सच्ची दोस्ती की 3 प्रेरक कहानियां~Friendship Story In Hindi | सच्ची दोस्ती की कहानियां

Friendship Story In Hindi

सच्ची दोस्ती की दिल छू लेने वाली प्रेरक कहानियां (Friendship Story In Hindi) ; सच्ची दोस्ती की ये कहानियां (Heart Touching Story in Hindi) एक बेहतर दोस्त बनने में भी मददगार होंगी और एक दोस्त के महत्त्व को भी बताएंगी। 

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True Friendship Story In Hindi…सच्ची दोस्ती की कहानी

दोस्ती पर इन कहानियों के माध्यम से जीवन में एक दोस्त की क्या कीमत होती है और दोस्त होने के वास्तविक अर्थ का कहानी के माध्यम से आनंद लें।

रेत पर लिखा – पत्थर पर लिखा

True Friendship Story
True Friendship Story In Hindi : written on sand – written on stone

एक दिन दो दोस्त राहुल और केशव बातें करते हुए जा रहे थे, हालाँकि वो दोनों पक्के दोस्त थे पर अचानक किसी बहस में पड़ गए और कहा सुनी में राहुल ने केशव को थप्पड़ मार दिया।

थप्पड़ लगने के बाद केशव ने कुछ नहीं कहा बस नीचे पड़ी रेत पर लिख दिया, “मुझे चोट लगी है क्योंकि आज मेरे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा है।”

दो दिन बाद दोनों दोस्त फिर मिले और इस बार उन्होंने नदी में नहाने जाने का प्रोग्राम बनाया। अगली सुबह दोनों नदी में नहाने पहुंचे।

तो जब वो नहा रहे थे तो केशव का पैर फिसला और वो डूबने लगा।

जब राहुल ने उसे डूबता देखा जो झट से उसे बचाने के प्रयास में लग गया और उसे बचा लिया।

बचाए जाने के बाद, केशव ने पत्थर पर लिखना शुरू किया “आज मुझे मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने केशव से पूछा “जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा तो तुमने रेत पर लिखा और जब मैंने तुम्हें बचाया तो तुमने पत्थर पर लिखा, ऐसा क्यों ?”

इस पर केशव ने जवाब दिया “जब लगे की दोस्त से कोई गलती हुई है, उसने हमें कोई चोट पहुंचाई है या हमें किसी बात का बुरा लगे तो अच्छा होगा कि हम रेत पर लिख दें…

क्योंकि यह हवा के साथ मिट जाएगा लेकिन जब आपका दोस्त आपके साथ कुछ अच्छा करे तो हमेशा पत्थर पर लिखें ताकि इसे हमेशा याद रखा जा सके।

कहानी से सीख !

दोस्तों, जहाँ दोस्ती होती है प्यार होता है वहां थोड़ी बहुत बहस, लड़ाई भी होती है। यदि उस एक बात को हम अपने दिल पर लगा लें तो फिर दोस्ती या कोई भी रिश्ता कैसे चल पायेगा। एक दोस्त आपसे लड़ भी सकता है और आपके लिए लड़ भी सकता है। एक तरह आप उसकी गलती को अज़रअंदाज़ करें तो दूसरी तरह उसकी अच्छाई को हमेशा याद भी रखें।

जो अच्छा है, तो अच्छा है,
जो बुरा है तो भी अच्छा है,
दोस्ती के मिज़ाज़ में,
यारों के ऐब नहीं देखे जाते।

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दो बहादुर दोस्त

True Friendship Story
True Friendship Story about Two Brave Friends In Hindi

True Friendship Story In Hindi Two Brave Friends

एक छोटे से गाँव में वीर और जय नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे।

एक समय आया जब दोनों ने अपना सपना पूरा किया और सेना में भर्ती हो गए..

बहुत ही जल्द..उन दोनों को भी देश की सेवा करने का मौका भी मिल गया।

जल्द ही..युद्ध छिड़ गया और दोनों को राष्ट्र की सेवा के लिए युद्ध में भेज दिया गया।

वहां जाकर दोनों ने बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया।

लड़ाई के दौरान जय बुरी तरह घायल हो गया।

जब वीर ने अपने दोस्त जय के घायल होने के बारे में सुना, तो वह खुद को नियंत्रित नहीं कर पाया और अपने घायल दोस्त को बचाने के लिए तेजी से भागा।

अचानक उनके कप्तान ने उसे रोका और कहा, “अब वहां जाने का कोई मतलब नहीं है।”

जब तक तुम वहां पहुंचोगे, तब तक तुम्हारा दोस्त वीर गति को प्राप्त हो गया होगा।, और तुम भी अपनी जान को जोखिम में डालोगे।”

लेकिन वीर अपने कप्तान की बात से बिलकुल सहमत नहीं था।

उसने कप्तान की बात को नजरअंदाज कर दिया और अपने घायल दोस्त को बचाने के लिए आगे पहुंच गया।

जब वीर वापस अपने शिविर में पहुँचा, तो उसके कंधे पर अपने मित्र जय को लाया। लेकिन उसका दोस्त अब जीवित नहीं था।

यह देखकर कप्तान ने कहा, “मैंने तुमसे कहा था कि वहां जाने का कोई फायदा नहीं है। तुम अपने मित्र को सुरक्षित नहीं ला सके। तुम बेकार ही वहां गए।

वीर ने उत्तर दिया, “नहीं साहब, मैं उसे लेने के लिए वहाँ व्यर्थ नहीं गया।

जब मैं उसके पास पहुँचा तो वो मुस्कुराया और मेरी तरफ देखा, उसने कहा- मेरे दोस्त, मुझे विश्वास था कि तुम मेरे लिए जरूर आओगे..

