सुई को भी स्वर्ग में ले आना ! Hindi Story on Two Brothers

Hindi Story on Two Brothers

दोस्तों ज्ञानवर्धक कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं बहुत ही भावनात्मक कहानी जिसमे दो भाई हैं। एक लालची और शराबी और दूसरा उतना ही ईमानदार और सच्चा। आइये जानते हैं बच्चों के ज्ञानवर्धक कहानी ‘Hindi Story on Two Brothers’ जो बड़ों को भी उतनी ही पसंद आएगी।

सुई को भी स्वर्ग में ले आना ! Hindi Story on Two Brothers

किसी शहर में दो भाई रहते थे। बड़ा भाई बड़ा धूर्त और शराबी था जबकि छोटा भाई बड़ा सीधा-सादा, सच्चा और मेहनती था।

उन के पिता ने काफी धन कमाया था। पिता की मृत्यु के बाद बड़े भाई ने पिता की सारी संपत्ति हड़प कर ली थी।

छोटे भाई को वक्त पर खाना-कपड़ा तक नहीं मिलने लगा।

एक दिन छोटे भाई ने अपने बडे भाई से इस बात को लेकर शिकायत की।

लेकिन बड़े भाई ने गुस्से में आकर उसे खूब पीटा और उसे घर से निकाल दिया।

छोटा भाई घर छोड़कर चुपचाप चला गया।

छोटे भाई के कुछ दोस्तों ने उसे सलाह दी कि बड़े भाई पर मुकद्दमा चलाया जाय।

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लेकिन छोटे ने कहा- वे तो मेरे बड़े भाई है, मैं उन के विरुद्ध कुछ कुछ नहीं करूँगा। वे आराम से अपना जीवन बितावें, मैं कहीं मेहनत- मज़दूरी करके अपना गुजर कर लूँगा।

छोटे भाई ने पास के एक दूसरे शहर में जाकर सिलाई का काम सीखा।

वह किसी तरह उपनी जीविका उसी से कमाता था और बड़ी गरीबी में दिन काटता था।

जबकि बड़ा भाई ऐश-आराम में दिन बिता रहा था। उसे अपने छोटे भाई की सुधि तक नहीं रही थी।

एक दिन की बात है कि छोटा भाई बीमार पड़ा। उस के पास इलाज कराने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं थी।

उसके दोस्तों ने उस की पूरी मदद की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

उस की बीमारी दिन व दिन बढ़ती गयी।

एक दिन उस की हालत बड़ी नाजुक हो गयी। उस के बचने की उम्मीद नहीं थी।

उस ने सोचा-अब मैं कुछ क्षणों का मेहमान हूँ,। यहाँ से चल बसने के पहले बड़े भाई से कुछ बातें करने की उस की इच्छा हुई।

लेकिन वहाँ तक जाने में असमर्थ था।

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उस ने बड़ी मुश्किल से भाई के नाम एक पत्र लिखा और उसे एक लिफाफे में डाल कर उस में अपनी सूई भी रख दी।

उसी दिन वह इस दुनिया से चल बसा।

बड़े भाई को छोटे भाई का पत्र मिला। लिफाफा खोला तो उस ने उस में एक सूई भी पायी।

पत्र यों थाः-

‘‘बड़े भैया जी, आप को जब तक पत्र मिलेगा तब तक मैं इस दुनिया से चल बसा हुँगा।

जाने के पहले मैं आप से मिलना चाहता हूँ। मगर लाचार हूँ। आप से मिले बिना मैं जा रहा हूँ, उस के लिए माफी चाहता हूँ।

आप से एक खास बात कहनी है।

आप और मैं, हम दोनों एक ही माँ के पेट से पैदा हुए।

एक प्रार्थना है, जब आप अपनी प्यारी सम्पत्ति गाड़ियों में लाद कर वहाँ ले आयेगे तो उस के साथ इस छोटी सूई को भी ले आकर मुझे देने की कृपा करे।

बस इतना ही अन्तिम प्रणाम !

आपका छोटा भाई

पत्र पढ़ कर बड़े भाई की आँखों से अश्रुधारा वही।

उसे अपनी करनी पर बड़ा पछतावा हुआ। मगर, अब पछताने से क्या हो सकता था ?

पश्राताप की आग में उसका मन तपा। उस का धन-लोभ दूर हुआ। उस का स्वार्थ मिट गया।

अपने प्यारे छोटे भाई की भोली-भाली मूर्ति उस की आँखों के सामने खड़ी हो गयी।

उस ने एक लंबी साँस ली। अपनी बची हुई सम्पत्ति एक अनाथलय के लिये लिख दी। फिर अपना जीवन मेहनत और ईमानदारी से काम करके व्यतीत किया।

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