अकबर-बीरबल की कहानी : आधी दूर धूप आधी दूर छाया। Akbar Birbal Story In Hindi

Akbar Birbal Story

अकबर-बीरबल की कहानियों की श्रृंखला में Akbar Birbal Story In Hindi Series में हम लेकर आये हैं एक और रोचक अकबर-बीरबल की कहानी आधी दूर धूप आधी दूर छाया। आइये जानते हैं ;

आधी दूर धूप आधी दूर छाया। Akbar Birbal Story In Hindi

एक दिन की बात है कि बादशाह ने बीरबल से खफा होकर उसको अपने नगर से बाहर निकाल दिया। बीरबल हर हालत में खुश रहने वाला व्यक्ति था, वह नगर से बाहर किसी गांव मेें जा बसा।

इस प्रकार बास करते करत कई महीने व्यतीत हो गये इतने दिनाों तक न बादशाह ने उसे बुलवाया और न वह स्वयं आया।

समय समय पर बादशाह बीरबल को याद कर बड़ी चिन्ता करता, परन्तु उसका कहीं पता ठिकाना न मिलने के कारण लाचार था। जब किसी प्रकार बीरबल का पता न चला तो ढूँढ़ने के लिये बहुतेरे कर्मचारियों को गाँवों में भेजा, फिर भी बीरबल का कोई ठिकाना मालूम न हो सका.

तब बादशाह उसको ढूँढ़ने की एक नई तरकीब निकाली।

नगर नगर मेे ढिढोरा फिरवा दिया कि जो सख्स-‘‘आधी दूर धूप और आधी दूर छाया’’ मे होकर मेरे पास आवेगा उसे एक हजार रूपये को इनाम दिया जायेगा।’

बहुतों ने इनाम पाने की चेष्ठा की, परन्तु किसी के दिमाग में ‘‘आधी दूर धूप आधी दूर छाया’’ में होकर आने की युक्ति न सुझी। यह बात फैलते फैलते बीरबल के कान में पहुँची।

Akbar Birbal Story In Hindi

वह अपने पड़ोस के एक बढ़ई को बुलाकर बोला-‘‘तुम एक चारपाई अपने मस्तक पर रखकर बादशाह के पास जाओ और कहो कि मै-‘‘आधी दूर धूप आधी दूर छाया’’ मै होकर आपके पास आया हूँ अतएवं मुझे इनाम मिलनी चाहिये।’’

बढ़ई बीरबल को पहचानता था इसलिये उसकी बात मानकर चारपाई सिरपर लेकर बादशाह के पास जा पहुँचा और एक हजार को पुरस्कार पाने का हकदार हुआ।

बादशाह इस बात को बढ़ई के समझ से बाहर की समझ कर बोला- ‘‘सचसच बतलाना होगा, कि तुम्हें यह सलाह किसने दी है’’

बढ़ई बोला -‘‘हुजूर! एक ब्राह्मण कुछ दिनों से हमारे ग्राम में आ बसा है, उसे लोग बीरबल के नाम से पुकारते है, उसी की सम्मति से मैने यह कार्य किया है। बादशाह किसान से बीरबल का नाम सुनकर बड़ा प्रसन्न हुआ और उसका एक हजार रूपये देकर बिदा किया।

उसके साथ अपना दो कर्मचारी बीरबल का लाने के लिये उसके साथ भेजा। इतने यत्न के पश्रचात बीरबल फिर बादशाह के दरवार की शोभा बढ़ाने लगे।

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