दोस्तों ज्ञानवर्धक कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं बहुत ही रोचक एवं मजेदार कहानी जिसमे बताया गया है की सच्चाई में बहुत बड़ी ताकत होती है। यदि व्यक्ति सच बोले तो अंत में उसे सम्मान ही मिलता है। आइये जानते हैं ज्ञानवर्धक कहानी ‘Hindi Story Power Of Truth’ जो आपको जरूर पसंद आएगी।
सच्चाई की ताकत ~ Hindi Story Power Of Truth
चन्द्रपुरी में सोमेॉर नाम का एक राजा था। वह बड़ा न्यायी और सत्यप्रिय था।
वह अपनी प्रजा के सुख का बड़ा ख्याल रखता था।
उस के राज्य में चोर और डाकू कम थे।
वह दुःखियों के दुःख और गरीबों की गरीबी दूर करने की कोशिश करता रहता था।
उस की प्रजा बड़ी सुखी थी।
राजा वेष बदलकर अपनी प्रजा की हालत जानने के लिए सब जगह घूमा करता था।
एक दिन की बात है कि एक सन्यासी का वेष धरकर हाथ में एक कमंडल लिये राजा नगर भ्रमण कर रहा था।
रात का समय था। सड़कों पर लोगों का आना-जाना बन्द हो गया था।
घूमते घामते वह एक गली के मोड़ पर जा पहुँचा।
वहां पहुँचते ही अचानक एक चोर उस के सामने आ खड़ा हुआ।
सन्यासी बना राजा बिलकुल नहीं घबराया। चोर ने सन्यासी से कहा-‘तुम्हारे पास जो कुछ रूपया है, सब मुझे दे दो’।
सन्यासी (राजा) बोला – तुम कौन हो?
चोर बोला -देखते नहीं हो, मैं भी तुम्हारे समान एक आदमी हूँ। मुझे रूपये चाहिए, रूपये। समझे?
सन्यासी (राजा) बोला -मैं रूपया दूगा। लेकिन यह तो बताओ कि तुम्हारा घर कहाँ है और तुम्हारा धन्धा क्या है?
चोर बोला – मेरा घर यहाँ पास है। पहले मैं एक गरीब किसान था। खेत सब बिक गया। घर में स्त्री और आठ बच्चे हैं। बड़ी गरीबी में हम दिन काटते हैं।
मैं चोरी करके अपनी जीविका कमाता हूँ। कोई दूसरा उपाय नहीं है।
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चोर की बातें सुनकर सन्यासी बने राजा ने कहा-‘भाई’ देखो, मैं अपने पास जो कुछ है, सब तुम्हे दे दूँगा। मगर, तुम से एक बात की प्रतिज्ञा चाहता हूँ’।
चोर-कैसी प्रतिज्ञा?
संन्यासी बना राजा बोला – तुम्हें वचन देना होगा कि तुमआगे कभी झूठ नहीं बोलोगे। क्या इस के लिए तुम राजी हो।
चोर – रूपया दोगे तो मैं ऐसा वचन दूँगा।
संन्यासी ने तुरन्त अपनी कमर में बन्धी हुई थैली लेकर उसे दी और कहा- ‘देखो, इस में अब तुम्हारी जरूरत भर के लिए रूपये है। इस से अपना काम चलाना। लेकिन आगे झूठ नहीं बोलना। हमेशा सच बोलोगे तो रूपये मिल जायंगे’।
चोर ने पूछा – सो कैसे ?
संन्यासी बोला – भगवान दे देगे।
चोर के मन पर संन्यासी बने राजा की बातों का बड़ा असर पड़ा। उस ने संन्यासी से विनीत भाव के साथ कहा-
‘महाराज, क्षमा कीजिये। आज से आप मेरे गुरू हुए। आप ने मुझे उपदेश दिया। रूपया भी दिया। मैंने आप जैसादयालु आदमी नहीं देखा है। आप बड़े महात्मा मालूम होते हैं। आगे से मैं झूठ नहीं बोलूँगा। लेकिन चोरी करना छोड़ नहीं सकता’।
संन्यासी उसे आशीर्वाद देकर चला गया। राजा मन ही मन प्रसन्न हुआ। क्योंकि वह जानता था कि सच्चाई और चोरी दोनो एक साथ नहा चल सकती।
दूसरे दिन रात को राजा एक मामूली आदमी के वेष में निकला।
पिछले रोज़ की तरह वह एक उसी गली से होकर जाने लगा।
उस समय उसने देखा कि एक आदमी दबे पाँव जा रहा है।
राजा ने उस के पास पहुँचकर पूछा-अरे तुम कौन हो? कहाँ जा रहे हो?
