अपनी मनमानी दूँगा ! Akbar Birbal Ki Kahani

Akbar Birbal Ki Kahani

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में ! Akbar Birbal Ki Kahani In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी अपनी मनमानी दूँगा ! आइये जानते हैं ;

अपनी मनमानी दूँगा ! Akbar Birbal Ki Kahani

दिल्ली का एक नागरिक बड़ा कंजूस था। वह अपने परिश्रम और कृपणता के कारण रत्नों का एक बड़ा कोष संग्रह किये हुए था। वह उन रत्नों को एक ऐसी साधारण
सन्दूक में छिपाकर रक्खे हुए था कि जिससे देखने वाले को उसमें रत्न होने का भ्रम न हो सके।

उसका घर भी साधारण गृहस्थों के समान कच्चा और टूटा फूटा हुआ था। भला ऐसे
मकान में रत्न होने की कौन संभावना कर सकता था?

अचानक एक दिन मध्य रात्रि में उसके घर में आग लग गयी।

कंजूस उस आग को बुझाने की कोई तरकीब न देख करकुछ साधारण वस्त्रों को लेकर घर से बाहर निकल आया। ये वस्त्र उसके रोजमर्रा के काम आने वाले थे।

घर जलने की चिन्ता में विचारा कंजूस छाती पीट पीटकर रूदन करने लगा। उसके रोने का शब्द सुन और आग की लपट देखकर उसके अड़ोस पड़ोस के बहुतेरे आदमी इकत्र हो गये।

उन आदमियों में एक लोहार भी था। लोहार ने कंजूस को फटकारते हुए कहा-‘‘इस साधरण झोपडे़ के लिये तू इतना रूदन क्यों कर रहा है, इसमें तेरा कौन सा बड़ा नुकसान हो जायगा?’’

यह भी पढ़ें ; आधी दूर धूप आधी दूर छाया।

कंजूस बोला-‘‘भाई तू झोपड़ा जलता देखता है और मैं अपने रत्नों को जलते देख रहा हूँ, फिर तू ही बता कि क्यों न रोऊँ।’’

लोहार ने कहा-‘‘वह धन कहाँ और किस चीज़ में रक्खा हुआ है ?

तब कंजूस उँगली से बगल की एक कोठरी दिखलातेे हुए बोला-‘‘उसी कोठरी
में एक काठ की पुरानी सन्दूक रखी हुई है जिसमें सात लाख के जवाहरात बन्द है।’’

लोहार ने कहा-‘‘यदि मैं उन जवाहरातों को बाहर निकाल लाऊँगा तो अपने मन मानी
तुझे दूँगा और बाकी मैं लूँगा’’ सर्वस जाता देख कंजूस ने उसकी बात मान ली।

लुहार अग्नि से बचने की तरकीब जानता था इसलिये उस जलती हुई आग में साहस कर कूद पड़ा और कोठरी में पहुँच कर उस सन्दूक को बाहर निकाल लाया। और संदूक को अपनी बगल में रखकर अग्निकाण्ड देखने लगा।

थोड़ी देर बाद जब अग्रि का वेग घट गया और लोगों के हृदय में शान्ति आई तो पिटारी का मामला उपस्थित हुआ।

जिस वक्त लोहार और कंजूस में ऐसी शर्तें तय पाई थीं उस समय लोहार ने एक और चालाकी की थी। उस जगह के दो मनुष्यों को अपना गवाह बना लिया था। गवाहों के सामने ही वह पिटारी खोली गई।

पिटारी खुलते ही जवाहरातों की चमक बाहर तक फैल गई। जैसे धन देखकर गँवारों की दशा होती है वही दशा लुहार की भी हुई।

यह भी पढ़ें ; मनुष्य को सबसे प्रिय कौन है?

उस अमुल्य रत्नों की ढेरी को देखकर उसका मन फिर गया। वह सारा का सारा धन तो आप ले लिया और उस खाली डिब्बे को विचारे कंजूस से हवाले कर दिया। कंजूस लुहार की अनीति देखकर बहुत चकाराया और गिड़गिड़ा कर उससे कहने लगा-‘‘भाई आधा धन मुझे दो और बाकी आधा आप ले लो, इसमें मेरी राजी है।’’

लुहार डाटकर बोला-‘‘क्या पहले मेरे तेरे बीच ऐसी ‘शर्त पक्की हुई थीं कि मैं तुझे अपनी मनमानी दूँगा! अब ची चप्पड़ क्यों करता है?’’

दोनों में बढ़ता विवाद होते होते सम्पूर्ण रात्रि व्यतीत हो गई और सूर्योदय का समय आया। कंजूस आधे रत्नों को पाने के लिये बहुतेरा प्रयास किया परन्तु लुहार उसकी
एक भी सुनने को तैयार नहीं था

कंजूस ने लाचार होकर बादशाह के पास अर्जी गुजारी।

मामला पेचीला देखकर बादशाह ने बीरबल को बुलाया और उनका सारा हाल सुनाकर उसे न्याय करने की आज्ञा दी।

बादशाह की आज्ञा पाकर बीरबल ने उन दोनों से अलग अलग बयान लिया, और उन बयानों को पृथक पृथक दो कागजों पर लिखकर उस पर उनके हस्ताक्षर कराये। फिर उन दोनो से बारी बारी शाक्षी लेकर प्रमाणित कराया कि उनका कहना
बिल्कुल सत्य और उन्हे मान्य है।

तब बीरबल ने पहले लुहार से पूछा-‘‘तुमको इसमें से क्या क्या लेना मंजूर है?’’

लोहार बोला-‘‘मेरी इच्छा जवाहरात लेते की है।’’ बीरबल ने तुरन्त निर्णय कर दिया-‘‘तू जवाहरात इस कंजूस को दे दे और स्वयं खाली पिटारी ले ले।’’

यह निर्णय सुनकर लोहार न शर्तनामें की तरफ इशारा किया बीरबल बोला- ‘‘तूँ पहले ही अपनी शर्तों में लिख चुका है- मैं अपनी मन मानी दूँगा। ’’ तो तेरे मन में जवाहरात लेने का है अतएवं तेरी जबान से ही निर्णय हो गया। अब जवाहरातों को इसे देकर
आप खाली पिटारी लेकर चला जा।

इस प्रकार लुहार के हाथ खाली पिटारी लगी और कंजूस सानन्द जवाहरातों को लेकर और बीरबल का शुक्रिया कर घर लौट आया।

यह भी पढ़ें ; अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से (कहानियाँ)

दोस्तों आपको उम्मीद करता हूँ आपको अकबर-बीरबल की कहानी : अपनी मनमानी दूँगा ! Akbar Birbal Ki Kahani’ अच्छी लगी होगी। कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *