धनतेरस (Dhanteras) मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है … Why Dhanteras Is Celebrated ! Dhanteras Story

Why Dhanteras Is Celebrated

दीपावली से दो दिन पूर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू मान्यता में धनतेरस का काफी महत्त्व है पर आखिर धनतेरस (Dhanteras) क्यों मनाया जाता है ! आइयें जानते हैं पूरी कहानी और कैसे मानते हैं धनतेरस How to Celebrate Dhanteras (Dhanteras Story) …

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Why Dhanteras Is Celebrated -धनतेरस क्यों मनाया जाता है … Dhanteras Story

शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार धनतेरस का भगवान विष्णु के वामन अवतार से सम्बन्ध है। माना जाता है समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धनवंतरि को आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान धनवंतरि का जन्म भी हुआ था।

हिन्दुओं में धनतेरस मनाने का काफी महत्त्व है। क्योंकि  धनवंतरी भगवान विष्णु जी के अंशावतार है इसलिए धनवंतरी भी अपने एक हाथ में चक्र और दूसरे हाथ में शंख धारण किये हुए हैं। शंख से सांस की बीमारी दूर होती है और साथ ही साथ वातावरण भी शुद्ध और पवित्र हो जाता है। इनकी दो अन्य भुजाओं में से एक में जलूका और ओषधि और दूसरे हाथ में अमृत से भरा हुआ कलश है।

A Mythology to Celebrate Dhanteras ~ धनतेरस मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है।

असुरों द्वारा देवताओं के कार्य में बाधा डालने से क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी। दूसरी और राजा बली भी देवताओं पर अत्याचार कर रहा था। देवताओं को राजा बलि के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु एक वामन के अवतार में प्रकट हुए। लेकिन शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि को बता दिया कि यदि कोई भी वामन कुछ लेने आये तो मत देना क्योंकि वामन के रूप में विष्णु होंगे जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीन लेंगे। पर राजा बलि के  शुक्राचार्य की किसी बात को नहीं माना।

जब भगवान विष्णु वामन रूप में राजा बलि के समक्ष आये तो उन्होंने राजा से तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि के मानने पर भगवान रूप में वामन दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर उन्हें संकल्प कराने लगे। बलि को दान से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में छोटा रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया। वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में इस तरह रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से बाहर आ गए।

इस राजा बलि का तीन पग भूमि देने का संकप्ल पूरा हो गया। वामन भगवान ने अपने एक पग से पूरी पृथ्वी का नाप लिया और दूसरे पग में पूरे अंतरिक्ष को नाप लिया। तीसरे पग के लिए राजा बलि को देने कोकुछ नहीं था। उसने अपना सर भगवान के आगे रख दिया और भगवान को अपना सब कुछ दे दिया। इस प्रकार बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस कारण से भी धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।

कैसे मानते हैं धनतेरस How to Celebrate Dhanteras

इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामन पूर्ण होती है। उन्हें अपने व्यापार में शुभ लाभ मिलता है और जीवन में धन की कमी नहीं होती। इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार किसी भी रूप में चांदी एवं अन्य धातु खरीदना अति शुभ है। धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें। इस दिन अपने घर की सफाई अवश्य करें।

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