बीरबल और मदिरा | Birbal and Wine | Birbal Story In Hindi

Birbal Story In Hindi

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी बीरबल और मदिरा | Birbal and Wine | Birbal Story In Hindi आइये जानते हैं ;

बीरबल और मदिरा | Birbal and Wine | Birbal Story In Hindi

दरबार के समय में बादशाह को गप्प लड़ाने का मौका नहीं मिलता था इसलिए वह जनाने महल में ही गप लड़ा लिया करता था और इसी समय में आपस की गोष्टी भी हो जाया करती थी।

यह बात सब पर विदित थी जिस कारण बीरबल को जनाने महल में जाने की कोई मनाही नहीं थी।

जब वार्तालाप करके बादशाह संतुष्ट हो जाता तो एक एसी नशीलीं चीज का सेवन कर लेता जिससे कुछ समय पश्चात उसका चेहरा बदल जाता और बातें भी और की तौर करने लगता था।

बीरबल नित्य बादशाह की ऐसी द्रश्य देखा करता, परन्तु उसकी समझ में न आता कि दरअसल वह किस वस्तु का सेवन करता है। उस चीज के सेवन से बादशाह की स्मरणशक्ति बदल जाती। ऐसी दशा में बादशाह अनेक भूलें भी कर डालता था।

एक दिन बीरबल के मन में उस वस्तु की जानकारी प्राप्त करने की सूझी। वह बीमारी का बहाना कर कई दिनों तक दरबार में नहीं आया। बादशाह ने एक दो दिन तो यह समझ कर कि साधारण बीमारी होगी, उसकी कुछ खोज खबर न ली।

परन्तु जब सोचते सोचते तीन चार दिनों का अरसा बीता और वह नहीं आया तो उन्हें बीरबल को देखने की इच्छा हुई।

वे अपने चन्द सिपाहियों के साथ बीरबल के मकान पर गये। जब बीरबल को बादशाह के आगमन की सूचना मिली तो झट दूसरे दरवाजे से होकर बाहर निकल गया और लोगों की आँख बचाकर सीधे दरबार में जा पहुँचा।

गुप्त मार्ग से जनाने महल में पहुँचकर उस नशीली चीज की तलाश करने लगा। जब बाहर उसका सुराख न लगा तो वक्से की ताली ढूढने लगा, अचानक
ताली मिल गई, वह एक कोने में अच्छी तरह छिपाकर रखी हुई थी।

वक्स का ताला खोलकर उसके अन्दर की चीजों को देखा। एक तरफ कोने में एक बोतल रखी हुई मिली, उसे चुपके से बाहर निकाल कर अपनी शाल के अन्दर छिपा लिया और तेजी से घर की तरफ भागा।

बादशाह को उसके घर वालों से पूछने पर विदित हुआ ‘‘थोड़ी देर हुआ दरबार की तरफ गये हैं।’’ यह सुनकर उसको कुछ चिन्ता सी हुई और बीरबल के जाने का
कारण जानने क लिये व्याकुल हो उठा।

मन में शोचा-‘‘बिना किसी अनिवार्य कारण के बीरबल ऐसी दशा में नही जा सकता
था। वह अपने साथियों सहित लौटने लगा। अभी दो चार सीढ़ी ही उतर पाया होगा कि सामने से बीरबल आता हुआ दिखाई पड़ा।

बीरबल मन हीं मन सोचता हुआ आ रहा था कि बादशाह के पूछने पर क्या उत्तर दूँगा। इसी बीच बादशाह की दृष्टि उसपर जो पड़ी और वह वही रूक गया।

पास पहुंचकर बादशाह ने पूछा-‘‘तुम इस समय महल की तरफ क्यों गये थे और तुम्हारे बगल में यह क्या चीज है।’’

बीरबलने कहा-‘‘कुछ तो नहीं।’’ फिर भी बादशाह का शक हो ही रहा था, क्योंकि उसकी चदरे के भीतर से कोई चीजदिखाई पड़ रही थी।

बादशाह ने दुबारा पूछा-‘‘बीरबल! झूठा क्यों बोल रहा है, तुम्हारी शाल के भीतर कोई चीज अवश्य छिपी हुई है।’’

बीरबल ने कहा ?-‘‘हाँ वह तोता है।

बादशाह का तोता

बादशाह और क्रोधित होकर बोला-‘‘तुम्हें आज इतना मजाक क्यों सूझी है।’’

बीरबल अविलम्ब बोला-‘‘हुजूर! अश्व है।’’

