बादशाह का मूल्य क्या है ? What is the value of the king? Hindi Story of Akbar Birbal

Hindi Story of Akbar Birbal

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी बादशाह का मूल्य क्या है ? What is the value of the king? Hindi Story of Akbar Birbal आइये जानते हैं ;

Contents

बादशाह का मूल्य क्या है ?

What is the value of the king?

Hindi Story of Akbar Birbal

अकबर बादशाह को बुद्धिमान लोगों से बड़ा प्रेम था। यही खास कारण था जिससे उसके उसके दरबार में नवरत्न सदैव विद्यमान रहते थे।

एक दिन दरबार लगा हुआ था और बादशाह अपने राज-सम्बन्धी कार्याें को खटा-खट निपटा रहा था उसी के अन्तर्गत एक दरबारी बीरबल को नीचा दिखाने के अभिप्राय से बोला-‘‘शाहंशाह! क्षमा हो तो गुलाम कुछ अर्ज करें।’’

बादशाह ने उसे बोलने की अनुमति दी।

वह बोला ‘‘हुजूर! आज मुझे रास्ते में एक आदमी से अपने मालिक की अजब वार्ता
सुनने में आई। वह मालिक अपने नौकर से कह रहा था- तूँ मुझे किसी काम का नहीं जान पड़ता कारण कि तूँ बड़ा मूर्ख है।’’

नौकर को अपने मालिक की बात सुनकर चुप न रहा गया और अपने मालिक सेठ से बड़ी विनम्रता से बोला-‘‘सेठ जी! यद्यपि मैं आपका सेवक हूँ, परन्तु फिर भी कहना पड़ता है कि आपको अभी तक मनुष्य की कीमत लगाना नही मालूम है। यदि आप कुछ भी विचार करते तो स्वयं सिद्व हो जाता कि मै आपके लिये कितना लाभदायक
हूँ।’’

उसकी ऐसी बाते सुनकर मैं चक्कर में पड़ गया और कुछ भी हल न कर सका कि मनुष्य की क्या कीमत होती है।

हुजूर! आपसे निवेदक करता हूँ। कि निपटारा कराकर आप मेरे सन्देह को दूर कीजिये।

उसके ऐसे प्रश्न को सुनकर बादशाह विचार करने लगा, परन्तु फिर भी कुछ निश्रिचत न कर सका। उसने सोचा – ‘‘आज सेठ का नौकर कहता था कल मेरा कोई दरबारी कह बैठे कि बादशाह क्या चीज है, वह तो हम लोगों के बैठाने से गद्दी पर बैठा है। तो फिर मैं उसको क्या जबाब दूँगा। अतएव इसी क्षण मुझे भी अपने मूल्य का निपटारा करा लेना चाहिये।’’

बादशाह ने उस आदमी के प्रश्न को अपनी सभा में दुहराकर सभासदी से अपना मूल्य पूछा।

लोग चकराये कि बादशाह के प्रश्न का क्या उत्तर देना चाहिये? इसी बीच एक वृद्ध पुरूष जो बीरबल से ईर्षा करता था बोला – ‘‘हुजूर! इस उपस्थित जनता के बीच बीरबल की ही बुद्धि बड़ी तेज है, अतएव इसका निपटारा उसी के द्वारा होना चाहिये।’’

वृद्ध की यह युक्ति बादशाह के मन मैं बैठ गई और बीरबल से पूछा-‘‘बीरबल! क्या तुम बतला सकते हो कि मेरा मूल्य और वजन क्या है ? ’’

यह भी पढ़ें ;  अकबर-बीरबल की कहानी : आधी दूर धूप आधी दूर छाया।

बादशाह का प्रश्न सुनकर बीरबल विचार पूर्वक बोला-

‘‘हुजूर! यह जौहरियों का काम है, क्योकि मूल्य लगाना वे ही जानते हैं। यदि हुक्म हो तो में शहर के तमाम जौहरी, शर्राफ और साहूकारों को बुलवा लूँ।

वृद्ध की मंशा बीरबल को फाँसने को थी, परन्तु बीरबल ने अपनी बुद्धि के बल से उसी को फँसा दिया क्योंकि वह भी जौहरी ही था।

बादशाह के हुक्म से नगर के सब जौहरी सर्राफ और साहूकार बुलवाये गये, वे सब इस आकस्मिक बुलावे से बहुत घबड़ाये हुए थे।

बीरबल बोला-नगर जौहरियो, सर्राफ तथा साहूकारो! आप लोगों को इसलिये बुलाया गया है कि आप लोग मिलकर बादशाह को वजन और मूल्य निश्चित करें।

यह सुनकर वे जौहरी अचरज में पड़ गये, किसी की समझ में न आया कि बादशाह का मूल्य और वजन कैसे निश्चित किया जाये।

