Word of mouth can create a ruckus ! Hindi Short Story -आप क्या बोलते हैं और कैसे बोलते हैं, इससे आपकी पर्सनालिटी का पता चलता है, यानी आपके मुँह से निकली बात सामने वाले पर क्या इफ़ेक्ट डालती है यह तो आपकी बात और आपके कहने के तरीके पर डिपेंड करता है। और सामने वाला आपके बारे में क्या सोचंता है ये बात भी आपके द्वारा बोले शब्दों पर डिपेंड करती है।
मुँह से निकले शब्द बवाल पैदा कर सकते हैं … Word of mouth can create a ruckus !
जब हमारी जीभ चलना शुरू होती है तो आग लगा भी सकती है और लगी आग को बुझा भी सकती है। जीभ एक धारदार चाकू की तरह होती है जो बिना खून निकाले ही मार देती है। जीभ पर लगी चोट तो जल्दी ठीक हो जाती है पर जीभ से लगी चोट कभी ठीक नहीं होती।
जिस तरह कमान से निकला तीर वापस नहीं आता, अपना लक्ष्य भेद कर ही आता है, उसी तरह मुंह से निकली बात अपना असर छोड़ कर ही आती है।
अगर सोच समझ कर ना बोला जाये तो बबाल पैदा हो सकता है। जो काम दो शब्दों में सिमट जाता है उसके चार शब्दों में बोलकर रायता फैलाया जा सकता है। इस दुनियां में जितनी लड़ाई चाकू तलवार से नहीं होती, उतनी तो शब्दों के वार से हो जाती हैं।
याद रखें यहाँ थप्पड़ मारकर प्रेम के वचन बोलने वाला प्रिय होता है और गोद में बैठा कर गाली देने वाला शत्रु।
मुँह से निकले अपशब्द दिल में गहरे घाव कर जाते हैं,
मिट जाता है पूरा जीवन पर चाह कर भी ये घाव नहीं मिटा पातें हैं
मुँह से निकले अपशब्द दिल में गहरे घाव कर जाते हैं,
Hindi Short Story
एक बार एक स्टूडेंट ने अपने ही क्लास्स्मेट को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। तो अपने किये पे बहुत पछताने लगा और सोचने लगा अब क्या करना चाहिए। तो वह टीचर जी के पास गया। उसने अपने टीचर से कहा ‘ सर मैंने अपने क्लास्स्मेट को ऐसा वैसा तो कह दिया है पर अब मुझे चैन नहीं आ रहा, मैं ऐसा क्या करूँ की मेरे बोले शब्द में वापस ले सकूं।
टीचर ने उस स्टूडेंट से कहा , ” तुम एक काम करो, खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो और सड़क के बीचो-बीच जाकर रख दो ” उस स्टूडेंट ने ऐसा ही किया और फिर टीचर के पास पहुंच गया। तब टीचर बोले, बेटा अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस लेकर आओ।”
स्टूडेंट वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे। और स्टूडेंट खाली हाथ टीचर के पास पहुंचा। तब टीचर ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है। तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते।
शब्दों का ही खेल है जनाब,
ये शब्द ही होते है, जो रिश्ते जोड देते है ….
और ये शब्द ही हैं जो सब रिश्ते तोड़ देते है …..
दोस्तों, शब्दों से मिला घाव कभी नहीं भरता। बेलगाम और अंट शंट बोलने वाले लोग दुर्जन करार दे दिए जाते हैं। शब्द इतनी चोट दे सकते हैं जितनी कोई शस्त्र न दे सके, शब्द इतनी सांत्वना भी दे सकते हैं जितनी कोई दवा न दे सके। इसलिए मधुर वचन ही बोलना चाहिए। शब्दों के चयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कबीरदास जी ने कहा है-ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय, औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय।
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Always speak good n surely you always receive back good.it may b wdh friends parents children relatives or in professional life.you speak good nobody can speak bad.