बादशाह बड़ा हैरान हुआ और भौंह चढ़ाकर कहा-‘‘मैं देखता हूँ कि आज तुम्हारा दिमाग आसमान पर चढ़ता जा रहा है।’’

बीरबल ने कहा-‘‘नहीं नहीं हाथी है।’’

बादशाह ने कहा-‘‘क्या तुमने भाँग तो नहीं खाई है, ठीक ठीक समझ कर
उत्तर दो।’’

बीरबल कब चुप रहने वाला था बोला-‘‘गधा है, गधा।’’

बार बार बीरबल के टालमटोल की बाते सुनकर बादशाह बहुत ही चिढ़ गया और पूछा-‘‘क्या आज तुम पर -मृत्यु तो नहीं सवार हो गई है, शाल में की छिपी वस्तु
का नाम ठीक ठीक क्यो नहीं बतलाते हो?’’

इस बार बीरबलने साफ बतला दिया-हुजूर! शराब है।’’

फिर अपनी बगल से बोतल निकाल कर बादशाह के हवाले किया।

बीरबल ऐसे धर्म परायण ब्राह्मण के पास शराब की बोतल देखकर बादशाह को आश्चर्य हुआ और उसका कोप कुछ शान्त हो गया। वह बीरबल को अपने साथ जनाने महल में लिवा ले गया।

वहाँ जाकर देखा तो उसके कमरे की सारी चीजें इधर उधर बिखरी पड़ी हैं, सन्दूक का ताला भी खुला हुआ है।

बादशाह तुरत ताड़ गया कि इसी को चुराने के लिये बीरबल अकेले में यहाँ आया था, परन्तु फिर भी इतने में ही उसे शान्ति न मिली। उसने विचारा कि यह तो हुई यहाँ की बात, रास्ते में बीरबल अंटसंट क्यों बतलाता था? तब वह बोला-

‘‘बीरबल! मालूम होता है आज तुम कुछ नशा खा गये हो, नहीं तो ऐसी ऊटपटांग बाते कभी न करते। तुम्हारी शाल तले शराब की बोतल मौजूद थी फिर भी तुमने उसे बैंल, गधा आदि आदि क्यों बतलाया।’’

बादशाह का मूल्य क्या है ?

बीरबल को अपना राज बादशाह पर खोलने का मौका मिल गया और उसे इस ढंग से प्रगट करना प्रारम्भ किया-

‘‘हुजूर! न तो मैं नशा खाये हूँ और न मेरी बुद्धि ही भ्रष्ट हुई है, मैने जो कुछ भी कहा है वह मेरे शाल के अंदर थी।

’’-‘‘अच्छा हुजूर सुनिये-

‘‘पहले पहल मैने आप से बतलाया था कि कुछ भी नहीं है, सो मद्यपान के प्रथम प्याले की बात थी, उस समय बात करने वाला कुछ भी नहीं देखता।

दूसरी बार मेरी जवान पर तोते का नाम आपने सुना होगा। इसका अभिप्राय यह था कि दूसरा प्याला पीने पर मनुष्य तोते के समान बकने लगता है।

फिर मैंने घोड़े का नाम लिया था। उसके मानी यह था कि तीसरा प्याला पी चुकने पर मद्यपी घोड़े के समान हिनहिनाना प्रारम्भ कर देता है।

चौथी बार हाथी बतलाया था। सो इस कारण कि चौथे प्याले के सेवन के पश्चात् मद्यपी मस्त हाथी की तरह झूमना प्रारम्भ करता है।

पाँचवी बार गधा बना देता है। छ

ठवें में मद्यपी नशे में गुप्त हो जाता है, यहाँ तक कि उसको अपने शरीर तक की भी सुध बुध नही रहती।

यही कारण था कि अन्त मैं मैने शराब का नाम लिया था।’’

एक बोतल में केवल छः प्याला शराब रहती है। प्रत्येक प्याला सेवन के पश्चात मनुष्य की पृथक पृथक दशाएँ हो जाती हैं।

बादशाह बीरबल की इन बातों को बड़े ध्यान पूर्वक सुन रहा था कारण कि उसे इस बात का पहले ही से विश्वास था कि बीरबल जो कुछ भी कहे वा करेगा उसके अच्छे
के लिये ही।

बीरबल का अभिप्राय भी बादशाह का मद्य पान छुड़ाना ही था। उसकी इस शुभ कांक्षा से बादशाह बड़ा हर्षित हुआ और उसे उचित पुरस्कार देकर विदा किया।

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