ब्राह्मणी पर मांसखोरी का अभियोग। Birbal Hindi Kahani

Birbal Hindi Kahani

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी ब्राह्मणी पर मांसखोरी का अभियोग। Akbar Birbal Hindi Kahani आइये जानते हैं ;

ब्राह्मणी पर मांसखोरी का अभियोग। Akbar Birbal Hindi Kahani

दिल्ली नगर में एक जवान और रूपवती ब्राह्मणी रहा करती थी। यह अपने पति परायणता के कारण सारे नगर में विख्यात हो रही थी।

एक पठान नीचता वश गुप्तरूप से इसके पीछे पड़ा हुआ था। इसको अपने वश में लाने के लिये उस नीच ने बहुतेरा प्रयास किया, परन्तु फिर भी उसे सफलता न मिली ब्रह्मणी के तेज के आगे उसका उद्वेश्य गिरता ही गया। तब उसने दण्ड देकर उसको काबू में लाने की युक्ति निकाली।

एक दिन जब कि वह सुन्दरी अपने वस्त्रों को पछारने के लिये नहीं तट पर गई थी। तभी मौका देखकर पठान वहाँ जा पहुँचा। वहाँ और किसी को न देखकर गुप्तरूप से
उसके तटपर पड़े वस्त्रों में थोड़ा सा मांस बाँघ एक चौकीदार को घूस देकर झूठा मामला खड़ा किया।

उस चौकीदार को सिखला पढ़ाकर भेजा कि वह उस सुशीला पर एक पठान के यहाँ से मांस खरीदने का अभियोग लगाकर उसे गिरफ्तार करलें।

जब वह स्त्री अपने कपड़े पछाड़कर बाकी सूखे कपड़ों की उठाया तो उसमें मांस के
टुकड़े बँधे हुए देखकर आश्रचर्यकित हो गई।

तत्क्षण उस चौकीदार ने उसे जाकर गिरफ्ता कर लिया और बोला-‘‘तू मांस भक्षण करती है इस कारण तुझे बादशाह के पास चलना पड़ेगा।’’

बादशाह का मूल्य क्या है ?

वह एक तरफ तो तुम्हारी धर्मरक्षा का इतना प्रबन्ध करते हैं दूसरी तरफ तूँ गुप्तरीति से मांस भक्षण करती है और फिर धोखा देकर अपने जात बिरादरी के लोगों को ठगती फिरती है।

सिपाही को ऐसा अपवाद लगाते देखकर बिचारी अबला कि कर्तव्य विमूढ़सी होकर चुप रह गई।

इसी बीच वह दुष्ट पठान जो छिपकर सब देख रहा था चौकीदार के पास उस स्त्री का पक्षापाती बनकर आया और उससे उसको छोड़ देने का अनुनय विनय करने लगा।

वह बोला- चौकीदार साहब ! आप इस स्त्री को छोड़ दीजिये, इसने यह मांस मुझसे खरीदा था। यदि बादशाह को यह बात मालूम हो जायगी तो वह इसके बदले मुझे दंड देगे। आप जानते ही हैं कि मैं एक कुटुम्बी आदमी हूँ। मेरे कैद हो जाने से मेरे बाल बच्चे भूखों मरने लग जायँगे। इसलिये आप मेरी दीनता की तरफ ध्यान देकर इस
मामले को यही पर दवा दीजिये। वरना बादशाह मुझे इस मामले में अपराधी
पाकर मुझे फाँसी दिला देगें।’’

चौकीदार उसकी एक बात भी न सुनी, वह तो पहले ही से सिखला पढ़ाकर भेजा गया था। दोनों को पकड़ कर बादशाह के पास ले गया और बोला-

‘‘हुजूरा ! आज यह स्त्री इस पठान से मांस खरीद कर घरवालों से छिपा नदी के किनारे बैठकर भक्षण कर रही थी। इसका चरित्र मैने अपनी आँखों देखा है। इसलिये हुजूर इसको आपके पास पकड़ लाया हूँ कि इसको उचित दंड दिया जाय।’’

