अकबर बीरबल की पांच लघु कहानियां | Akbar Birbal Short Stories

Akbar Birbal Short Stories

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं अकबर बीरबल की पांच लघु कहानियां | Akbar Birbal Short Stories आइये जानते हैं ;

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अकबर बीरबल की पांच लघु कहानियां | Short Stories of Akbar Birbal

बुलाता आ

(Akbar Birbal Short Stories)

एक दिन सुबह सुबह बादशाहहाथ मुँह धोकर अपने एक नौकर से बोला-‘‘बुलाता आ।’’ लेकिन आगे का मतलब नही बतलाया कि किसको बुलाता आ।

बिचारे नौकर ने बहुत मूड़ मारा, पर उसकी समझ में कुछ न आया कि आखिरकार
किसको ले आऊं। वह निरर्थक कई आदमियों के पास दौड़ आया परन्तु किसी को समझ में असल बात न आई कि बादशाह किसे बुलाना चाहते हैं।

वह विवश होकर बीरबल के घर पहुँचा और सब घटना कहकर इस बात का जिज्ञासू हुआ कि बादशाह किस को बुला रहें हैं।

बीरबल ने उससे पूछा-‘‘उस समय बादशाह क्या कर रहे थे।’’ तब नौकर ने जवाब दिया-‘‘वे हाथ मुँह धोकर बैठे हुए थे।’’

बीरबल ने बतलाया कि वे हजामत बनबना चाहते हैं, अतएवं तू हज्जाम को लिवा ले जा।’’ नौकर हजाम को ले गया। बादशाह हज्जाम को देख कर अति प्रसन्न हुआ और
उस नौकर से पूछा-‘‘यह राय तुझे किसने दी।’’

नौकर ने कहा-‘‘हुज़ूर ! जब मेरी समझ में आपकी बात न आई तो मैं बड़ा परेशान हुआ अन्त में हारकर बीरबल जी के पास जाकर सारा किस्सा कह सुनाया। उन्होंने बताया बादशाह हज्जाम को बुला रहे हैं।’’ बादशाह बीरबल की कुशाग्र बुद्धि से बड़ा सन्तुष्ट हुआ।

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चोर की दाढ़ी में तिनका

(Short Stories of Akbar Birbal)

एक दिन बादशाह के महल में चोरी हो गई, आलमारी से एक कीमती जेबर गायब हो गया। जब चोर का कोई सुराग नहीं मिला तो बादशाह ने बीरबल को पता करने की आज्ञा दी।

तब बीरबल ने चाल चलने की एक नई तरकीब सोचकर निकाली। वह पहले आलमारी से बारी-बारी अपने दोनों कान सटाया, मानो कोई बात सुनने की
चेष्टा कर रहा हो।

उसके बाद फिर कान हटाकर बादशाह से कहा किया-‘‘हुज़ूर ! वह आपकी आलमारी साफ साफ बतला रही है कि चोर की दाढ़ी में तिनका है।’’

एक दरबारी सहम कर अपनी दाढ़ी से हाथ लगाने लगा। बीरबल ने झट उसे गिरफ्तार कर लिया। उस दरबारी ने थोड़ी देर बाद भरी सभा में अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

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चुप्पा सबसे भला।

(Akbar Birbal Short Stories)

एक दिन बादशाह को एक नई तरंग सूझी। उसने बीरबल को तुरत आज्ञा दी-‘‘बीरबल! एक ऐसा मनुष्य ढूँढ़ कर लाओ जो सब सवानों का सरताज हो?’’

बीरबल किसी बात से भला कब हताश होने वाला था, उसने झट उत्तर दिया-‘‘हुज़ूर ! शीघ्रातिशीघ्र ढूँढ़कर हाजिर करूगा। परन्तु इस काम मेें दस हजार रूपयों की आवश्यकता है।’’

बादशाह की आज्ञा से बीरबल को तत्काल दस हजार रूपयों की थैली दी गई।

बीरबल रूपयों को लेकर अपने घर चला गया। थैली घर पर रख आप ‘‘सौ सथाने का एक सयाना’’ की फिराक में शहर की गलियों को छानने लगा।

कहावत मशहूर है-‘‘जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ।’’ दैवात उसे एक अहीर मिला। उसको दिहाती चतुर देख बीरबल ने उसे अपने पास बुलाकर उसके कान में समझाया-‘‘देखो यदि तुम मेरे कहने के अनुसार करोगे तो मैं तुझे एक सौ रूपया इनाम दूँगा?’’

ग्वाला भला काहे का इन्कार करता, विचारे ने इकट्ठी सौ रूपयों की गुल्ली आजन्म में नहीं देखी थी। उसको अपने अनुकूल समझ कर बीरबल बोला-‘‘देखो मेरे साथ तुम्हें बादशाह के पास चलना होगा, यदि बादशाह तुमसे कुछ पूछें तो एकदम चुप रह जाना।

वह बोला-‘‘बहुत अच्छा ऐसा ही करूगा।’’

बीरबल उस अहीर को अच्छे अच्छे वस्त्रों से सुसज्जित कर शाही दरबार में ले गया और बादशाह के समक्ष खड़ाकर बोला-

‘‘हुज़ूर ! आपकी आज्ञानुसार सायना मनुष्य हाजिर है, उसकी परीक्षा कर लें।’’

बादशाह उसे और समीप खड़ा करा कर यो प्रश्न करना प्रारम्भ किया-‘‘तुम कहाँ रहते हो? तुम्हारे माता-पिता तुमको किस नाम से पुकारते है? कौनसी बात विशेष जानते हो?

