क्या करें जब आप असुरक्षित महसूस कर रहे हों ~ When You Feeling Insecure

Feeling Insecure Hindi Article

Feeling Insecure ‘असुरक्षा की भावना’ – कई लोग असुरक्षा की भावना महसूस करते हैं। आप जानते हैं की आप सुरक्षित हैं। इसके बाबजूत असुरक्षा की भावना बनी रहती है और उससे बाहर आना भी आपके लिए आसान नहीं हो पाता है। तो आइये जानते हैं की असुरक्षा की भावना क्या है, कैसे आपको नुकसान पंहुचा सकती हैं और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है।

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क्या है असुरक्षा की भावना ?

हर कोई परफेक्ट नहीं होता, थोड़ा बहुत डर तो हर कोई महसूस करता हैं। पर यह डर किसी किसी में कुछ ज्यादा ही होता है। जब कोई काम शुरू करते हैं तो सफलता की उम्मीद करते हैं पर कहीं न कहीं यह Feeling भी आती है कि कही असफल न हो जायें।  इसी को असुरक्षा Insecurity कहा जाता है।

जब आप कोई ऐसा काम करने जा रहे हैं जो बहुत Risky हैं तो असुरक्षा की भावना ( Feeling Insecure ) स्वाभाविक है जो समय के साथ दूर हो जाती है। पर छोटे छोटी बातों में जब कोई नकारात्मक भाव रखने लगता है तो असुरक्षा की भावना भी महसूस करने लगता है।

असुरक्षा की भावना कैसे आपको नुकसान पंहुचा सकती हैं ?

यह एक आवाज़ है जो उस व्यक्ति के मन से आती है जो असुरक्षा की भावना ‘Feeling Insecure’ का सामना करते हैं। जब चीज़ो के प्रति नकारात्मक नजरिया बढ़ जाता है तो –

  • व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।
  • ऐसा व्यक्ति संकोची स्वभाव का हो जाता है।
  • ऐसे व्यक्ति कुछ चिड़चिड़े हो जाते हैं।
  • उन्हें अपनी छोटी कमियां भी बड़ी लगने लगती हैं।
  • ऐसे व्यक्ति अपने अंदर कमी देखने लगते हैं जैसे – मैं बहुत मोटा हूँ या पतला हूँ , मेरी आवाज़ अच्छी नहीं है, मैं बहुत लम्बा हूँ या अन्य कोई भी।
  • उन्हें लगता है की उनके साथ हमेशा गलत होता है।
  • कोई काम करने से पहले जरूरत से ज्यादा सोचने लग जाते हैं।
  • उन चीज़ो के बारे में भी चिंता करना जो आप बदल नहीं सकते।

क्या करें जब ‘असुरक्षा की भावना’  (Feeling Insecure) का सामना करना पड़े। 

What to do when ‘feeling of insecurity’.

अपने बारे में बुरा सोचना बंद कर दें। 

सबसे पहले अपने बारे में नकारात्मक सोचना / बोलना बंद कर दें। क्योंकि जब आप ऐसा करते हैं तो असुरक्षा की भावना ‘Feeling Insecure’ आपके दिमाग में घर बनाने लगती है। आपको उस घर को नहीं बनने देना हैं और ऐसा करना आपके हाँथ में है।  याद रखें कोई भी परफेक्ट नहीं होता। हर सुख हर किसी के पास नहीं होता।

असुरक्षा की भावनाओं के कारणों को लिखें।

आप जिस चीज़ के बारे में भी असुरक्षित महसूस करते हैं उन सभी कारणों को लिख लें। कोई भी छोटा या बड़ा कारण रह न जाये। अब उनको पढ़ें। उन बातो पर करेक्ट करे जो आप सॉल्व कर सकते हैं और उन बातों को क्रॉस करें जिन्हें सोल्व करना आपके हाथ में नहीं है।