Hindi Story Power Of Truth
आदमी ने जवाब दिया- ‘मैं एक चोर हूँ। राजमहल में चोरी करने के लिए जा रहा हूँ’।
राजा को मालूम हो गया कि वह पिछले दिन वाला ही चार है। उसने मन ही मन सोचा-इस की सच्चाई की और एक बार परीक्षा लेनी चाहिये।
राजा ने पूछा-‘तुम चोर होकर सच कैसे कहते हो? सच कहने से चोरी कैसे कर सकते हो? पकड़े नहीं जाओगे’?
चोर ने कहा -सच कहने से चोरी में कोई बाधा नहीं पडे़गी। भगवान मदद करेंगे।
राजा बोला – तुम राजा के महल में कैसे धुसोगे? वहाँ तो पहरेदार हैं।
चोर बोला -वहाँ जाकर ही पता चलेगा । वहाँ जाने पर कोई ने कोई तरकीब सूझेगी।
राजा बोला -अच्छा, मैं तरकीब जानता हूँ। मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगा। क्या मुझे भी चोरी का आधा भाग दे दोगे?
चोर ने पूछा – तुम कौन हो? क्या मेरी तरह…
राजा ने जबाब दिया – हाँ, मैं भी तुम्हारी तरह एक चोर ही हूँ। लेकिन मुझे महल में घुमने की हिम्मत नहीं हैं।
चोर बोला -बड़ी खुशी की बात है। मुझे एक अच्छा साथी मिल गया। तुम तरकीब बता दो, फिर देखो कि मैं चोरी कैसे करूँगा।
दोनों महल के पास पहुँचे।
राजा ने चोर को अन्दर जाने का एक गुप्त मार्ग दिखाते हुए कहा- इधर से होकर जाओ, अन्दर पहुँच जाओगे।
चोर उस रास्ते से चला और महल के एक बड़े कमरे में पहुँच गया।
वहाँ एक छोटा सन्दूक था। उस ने उसे खोलकर देखा तो उस में पाँच हीरे की
अंगूठियाँ थी।
वह बड़ा खुश हुआ।
लेकिन फिर सोचा-‘यदि मैं पाँचों चुरा लूँ तो आधा आधा बाँटना मुश्किल हो जायगा’ यह सोचकर चार अंगूठियाँ लेकर वह बाहर आया।
राजा ने पूछा-क्या कुछ मिल गया?
चोर-चार हीरे की अंगूठियाँ मिली।
राजा ने पूछा – सिर्फ इतना ही?
चोर बोला ; वहाँ एक पेटी में पाँच हीरे की अंगूठियाँ थी। मैंने सोचा-पाँचों लेने से बराबर बांटने में कठिनाई होगी। इसीलिए मैंने चार ही ली हैं।
राजा को चोर की बात पर पूरा विश्वास हो गया और पहले की शर्त के अनुसार दो अंगूठियाँ लेकर चोर वहाँ से चला गया।
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जाने से पहले चोर के घर का पता भी राजा ने पूछ लिया था।
दूसरे दिन राजा ने अपने मन्त्री को बुलाकर कहा- कल रात को यहाँ किसी के पैरों की आहट सुनाई पड़ी है? और उस बडे कमरे में जाकर देख लो, उस छोटी पेटी में
पाँच हीरे की अंगूठियाँ हैं या नहीं’।
मन्त्री उस बडे कमरे में पहुँचा। पेटी खोलकर देखा तो उस में सिर्फ एक अंगूठी दिखाई पडी।
मन्त्री ने सोचा कि एक अच्छा मौका हाथ लगा है। अब इस हीरे की अंगूठी को मैं उडा लूंगा। राजा से कहूँगा-चोर सब उडा ले गया है।
यह सोचकर उस ने वह अंगूठी चुरा ली जौर राजा से बोला-‘महाराज कमरे में पेटी
है। पाँचों अंगूठियाँ गायब हैं’।
राजा को मन्त्री की बात पर विशवास नहीं हुआ। सोचा-इस ने जरूूर एक अंगूठी चुरा ली है।
राजा ने तुरन्त सिपाही को हुक्म दिया कि मन्त्री को गिरफ्तार करो और उस की तलाशी लो।
सिपाही ने मन्त्री को कैद कर लिया। तलाशी लेने पर वह अंगूठी मिल गयी। मन्त्री को कडी सजा देकर जेल भेज दिया।
फिर उस चोर को बुलवाया और उस से कहा-तुम्हें आज से मैं अपना मन्त्री बनाता हूँ।
यह सुनकर चोर घबडा गया। उस ने हाथ जोडकर कहा- महाराज, आप यह क्या कह रहे हैं।
राजा बोला -तुम सच्चे हो। सच बोलने से भगवान हमें सब कुछ दे देता है।
राजा ने उस से पूरा हाल कहा। चोर को यह सुनकर बडी खुशी हुई। उस दिन से वह चोर नहीं रहा। राजा का विश्वाशपात्र मन्त्री बन गया।
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