अकबर-बीरबल की कहानी : बादशाह के चार प्रश्न – Four Questions Of the King Story In Hindi

Four Questions Of the King Story In Hindi

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी अकबर-बीरबल की कहानी : बादशाह के चार प्रश्न – Four Questions Of the King Story In Hindi आइये जानते हैं ;

बादशाह के चार प्रश्न – Four Questions Of the King

एक दिन जब कि कड़ाके की शर्दी पड़ रही थी। बादशाह बीरबल के साथ अपने बाग में टहलते हुए धूप खा रहे थे। उनके मन में अचानक एक तरंग उठी और उसके निराकरण के लिये बीरबल को मध्यस्त बनाकर पूछा:-

‘‘कौन बोलने को चहे, और कौन चहे हैं चूप। कौन चहै है बरसना, कौन चहै है धूप।।’’

इतना कहने के साथ ही बादशाह बीरबल को धमका कर बोले-‘‘यदि आज के चारों सवालों का समुचित उत्तर न दे सकोगे तो जान से मारे जावोगे।’’

बीरबल को बादशाह का कथन सुनकर बड़ी करूणा आई, क्योकि बादशाह सचमुच उसकी जान से मारने को उतारू हो गये थे। दूसरे करूणा इसलिये आई कि इतने छोटे से प्रश्न के लिये बादशाह इतना उग्ररूप क्यों धारण करते हैं। इसका उत्तर तो एक बुद्धिमान लड़का भी समझ कर दे सकता है।

खैर इस समय तो अपनी जान बचानी चाहिये। ऐसा विचार कर वह बोला-

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‘‘मालो बरसन को चहै, धोबी के मन धूप। साई चाहै बोलना, चोर चहै जू चूप।।’’

बादशाह को बीरबल का यह युक्तिसंगत दोहा बहुत भला मालूल हुआ, परन्तु वह उससे और भी सरलार्थ चाहते थे इसलिये फिर बोले-

‘‘बीरबल! आपका यह दोहा काटने लायक नहीं है, फिरभी मुझे इससे पूरा सन्तोष नहीं हुआ। इसलिये कोई दूसरी विधि से और स्पष्ट कर मुझे समझावो।

बीरबल ने कहा-‘‘बहुत अच्छा, और यह दूसरा दोहा रचकर पढ़ सुनाया-

‘‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप’

फिर भी बादशाह संतुष्ट नहीं हुए। उन्होने बीरबल से दूसरा उत्तर माँगा। तब बीरबल बोला-

‘‘हुजूर! सबका मूलमंत्र यह है कि अपनी अपनी सभी चाहते हैं, मैं इस संबंध का एक वाक्या आपको सुनाता हूँ, शायद उससे आप सन्तुष्ट हो जायँ।

एक गरीब बाप के दो लड़कियाँ थी। उसने उनमें से एक को तो बागवान के घर व्याहा और दूसरी को कोंहार से।

जब कुछ दिनों के बाद उनसे मिलने गया तो पहले बागवान के घर गया। वहाँ पहुँचकर कुशल प्रश्न के पश्चात अपनी कन्या का चेहरा उतरा हुआ देखकर
उसके सोच का कारण पूछा?

वह बोली-‘‘हे पिताजी! मैं अपने दुख की बात आपसे क्या सुनाऊँ। उसका छूटना ईश्वर
के हाथ है। इधर कितने ही दिनों से अवर्षण हो रहा है। जिस कारण सारा बाग का बाग सूखा जा रहा है। उसमें न तो उच्छे फूल आते हैं और न फल ही।

तब वह वहाँ से बिदा हो अपनी दूसरी लड़की से मिलने कोहार के घर गया।

वह लड़की मन मारकर द्वार पर बैठी हुई थी।

पिता से मिलकर बड़ी प्रसन्न हुई और अपना सारा दुखड़ा सुनाकर फिर मौन हो गई।

पिता ने उसकी ऐसी उदासी का कारण पूछा तो वह बोली-‘‘हे पिताजी! मैं आपसे अपने दुख की बात क्या कहूँ। इधर कई दिनों से बरसात बराबर बरस रही है। न बरतन सूखने पाते हैं और न सूखी गोहरी ही आँवाँ लगाने को मिलती है। सब हाल रोजगार बन्द है। न मालूम इस बारिस का क्रम कब तक जारी रहेगा।’’

पिता अपनी दोनों लड़कियों की पृथक पृथक बातें सुनकर चुप रह गया और सोचने लगा-‘‘यह सब कुछ नहीं, हम जीव धारी अपनी- अपनी चाहते हैं। परन्तु ईश्वर किसकी करे और किसकी न करे। वह जो कुछ करता है सब भला ही करता है।’’

इस दृष्टान्त को सुनाकर बीरबल ने कहा-‘‘हूजूर! यो तोे पेशे के अनुसार सब की चाहत अलग-अलग होती है, परन्तु आपके प्रश्नों का वही ठीक उत्तर है जो मैने पहले दोनों दोहों में आपको सुनाया है। बादशाह बीरबल के उत्तर से बहुत सन्तुष्ट हुए।

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