..ये मेरे लिए उसके आखिरी शब्द थे।

मैं उसे बचा तो नहीं सका। लेकिन उसे मुझ पर और हमारी दोस्ती पर जो विश्वास था, मैंने उस विश्वास को बचा लिया।”

कहानी से सीख !

दोस्ती की नींव विश्वास पर टिकी है, एक दूसरे के प्रति जितना ज्यादा विश्वास होता है दोस्ती उतनी ही पक्की होती है। भले ही खुद टूट जाना लेकिन अपने दोस्त का विश्वास कभी टूटने नहीं देना।

कौन किससे चाहकर दूर होता है,
हर कोई अपने हालातों से मज़बूत होता है,
हम तो बस इतना जानते हैं,
हर रिश्ता मोती और
हर दोस्त कोहिनूर होता है।

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दोस्ती का फर्ज

True Friendship Story
True Friendship Story In Hindi – duty of friendship

एक छोटे से शहर में रामा और तरुण नाम के दो दोस्त रहते थे। रामा अमीर परिवार से था जबकि तरुण गरीब परिवार से था।

हालॉकि दोनों की दोस्ती के बीच अमीरी और गरीबी कभी नहीं आई, दोस्ती और भी गहरी होती गई।

समय के साथ दोनों बड़े हुए और दोनों ही अपने जीवन में व्यस्त हो गए।

व्यस्त जीवन के चलते उन दोनों को एक-दूसरे से मिलने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता था।

एक दिन, तरुण बहुत बीमार हो गया और डॉक्टर ने उसे पूरी तरह से अच्छा होने तक आराम करने की सलाह दी।

जब रामा को अपने दोस्त की बीमारी का पता चला तो वह उनसे मिलने उसके घर गया।

रामा वहां ज्यादा देर तक नहीं रुका और अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और अपने दोस्त को दे दिए और वहां से चला गया।

तरुण को रामा का व्यवहार बहुत बुरा लगा, वो चाहता था की रामा कुछ समय तो उसके पास बैठता, उसने सोचा जब ठीक हो जायूँगा तो काम करके अपने दोस्त के पैसे लोग दूंगा।

समय बीता और तरुण ठीक हो गया, और काम पर जाने लगा।

पैसा कमाना मुश्किल तो था पर ज्यादा मेहनत करके उसने रोज़ थोड़े थोड़े पैसे बचाना शुरू किया जिससे वो अपने दोस्त रामा के पैसे लोटा सके।

एक दिन जब तरुण ने अपने दोस्त को देने के लिए पैसे पूरे कर लिए तो वह देने के लिए रामा के पास गया।

रामा ने दरवाज़ा खोला अपने दोस्त तरुण को देख कर बोला, चलो अच्छा है ठीक हो गए।

तरुण के पैसे लौटने पर रामा ने अपनी जब में रख लिए और बाहर जाने की कहा कर तरुण को दरवाजे से ही रवाना कर दिया।

तरुण ने अपने दोस्त के बदले व्यवहार को देखा तो उसे बहुत बुरा लगा।

कुछ समय बीते , रामा बीमार हो गया और डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह दी।

जैसे ही तरुण को रामा की बीमारी की खबर मिली, वो अपना सारा काम जस का तस छोड़ अपने दोस्त से मिलने के लिए चल दिया।

रामा अपने दोस्त को देख कर खुश हुआ,

तरुण अपने दोस्त रामा के ठीक होने तक उसके साथ रहा।

कुछ दिन बाद रामा तरुण से मिलने उसके घर गया और बोला, “मेरे दोस्त, मुझे बहुत अपराधबोध हो रहा है। जब तुम बीमार थे तब मैंने बस कुछ पैसे दिए और चला आया, और वो पैसे भी तुमने वापस कर दिए।

लेकिन जब मैं बीमार हुआ तो तुम पूरे समय मेरे साथ रहे और मेरा ख्याल रखा, तुमने तो मुझे पैसे वापस कर दिए पर मैं तुम्हारा उपकार कैसे वापस करू। मुझे माफ़ कर दो मेरे दोस्त।

तरुण ने रामा को गले से लगा लिया और कहा, “बस दोस्त, तुम्हें यह एहसास हो गया की पैसा ही सब कुछ नहीं है, और आज मुझे बहुत खुशी है कि तुम फिर से मेरे पुराने वाले दोस्त बन गए।

कहानी से सीख !

दोस्ती अमीरी गरीबी, रूप रंग, जात पात नहीं देखती। बल्कि सच्ची दोस्तों तो दोस्त के प्रति परवाह, और स्नेह को देखती है।

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