सूझबूझ के साथ सच्चा फैसला लेने पर बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक कहानी | Hindi Story on True Decision
दोस्तों ज्ञानवर्धक कहानियों की श्रृंखला में हम लेकर आये हैं बहुत ही मज़ेदार कहानी जिसमे एक पंडित जी ने अपनी सूझ बूझ से बहुत ही सच्चा फैसला लिया और इंसाफ किया। आइये जानते हैं बच्चों के ज्ञानवर्धक कहानी ‘Hindi Story on True Decision’ जो बड़ों को भी उतनी ही पसंद आएगी।
Hindi Story on True Decision
बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव एक किसान रहता था। उस के चार बेटे थे। कुछ दिन तक वे सब मिल-जुल कर रहे। लेकिन धीरे धीरे चारों में फूट पैदा हो गयाी।
किसान ने बहुत कोशिश की वो आपस में मिलजुल कर रहें लेकिन लेकिन उसकी तमाम कोशिश बेकार गयी।
आखिर उसने अपनी जायदाद चारों को बराबर बराबर बाँट दी।
उसका एक कुत्ता भी था। किसान ने कहा कि उस पर चारों बेटों का हक़ बराबर होगा।
अचानक से एक रात उस व्यापारी की मृत्यु हो गई।
यह भी पढ़ें ; जिंदगी का असली पाठ सिखाती तीन प्रेरणादायक हिंदी कहानी
पिता के मरने के बाद बेटों मेें बड़ी दुश्मनी पैदा हो गयी।
एक दिन उस कत्ते की एक टाँग टूट गयी। एक बेटे ने उस टाँग पर तेल की पट्टी बाँध दी।
दूसरे दिन जब कुत्ते चूल्हे के पास लेटा हुआ था, तब अचानक उस पट्टी में आग लग गयी।
कुत्ता घबराकर वहां से भाग कर खलियान में पहुँचा। तो वहाँ रखे हुए अनाज पर भी आग लग गई।
अनाज के ढेर जल कर राख हो गये।
अब तीनों भाइयों ने चौथे (जिसने कुत्ते की पट्टी बाँधी थी) से झगड़ा किया कि उसी के कारण यह नुकसान हुआ है।
यह भी पढ़ें ; प्रेरक कहानी : पसीने की कमाई
उस गाँव में एक पंडित जी रहते थे। वे बड़े इन्साफ-पसन्द और सुलझे हुए व्यक्ति थे।
गांव के सभी लोग किसी भी समस्या को लेकर आते तो वे किसी भी शिकायत का फैसला ‘दुध का दूध, पानी का पानी’ की तरह करते थे।
तीन भाइयों ने वहाँ जाकर चौथें की शिकायत की।
पंडित जी ने उन का बयान सुना।
उन्होने चौथे भाई को बुलवाया। उस से पूछा तो उस ने भी अपना बयान दिया।
दोनो पक्ष का बयान सुनने के बाद काजी साहब ने यों फेसला सुनाया ;
‘इस कुत्ते पर चारों का हक़ बराबर है।
कुत्ते की एक टाँग टूट गयी और एक ने उस पर पट्टी बाँध दी थी।
यह भी पढ़ें ; बिना सोचे समझे फैसला लेने का परिणाम
दूसरों को उस कुत्ते पर दया तक नहीं आयी।
बेशक, उस पट्टी में आग लग गयी, इसी वजह से खलियान का अनाज जल गया। लेकिन, इस का ख्याल रखना चाहिये कि कहीं कुत्ता उस टाँग से चल कर खलियान में तो नहीं गया।
तीन टाँगों से ही चल कर वह खलियान में गया था। क्यों कि एक टाँग बिलकुल बेकार थी। उस हालत में उन तीनों टाँगों के कारण यह नुकसान हुआ था।
टूटी हुई टाँग पर जिसने पट्टी बांधी, वह टाँग उसी के हक की है। बाकी तीनों टाँगे तीनों भाइयों के हक़ की है।
इसलिये उन तीनों टाँगों के हकदारों को उस का नुकसान उठाना चाहिये।
पंडित जी का फैसला सुन कर तीनों बेटे अपना सा मुँह लेकर घर लौटे।
यह भी पढ़ें ; चरित्र की परीक्षा
दोस्तों आपको उम्मीद करता हूँ आपको यह कहानी ‘फैसला सूझबूझ का | Hindi Story on True Decision’ अच्छी लगी होगी। कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .
यदि आप इस ब्लॉग पर हिंदी में अपना कोई आर्टिकल या जो भी जानकारी देना चाहते है तो कृपया अपनी एक फोटो के साथ E-mail करें. Id है – ‘[email protected]’ पसंद आने पर आपके नाम और आपकी फोटो के साथ प्रकाशित की जाएगी। धन्यवाद