आज का रावण पहले से ज्यादा दुराचारी ! क्यों न पहले इसे मारें ! THIS DUSSEHRA KILL THE RAVANA AND AWAKE THE RAMA

THIS DUSSEHRA KILL THE RAVANA AND AWAKE THE RAMA

प्रतिवर्ष दशहरे (DUSSEHRA) को हम सब रावण को दहन करते हैं। रावण को भगवान श्री राम ने उसके पाप, अधर्म, अहंकार की सज़ा दी जो बुराई पर अच्छाई की जीत, झूठ पर सच की जीत को दर्शाता है। उस समय जो रावण मारा गया हम उसे हर वर्ष दहन करते हैं पर क्या बुराई हार गईं? पाप का नाश हो गया? क्या रावण वाकई मर गया ? शायद नहीं ! बल्कि रावण और ज्यादा शक्तिशाली होता जा रहा है। हम सब के अंदर कही न कही रावण की बुराई का कोई न कोई अंश जरूर छिपा है। और तो और कुछ लोगो में तो रावण की शक्तिशाली परछाई छिपी है, जो कभी भी बाहर आ जाती है और पूरे समाज को शर्मशार करती है।

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रावण आज भी हमारे बीच जीवित है !

रावण को तो कई युगों पहले भगवान श्री राम ने मार दिया था। और हम सब भी रावण का पुतला जलाकर DUSSEHRA का त्‍योहार मानते हैं। यदि रावण सालों पहले मारा गया था तो फिर वो आज भी हमारे बीच जीवित कैसे है ? वो आए दिन हमारी अबोध बच्चियों को अपना शिकार बनाता है, हमारी बेटियों को दहेज के लिए मार देता है।

आज का रावण पहले से ज्यादा दुराचारी !

कई वर्षों पहले जो रावण मारा गया उसे हम हर वर्ष जलाते हैं फिर भी आज वो रावण जिन्दा कैसे है ? क्यों वो पहले से कही ज्यादा शक्तिशाली हो गया है ? आखिर क्यों वो रावण हमारे मन पर कब्ज़ा कर लेता है। आखिर क्यों कुछ लोग पूरी तरह से रावण बन गए हैं ? रावण ने तो केवल माँ सीता को अपहरण दिया था ! पर आज का रावण क्यों  मासूम बच्चियों को अपनी हैवानियत का शिकार बना लेता है ?

शायद नहीं बल्कि यकीनन आज का रावण मरा नहीं है बल्कि वो पहले से कहीं ज्यादा, दुराचारी, अधर्मी, और अहंकारी हो गया है। कभी दहेज़ के नाम पर बेटियों को जलाता है वो रावण, कभी आस्तीन का साप बन जाता है वो रावण, कही चोरी, लूट, बलात्कार जैसे घृणित अपराध कर भी शान से रहता है वो रावण। कभी बईमान हो जाता है वो रावण, तो कभी दूसरों का हक़ मार लेता है वो रावण !

क्यों ना हम पहले अपने अंदर के रावण को मारें ! THIS DUSSEHRA KILL THE RAVANA AND AWAKE THE RAMA

एक वो रावण था, जिसने सालों कठिन तपस्या करके ईश्वर से शक्तियां अर्जित कीं और फिर इन शक्तियों के दुरुपयोग से अपने पाप की लंका का निर्माण किया था। उस रावण को तो श्री राम ने उसके पापों की सज़ा दे दी। और हम भी उसे हर साल दशहरे पर जला कर अच्छाई का बुराई पर जीत का संदेश देते हैं। पर अब बारी है आपके अंदर छिपे उस रावण को मारने की जिसने हम सभी की दिलो दिमाग पर कब्ज़ा कर लिया है।

आपका व्यक्तित्व उन लक्षणों के भीतर से निर्धारित होता है, जो हमेशा के लिए रहते हैं। आपको अपने भीतर की बुराइयों से लड़ना होगा, अपने अंदर के उस रावण को हराना होगा तभी आप मजबूत होकर उभर सकते हैं और एक संतुष्ट और शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। हम सभी बाहरी दुनिया की समस्याओं से तो लड़ सकते हैं लेकिन जो बुराई हमारे भीतर है सबसे पहले उससे लड़ना और उसे हराना जरूरी है।

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