बादशाह को चौकीदार की बातें सुनकर बड़ा रंज हुआ और उसके नाते गोते के लोगों को बुलवाकर उस स्त्री की चाल चलन के संबन्ध में पूछताछ की। परन्तु उनकी जबानी
उस स्त्री का ऐसा दूषित होना सिद्ध न हुआ।

दरबार का समय था। धीरे धीरे दरबारी लोग भी आने लगे थे। इस बात को सुनकर
सभी लोग चकित हो गये। किसी को उस स्त्री का ऐसा दूषित स्वभाव होना संभव नहीं जान पड़ता था। परन्तु कोई उसकी शुद्धता का भी कोई निश्चित प्रमाण देने को प्रस्तुत न था।

आखिरकार बादशाह ने उसके ब्राह्मण पति को बुलवा कर बोला-‘‘जैसा की यह चौकीदार बयान करता है उस हिसाब से यह स्त्री भ्रष्टा हो चुकी है। अतएवं इसे इस पठान को दे देना चाहिये और पठान को यह सजा दी जाती है कि वह इसके बदले
सात सौ रूपये इसके, विवाहिता पति को दंड स्वरूप देवे।’’

बादशाह के ऐसे न्याय को सुनकर विचारी पतिपरायणा ब्राह्मणी सूखकर कॉटा हो गई।
साध्वी का ऐसा अपमान होने पर कैसी दशा होगी, स्वयं अनुमान कर सकते हैं।

उड़ गई चिड़िया फुर्र

एकदम न्याय का गला घौटा जाने लगा। दयालू ईश्वर की सत्त स्थिर न रह सकी। सुदर्शन चक्रधारी की प्ररेणा से कई ब्राह्मण इस बात की फरियाद लेकर बीरबल के पास गये।

बीरबल को अन्याय सहन नहीं होता था, इसी कारण वह अपने पर जोखिम
उठाकर भी अन्याय को रोकता था। वह अपना घरलू काम उसी क्षण बन्द कर उन ब्राह्मणों को साथ लेकर दरबार में हाजिर हुआ।

बीरबल ने बारी बारी से पठान, चौकीदार तथा उस ब्राह्मणी का बयान लिया, फिर स्त्री से पूछा-

‘‘तुमने घर सें निकलते वक्त कुछ, खाया था या यो हीं नदी के तटपर कपड़े पछाड़ने के लिये चली आई थी। इसका प्रमाण कोई दे सकती हो तो बतलाओ।’’

सुशीला ने उत्तर दिया-‘‘मेरी सास ने मुझे दूध और रोटी दी थी बस उसी को खाकर घर
से निकली थी।’’

बीरबल ने कहा-‘‘बहुत अच्छा थोड़ी देर बैठकर विश्राम करो तब तक मैं इसकी जाँच कराऊँगा।

बीरबल ने एक चपरासी को भेजकर एक विख्यात वैद्य को बुलवाया, जब वह हाजिर हुआ तो बोला-

‘‘वैद्यजी! इस स्त्री को ऐसी दवा खिलावों जिससे इसे पल्टी हो जावे।

वैद्य ने पल्टी होने की एक गोली खिलाई, जिसके खाने के थोड़ी देर बाद ही उस स्त्री का खूब पल्टी हुई।

पल्टी का भली-भाँति निरीक्षण करने पर उसमें दूध रोटी के अतिरिक्त मांस का एक टुकड़ा भी नहीं निकला।

इस दृश्य को देखने के साथ ही सबको उस स्त्री की पवित्रता पर विश्वास हो गया।

झूठा दोषारोपण के अपराध में पठान और सिपाही दोनों ही दण्डित किये गये। स्त्री को उसके पति के हवाले किया गया।

बीरबल की इस अनुपन चातुर्थ्यता का लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा और वे एक स्वर से बीरबल की प्रशंशा करने लगे।

मनुष्य को सबसे प्रिय कौन है?

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