अब करेक्ट की गई बातों को पढ़ें।  जब आप ऐसा करते है तो उनके जबाब भी आना शुरू हो जाते है और आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। अब क्रॉस की गई बातों को पढ़ें। तब आपको लगेगा की वास्तव में मैं कितना भी चिंता करू पर यह मेरे हाथ में नहीं है। तब आपको यकीन हो जायेगा कि यह बातें मेरी नकारात्मक सोच का नतीजा हैं।

अपनी कमियों को नहीं खूबियों को देंखें। 

जब आप अपनी कमियां देखते हैं तो वो औरों को भी नज़र आने लगती है। जब आप अपनी खूबियां, अपनी अच्छाइयाँ देखते हैं तो वो औरों को भी नज़र आने लगती हैं। तो क्यों न खूबियों को ही देखा जायें। चाहे और किसी प्रॉब्लम को सलूशन हो या कोई सफतला हासिल करनी हो तो सिर्फ आपकी खूबियों ही काम आएँगी।

अगर सचिन तेंदुलकर हमेशा यही सोचता की काश में अमिताभ बच्चन होता तो क्या वो कभी सचिन तेंदुलकर बन पाता। आप अपने आप में पेरफ़ेक्ट हैं बस और बस अपनी खूबियों को देखिए।

हमेशा एक  उद्देश्य रखियें।

हमेशा एक  उद्देश्य बनाकर चलिए और उस पर फोकस रखियें। जब आप एक  उद्देश्य बना लेते हैं तो उन चीज़ो को आप बेहतर तरीके से कर पाते हैं जो आपको लगता हैं की मुश्किल हैं।

अपनी सफलताओं को याद करें।

बहुत से ऐसी छोटी छोटी सफलतायें होंगी जो आपने बहुत आसानी से प्राप्त की होंगी। उन्हें याद करें। उन्हें याद करके गर्व करें। इस तरह भी याद करें – यदि आप उस समय असुरक्षित महसूस करते तो क्या उन सफलताओं को प्राप्त कर पाते ?

ज्यादा से ज्यादा बुरा क्या होगा। 

आप अपने आप से सवाल पूछे ? मैं इसलिए असुरक्षित महसूस कर रहा हूँ क्योंकि —-कोई भी कारण जैसे लोग क्या कहेंगे, मेरी नौकरी चली गई तो, मैं फ़ैल हो गया तो।

क्या यह वास्तव में इतना बुरा हैं की मैं डरा हुआ हूँ ? जब आप ऐसा सोचने लगेंगे तो आप ज्यादा गतिमान हो जायेंगे और चीज़ो को और अच्छी तरह से कर पायेंगे।

अच्छा क्या होगा। 

हर चीज़ के दो पहलू होते हैं जब आप बुरा होने पर ध्यान नहीं दे रहे तो आप अच्छाई को देख रहें हैं। असुरक्षा की भावना तभी पैदा होती है जब हम चीज़ो में बुराई देखते हैं। एक नयी शुरुआत करें, चीज़ों में अच्छा देखने की। यह भी निश्चित नहीं है की आप अच्छा देखेंगे तो अच्छा ही होगा पर जब आप अच्छा देखेंते तो काम को मन लगाकर कर सकेंगे। आपके दिमाग में नए नए विचार आएंगे। जो आपकी असुरक्षा की भावना को खत्म कर देंगे।

बस कर्म करो। 

श्रीकृष्णा का कहना है कि कर्म करो फल की चिंता मत करो। सिर्फ आपके सोचने से, आपकी असुरक्षा की भावना से कोई काम या कोई घटना रुक तो नहीं जायेगी। अगर बॉस को आपको जॉब से निकलता है तो निकल देगा। आप सोच रहें हैं आप असुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्या इस डर से बॉस आपको नहीं निकालेगा। तो क्यों न चीजों के बारे में सिर्फ और सिर्फ सकारत्मक बातें सोच कर जितना हो सके अपने काम में 100%  दीजिये। तो क्या ज्यादा चांसिस नहीं है की बॉस आपको न निकाले।

यदि आप पहाड़ पर चढ़ रहे हैं और उन छोटे छोटे पत्थरों को बाधा समझकर असुरक्षित महसूस कर रहे है तो क्या आप पहाड़ पर चढ़ पायेंगे।

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