बादशाह ने बारी बारी से इसी प्रकार अनेकों प्रश्न किया, परन्तु वह तो सोहबल्ले की तरह पहले से ही पढ़ाकर पक्का कर दिया गया था, उत्तर काहे को देता।

अब बीरबल को उसे सँभालने की बारी आई। वह बोला- ‘हुज़ूर ! आपके पूछने का इस आदमी ने यह अर्थ निकाला है कि न जाने बादशाह यह सब बातें पूछकर पीछे
क्या करें। क्योकि ऐसी कहावत उसे पहले ही से याद है- ‘‘राजा योगी अग्नि जल, इनकी उल्टी रीति। डरते रहियों भाइयो थोड़ी पालें प्रीति।’’ पदार्थ मौन धारण कर लिया है।

आपने सुना होगा-‘‘चुप्पा सबसे भला।’’ बादशाह को बीरबल की शिक्षा से आनन्द प्राप्त हुआ और अहीर को घर जाने की छुट्टी मिल गई।

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दर्पण में मोहरें

(Short Stories of Akbar Birbal)

एक आदमी रात्रि में चेन की नींद सो रहा था तभी उसे एक सपना आया। सपने में उसे दिखा की वो किसी वेश्या के पास सोया हुआ है। उसने देखा मैं तमाम रात
उसके साथ सोहबत करने के बाद उसे दस अशर्फियाँ देकर घर
लौट रहा हूँ।’’

जब वह नींद से जगा तो उसे स्वप्न की सारी बातें ज्यों की त्यों स्मरण होने लगीं। उसका फलाफल जानने के अभिप्राय से उस मनुष्य ने स्वप्न की बाते अपनी मित्र मडली में चलाई।

उसके मित्र ज्योतिषी तो थे नहीं। फल कैसे बतलाते।

यह बात बढ़ते बढ़ते उस वेश्या के कान तक पहुँची। वह उस को वज्र मूर्ख समझकर उन अशफियों को लेने की फिराक में पड़ी। उसकी ज्ञात था कि मूर्ख ने इस बात
की तमाम लोगों में फैला दिया है, गवाहों की कमी न पड़ेगी।

दूसरे ही दिन वह उसके मकान पर गई और अपना नाम बतला कर रात वाली अशफिंयाँ माँगने लगी।

उस गरीब के घर अशर्फियों का दर्शन मिलना दुर्लभ था, देता कहाँ से। उसे झूठी कहकर नकर गया।

वेश्या उससे जबरी करने लगी और उसे पकड़कर शहर कोतवाल के पास ले गई।

कोतवाल ने उनका बयान लिया। जब उसे सच झूठ का ज्ञान नहीं हुआ तो लाचार
होकर उन्हें बीरबल के पास ले गया।

बीरबल ने बारी-बारी दोनों का बयान सुना। उनकी बातें भली भाँति समझ-बूझकर एक दर्पण और दश अशर्फियाँ बाजार से मँगवाया। तब एक ऐनक वेश्या के सामने रख कर अशर्फियों का इस चालाकी से रक्खा कि जिससे उनका विम्ब दृर्पण पर पड़ता रहे।

इस प्रकार बीरबल ऐनक में अशर्फियों को दिखलाकर वेश्या से बोला-‘‘इस शीशे मेें की अशर्फियाँ तू ले ले!’’ तब वेश्या ने कहा-‘‘भला मैं इन्हे कैसे ले सकती हूँ, यह तो अशार्फियों की शाया दीखती है?’’

तब बीरबल को मौका मिला उसने उस वेश्या से कहा-‘‘तुम को भी तो अशर्फियों का देना उसने स्वप्न में ही स्वीकार किया था न। अब तूँ उससे क्यों माँग रही है?’’

बीरबल के न्याय से वेश्या की गरदन नीची हो गई और उसने वहाँ से खिसकने का विचार किया। उसको जाते हुए देखकर बीरबल ने कहा-‘‘क्यों कहाँ को चली, अपने किये का प्रतिफल लेती जा, तूने इस गरीब को नाहक परेशाहकिया है और इसके कार्यों मं बाधा पहुँचाई है अतएवं इस अपराध में तुझे दो मास का कारागृह वास करना पडे़गा।

इस प्रकार दएड देकर बीरबल ने उस तुरत जेल भेजवा दिया और विचारे गरीब की छुटकारा मिला।

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दीपक तले अँधेरा

Akbar Birbal Short Stories)

एक दिन बादशाह अपनी सबसे ऊँची छतपर बीरबल के साथ बैठे हुए हवाखोरी कर रहे थे इसी बीच उनके सामने ही कुछ दूरी पर एक यात्री को कई चोर मिलकर लूटते हुये दिखाई पडे़।

विचारे यात्री का कुछ वश नहीं चलता था। सारा धन लुट जाने पर उस यात्री ने बादशाह के महल के समीप पहुँच कर चिल्ल्या -‘‘ बडे़ दुख की बात है, कि मैं
सरकार के देखते देखते सरे बाजार लुटगया।

बादशाह को इस यात्री की करूण कथा पर बड़ी दया आई और वे बीरबल
को डॉटकर कहा-‘‘क्यों बीरबल! क्या ऐसा ही प्रबन्ध करते हो। जब हमारी आँखों के सामने विचारे परदेशी लुटे जाते हैं तो आँख पीछे क्या होता होगा।’’

बीरबल ने उत्तर दिया ‘‘हुज़ूर! क्या आप नहीं जानते कि दीपक तो दूसरों को प्रकाश देता है, परन्तु उसके तले अँधेरा ही बना रहता है।’’ बादशाह बीरबल की बातें सच्ची मानकर खामोश रह गये।

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