीरबल के साथ बाग में बैठ कर गपशप कर रहे थे। गर्मी का दिन था। प्रातः काल की मन्द मन्द हवा वह रही थी। बादशाह और दीवान गरमी की पोशाक पहने हुए थे। उस सुहावने समय में वे बड़े खुश मालूम होते थे। उनके बातों की लड़ी टूटती ही न थी।

प्रसंग चलते चलत बनियों का जिक्र आया। बादशाह ने बीरबल से पूछा- ‘‘बीरबल! यह सब क्या है, लोग अक्सर बनियों को चतुर माँ के बेटे क्यों कहते है?’’ बीरबल ने उत्तर दिया-‘‘हुजूर! सचमुच वनिये ऐसे ही पाये जाते हैं।’’ बादशाह ने कहा-‘‘अच्छी बात है, परन्तु इसका प्रमाण देकर मेरी शंका निवारण करो।

बीरबल ने तुरंत एक सिपाही के द्वारा थोड़ी सी मूँग की फरमाइश कर बाजार से चार बनियों को बुलवाया। दीवान का संदेशा मिलते ही बनिये मूँग के नमूने सहित तुरत हाजिर हुए।

बीरबल ने पूछा-‘‘साहजी इस अन्न का क्या नाम है?’’ बनिये विचार में पड़ गये और मन में सोचा कि यह अब एक प्रसिद्ध खाद्य है और इसका नाम भी किसी से छिपा नहीं है,
कारण की परमात्मा ने इसकी उपज भी अच्छी दी है। इसके अन्दर कोई भेद की बात जरूर है, नहीं तो बादशाह इसका नाम मुझसे क्यों पूछता? उत्तर समझ कर देना चाहिये।’’

चारो बनियों ने मिलकर एक मत किया। उन्होने सोचा कि यदि मूँग का मूँग ही बतलाया जाय तो बादशाह इससे प्रसन्न नहीं होंगे तब आखिर ऐसा कौन सा नाम बतलवें की बादशाह प्रसन्ता हों।

अभी इनका मिसकाउट चल ही रहा था कि इसी बीच बादशाह ने फिर पूछा-‘‘क्यों साहजी! आप लोग अभी तक क्या सोच रहे हैं, इसका नाम क्यों नहीं बतलाते?’’

थोड़ी सी मूँग हाथ में उठाकर एक बनिये ने उत्तर दिया-‘‘हुज़ूर ! यह तो मुझे उरद जान पड़ती है। दूसरे ने कहा-‘‘यह मटर जान पड़ती है। परन्तु मटर मे छोटी है, इसका ठीक-ठीक नाम स्मरण में नहीं आता।’’ तीसरे ने कहा-‘‘यह मिरच जान पड़ती है।’’ उनकी ऐसी चौरंगी बातें सुनकर बादशाह ने कहा-‘‘तुम लोग मुझे खपतुलहवास
जान पडते हो। यह मूँग है मूँग।’’ बनियों ने कहा-‘‘हाँ गरीबपरवर! वही वही, जो आप कह रहे हैं।’’

बादशाह ने फिर पूछा-‘ क्या हुआ? नाम क्यों नहीं बतलाते।’’

बनिये बोले-‘‘गरीबपरवर। जो नाम अभी आपने बतलाया था वही।’’ बादशाह भी पर में पानी लगने देने वाला नहीं था। उसने कहा-‘‘अभी मैंने किस चीज का नाम लिया था?’’
बनिये फिर चालाकी खेल गये और बोले-‘‘गरीबपरबर! हम को त्रिस्मर्ण हो गया है।’’

बादशाह ने कहा-‘‘हाँ हाँ मैने मूँग का नाम बतलाया था।’’ बनियों ने कहा-जी जी, हुज़ूर वही।’’ इतना होने पर भी बनियों ने मूँग का नाम अपनी जबान पर न लाये। बादशाह उनकी इस चातुर्यता से अति प्रसत्र हुआ, और सब को घर जाने की अनुमति दी।

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