अन्त में उनका सरदार गिड़गिड़ाता हुआ बोला- ‘‘हम आपके बुलावे पर तुरन्त भागे चले आ रहे है जिस कारण हमारा हृदय भय- विहल हो रहा है। हमको कुछ देर की मुहलत मिले तो एक जगह अलग बैठकर आपस में विचार कर उत्तर दें।

बादशाह ने उस सरदार की बात स्वीकार कर ली और उनकी मदद के लिये बीरबल को भी उनके साथ भेज दिया।

बीरबल उनको लेकर एक अलग कमरे में चला गया। सभी ने मिलकर कोशिश की परन्तु किसी सिद्धांत पर अटल न हुए।

बीरबल बोला-‘‘यह बात इतनी आसान नहीं है जो आसानी से हल हो जाये इसलिए 15 दिन का वक्त है सभी के पास।

पन्द्रहवें दिन प्रातः काल सब जौहरी बीरबल के मकान पर उपस्थित हुए और अशर्फी का तोड़ा लिए हुये बीरबल भी उनके साथ हो लिया।

यह भी पढ़ें ; अधर (बादलों पर) महल

हालाँकि बीरबल ने पहले से ही सभी जौहरियों को प्लान के बारे में बता दिया था की क्या और कैसे करना है।

उधर बादशाह भी पन्द्रहवें दिन की प्रतीक्षा कर रहा था।

वह शहर के बाहर बाग में एक बड़ा तंबू खड़ा करवाया। वहां सभी सर्वसाधारण से लेकर बडे़-बडे़ सेठ साहूकार तक के बैठने के लिये अलग- अलग स्थान मिले।

पन्द्रहवें दिन उसी बाग में ठीक समय पर दरबार लगा और तमाम लोग जमा होकर बैंठ गये। तंबू के मध्य में बादशाह का सिंहासन था। उसके ठीक सामने जौहरियों को बैठने के लिये जमीन छोड़ी गई थी।

बीरबल जौहरियों के दल से पहले पहुँचा।

थोडी देर बाद जौहरियों का दल भी आ पहुँचा।

सब लोग खाली स्थान पर बैठाये गये और उनके मध्य अशर्फियों का तोड़ा रख दिया गया, फिर क्या पूछना था, उनमें से प्रत्येक ने बोलना शुरू किया।

कुछ देर बाद एक जौहरी बोला-‘‘मिल गयी! मिल गयी!! मिल गयी!!! जिस बात की तलाश थी वह मिल गयी।’’

इतने में उनका मुखिया उठा और उस अशर्फी को लेकर बादशाह के कदमों पर जा रखा।

लोगों को बड़ी प्रसन्ता हुई। बादशाह को एक तरफ विस्मय और दूसरी तरफ हर्ष हुआ वह उस अशर्फी को अपने हाथ में लेकर बोला-‘‘क्या मेरी कीमत यही एक अशर्फी है?’’

बूढ़े जौहरी ने गम्भीरता पूर्वक उत्तर दिया-‘‘जी हाँ यही अशर्फी आपका मूल्य है और यही श्रीमान् का वजन है। यह अन्य अशर्फियों से एक रत्ती बड़ी है, इस कारण इसके समान दूसरी अशर्फी नहीं है। हुजूर। हम प्रजागण साधारण अशर्फी हैं और आप इस बड़ी अशर्फी के समान है।

बादशाह ने पूछा- तो क्या मुझ में और अन्य दूसरे मनुष्यों में केवल एक रत्ती का ही अन्तर है?’’

शर्राफों का मुखिया बोला-‘‘जी हाँ, हुजूर! इसमें कुछ भी संदेह करने की बात नहीं है। आप में और आपकी प्रजा में केवल इतना ही अन्तर है कि प्रजा आपके आधीन
रहने के लिये बनाई गयी है और आप प्रजा को अपने आधीन रखने के लिय हैं। आप प्रजाओं में जिस प्रकार बड़े समझे जाते हैं उसी प्रकार यह अशर्फी भी अन्य अशर्फियों में श्रेष्ठ साबित हुई है। आपके बैठने को ऊँचा आसन मिलता है। और प्रज्ञावर्ग को बैठने के लिये नीचा आसन दिया जाता है। इन्हीं सब कारणों से निश्चित हुआ कि यही
अशर्फी आपका मूल्य है।’’

जौहरी की उपरोत्तळ युक्तिभरी वार्ता सुन बादशाह गदगद हो गया और उसको उसके साथियों सहित अच्छा पुरस्कार देने की आज्ञा दी।

जौहरी का मुखिया पुरस्कार पाकर मन ही मन बीरबल को आशीर्वाद देता हुआ
अपनो मंडली के साथ नगर को चला गया और सभा भंग हुई।

यह भी पढ़ें ; अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से (कहानियाँ)

दोस्तों आपको उम्मीद करता हूँ आपको अकबर-बीरबल की कहानी :बादशाह का मूल्य क्या है ? What is the value of the king? Hindi Story of Akbar Birbal अच्छी लगी होगी। कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *