एक बालक के ध्रुव तारा बनने की पौराणिक कथा | Dhruv Tara Pauranik Katha – Dhruv Tara Story

Dhruv Tara Pauranik Katha

नमस्कार मित्रो, आज की अपनी इस पौराणिक कथा की श्रंखला में हम आपको बताने जा रहे है पौराणिक कथा एक बालक के ध्रुव तारा बनने की | ये कथा है उस बालक की जिसने कई वर्षो तक रात-दिन कठोर तपस्या की औरफिर भगवान की  में बैठकर अमरता प्राप्त की | चलिए जाने Dhruv Tara Pauranik Katha विस्तापूर्वक

इस पोस्ट में आप जानेंगे आखिर एक बालक ध्रुव कैसे बना एक तारा – Dhruv Tara Pauranik Katha – Dhruv Tara Story बालक ध्रुव के जन्म से लेकर उसके ध्रुव तारा बनने की कहानी !

Contents

Dhruv Tara Mythology / Dhruv Tara Story In Hindi / Dhruv Tara Pauranik Katha

जाने कौन थे मनु और शतरूपा !

पौराणिक कथाओ के अनुसार मनु और शतरूपा संसार के प्रथम स्त्री और पुरुष थे जिनकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी से हुई थी | मनु को स्वंयभू मनु के नाम से भी जाना जाता है और ब्रह्माजी के पुत्र के तौर पर भी जाना जाता है | मनु और शतरूपा के विवाह से दोनों को दो पुत्रो की प्राप्ति हुई जिनका नाम प्रियव्रत और उत्तानपाद था | उन दोनों के बड़े होने पर प्रियव्रत का विवाह विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती के साथ हुआ था और वही दूसरी ओर उत्तानपाद का विवाह सुनीति और सुरुचि से हुआ था | मनु और शतरूपा के पुत्र प्रियव्रत को बहिर्ष्मती से 10 पुत्रो की प्राप्ति हुई थी और वही दूसरी ओर उत्तानपाद को सुनीति से ध्रुव और सुरुचि से उत्तम नामक पुत्रो की प्राप्ति हुई थी |

बालक ध्रुव के जन्म की पौराणिक कथा

राजा उतान्पाद अपनी प्रथम रानी सुनीति से बहुत प्रेम करते थे लेकिन कई वर्षो तक दोनों के कोई संतान नही हुई इसलिए राजा ने अपनी प्रथम रानी सुनीति के समझाने पर सुरुचि नामक कन्या से दूसरा विवाह कर लिया | जब राजा की दूसरी पत्नी सुरुचि को महल में आकर उनकी प्रथम रानी के बारे में पता चला तब उन्होंने राजा से पहली पत्नी को महल से निकाल देने के लिए कहा जिसका राजा ने विरोध किया पर ये सुनकर उनकी पहले रानी सुनीति ने खुद ही राज महल त्याग कर वन में रहने चली गई |

कुछ समय पश्चात राजा उतान्पाद जब शिकार के लिए वन में जाते हैं और वहां गंभीर रूप से घायल और अचेत हो जाते हैं | जब ये बात रानी सुनीति को पता चली तो वो जंगल से जाकर राजा उतान्पाद को अपनी कुटिया में ले आईं और उनका उपचार करने लगी | घायलावस्था के कारण राजा कई दिनों तक अपनी पहली पत्नी सुनीति के साथ ही रहे | उस दौरान उनकी रानी सुनीति गर्भवती हो जाती हैं और उन्हें पुत्र रत्न के रूप में बालक ध्रुव की प्राप्ति होती है |

बालक ध्रुव के साथ उसकी सौतेली माता सुरुचि द्वारा किये गये दुर्व्यवहार की कथा

बालक ध्रुव के पैदा होने के बाद भी राजा उतान्पाद की पहली पत्नी सुनीति ने उन्हें इस सम्बन्ध में बहुत समय तक कुछ नही बताया लेकिन जब राजा उतान्पाद को इस बात का पता चला तब उन्होंने रानी सुनीति से महल चलने का आग्रह किया जो उन्होंने ठुकरा दिया | वो ध्रुव को कभी कभी महल भेज दिया करती थी लेकिन रानी सुरुचि को ध्रुव से बहुत घृणा थी |

एक दिन रानी सुनीति का पुत्र ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठा खेल रहा था तभी रानी सुरुचि वहां आ पहुंची और बालक ध्रुव को राजा उत्तानपाद की गोद में खेलते देख उसका मन इर्षा से जल उठा और पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा | उसने फ़ौरन झपट कर बालक ध्रुव को राजा उतान्पाद की गोद से खींच लिया और अपने पुत्र उत्तम को उनकी गोद में बिठा दिया और बालक ध्रुव से कहा कि “तू मेरी कोख से उत्पन्न नहीं हुआ है। इसलिए तुझे इनकी गोद में या राजसिंहासन पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है। अपनी सौतेली मां के इस व्यवहार पर बेचारे मात्र 5 वर्ष के अबोध बालक ध्रुव को बहुत दुःख हुआ और वो वहां से चले जाते है और महल से अपनी माँ सुनीति के पास आ जाते हैं।

बालक ध्रुव को माता सुनीति द्वारा भक्ति के मार्ग पर चलने की शिक्षा देने से जुड़ी कथा

महल में अपनी सौतेली माँ रानी सुरुचि द्वारा किये गये इस दुर्व्यवहार से दुखी होकर बालक ध्रुव महल छोड़कर अपनी  माता रानी सुनीति के पास आश्रम वापिस आ जाते है और उन्हें अपने साथ हुई सारी घटनाक्रम की जानकारी देते है | इसके बाद उनकी माताजी उनको समझाती है कि अगर कोई आपको बुरा कहे तो उसके बदले में उसे बुरा मत कहो नही तो ऐसा करने से तुम्हारी ही हानि होगी | उनकी माताजी ने ही उन्हें समझाया कि अगर वह अपने पिता की गोद में सम्मान से बैठना चाहते हो तो भगवान विष्णु की उपासना करे वो जगत के पिता और पालनहार हैं | उनको अपना सहारा बनाओ | माँ की वो बाते बालक ध्रुव के मन को छु गई और वो सभी मोह त्यागकर भगवान की भक्ति के लिए निकाल पड़े |

बालक ध्रुव को ऋषि नारद मुनि द्वारा मंत्र देने से जुड़ी कथा

जब बालक ध्रुव अपनी माता द्वारा समझाने पर भगवान की तपस्या करने के लिए घर से निकले तब वो यमुना तट पर स्नान के लिए रुकते है | तब वहां उनकी भेट ऋषि नारद मुनि से होती है जो उस बालक को बहुत समझाने की कोशिश करते है पर आख़िरकार एक बालक के संकल्प के आगे ऋषि नारद मुनि हार जाते है और उन्हें ऋषि नारद मुनि भगवान की भक्ति की विधि बताते हैं और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र ध्रुव को दीक्षा के रूप में देते है |

बालक ध्रुव द्वारा भगवान विष्णु की घोर तपस्या करने से जुड़ी कथा

इसके बाद बालक ध्रुव भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रात-दिन कई महीनो तक कभी जल में तो कभी एक ऊँगली पर खड़े रहकर ऋषि नारद मुनि द्वारा दिए गये मंत्र का जाप करते हैं | तपस्या करते हुए बालक ध्रुव को अनेक प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ा पर वो अपने संकल्प पर अडिग रहे। उनका मनोबल कभी भी विचलित नहीं हुआ । धीरे-धीरे उनके तप का तेज तीनों लोकों में फैलने लगा और भगवान विष्णु का वैकुण्ठ भी बालक ध्रुव द्वारा लगातार किये जा रहे मन्त्रोच्चारण से गूंजने लगा जिसके कारण भगवान विष्णु भी अपनी योग निद्रा से उठ गए ।

बालक ध्रुव को भगवान विष्णु द्वारा दिए गये वरदान की कथा

जब भगवान विष्णु ने अपनी योग निद्रा त्यागकर बालक ध्रुव को इस अवस्था में तप करते देखा तो वो उस बालक की तपस्या से नारायण अत्यंत प्रसन्न हुए और उस अबोध बालक को दर्शन देते हुए बोले कि “हे राजकुमार! तुम्हारी समस्त इच्छाएं पूर्ण होंगी। तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न होकर मैं तुम्हें वह लोक प्रदान कर रहा हूं, जिसके चारों ओर ज्योतिष चक्र घूमता है | इस लोक का नाम तुम्हारे नाम पर ही होगा अर्थात ध्रुव लोक के नाम से जाना जायेगा। तुम इस लोक में 36 सहस्त्र वर्ष तक शासन करोगे। और तुम ऐसे ऐश्वर्य का भोग करके अंत में मेरे लोक को प्राप्त होंगे।“और भगवान के इस वरदान के पश्चात् ध्रुव एक तारे में परिवर्तित हो गये |

यह भी पढ़ें ;

जानिए क्यों हुआ था समुद्र मंथन – पौराणिक कथा

बुद्ध पूर्णिमा : पौराणिक कथा महत्त्व एवं उपदेश

पौराणिक कथा : गुरु द्रोणाचार्य एवं शिष्य अर्जुन

आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी इंसान को परखने की कला !

हम आशा करते हैं एक बालक के ध्रुव तारा बनने की पौराणिक कथा | Dhruv Tara Pauranik Katha आपको जरूर पसंद आई होगी !। Comments द्वारा अवश्य बतायें। यदि आपका कोई सुझाव है या इस विषय पर आप कुछ और कहना चाहें तो आपका स्वागत हैं। कृपया Share करें और जुड़े रहने की लिए Subscribe जरूर करें. धन्यवाद

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *